आपको इस साल कितना इनकम टैक्स चुकाना पड़ेगा? इसकी गणना मुख्य रूप से इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से होती है। इसके बाद, अगर आपके ऊपर सरचार्ज बनता है तो उसे भी जोड़ा जाता है और आखिर में Health and Education Cess भी जोड़कर अंतिम रूप से टैक्स देनदारी तय होती है। हर साल बजट पेश करते समय सरकार आने वाले वित्त वर्ष के लिए नया इनकम टैक्स स्लैब भी घोषित करती है। साथ ही Surcharge और Cess की नई दरें भी घोषित करती है। इस लेख में हम जानेंगे कि इनकम टैक्स स्लैब 2022-23 क्या है? इससे इनकम टैक्स की गणना कैसे होती है? साथ ही नए Surcharge और Cess के बारे में भी जानकारी देंगे।
इनकम टैक्स स्लैब 2022-23 क्या है?
1 फरवरी 2022 को केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने, वित्त वर्ष 2022-23 के लिए केंद्रीय बजट के साथ-साथ नए इनकम टैक्स स्लैब की भी घोषणा की। यह टैक्स स्लैब 1 अप्रैल 2022 से लेकर 31 मार्च 2023 के बीच की आमदनी पर टैक्स की गणना करने के लिए इस्तेमाल होगा-
आमदनी का स्तर (income tax Slab) |
इनकम टैक्स की दर (Rate of income tax) |
0 से 2.5 लाख रुपए के बीच वाले हिस्से पर | Nil (कोई टैक्स नहीं) |
2.5 लाख से 5 लाख रुपए के बीच वाले हिस्से पर | 5% |
5 लाख से 7.50 लाख रुपए के बीच वाले हिस्से पर | 10% |
7.50 लाख से 10 लाख रुपए के बीच वाले हिस्से पर | 15% |
10 लाख से 12.50 लाख के बीच वाले हिस्से पर | 20% |
12.50 लाख से 15 लाख के बीच वाले हिस्से पर | 25% |
15 लाख रुपए से अधिक वाले हिस्से पर | 30% |
- Cess : टैक्स स्लैब के हिसाब से आप पर, जो टैक्स बनता है, उसका 4% Health and Education Cess भी अलग से जोड़कर भुगतान करना पड़ेगा। जैसे कि, अगर आप पर 10 हजार रुपए टैक्स बन रहा है तो 10 हजार का 4% हेल्थ एंड एजुकेशन सेस 400 रुपए बनेगा। इसे भी जोड़कर आपको टैक्स पेमेंट करना पड़ेगा।
- Surcharge: अगर आपकी सालाना आमदनी (net income) 50 लाख रुपए से ज्यादा है तो आमदनी के स्तर के हिसाब से 10 से 37% तक, सरचार्ज भी लगता है। कितनी आमदनी पर, कितना सरचार्ज लगेगा, नीचे तालिका में इसकी जानकारी दी है-
आमदनी का स्तर (income level) | सरचार्ज रेट |
50 लाख से 1 करोड़ रुपए (net income) आमदनी पर | 10% |
1 करोड़ से 2 करोड़ रुपए (net income) आमदनी पर | 15% |
2 करोड़ से 5 करोड़ रुपए (net income) आमदनी पर | 25% |
5 करोड़ से अधिक आमदनी (net income) पर | 37% |
12500 रुपए तक टैक्स बनने पर, पूरा टैक्स माफ हो जाएगा
ऊपर दिए गए इनकम टैक्स स्लैब 2022-23 के हिसाब से जो भी टैक्स आप पर बनता है, उस पर सरकार, Section 87a के तहत, 12500 रुपए तक का रिबेट देती है। यानी कि इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से गणना करके अगर 12500 रुपए या इससे कम इनकम टैक्स निकल रहा है वह भी माफ हो जाएगा।
इसका सीधा-सीधा मतलब है कि आपको इस साल (वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान) 5 लाख रुपए तक की सालाना आमदनी पर कोई टैक्स नहीं चुकाना पड़ेगा। क्योंकि 5लाख रुपए तक की आमदनी पर 12500 रुपए तक का टैक्स ही बनता है।
