जुलाई 2017 से भारत में, कारोबार पर लगने वाले सभी टैक्सों को हटाकर, सिर्फ एक तरह का टैक्स GST लगा दिया गया है। किसी भी वस्तु (Goods) या सेवा (Services) के उत्पादन या बिक्री पर इसे लगाया जाता है। चूंकि इसे वस्तुओं (Goods) और सेवाओं (Services) के कारोबार पर लगाया जाता है। इसलिए इसका पूरा नाम माल एवं सेवा कर (Goods and Services Tax) रखा गया है। सरकार इसका एक देश एक टैक्स के नाम से प्रचार भी करती रही है।
लेकिन, जब हम मार्केट से कोई सामान खरीदकर लाते हैं तो उसकी रसीद या बिल में सिर्फ एक GST का नाम नहीं मिलता। इसकी बजाय-
- उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, गुजरात या अन्य सामान्य राज्यों में यह रसीदों में हमें CGST**%+SGST**% के दो अलग-अलग नामों से दिखता है।
- दिल्ली या किसी अन्य केंद्र शासित प्रदेश (Union Terretories) में यह रसीदों में CGST**%+UTGST**% नाम के दो टैक्स काट लिए जाते हैं।
- अगर किसी दूसरे राज्य से सामान मंगवाया है तो उसके बिल में सिर्फ IGST**% के नाम से अकेला टैक्स दर्ज मिलता है।
अब सवाल यह उठता है कि, अगर एक देश एक टैक्स के रूप में GST को लागू करने की बात की गई थी तो फिर इसे इन चार अलग-अलग नामों (CGST, SGST, UTGST, IGST) से क्यों वसूला जाता है?
इसी तथ्य को आसानी से समझने के लिए, हमने यह लेख तैयार किया है। इसमें हम जानेंगे जीएसटी कितने प्रकार का होता है? आपको किस तरह की खरीदारी पर, कौन सा जीएसटी चुकाना पड़ता है?
How many types of GST there are? Complete Information in Hindi?
जीएसटी के प्रकार | Types of GST
इस प्रकार, भारत में GST को चार अलग-्अलग नामों से वसूला जाता है-CGST, SGST, UGST और IGST। यानी कि भारत में GST चार प्रकार का होता है।
- CGST= केंद्र के हिस्से का GST टैक्स (Central GST)
- SGST: खरीदार राज्य के हिस्से का GST टैक्स होता है (State GST)
- UGST या UTGST: खरीदार केंद्र शासित प्रदेश के हिस्से का टैक्स (Union Terretory GST)
- IGST : केंद्र और राज्य दोनों के हिस्सों को मिलाकर बना एकीकृत अकेला टैक्स (Integrated GST)
दरअसल, किसी भी सौदे में जो GST वसूला जाता है, उसमें केंद्र सरकार+राज्य सरकार दोनों का हिस्सा बराबर-बराबर रहता है। यही कारण है कि, अगर विक्रेता (seller) और खरीदार (Buyer) एक ही राज्य के होते हैं तो उनके बिल में CGST+SGST का उल्लेख होता है।
जबकि एक ही केंद्र शासित प्रदेश के बिक्रेता (Buyer) और खरीदार (seller) होने पर, उनके बिल में CGST+UGST का उल्लेख होता है। जब बिक्रेता और खरीदार, अलग-अलग राज्यों के होते हैं तो उनके बिल में सिर्फ IGST का उल्लेख होता है। (नीचे हमने कुछ बिल (रसीदों) के सैंपल के स्क्रीनशॉट भी दिए हैं।)
अगर विक्रेता (seller) और खरीदार (buyer) अलग-अलग राज्यों के हुए तो सिर्फ एक तरह का GST वसूलने का जिक्र होता है। वह होता है-IGST (रसीद का सैंपल नीचे स्क्रीनशॉट में देख सकते हैं।)
अब हम, इन चारों प्रकार के GST का अलग-्थलग करके, विस्तार से परिचय देंगे और उनकी मुख्य विशेषताओं के बारे में भी जानकारी देंगे।
CGST क्या होता है? फुल फॉर्म, अर्थ और विशेषताएं
सीजीएसटी है? CGST का full form होता है-Central Goods and Services Tax। इसका मतलब होता है केंद्रीय माल एवं सेवा कर। इसी को केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर के नाम से भी जाना जाता है। यह वसूले गए GST में केंद्र सरकार को मिलने वाला हिस्सा होता है। 12 अप्रैल 2017 को लागू हुए THE CENTRAL GOODS AND SERVICES TAX ACT, 2017 के तहत यह टैक्स (CGST) वसूलने का अधिकार केंद्र सरकार को मिला है।
सीजीएसटी कब वसूला जाता है?
