इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय, आपको अपनी साल भर की सारी आमदनी (Income) का हिसाब देना पड़ता है। साथ ही वर्ष चुकाए गए सभी टैक्सों का विवरण भी देना पड़ता है। जिस तरह से आपकी सैलरी या बिजनेस इनकम को आपकी सालाना आमदनी में शामिल किया जाता है, उसी तरह से बैंक ब्याज, किराया, कमीशन, इनाम वगैरह भी आपकी आमदनी में जोड़कर बताए जाने चाहिए। क्योंकि इन सबमें एक निश्चित रकम से ज्यादा पैसा मिलने पर उसमें भी टैक्स देना पड़ता है।
हमारे कुछ पाठकों ने पूछा था कि सेविंग अकाउंट की ब्याज पर कितनी टैक्स छूट मिलती है। इस लेख में हम आपके इस प्रश्न का उत्तर देंगे और यह भी बताएंगे कि सेविंग अकाउंट पर टैक्स छूट के नए नियम क्या हैं? कितनी ब्याज पर टीडीएस कटता है और कितने पर टैक्स का भुगतान करना पडता है। New Tax Rules on Savings Account in Hindi.
सेविंग अकाउंट पर टैक्स के नियम
इनकम टैक्स एक्ट का सेक्शन 80TTA, सामान्य लोगों को सेविंग अकाउंट की 10 हजार रुपए तक की ब्याज पर टैक्स छूट लेने की अनुमति देता है। कोई भी व्यक्ति, किसी एक वित्त वर्ष के दौरान मिली 10 हजार रुपए तक की बैंक ब्याज पर टैक्स छूट प्राप्त कर सकता है। ये नियम, सभी तरह के बैंकों, पोस्ट ऑफिस और सहकारी बैंक में खुले Saving Accounts की ब्याज पर लागू होता है।
उदाहरण के लिए, मान लेते हैं कि किसी व्यक्ति के सेविंग अकाउंट पर 25 हजार रुपए ब्याज बनता है। इसमें से 10 हजार रुपए को आप अपनी आमदनी में से बाहर (deduct) कर दीजिए। क्योंकि, सरकार 10 हजार रुपए तक की ब्याज पर टैक्स नहीं लेती।
बचे हुए 15 हजार रुपए को टैक्सेबल आमदनी माना जाएगा। उसे इनकम टैक्स स्लैब्स में शामिल करके, इनकम टैक्स की गणना करनी होगी। व्यक्तियों (Individuals) के अलावा HUF (Hindu Undivided Families) को भी इस टैक्स छूट का लाभ मिलता है।
Income Tax Return दाखिल करते समय, उसमें Saving Accounts पर मिलने वाली ब्याज को भी दर्ज करना पड़ता है। ये आपकी अन्य स्रोतों से प्राप्त आमदनी (income from other sources) के रूप में दर्ज की जाती है। यहां इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि, सेविंग अकाउंट के ब्याज पर टैक्स कटौती का इस्तेमाल करते वक्त, उसमें FD (fixed deposit), RD (recurring deposits) और bonds वगैरह की ब्याज को शामिल नहीं कर सकते।
सेविंग अकाउंट की ब्याज पर TDS नही काटा जा सकता: कोई भी बैंक, सेविंग अकाउंट के ब्याज पर TDS नहीं काट सकता। क्योंकि सरकार नें इनकम टैक्स एक्ट में कोई ऐसा नियम शामिल नहीं किया है। इसलिए, अपने अकाउंट पर मिली ब्याज का पता आपको खुद ही बैंक के स्टेटमेंट से लगाना होता है। उस पर निर्धारित टैक्स कटौती (Deduction) की रकम बाहर करके, बाकी की रकम को इनकम टैक्स स्लैब्स में शामिल करके, टैक्स की गणना करनी पड़ती है।
बुजुर्गों (Senior Citizens) को ब्याज पर मिलती है ज्यादा टैक्स छूट
60 वर्ष से कम उम्र के व्यक्तियों को section 80TTA के तहत, टैक्स छूट लेने की अनुमति नहीं है। लेकिन उन्हें 50 हजार रुपए तक की ब्याज पर टैक्स छूट लेने की अनुमति होती है। यह सुविधा उन्हें It section 80TTB के तहत मिलती है। इस कानून में एक और सुविधा बुजुर्गों को रहती है। वे अपनी 50 हजार की लिमिट में fixed deposit, recurring deposits, bonds वगैरह के ब्याज को भी शामिल कर सकते हैं।
लेकिन, NRI के अकाउंट्स की ब्याज पर कटता है TDS
ऊपर बताई गई सेविंग अकाउंट पर टैक्स छूट की सुविधा सिर्फ भारतीय नागरिकों को है। अगर आपने किसी दूसरे देश की नागरिकता ले ली है या NRI (नॉन रेजीडेंट इंडियन) बन गए हैं तो, फिर आपको यह टैक्स छूट नहीं मिलती। इनके NRO (Non-Resident Ordinary) टाइप के अकाउंट्स की ब्याज पर 30% TDS कटता है। लेकिन, NRE टाइप (Non-resident External accounts) पर कोई टैक्स नहीं लागू होता।
NRO और NRE अकाउंट्स क्या होते हैं?