सैलरी या पेंशन वाले चाहें तो पिछले वित्तवर्ष 2021-22 वाला इनकम टैक्स स्लैब भी इस्तेमाल कर सकते हैं
सरकार ने सैलरी या पेंशन पाने वालों को वित्त वर्ष 2022-23 या वित्त वर्ष 2021-22, दोनों में से कोई भी इनकम टैक्स स्लैब अपनाने का विकल्प दे दिया है। अगर आप सैलरीड कर्मचारी हैं, और आपने कई टैक्स बचत (deductions) वाले निवेश कर रखे हैं तो फिर आपके लिए पुराने टैक्स स्लैब (वित्त वर्ष 2020-21 वाले) के हिसाब से टैक्स गणना, फायदेमंद हो सकता है। ये पुराना टैक्स स्लैब इस प्रकार है-
60 वर्ष से कम उम्र के टैक्सपेयर के लिए
2.5 लाख रुपए से कम वाले हिस्से पर | NIL (कोई टैक्स नहीं) |
2.5 लाख से 5 लाख रुपए के बीच वाले हिस्से पर | 5% |
5 लाख से 10 लाख रुपए के बीच वाले हिस्से पर | 20% |
10 लाख रुपए से अधिक वाले हिस्से पर | 30% |
60 से 80 वर्ष के बीच उम्र वाले सीनियर सिटिजन्स के लिए
3 लाख रुपए से कम वाले हिस्से पर | NIL (कोई टैक्स नहीं) |
3 लाख से 5 लाख रुपए के बीच वाले हिस्से पर | 5% |
5 लाख से 10 लाख रुपए के बीच वाले हिस्से पर | 20% |
10 लाख रुपए से अधिक वाले हिस्से पर | 30% |
80 वर्ष से अधिक उम्र वाले सीनियर सिटिजन्स के लिए
5 लाख रुपए से कम वाले हिस्से पर | NIL (कोई टैक्स नहीं) |
5 लाख से 10 लाख रुपए के बीच वाले हिस्से पर | 20% |
10 लाख रुपए से अधिक वाले हिस्से पर | 30% |
सैलरीड या पेंशनर्स 50 हजार के स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ ले सकते हैं
अगर आपकी आमदनी का स्रोत सेलरी या पेंशन के रूप में है तो फिर इनकम टैक्स स्लैब का इस्तेमाल करने से पहले, अपनी इनकम में से 50,000 रुपए पहले ही बाहर (deduct) कर सकते हैं। इसे स्टैंडर्ड डिडक्शन का नाम दिया गया है। कंपनियों या संस्थानों को भी अपने कर्मचारियों की सैलरी पर TDS काटने से पहले स्टैंडर्ड डिडक्शन को बाहर कर देना होगा।
सभी करदाताओं को 4% हेल्थ एंड एजुकेशन सेस भी चुकाना पड़ेगा
: इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से जो भी टैक्स की गणना निकलेगी। उस रकम का 4% Health & education cess अलग से जोड़कर इनकम टैक्स के साथ चुकाना होगा।
50 लाख से ऊपर आमदनी वालों को सरचार्ज का भी भुगतान करना होगा
50 लाख रुपए से ऊपर आमदनी वालों पर इनकम टैक्स का 10%: अगर आपकी total income 50 लाख से 1 करोड़ रुपए के बीच है तो तो आपको इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से बन रही कुल टैक्स देनदारी का 10 % सरचार्ज भी अलग से जोड़ना पड़ेगा। इनकम टैक्स और सरचार्च को जोड़ने के बाद जो टोटल होगा, उसका 4% Health and Education Cess जोड़कर अंतिम टैक्स देनदारी तय होगी। अंतिम टैक्स देनदारी भी अगर 12500 रुपए तक है तो सेक्शन 87A के माध्यम से वह भी माफ हो जाएगा।
1 करोड़ रुपए से ऊपर आमदनी वालों पर इनकम टैक्स का 15%: अगर आपकी total income 1 करोड़ रुपए से अधिक है तो आपको इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से बन रही कुल टैक्स देनदारी का 15% सरचार्ज भी अलग से जोड़ना पड़ेगा। इनकम टैक्स और सरचार्च को जोड़ने के बाद जो टोटल होगा, उसका 4% Health and Education Cess जोड़कर अंतिम टैक्स देनदारी तय होगी। अंतिम टैक्स देनदारी भी अगर 12500 रुपए तक है तो सेक्शन 87A के माध्यम से वह भी माफ हो जाएगा।
