भारत में एक निर्धारित सीमा से अधिक सैलरी पाने वालों का TDS कटता है। इसी तरह एक सीमा से अधिक बिजनेस आमदनी कमाने वालों को भी Advance Tax जमा करना पड़ता है। TDS के बारे में विस्तार से जानकारी हम पिछले लेख में दे चुके हैं। इस लेख में हम समझाएंगे कि एडवांस टैक्स क्या होता है? किसे चुकाना पड़ता है? कब और कितना चुकाना पड़ता है?
What is Advance Tax in Hindi? Who and when should be deposit?
एडवांस टैक्स क्या है? What is Advance Tax
एडवांस टैक्स एक प्रकार का इनकम टैक्स होता है। इसे, वित्त वर्ष खत्म होने के पहले ही एडवांस भुगतान कर दिया जाता है। इसलिए इसे Advance Tax टैक्स कहा जाता है। हिंदी में इसे अग्रिम कर कहा जाता है।
भारत में जिसकी सालाना बिजनेस आमदनी पर 10 हजार रुपए से ज्यादा का टैक्स बन सकता है, उसे वित्त वर्ष (Financial Year) के बीच में ही एडवांस इनकम टैक्स जमा करना पड़ता है। आप पर कुल कितना टैक्स बन सकता है, इसका अनुमान भी आपको पहले ही लगा लेना पड़ता है। इसके लिए आपको अपनी साल भर की आमदनी का अनुमान भी पहले से लगा लेना पड़ता है।
कब और कितना जमा करना पड़ता है? एडवांस टैक्स आपको टुकड़ों-टुकड़ों में, हर तिमाही के बाद जमा करना पड़ता है। हर तिमाही में आपको पूरे टैक्स का एक निश्चित हिस्सा (% में) चुका देना पड़ता है। प्रत्येक तिमाही में आपको कितना पैसा जमा करना है, यह नीचे तालिका में आप देख सकते हैं।
एडवांस टैक्स भरने की तिथि | कितना टैक्स चुकाना है |
पहली तिमाही में 15 जून तक | कुल एडवांस टैक्स का 15% तक |
दूसरी तिमाही में 15 सितंबर तक | कुल एडवांस टैक्स का 45% तक |
तीसरी तिमाही में 15 दिसंबर तक | कुल एडवांस टैक्स का 75% तक |
चौथी तिमाही में 15 मार्च तक | कुल एडवांस टैक्स का 100% |
समय से एडवांस टैक्स न चुकाने पर पेनाल्टी क्या है?
आपको, एडवांस टैक्स का भुगतान, 4 तारीखों (deadlines) के हिसाब से करना पड़ता है। June 15, September 15, December 15 and March 15. अगर, इन तारीखों के हिसाब से आप एडवांस टैक्स जमा नहीं कर पाते हैं तो फिर आपको, विलंब से किये गए भुगतान (late payment) पर ब्याज चुकाना पड़ता है। ये ब्याज आपको दो नियमों (Sections) के हिसाब से चुकाना पड़ता है-
- Section 234C: निर्धारित तिथि तक भुगतान न करने की पेनाल्टी
- Section 234B : कम एडवांस टैक्स भुगतान करने पर पेनाल्टी
Section 234C: अगर आपने निर्धारित तारीखों तक advance tax का भुगतान नहीं किया तो फिर आपको बकाया टैक्स के भुगतान के साथ-साथ 1% प्रतिमाह के हिसाब से ब्याज भी चुकाना पड़ता है।
उदाहरण के लिए, आपको 15 सितंबर तक, 1 लाख रुपए तक एडवांस टैक्स चुका देना चाहिए था। लेकिन किसी कारणवश, आप इसे 15 सितंबर तक नहीं चुका पाते हैं। मान लिया कि आप इसका भुगतान 15 दिसंबर तक कर देते हैं। तो फिर आपको 1 लाख रुपए पर 1% प्रतिमाह की दर से, 3 महीने का ब्याज चुकाना पड़ेगा। जोकि 3000 रुपए बैठता है।
Section 234B: इसके अनुसार, अगर आपने वित्त वर्ष के अंत तक अपनी टैक्स देनदारी का 90% तक नहीं चुकाया हो तो फिर बाकी टैक्स की रकम पर 1% प्रतिमाह के हिसाब से ब्याज जोड़कर चुकाना पड़ेगा। इसे टैक्स पेेमेंट में डिफॉल्ट के रूप में माना जाता है। इनके अलावा, अगर आपको इनकम टैक्स विभाग से टैक्स वापस (refund ) किया गया है।
बाद में विभाग की गणना (assessment) में अगर यह पता चलता है कि आपको रिफंड नहीं मिलना चाहिए था या फिर कम मिलना चाहिए था तो आपको अतिरिक्त रिफंड की रकम सरकार को लौटानी पड़ती है। ऐसे रिफंड की रकम पर 0.5% की ब्याज का भी भुगतान करना पड़ता है।
Advance Tax किसे भरना जरूरी है?
