भारत में इनकम टैक्स बचाने के कई तरीके हैं, जिनमें एक तरीका ELSS या टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड में निवेश करने का भी है। लेकिन, ELSS को और उस पर टैक्स बचत को समझना थोड़ा मुश्किल काम है। इस लेख में हमने सरल भाषा में इन बातों को समझाने की कोशिश की है। इस लेख में हम जानेंगे कि टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड क्या होते हैं? इनकी मदद से टैक्स बचत कैसे होती है? What is Tax Saving Mutual Funds? How to save tax with the help of it?
टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड क्या है?
ELSS यानी कि Equity Linked Saving Scheme को ही टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड कहते हैं। इनका लॉक इन पीरियड 3 साल का होता है और इनमें निवेश किए गए पैसों पर सरकार Section 80 C के तहत टैक्स छूट देती है। इसलिए ELSS Mutual Funds को ही टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड कहते हैं।
ये ऐसे म्यूचुअल फंड होते हैं, जिनका अधिकांश हिस्सा (65% से अधिक), शेयरों (equity) में और इक्विटी लिंक्ड सिक्योरिटीज मेें निवेश किया गया होता है। इनका कुछ हिस्सा ही fixed-income securities वगैरह में लगा होता है।
इस लेख में, या इनकम टैक्स संबंधी किसी भी मामले में जहां हम ELSS का जिक्र करेंगे उसे आप टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड ही समझिएगा। टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड या ELSS की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं-
ये इक्विटी म्युचुअल फंड होते हैं
म्यूचुअल फंड एक ऐसी स्कीम होती है जिसमें ढेर सारे लोगों से पैसा एकत्र करके निवेश किया जाता है। ये निवेश सरकारी बांड, कंपनियों के fixed deposit, शेयर या फिर gold में हो सकता है। हर म्यूचुअल फंड स्कीम का एक फंड मैनेजर होता है। यही शख्स तय करता है कि फंड का पैसा कहां लगाना है और कब निकाल लेना है।
जब किसी म्यूचुअल फंड स्कीम का पैसा ज्यादातर शेयरों में लगाया जाता है तो उसे Equity Mutual Fund माना जाता है। दरअसल इक्विटी का मतलब शेयर ही होता है। तो ऐसी ही सैकड़ों इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीमें काम कर रही हैं और लोग उनमें अपना-अपना पैसा डालते हैं।
Tax Saving Mutual Fund भी ऐसी ही इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीम होती हैं। यानी ये स्कीम भी शेयरों में ही निवेश करती हैं। जी हां, शेयरों में निवेश के चलते ही आपको tax deduction का फायदा मिलता है।
ये म्यूचुअल फंड ज्यादातर बड़ी कंपनियों के शेयर ही खरीदते हैं। हालांकि इन पर कोई बंधन नहीं होता है लेकिन बड़ी कंपनियों में नुकसान की गुंजाइश कम होती है।
बेहतर कमाई की संभावना होती है
अब आप इस बात को तो समझते ही होंगे कि देश सभी अमीर लोगों ने उद्योग लगाकर ही पैसा बनाया है। दरअसल industry ही आज के जमाने में सबसे तेजी से वृद्धि करने का तरीका है। और ये शेयर बाजार आपको भी ऐसी ही इंडस्ट्री में पैसा लगाने का मौका देता है। शायद आप नहीं जानते हों कि 1980 से लेकर आज तक शेयर बाजार ने औसतन 15% सालाना का रिटर्न दिया है।
चूंकि आपका टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड भी शेयरों में ही निवेश करता है इसलिए इसमें से भी सबसे ज्यादा पैसा बनने की संभावना है। पिछले 15 साल में इन funds ने average 21% सालाना का return दिया है। अब इतनी कमाई कहीं और तो होती नहीं है। Gold हो या Property लंबे वक्त में ये सभी शेयरों को रिटर्न के सामने हार गए हैं।
इसीलिए अगर आप चाहते हैं कि आपके tax saving investment से सबसे ज्यादा कमाई हो तो टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड यानी ELSS में पैसे लगाएं।
SIP के जरिए किस्तों में भी निवेश कर सकते हैं