जब भी कोई सौदा, किसी एक ही राज्य में रहने वाले दो लोगों के बीच होता है तो CGST+SGST मिलाकर वसूले जाते हैं। ऐसे सौदों में खरीदार (Buyer) और विक्रेता (Seller), दोनों एक ही राज्य के होने चाहिए।जैसे कि उत्तर प्रदेश के दो व्यक्तियों के बीच कोई लेन-देन हुआ, तो उस सौदे में, दो हिस्सों में GST वसूला जाएगा।
- CGST: केंद्र सरकार के हिस्से वाला जीएसटी यानी कि केंद्रीय माल एवं सेवा कर
और - SGST: राज्य सरकार के हिस्से वाला जीएसटी यानी कि राज्यीय माल एवं सेवा कर
इनमें हम देखते हैं कि दोनों बराबर-बराबर प्रतिशत (%) में होते हैं होते हैं और ग्राहकों से दोनों का टोटल (CGST+SGST) वसूल किया जाता है। आखिरकार, GST की रकम भी केंद्र और राज्य सरकार के खातों में बराबर-बराबर जमा होती है।
SGST क्या होता है? फुल फॉर्म, अर्थ व विशेषताएं
SGST का full form होता है-State Goods and Services Tax। इसका मतलब होता है ‘राज्य माल एवं सेवा कर’। यह वसूले गए GST में राज्य सरकार वाला हिस्सा होता है। इस टैक्स को वसूलने के लिए राज्यों ने अपने अपने यहां SGST Act पारित किए हैं। जैसे कि,
- दिल्ली ने 31 मई 2017 को Delhi Goods and Services Act 2017 पारित किया।
- उत्तर प्रदेश ने 18 मई 2017 को The Uttar Pradesh Goods and Services Act 2017 पारित किया।
SGST कब वसूला जाता है?
SGST उन सौदों (Transactions) पर लगता है, जोकि उस राज्य के भीतर के दो लोगों के बीच होते हैं। यानी कि खरीदार (Purchaser) और बेचने वाले (seller) दोनों पक्ष, उसी राज्य के हों। उस माल को राज्य की सीमा से बाहर नहीं भेजा जाना है।
भारत में, SGST की मात्रा (कुल खरीदारी का प्रतिशत) भी उतना ही होता है, जितना कि CGST का होता है। यानी कि ऐसी खरीदारियों में काटे गए GST में जितना हिस्सा CGST के रूप में,केंद्र सरकार को मिलता है, उतना ही SGST के रूप में, राज्य सरकार को भी मिलता है।
UTGST क्या होता है? फुल फॉर्म, अर्थ, विशेषताएं
UTGST का full form होता है- Union Territory Goods and Services Tax। इसका हिंदी में मतलब होता है- केंद्र शासित प्रदेश का माल एवं सेवा कर। यह किसी सौदे पर वसूले गए GST में, का वह हिस्सा होता है, जोकि केंद्र शासित प्रदेश (Union Terretory) को मिलता है।12 अप्रैल 2017 को लागू हुए कानून THE UNION TERRITORY GOODS AND SERVICES TAX ACT, 2017 के तहत यह टैक्स (CGST) वसूलने का अधिकार केंद्र सरकार को मिला है।
UTGST कब वसूला जाता है?
यह उन सौदों पर लगता है, जो कि किसी केंद्र शासित प्रदेश (Union Territory) की सीमा के भीतर होते हैं। यानी कि खरीदार (Purchaser) और विक्रेता (seller) दोनो ही उसी केंद्र शासित प्रदेश के हों। यानी कि वह सामान या सेवा उस केंद्र शासित प्रदेश की सीमा से बाहर नहीं जाना हो।
भारत में, फिलहाल 8 केंद्र शासित प्रदेश (Union Territories) हैं-
- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (NCR)
- चंडीगढ़
- अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह
- दादर एवं नगर हवेली तथा दमन एवं दीव
- जम्मू एवं कश्मीर
- लक्षद्वीप
- लद्दाख
- पुडुचेरी
UTGST , दरअसल SGST के स्थानापन्न (substitute) की तरह होता है। राज्यों के भीतर होने वाले सौदों में जिस तरह SGST लगता है, उसी तरह किसी केंद्र शासित प्रदेश की सीमाओं के भीतर होने वाले सौदों में UTGST लगता है।
SGST की तरह ही UTGST भी, सीजीएसटी के साथ ही लगता है। और CGST के बराबर ही UTGST का भी प्रतिशत होता है। और यह आखिरकार, उस केंद्र शासित प्रदेश के खाते में जमा होता है, जिस प्रदेश के भीतर वह सौदा हुआ होता है।
IGST क्या होता है? फुल फॉर्म, अर्थ व विशेषताएं
IGST का फुल फॉर्म होता है—Integrated Goods and Services Tax। इसका हिंदी में अर्थ होता है- समेकित या एकीकृत माल एवं सेवा कर।12 अप्रैल 2017 को लागू किए गए कानून THE INTEGRATED GOODS AND SERVICES TAX ACT, 2017 के तहत यह टैक्स (CGST) वसूलने का अधिकार केंद्र सरकार (Central Government) को मिला है।
IGST कब वसूला जाता है?
