अगर आप पहली बार शेयर बाजार में निवेश (Investment) करने की सोच रहे हैं तो आपको म्यूचुअल फंड्स में पैसा लगाना चाहिए। क्योंकि म्यूचुअल फंड्स का मैनेजर, Investment की बारीकियों को समझता है। वह भविष्य में संभावित नफा-नुकसान का आकलन करके, आपके पैसों को इस प्रकार से लगाता है कि आपको कम से कम नुकसान हो और अच्छा रिटर्न भी मिल सके। इसीलिए, फाइनेंशियल एक्सपर्ट, लोगों को म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने की सलाह देते हैं।
इस लेख में हम समझाएंगे कि म्यूचुअल फंड क्या होता है? ये कितने प्रकार के होते हैं? और इनके क्या फायदे होते हैं?
What are mutual funds Hindi. How many types of mutual Funds there are?
म्यूचुअल फंड क्या है? What is Mutual Funds
म्यूचुअल फंड को ठीक से समझने के लिए पहले, हमें इसकी एक छोटी सी अंग्रेजी परिभाषा देख लेनी चाहिए-
A mutual fund is a pool of money managed by a professional Fund Manager for the purpose of better investment and high returns.
Mutual Funds का हिंदी में मतलब होता है-पारस्परिक निधि। सरल भाषा में कहा जाये तो कई लोगों की साझा रकम को म्यूचुअल फंड कह सकते हैं। दरअसल म्यूचुअल फंड में, कई लोगों का पैसा एक साथ मिलाकर शेयर बाजार या निवेश योजनाओं में लगाया जाता है। इस तरह से म्यूचुअल फंड्स में, आपके साझा पैसे का सामूहिक निवेश (Group Investent) किया जाता है। उसका जो भी फायदा होता है, वह भी सबके निवेश हिस्सों के हिसाब से बांटकर दे दिया जाता है।
निवेश करने वाले लोगों का पैसा कहां-कहां और कैसे निवेश करना है, यह एक विशेषज्ञ लोगों (Financial Experts) की टीम करती है। ये टीम एक Fund Manager के नेतृत्व में काम करती है। उस टीम में मार्केट और शेयर बाजार को समझने वाले प्रोफेशनल्स रखे जाते हैं। वह टीम कंपनियों और उनके शेयरों के पिछले रिकॉर्ड और आगे की संभावनाओं को ध्यान में रखते, लोगों के पैसों का इस तरह से निवेश करती है कि उससे कम से कम नुकसान के साथ अच्छा रिटर्न मिल सके।
इस तरह से Mutual Funds आपको बड़ी-बड़ी कीमत वाले निवेश उपायों में भी, कम पैसे लगाकर निवेश का लाभ प्राप्त करने की सहूलियत उपलब्ध कराते हैं।
म्यूचुअल फंड्स में निवेश का उदाहरण
मान लेते हैं कि 20 चॉकलेट्स का एक पैकेट है, जिसकी कुल कीमत 1000 रुपए है। इस पैकेट के साथ यह शर्त जुड़ी है कि जो भी खरीदना चाहे, वह पूरा पूरा का पूरा डिब्बा ही खरीद सकता है। अब मान लेते हैं कि कोई एक व्यक्ति अकेला, उस पैकेट को पूरा का पूरा खरीदने की स्थिति में नहीं है, या एक साथ पूरा पैकेट खरीदने को इच्छुक नहीं है। ऐसे में 5 लोग मिलकर साझा रूप से उसे खरीदने की योजना बनाते हैं और 200-200 रुपए जमा करके खरीद लेते हैं।
यहां हम देखते हैं कि हर दोस्त के हिस्से में चार-चार चॉकलेट आती हैं। म्यूचुअल फंड को चॉकलेट्स के पूरे पैकेट के रूप में मान सकते हैं और हर चॉकलेट को एक यूनिट मान सकते हैं। तो इस तरह से हर दोस्त के हिस्से में म्यूचुअल फंड की 4 यूनिट आती है। उन 4 यूनिट में उसका पैसा लगा है और उन 4 यूनिटों से मिला रिटर्न ही उसे मिलेगा।
अब हम म्यूचुअल फंड्स से जुड़े कुछ प्रमुख शब्दों (Terms) को भी समझ लेते हैं-