जो लोग सैलरी के अलावा, बिजनेस या किसी अन्य स्रोत से कमाते हैं, और एक साल में 10 हजार रुपए से अधिक टैक्स के लायक आमदनी होती है, उन्हें एडवांस टैक्स जमा करना पड़ता है। उदाहरण के लिए-
- अगर आप बिजनेसमैन हैं और आपकी साल भर की Income पर 10 हजार रुपए से ज्यादा Tax बनता हो
- अगर आप Freelancer हैं और आपकी साल भर की Income पर 10 हजार रुपए से ज्यादा Tax बनता हो
- आप Salaried है लेकिन ब्याज, कैपिटल गेन, किराए वगैरह से ऊंची आमदनी आती हो। जिसके कारण TDS कटने के बाद भी आप पर 10 हजार रुपए से ज्यादा की टैक्स देनदारी बनती हो।
इनकम टैक्स एक्ट के section 208 के अनुसार ऐसे लोगों को Advance Tax का भुगतान करना आवश्यक है।
किसको नहीं भरने की छूट है?
- अगर आपकी आमदनी सिर्फ Salary से आती है तो फिर आपको Advance Tax जमा नहीं करना है। सैलरी वालों की आमदनी टैक्स भरने लायक होने पर, उनका TDS कटता है। आपकी कंपनी या संस्थान TDS काटकर सरकार के पास जमा कर देता है, इसलिए उन्हें एडवांस टैक्स नहीं चुकाना पड़ता।
- 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोग (Senior Citizens), जिनकी आमदनी में कोई बिजनेस इनकम या प्रोफेशनल इनकम शामिल नहीं है, उन्हें भी Advance Tax भरने में छूट मिली हुई है।
जरूरत से ज्यादा एडवांस टैक्स भर देते हैं तो क्या होगा?
अगर आप, किसी वित्तीय वर्ष के दौरान, अपनी टैक्स देनदारी से अधिक इनकम टैक्स का भुगतान कर देते हैं तो आप उस अतिरिक्त टैक्स को वापस (refund) पा सकते हैं। इनकम टैक्स एक्ट के section 237 के तहत, टैक्सपेयर्स को इसका अधिकार मिला हुआ है। अगर रिफंड की रकम, आपकी टैक्स देनदारी के 10% से अधिक है तो फिर उस, अतिरिक्त टैक्स की रकम पर सरकार 6% सालाना के हिसाब से ब्याज भी देती है।
अगर कम एडवांस टैक्स चुकाया है तो? अगर किसी वित्त वर्ष के दौरान 15 मार्च तक, आपको लगता है कि आपने अपनी टैक्स दैनदारी से कम टैक्स का भुगतान किया है तो फिर आप 31 मार्च के पहले, अपने पूरे टैक्स का भुगतान कर सकता हैं। उसे भी advance tax की तरह ही माना जाएगा।
फाइनल हिसाब, सेल्फ असेसमेंट टैक्स में हो जाता है
अगर आप एडवांस टैक्स समय पर नहीं जमा कर पाए या फिर TDS कम कटा है तो बचे हुए टैक्स को आप Self Assessment Tax के रूप में जमा किया जा सकता है। Self Assessment tax वित्त वर्ष खत्म होने के बाद जमा किया जाता है। एक बार वित्त वर्ष खत्म हो गया तो TDS या फिर एडवांस टैक्स काम नहीं आता है। हम आपको बता दें कि इनकम टैक्स रिटर्न भरने से पहले पूरा टैक्स जमा होना चाहिए।
Advance Tax और TDS में क्या अंतर है?