किसी माल या सेवा की सप्लाई पर IGST तब लगाया जाता है, जबकि वह सौदा दो अलग-अलग राज्यों के कारोबारियों के बीच हुआ हो। यानी कि वह माल, किसी अन्य राज्य में भेजा जाना हो।
इसमें केंद्र और राज्य के जीएसटी को मिलाकर, दोनों के योग (Total) के बराबर जीएसटी एक साथ ले लिया जाता है, इसलिए इसे एकीकृत जीसटी (integrated GST) कहा जाता है। मतलब यह कि-
- ISGST=CGST+SGST (एक ही राज्य के कारोबारियों के बीच सौदा होने पर)
- ISGST=CGST+UTGST (अलग-अलग राज्य के कारोबारियों के बीच सौदा होने पर)
इसमें, पूरा का पूरा IGST, केंद्र सरकार की ओर से वसूला जाता है। लेकिन बाद में इसे केंद्र और उस राज्य सरकार के बीच बराबर बराबर बांट दिया जाता है, जिस राज्य में माल को भेजा गया था। IGSG के माध्यम से वसूले गए GST में उस राज्य सरकार को हिस्सा मिलता है, जहां कि उस माल का अंतिम रूप से इस्तेमाल या उपभोग होना है।
जीएसटी के अलग-अलग रेट क्यों होते हैं?
जीएसटी के अलग-अलग नाम और उनकी अलग-अलग खासियतों को जानने के बाद एक सवाल यह भी आपके मन में उठ सकता है कि सभी तरह के सामान की रसीदों में इनका प्रतिशत अलग-अलग क्यों होता है?
दरअसल, सामान्य लोगों के जीवन के लिए किसी सामान की उपयोगिता और महत्व के आधार पर सरकार ने, अलग-अलग दर से GST वसूलने का नियम बनाया है। जीवन के लिए अनिवार्य श्रेणी की वस्तुओं पर कोई GST नहीं लगाया गया है, जबकि विलासिता वाली और अनुपयोगी वस्तुओं पर बहुत ज्यादा टैक्स निर्धारित किया गया है।
फिलहाल GST के 5 तरह के रेट तय किए गए हैं—
- 0 % GST: सामान्य जनजीवन के लिए अत्यंत अनिवार्य चीजों का 0% GST में रखा गया है। जैसे कि बिना पैकिंग वाले अनाज, ताजे फल, सब्जियां नमक, गुड़ वगैरह।
- 5% GST: सामान्य जीवन के लिए ज्यादा जरूरत वाली वस्तुओं और पदार्थों पर 5 प्रतिशत जीएसटी तय किया गया है। जैसे कि चीनी, चाय, काफी, कोयला, खाद्य तेल वगैरह।
- 12% GST: जीवन के लिए सामान्य जरूरत वाली वस्तुओं और पदार्थों पर 12 प्रतिशत जीएसटी तय किया गया है। जैसे कि घी, उर्वरक, मोबाइल फोन, कप्यूटर वगैरह।
- 18% GST: सामान्य जीवन के लिए कम अनिवार्यता वाली वस्तुओं और पदार्थों पर 18 प्रतिशत जीएसटी तय किया गया है। जैसे कि टूथपेस्ट, साबुन, हेयर ऑयल वगैरह।
- 28% GST: सामान्य जीवन के लिए हानिकारक और विलासिता वाली वस्तुओं और पदार्थों पर 28 प्रतिशत जीएसटी तय किया गया है। जैसे कि जैसे कि फ्रिज, एसी, महंगी कारें वगैरह।
कुछ प्रोडक्ट्स पर नहीं लगता कोई भी GST
पेट्रोल, डीजल, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस और जेट फ्यूल को GST से बाहर रखा गया है। शराब को भी फिलहाल GST के दायरे से बारह रखा गया है। आगे कभी इनमें से किसी प्रोडक्ट को GST के दायरे में शामिल करने के लिए संविधान संशोधन की जरूरत पड़ेगी। इन पर अभी भी राज्यों को अपने हिसाब से VAT लगागे का अधिकार है।