म्यूचुअल फंड यूनिट
एक म्यूचुअल फंड में कई तरह के निवेश उपायों को शामिल किया जाता है। इसमें कई तरह के शेयर भी हो सकते हैं और कई तरह के बांड्स भी हो सकते हैं। इसी तरह डेरिवेटिव और ट्रेजरी बिल भी शामिल हो सकते हैं। ये जो निवेश की पूरी खिचड़ी होती है, उस पूरी खिचड़ी को एक कुछ संख्या में बांट दिया जाता है। इसमें से जो 1 हिस्सा होता है वह उस म्यूचुअल फंड की एक इकाई या एक यूनिट कहा जाता है।
उदाहरण के लिए एक म्यूचुअल फंड ABC है, जिसमें का 20% stock A में लगा है, 10% Stock B में लगा है। 20% Stock C में लगा है और 5% Stock D में लगा है। 30% government bonds में लगा है। 10% cash derivatives और 5% treasury bills में लगा है।
जब किसी व्यक्ति को इस म्यूचुअल फंड की एक यूनिट मिलेगी तो वह इन सभी तरह के निवेशों में इनके निवेश अनुपातों के हिसाब से स्वामित्व पाने का हकदार होगा। रिटर्न भी सभी निवेशों के मिले-जुले प्रदर्शनों के आधार पर पाने का हकदार होगा।
अब मान लेते हैं कि ऐसी एक म्यूचुएल फंड यूनिट की कीमत 50 रुपए है। और आपने कुल 1000 रुपए निवेश किए हैं। तो आपको उस म्यूचुअल फंड की 20 यूनिटों का स्वामित्व मिल जाएगा।
एसेट मैनेजमेंट कंपनी
भारत में बहुत सी Mutual fund companies चल रही हैं। इन Mutual fund companies को Asset Management Companies या AMC भी कहते हैं। AMC, दरअसल, SEBI में रजिस्टर्ड ऐसी कंपनी होती है, जो mutual fund स्कीम बनाती हैं और लोगों से पैसा जमा करती है। यही कंपनी फंड मैनेजर को भी नियुक्त करती हैं।
म्यूचुअल फंड स्कीम
mutual fund companies बहुत सी mutual fund schemes संचालित करती हैं। हर scheme में निवेश का अलग लक्ष्य (Objectives) होता है। जैसे कोई एक स्कीम सिर्फ बड़ी कंपनियों के शेयरों में पैसा लगाती है तो दूसरी सिर्फ छोटी कंपनियों में निवेश करेगी। कोई तीसरी स्कीम सिर्फ government bonds में पैसा लगा सकती है। इस तरह से हर company अलग-अलग उद्देश्यों वाले कई mutual fund scheme शुरू करती है।
फंड मैनेजर
हर Scheme में पैसा लगाने की जिम्मेदारी किसी fund manager को दी जाती है। कोई एक व्यक्ति कई schemes का fund manager भी हो सकता है। किसी एक म्यूचुअल फंड कंपनी या asset management company के पास कई fund managers होते हैं। इसके अलावा, कंपनी के पास निवेश की रणनीति investment strategy पर काम करने के लिए अपनी research team भी होती है।
एनएवी क्या है? What Is NAV
म्यूचुअल फंड की एक यूनिट की कीमत को Net Asset Value (NAV) कहते हैं। यह Net Asset Value (NAV) ही उस mutual fund scheme की performance को बताता है।
मान लिया कि आप mutual fund में निवेश करना चाहते हैं। आप 10 रुपए में NFO Period में Mutual Fund की एक Unit खरीद लेते हैं। NFO Period के दौरान इस Mutual Fund की NAV 10 रुपए होगी। अब यह भी मान लेते हैं कि आप ही की तरह और भी 9 लोगों ने Mutual Fund की यूनिट खरीदी है।
इस तरह से उस mutual fund scheme ने कुल 10 यूनिट बेचकर 100 रुपए इकट्ठा किए हैं। अब आपका fund manager इन 100 रुपयों में कुछ Shares खरीद लेता है। मान लिया, आपके 100 रुपए Investmetnt की कीमत एक साल बाद 150 रुपए हो जाती है। तो अब उस Mutual Fund की हर Unit की कीमत हो गई 150/10=15 रुपए। यानी कि हर यूनिट की net asset value (NAV) हो गई 15 रुपए।