एडवांस टैक्स आपको खुद, अपनी आमदनी का अनुमान लगाकर जमा करना पड़ता है, जबकि TDS आपकी कंपनी या नियोक्ता खुद ही आपको होने वाली आमदनी में से काट लेता है।
एडवांस टैक्स आपको सिर्फ तब चुकाना पड़ता है, जबकि उस साल आप 10 हजार रुपए से अधिक Tax अदा करने वाले हैं, जबकि TDS आपकी सैलरी के टैक्स छूट योग्य आमदनी से ज्यादा होने पर काटा जाता है। इसी तरह ब्याज, किराया, प्रोफेशनल इनकम, कैपिटल गेन, इनाम वगैरह के मामलों में भी एक निश्चित सीमा से अधिक आमदनी होने पर TDS काटने के नियम हैं।
एडवांस टैक्स हर तिमाही में जमा हो जाता है, जबकि सैलरी पर TDS हर महीने कटकर जमा होता है। अन्य प्रकार के TDS भी कटौती वाले महीने के तुरंत बाद वाले महीने की 7 तारीख तक जमा हो जाने चाहिए।
सरकार वित्त वर्ष खत्म होने के पहले ही क्यों ले लेती है TDS और एडवांस टैक्स?
TDS और एडवांस टैक्स, दोनों ही सरकार को वित्त वर्ष खत्म होने के पहले मिल जाते हैं। जबकि आपकी वास्तविक कुल आमदनी और वास्तविकत कुल टैक्स देनदारी का हिसाब, वित्त वर्ष खत्म होने के बाद ही चलता है। ऐसे में आपको एक बार फिर से कुल आमदनी का हिसाब लगाना पड़ता है और कुल टैक्स देनदारी का भी हिसाब लगाना पड़ता है। कम टैक्स चुकाया है तो बकाया टैक्स देनदारी चुकानी पड़ती है। ज्यादा टैक्स भर दिया है या कट गया है तो Income Tax Refund (टैक्स वापसी) के लिए क्लेम करना पड़ता है।
ऐसे में आपके दिमाग में ये सवाल जरूर उठता होगा, कि सरकार पहले ही क्यों टैक्स जमा करा लेती है। वित्त वर्ष पूरा होने के बाद टैक्स देना पड़ता तो बार-बार टैक्स का हिसाब लगाने की जरूरत नहीं पड़ती। बकाया भुगतान या अतिरिक्त टैक्स को वापस लेने का झंझट नहीं रहता। तो अब यह भी समझ लेते हैं कि सरकार, बड़ी सैलरी या बड़ी आमदनी वालों से पहले ही इनकम टैक्स क्यों ले लेती है। उसे या पब्लिक को इससे क्या फायदा होता है-
- सरकारी खर्चों के लिए, लगातार पैसों की जरूरत: सरकार को वित्त वर्ष के दौरान, हर तिमाही में आमदनी मिलती जाती है। इसी आमदनी में से सरकार अपने विभागों और मंत्रालयों के खर्चों को निपटाती है। एडवांस टैक्स मिलने से सरकार को अपने खर्चे चलाने में सुविधा रहती है।
- करदाताओं पर इकट्ठा टैक्स भरने का बोझ नहीं पड़ता: लोगों को अपनी साल भर की टैक्स देनदारी, को लगभग चार हिस्सों में करके चुकाना पड़ता है। वित्त वर्ष के अंत में, एक साथ पूरा टैक्स चुकाने में मुश्किल हो सकती है। इस तरह से टैक्सपेयर्स पर एकसाथ वित्तीय बोझ नहीं पड़ता।
- टैक्स चोरी की गुंजाइश कम हो जाती है: वित्त वर्ष बीतने के पहले टैक्स भुगतान और एक साथ टैक्स का बोझ न पड़ने से एक फायदा यह भी होता है कि, टैक्स न चुकाने या टैक्स चोरी करने की गुंजाइश काफी कम हो जाती है। इससे देश को फायदा होता है, और नागरिकों को ज्यादा सुविधाएं देने में मदद मिलती है।