नए इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स की गणना
मान लेते हैं कि आपकी आमदनी 1 लाख रुपए महीना है। इस हिसाब से आपकी साल भर की कुल आमदनी 12 लाख रुपए बैठती है। अब हम यह भी मान लेते हैं कि आपने कोई भी निवेश ऐसा नहीं किया है, जिसमें सेक्शन 80 (C,D,E से लेकर U तक) के तहत टैक्स कटौती (Tax Deductions) का लाभ मिल सकता है। यानी कि आपकी पूरी की पूरी 12 लाख की आमदनी पर टैक्स की गणना की जाएगी। कैसे होगी, आइए समझते हैं-
कुल सकल आमदनी Total Gross Income | 12 लाख रुपए |
कुल टैक्स कटौतियां (Total Deductions) | 0 (कुछ नहीं) |
टैक्स गणना योग्य कुल आमदनी (Total taxable Income) | 12 लाख रुपए |
शून्य से 2.5 लाख रुपए के बीच वाले हिस्से पर टैक्स | 00.00 रुपए |
2.5 लाख रुपए से 5 लाख रुपए के बीच वाले हिस्से पर टैक्स | 12,500 रुपए |
5 लाख रुपए से 7.50 लाख रुपए के बीच वाले हिस्से पर टैक्स | 25,000 रुपए |
7.50 लाख रुपए से 10 लाख रुपए के बीच वाले हिस्से पर टैक्स | 37,500 रुपए |
10 लाख रुपए से 12.50 लाख रुपए के बीच वाले हिस्से पर टैक्स | 40,000 रुपए |
टैक्स स्लैब्स के हिसाब से कुल टैक्स (Total Tax according to tax slabs) | 1 लाख 15 हजार रुपए |
टैक्स स्लैब्स के हिसाब से टैक्स की गणना करने के बाद भी अंतिम टैक्स देनदारी (Final Tax liability) तय करने के लिए आपको तीन गणनाएं और करनी पड़ती हैं। हमारे उदाहरण में इनकी गणना इस तरह होगी-
रिबेट | सेक्शन 87a के तहत 12500 रुपए का टैक्स रिबेट घटा दीजिए | 1,15,000-12500=102500 रुपए |
सेस | इनकम टैक्स का 4% हेल्थ एंड एजुकेशन सेस जोड़ दीजिए (4% of 102500=4100) | 102500+4100=106600 |
सरचार्ज | चूंकि, 50 लाख रुपए से कम आमदनी पर कोई सरचार्ज नहीं लगता, इसलिए और कुछ बढ़ेगा या घटेगा नहीं | |
अंतिम टैक्स देनदारी होगी (Final Tax liability) | 1 लाख 6 हजार 6 सौ रुपए |
नये या पुराने टैक्स स्लैब में से अच्छा कौन सा रहेगा?
- पुराना टैक्स स्लैब अपनाने पर: आप पुराने टैक्स स्लैब के हिसाब से इनकम टैक्स की गणना कर सकते हैं, तो आपको सभी तरह के deductions (section 80C, 80D वगैरह से टैक्स कटौती) या tax exemptions ( HRA, LTA वगैरह पर टैक्स छूट) लेने की अनुमति होगी। टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स की गणना के बाद Section 87a के तहत 12500 रुपए की टैक्स रिबेट का फायदा भी ले सकते हैं।
- नया टैक्स स्लैब अपनाने पर: अगर आप नए टैक्स स्लैब के हिसाब से, इनकम टैक्स की गणना कर सकते हैं, तो आपको किसी तरह के deductions (section 80C, 80D वगैरह से टैक्स कटौती) या tax exemption (HRA, LTA वगैरह पर टैक्स छूट) लेने की अनुमति नहीं होगी। हालांकि टैक्स स्लैब के हिसाब से’टैक्स गणना के बाद Section 87a के तहत 12500 रुपए की टैक्स रिबेट का फायदा ले सकते हैं।