अब मान लिया कि 5 और लोग उसी mutual fund scheme में निवेश करना चाहते हैं। लेकिन, अब उस mutual fund scheme की यूनिट की NAV 15 रुपए हो चुकी है। इसलिए उन्हें अब इसकी 1 यूनिट के लिए 15 रुपए चुकाने पड़ेंगे। कंपनी इन नए पांच लोगों को 5 Unit बेचकर 75 रुपए और इकट्ठा कर सकेगी। अब कंपनी के पास कुल पैसे हो गए 150+75=225 रुपए। लेेकिन, कुल यूनिटों की संख्या 15 हो गई ।
कोई mutual fund company नई यूनिटें जारी करके निवेश के लिए अपनी रकम (corpus) बढ़ा सकती है। इससे पुराने investors का निवेश प्रभावित नहीं होता। क्योंकि नए investors को ये नई यूनिटें नई कीमत पर प्राप्त होती हैं।
म्यूचुअल फंड कंपनियां समय-समय पर NAV की घोषणा करती रहती हैं। आप किसी NAV की जानकारी AMCs की websites या AMFI Portal के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं।
NFO या न्यू फंड ऑफर क्या है?
ये म्युचुअल फंड कंपनियां समय-समय पर नई-नई म्यूचुअल फंड स्कीमें लांच करती हैं। market में किसी नई म्यूचुअल फंड स्कीम के लांच करने को new fund offer कहा जाता है। इसकी शॉर्ट फॉर्म होती है-NFO। हर नए फंड को कोई अलग नाम दिया जाता है और उसका विज्ञापन यानी प्रचार किया जाता है। Mutual Fund कंपनियां NFO का विवरण पत्र (prospectus) भी जारी करती हैं। ये prospectus उस स्कीम के उद्देश्य (objective), विवरण (details) और उसकी fund management team के बारे में जानकारी देता है।
शुरुआत में आप किसी mutual fund scheme की यूनिट 10 रुपए में खरीद सकते हैं। Investment के शुरुआती कुछ समय तक इस Unit की कीमत 10 रुपए ही रहती है। कीमत में बिना बदलाव वाले इस Period को NFO period (new fund offer Period) कहते हैं। इस अवधि मेे Mutual Fund Company आपके पैसे को निवेश नहीं करती, यानी कि किसी शेयर में नहीं लगाती। NFO Period खत्म होने के बाद आपका फंड मैनेजर, pooled money (सामूहिक रकम ) में से Investment शुरू करता है। यहां से इस total investment की value में जो भी बढ़ोतरी या कमी होती है, उसके हिसाब से आपके unit की कीमत भी बढ़ती या घटती है।
म्युचुअल फंड की कैटेगरी
निवेश (investment) और पैसा निकालने (redemption) की flexibility के हिसाब से mutual funds दो प्रकार के होते हैं।
- Open-Ended Mutual Fund Scheme
- Close-Ended Mutual Fund Scheme।
खुले सिरों वाली म्यूचुअल फंड स्कीम (Open Ended Mutual Fund Scheme)
Open Ended Mutual Fund scheme ऐसी स्कीम होती है, जिसमें Invester कभी भी पैसा लगा सकता है और निकाल सकता है। चूंकि ऐसी स्कीम में पैसा आता जाता रहता है इसलिए ऐसी स्कीम के पास कोई fixed amount नहीं रहता है। फंड मैनेजर को परिस्थितियों के हिसाब से निवेश का फैसला लेना होता है।
बंद सिरों वाली म्यूचुअल फंड स्कीम (Close Ended Mutual Fund Scheme)
close ended mutual fund Scheme में आप सिर्फ NFO के समय ही पैसा लगा सकते हैं। इसके बाद सिर्फ maturity पर ही अपना पैसा निकाल सकते हैं। हालांकि, close ended mutual fund scheme की यूनिटों को secondary market में खरीदा और बेचा जा सकता है। ऐसे लेन-देन से mutual fund company का कोई लेना-देना नहीं होता और न ही उस mutual fund scheme की जमा रकम पर इनका कोई प्रभाव पड़ता है।