Tax Saving Fund हो या फिर कोई दूसरा म्यूचुअल फंड, ये सभी SIP की सुविधा देते हैं। SIP म्यूचुअल फंड में निवेश करने का एक तरीका है। इस तरीके में आप एक ‘निश्चित रकम’ (Fixed Amount) एक ‘निश्चित अंतराल’ (Fixed Interval) पर म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं। आम तौर पर ये निश्चित अंतराल एक महीना का होता है।
जब आप एक तय रकम किसी एक म्यूचुअल फंड स्कीम में हर महीने की किसी एक तारीख को लगाएंगे तो ये SIP माना जाएगा। SIP का फुल फॉर्म है Systematic Investment Plan। इसके फुल फॉर्म को जानने से कुछ चीजें और साफ हो गईं होंगी। आजकल तो SIP का तरीका चुनने पर पैसा आपके खाते से हर महीने अपने आप कट जाता है। इससे आपको और म्यूचुअल फंड कंपनी दोनों को सुविधा हो जाती है।
SIP के तरीके से निवेश करने पर एक फायदा और होता है। हर महीने आपको म्यूचुअल फंड की यूनिट अलग-अलग भावों पर मिलती है। कभी भाव ऊंचा होता है तो कभी नीचा। ऐसे में कुल मिलाकर आप एक औसत भाव में म्यूचुअल फंड की यूनिट्स पाने में कामयाब रहते हैं। यानी आपको बाजार के उतार-चढ़ाव की फिक्र नहीं करनी होती है। दरअसल एसआईपी बैंक के recurring deposit की तरह होती है बस इसमें खरीदी जाने वाली यनिट्स की संख्या कम ज्यादा होती रहती है।
लेकिन, तीन साल तक पैसा नहीं निकाल सकते
अभी तक मैंने आपके टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड के फायदे बताए हैं। आइए अब बता देते हैं कि फूल के साथ कांटे भी हैं। दरअसल सरकार ने इन फंड्स को tax deduction benefit एक शर्त के साथ दिया है। और वो शर्त है तीन साल के लिए पैसे पर ताला। अगर आपने इस फंड में पैसा लगा दिया है तो तीन साल के लिए भूल जाइए। फिर ये पैसा आप तीन साल से पहले किसी भी कीमत पर नहीं निकाल सकते हैं।
क्या? आपको तीन साल Lock-in की ये शर्त बड़ी मुश्किल लग रही है? जनाब, ये सभी Tax Saving Options में सबसे छोटा लॉक-इन है। बीमा, एनएससी, टैक्स सेविंग एफडी, पीपीएफ, ईपीएफ सबमें लॉक-इन पांच साल या उससे ज्यादा है।
Note: जब आप ELSS में एसआईपी के जरिए निवेश करते हैं तो हर मासिक किस्त एक अलग निवेश मानी जाती है। और इसीलिए हर किस्त पर अलग से तीन साल का लॉक इन लगता है।
शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव का जोखिम जुड़े होते हैं
शेयर का नाम सुनते ही बहुत से लोगों के कान खड़े हो जाते हैं। गुजरात, कोलकाता और मुंबई को छोड़ दें तो ज्यादातर जगहों पर लोग शेयर बाजार को सट्टा बाजार जैसा ही समझते हैं। लेकिन ऐसी बात नहीं है। दुनिया भर में ज्यादातर investor और pensioner अपना पैसा शेयरों में ही लगाते हैं।
ये बात सही है कि शेयर बाजार की चाल बेढंगी है। ये कभी आसमान छूता है तो कभी पाताल में गोते लगाता है। ऐसे लोग भी मिल जाएंगे जिन्होने शेयर बाजार में अपना सबकुछ गंवा दिया है। कई दफा तो लोगों का मूलधन (capital) भी नाम-मात्र का ही बचता है। लेकिन ऐसा तभी होता है जब लोग बिना तैराकी सीखे ही इस समंदर में कूद जाते हैं।
अब आप कहेंगे कि ‘शेयर बाजार में तैरने की कला मैं नहीं सीख सकता’। दरअसल इसकी जरूरत भी नहीं है। म्यूचुअल फंड का मैनेजर आपका पैसा लेकर इस समंदर में तैरेगा और पैसे बनाएगा। म्यूचुअल फंड का concept ही यही है।
लेकिन ये सच है कि शेयर बाजार में जब तूफान आता है तो सबको नुकसान होता है। लेकिन बाद में मौसम बेहतर भी होता है और एक बार फिर लोग इसमें से ढेर सारा पैसा बनाते हैं।
निवेश पर सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट ले सकते हैं
टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड में टैक्स की सबसे बड़ी बचत सेक्शन 80सी (Section 80C) की वजह से होती है। इनकम टैक्स एक्ट के इस सेक्शन में उन निवेश और खर्चों का उल्लेख है जिनमें पैसा लगाकर आप टैक्स बचा सकते हैं। नियम के मुताबिक आप इन स्कीमों में जितना पैसा लगाएंगे उतना पैसा आपकी taxable income से घटा दिया जाएगा। अब टैक्सेबल इनकम घटेगी तो टैक्स अपने आप बच जाएगा। सेक्शन 80सी के तहत आप कुल 1.50 लाख रुपए तक की रकम को टैक्सेबल इनकम से घटवा सकते हैं।