NRO अकाउंट और NRE अकाउंट, दोनों एक प्रकार के सेविंग अकाउंट होते हैं, जिन्हें किसी NRI की ओर से खुलवाया जा सकता है। दोनों के बीच अंतर यह होता है कि-
- NRO अकाउंट को, भारत में होने वाली आमदनी को जमा करने के लिए खुलवाया जा सकता है। भारत में किराया, लाभांश, पेंशन, ब्याज वगैरह के रूप में मिलने वाली इनकम को इसमें जमा रख सकते हैं।
- जबकि, NRE account को, विदेश से होने वाली आमदनी को जमा करने के लिए खुलवाया जा सकता है।
NRO accounts की ब्याज पर 30% की दर से TDS कटता है, जबकि NRE accounts पर आपको भारत में कोई टैक्स देनदारी नहीं बनती।
20 लाख से ज्यादा पैसा निकालने पर भी कट सकता है TDS
सरकार ने बड़े वित्तीय लेन-देनों पर निगरानी रखने और डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए, बैंकों से ज्यादा पैसे निकालने पर TDS काटने का नियम बना दिया है। इसके लिए इनकम टैक्स ऐक्ट में Section 194N जोड़ा गया है। इस नियम के अनुसार, बैंक से एक लिमिट से अधिक पैसा निकालने पर TDS कटेगा। यह लिमिट, इनकम टैक्स रिटर्न भरने के हिसाब से काम करती है-
अगर आपने पिछले तीन लगातार वर्षों से कोई रिटर्न दाखिल नहीं किया है?
- 20 लाख से 1 करोड़ रुपए के बीच पैसे निकालने पर 2% TDS कट जाएगा
- 1 करोड़ से अधिक रुपए निकालने पर 5% TDS काटा जाएगा
अगर आपने पिछले तीन में से किसी भी वर्ष के दौरान रिटर्न दाखिल किया है तो
- 1 करोड़ से अधिक रुपए निकालने पर 2% TDS काटा जाएगा
हर बैंक अकाउंट पर लागू होगी TDS कटौती की लिमिट
बैंक अकाउंट से पैसे निकालने पर TDS कटौती का नियम, व्यक्ति के हिसाब से नहीं, बल्कि, हर बैंक अकाउंट के हिसाब से लागू होगा। यानी कि अगर आपके, अलग-अलग बैंकों में अकाउंट हैं तो हर बैंक अपने-अपने अकाउंट से पैसे निकालने की लिमिट पर निगाह रखेगा और जैसे ही आप उस अकाउंट से पैसे निकालने की लिमिट पार करेंगे, वह बैंक TDS कटौती कर लेगा। जिस भी बैंक अकाउंट से आप ये लिमिट पार करेंगे, वह TDS कटौती कर लेगा।
ज्यादा कटे हुए TDS को वापस भी ले सकते हैं
एक बात और ध्यान रखें कि, TDS कटौती का मतलब यह नहीं है, कि TDS की रकम आपके हाथ से चली गई। इस रकम को आप रिटर्न दाखिल करके रिफंड (टैक्स वापसी) पा सकते हैं। अगर आपकी सालाना आमदनी इतनी नहीं है कि, उस पर टैक्स देनदारी बने तो आप ये रिफंड के लिए क्लेम कर सकते है। और अगर आपकी सालाना आमदनी इतनी है कि उस पर टैक्स देनदारी बनती है तो फिर टैक्स भुगतान करते समय, पहले कटे हुए TDS का समायोजन कर सकते हैं।