किसी म्यूचुअल फंड स्कीम के NFO के पहले AMC को fix तय करना होता है कि वह Open-Ended Mutual Fund Scheme ला रहा है या close-Ended Mutual Fund Scheme।
म्युचुअल फंड के प्रकार | Types Of Mutual Fund
अपने investment portfolio के आधार पर mutual fund कई प्रकार के होते हैं। SEBI ने mutual funds को 5 भेदों में श्रेणीबद्ध categorized किया है। इनका संक्षेप में परिचय हम नीचे दे रहे हैं।
इक्विटी फंड | Equity Fund
Equity mutual funds का ज्यादातर पैसा shares में लगाया जाता है। ऐसी schemes के fund manager को कम से कम 65% परसेंट रकम शेयर में ही लगानी होती है। बाकी बचे पैसे को वो बॉन्ड या फिर बैंक में रख सकता है। अब चूंकि equity mutual fund को शेयरों में निवेश किया जाता है। तो इनका return भी share market के हिसाब से मिलता है। यानी कमाई की सबसे ज्यादा संभावना होती है लेकिन रिस्क भी इसमें ज्यादा होता है।
Equity fund से होने वाली Income पर long term capital gains tax नहीं लगता है, जबकि short-term capital gain को आपकी Income में जोड़कर tax calculation में शामिल करते हैं।
डेट फंड | Debt Fund
इस प्रकार के mutual fund की रकम को मुख्य रूप से bonds और corporate fixed deposit में निवेश किया जाता है। किसी debt mutual fund के साथ यह अनिवार्य शर्त होती है कि उसका कम से कम 65 प्रतिशत पैसा बॉन्ड या बैंक डिपॉजिट में लगाया जाए। उदाहरण के लिए government bonds, company bonds, corporate fixed deposits और bank deposits वगैरह। बाकी रकम को equity यानी शेयरों में लगाया जा सकता है।
अब चूंकि debt funds को fixed return देने वाले बॉन्ड में लगाया जाता है, इसलिए इनमें risk भी तुलनात्मक रूप से कम होता है। ले किन इनसे आपको जबर्दस्त फायदे की भी उम्मीद नहीं करनी चाहिए। वैसे अच्छे debt funds आपको bank fixed deposits की अपेक्षा बेहतर रिटर्न दे सकते हैं।
अगर आप अपने debt fund को 3 साल बाद भुनाते हैं तो इस पर आपको long term capital gains tax चुकाना पड़ता है। इस long term capital gains tax की दर बिना indexation के 10 प्रतिशत होगी और indexation के साथ 20 प्रतिशत।
अगर आप 3 साल के पहले अपनी debt mutual fund units को बेच देते हैं तो इससे हुई आमदनी पर आपको short-term capital gains tax चुकाना पड़ेगा। इस short-term capital gain को आपकी कुल आमदनी में जोड़ा जाएगा और फिर आपके Tax Slab के हिसाब से Tax की गणना होगी।
बैलेंस्ड म्युचुअल फंड | Balanced Mutual Fund
Balanced Mutual Fund आपके पैसे को शेयर और बॉन्ड दोनों में लगाते हैं। जैसा कि आप जानते ही हैं कि शेयर में returnn ज्यादा मिलता है लेकिन वो risky होते हैं जबकि bond सुरक्षित होते हैं लेकिन उसमें रिटर्न कम मिलता है। इसलिए इन दोनों में पैसे लगाकर ये म्यूचुअल फंड safety के साथ-साथ बढ़िया रिटर्न देने की कोशिश करता है।
हालांकि ये म्यूचुअल, शुद्ध शेयर में पैसा लगाने वाले equity mutual fund से कम return देते हैं और शुद्ध बॉन्ड में पैसा लगाने वाले debt fund से कम safe होते हैं। Market के अच्छे समय में ये funds न तो Equity Funds की तरह बहुत ऊंचा रिटर्नदेते हैं और न ही Market के बुरे समय में Equity Funds की तरह ये आपको बहुत खराब return देते हैं।
ये फंड निवेश में संतुलित रवैया (balanced approach) अपनाते हैं और market की condition के हिसाब से शेयरों और बांडों में निवेश करते हैं।
भारत में ‘balanced’ funds का झुकाव भी equity यानी शेयरों में निवेश की तरफ ज्यादा दिखता है। ज्यादातर अपने portfolio का कम से कम 65 प्रतिशत तक शेयरों में लगाते हैं। ऐसा वे इसलिए करते हैं ताकि tax बचाने में ज्यादा से ज्यादा मदद मिल सके। चूंकि, ऐसे funds, जिनका निवेश, शेयरों में 65 प्रतिशत से अधिक होता है, उन्हें equity mutual funds माना जाता है। ऐसे में इन पर long term capital gains tax लागू नहीं होगा और वे ज्यादा tax benefit उठा सकते हैं।
कुछ और भी ऐसे Fund होते हैं, जिन्हें तकनीकी रूप से balanced या hybrid funds कहा जा सकता है, लेकिन mutual fund कंपनियां उनके नाम के साथ ‘balanced’ शब्द नहीं जोड़तीं।
ये funds अपने Portfolio का 65 प्रतिशत से कम शेयरों में लगाते हैं। इनका शेयरों में निवेश 20 से 30 प्रतिशत हो सकता है। ऐसे funds से होने वाली आमदनी पर long term capital gains tax भी लगता है। भारत में इस तरह के funds मासिक आय योजना (monthly income plans) के रूप में होते हैं। ये आपको हर महीने एक निश्चित आय प्रदान करते हैं। ऐसे Funds आपकी पूंजी की सुरक्षा पर ज्यादा जोर रखते हैं और लगभग निश्चित रिटर्न (fixed return) देते हैं।
टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड (ELSS)
Tax Saving Mutual Funds को Equity linked saving scheme या ELSS भी कहा जाता है। चूंकि Equity linked saving scheme या ELSS में लगाए गए पैसे पर सरकार टैक्स छूट देती है, इसलिए इन्हें Tax Saving Mutual Funds कहा जाता है। ये टैक्स बचाने के कुछ सबसे अच्छे उपायों में से एक हैं। ELSS में निवेश किया गया पैसा कम से कम 3 साल के लिए locked हो जाता है। यानी कि आप इनमें लगाया गया पैसा 3 साल के पहले नहीं निकाल सकते।
ELSS का पैसा मुख्य रूप से शेयरों में लगाया जाता है, इसलिए ये अक्सर आपको अच्छा-खासा returns भी दे सकते हैं। हालांकि, अन्य equity mutual funds की तरह ये risky भी होते हैं।
ELSS से section 80C के तहत tax saving होती है। जैसा कि इनकम टैक्स के सेक्शन 80सी में ऐसे निवेशों को रखा गया है जिनमें पैसा लगाने से आपकी टैक्स देनदारी घट जाती है। आप इनमें जितना पैसा लगाते हैं उतना पैसे आपकी taxable income से घट जाता है। PPF investment, Home loan principal, NSC, tax saving FD, insurance, tuition fees और EPF contribution वगैरह भी section 80C के तहत टैक्स छूट की सुविधा के हकदार होते हैं।
इन सारे tax saving निवेशों में ELSS का lock इन period सबसे कम होता है। यानी कि अगर आप कम समय के लिए अपना पैसा जाम करके ज्यादा Tax बचाने की सोच रहे हैं तो Tax Saving Mutual Funds यानी ELSS सबसे बेहतर Option हो सकता हैंं।
इंडेक्स फंड | Index Fund
इंडेक्स फंड भी अन्य equity fund की तरह शेयरों में पैसा निवेश करता है। लेकिन यह equity fund से अलग इस मायने में होता है कि यह अपने हिसाब से चुने हए शेयरों में पैसा नहीं लगाता। बल्कि बाजार के सूचकांकों (market indices) के structure की ही copy करके पैसा लगाता है। Sensex, Nifty, CNX-200, CNX 500 वगैरह बाजार सूचकांक हैं।
इन सूचकांकों (indices) में कुछ निश्चित कंपनियों के Share ही शामिल होते हैं। हर शेयर का उस सूचकांक (index) में एक fixed weight-age होता है। कोई Index Fund जिस सूचकांक को Follow करता है, वह उसमें शमिल सभी शेयरों में पैसा लगाता है। शेयरों में पैसा भी उसी अनुपात में लगाया जाता है जिस अनुपात में उन शेयरों को सूचकांक में वजन दिया जाता है।
उदाहरण के लिए अगर एक index fund है sensex की नकल करता है। तो यह भी sensex की तरह ही उन 30 shares में ही पैसा लगाएगा। हर शेयर को वह sensex के समान ही weightage भी प्रदान करेगा। यानी कि ऐसे index fund के लिए भी Sensex की तरह reliance, TCS, ITC वगैरह सबसे ज्यादा weightage वाले शेयर होंगे।
सेंसेक्स के portfolio की हूबहू नकल करने के कारण यह index fund सेंसेक्स की तरह ही Return भी देगा। हालांकि, index fund से आपको हूबहू वैसे ही Return की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। क्योंकि Copy करने में थोड़ा टाइम लग सकता है। इसे निवेश की भाषा में tracking error कहते हैं। चूंकि इस copycat fund में fund manager यानी म्यूचुअल फंड कंपनी की भूमिका बहुत कम होती है। इसलिए index fund में fund management charge भी काफी कम होता है।आप mutual fund distributor के माध्यम से mutual fund companies से index fund खरीद सकते हैं।
एक्सचेंज ट्रेडेड फंड या ETF
Exchange Traded Fund (ETF) मूल रूप से Index Fund ही होते हैं। लेकिन इन index funds को stock exchange में सीधे खरीदा-बेचा जा सकता है। शेयरों की तरह ही exchange-traded fund की कीमत भी बाजार के घंटों (market hours) के दौरान लगातार बदलती रहती है। आप किसी शेयर दलाल (stock broker) से exchange traded fund खरीद सकते हैं। इन्हें खरीदने के लिए, यानी कि इनमें पैसा लगाने के लिए आपको mutual fund distributor की जरूरत नहीं होती।
हेज फंड| Hedge Fund
हेज फंड थोड़ा उदार फंड होते हैं। ये किसी regulation के तहत बंधे नहीं होते। और न ही retail investor इनमें पैसा लगा सकत हैं। सिर्फ कुछ select group of high net worth individuals ही सामूहिक रूप से hedge funds में निवेश करते है। hedge funds का fund manager भी आक्रामक रणनीति के साथ शेयरों में पैसा लगाता है। hedge funds का fund manager दुनिया में कहीं भी पैसा निवेश कर सकता है।
वह जैसे चाहे वैसे equity, bond, gold या commodity कहीं भी पैसा लगाए। हेज फंड का fund manager सिर्फ profit के लिए काम करता है। इसमें investor आसानी से अपना पैसा नहीं निकाल सकता है। निवेशकों को कम से कम 1 साल के लिए पैसा लगाए रखने को कहा जाता है।
सर्वश्रेष्ठ म्यूचुअल फंड का चुनाव कैसे करें
मेरे ख्याल से अब आप Mutual Fund की बेसिक जानकारियों से परिचित हो गए होंगे। अब अगर आप इनमें Investment का मन बनाते हैं तो आपके अंदर यह जानने की भी इच्छा होगी कि किसी खास Category में सबसे अच्छे या Top 10 Mutual Funds कौन-कौन से हैं। लेकिन, ये काम बहुत आसान नहीं है। किसी Investment Plan के भविष्य के बारे में बिल्कुल सटीक (Exact) जानकारी देना वैसे भी Possible नहीं है। हालांकि हम आपको कुछ ऐसे उपायों (Tools) की संक्षेप में यहां जानकारी दे देते हैं जो आपको Mutual Funds में निवेश के लिए बेहतर Decision लेने में सहायक होंगे।
निवेश के लिए अच्छा फंड मैनेजर चुनें
fund manager, दरअसल किसी mutual fund scheme के ड्राइवर के रूप में होता है। पूरे निवेश को मैनेज करने वाली टीम को वही उपयुक्त vision प्रदान करता है। वही आपके investment पर अंतिम रूप से decision लेता है। तो सबसे पहले जरूरी है कि आप बेहतर और विश्चसनीय fund manager का चुनाव करें।
पिछले कुल वर्षों का औसत देखें और हर साल का औसत प्रदर्शन देखें
किसी mutual fund scheme की performance जानने का एक यह भी बेहतर तरीका है कि आप उसकी पिछले कुछ सालों की Performance को चेक कर लें। यहां यह ध्यान रखें कि सिर्फ किसी एक या सिर्फ कुछ खास वर्षों के Record के आधार पर ही Investment का निर्णय न लें। ये आपको Mislead सकते हैं। छोटी अवधि में किसी सुस्त Scheme की परफार्मेंस भी Top पर दिख सकती है। यह दोबारा फिर से खराब Performance दे सकती है।
सबसे अच्छा तो यह होगा कि लंबी अवधि के दौरान उसकी Average Performance को भी देंखें और साल दर साल (Year by Year) अलग-अलग Performance को भी। अगर वह दोनों तरीके से बढ़िया लग रहा हो, तभी उसमें पैसा लगाने का निर्णय लें।
इसका एक आसान Method हम यहां बता रहे हैं। साल की कोई एक तारीख चुन लीजिए। मान लिया यह 30 नवंबर है। अब पिछले हर साल के 30 नवंबर को उस mutual fund scheme का NAV देख लीजिए। अब गणना कर लीजिए कि हर साल उसके NAV में कैसी बढ़ोतरी हो रही है। इस बढ़ोतरी को benchmark index से मिलान करिए। अगर यह benchmark index से बेहतर है तो इस स्कीम में निवेश किया जा सकता है।
रिस्क की कैटेगरी भी चेक करें
आपको mutual fund की Risk Category से भी परिचित होना चाहिए। आपके mutual fund को Market के किसी उतार या चढाव पर बहुत तेज प्रतिक्रिया (Reaction) वाला नही होना चाहिए। किसी Scheme की Risk Category जानने के लिए आप उस Time Period पर नजर डालें, जबकि Market में तेजी से बदलाव हुए हों। देखें कि Market के साथ साथ उस mutual fund scheme के NAV में किस तरह के बदलाव हुए हैं। क्या यह Market के उतार-चढ़ाव से ज्यादा उतार-चढ़ाव दिखा रहा है? अगर हां, तो आपका इससे दूर रहना ही बेहतर है।
प्रोफेशनल फंड हाउस का ही चयन करें
किसी Professional Fund house के माध्यम से Mutual Fund में पैसा लगाना भी समझदारी भरा होता है। एक अच्छा और professional fund house के पास अपनी एक अच्छी research team भी रखता है। ये टीम कुछ श्रेष्ठ मानकों (Standards) के आधार पर अच्छे शेयरों का चयन करती है। इसका फायदा यह होता है कि आपके Investment की Performance किसी एक व्यक्ति के कंपनी में होने या न होने पर आश्रित (Depend) नहीं रहती। ऐसे फंड हाउस का fund manager अगर कभी बीच में उसे छोड़कर चला भी जाता है तो Fund house की टीम, स्थिति को संभालने को तैयार होती है।