किसी कंपनी या संस्थान में भी अगर आप 5 साल तक की नौकरी पूरी कर लेते हैं तो ग्रेच्युटी पाने के हकदार हो जाते हैं। ये ग्रेच्युटी, आपके PF और पेंशन से अलग होती है और नौकरी छोड़ने के बाद ही मिलती है। कुछ विशेष स्थितियों में 5 साल से कम की नौकरी होने पर भी ग्रेच्युटी मिल सकती है। अलग-अलग कैटेगरी की नौकरी में ग्रेच्युटी तय करने का अलग-अलग फॉर्मूला होता है।
इस लेख में हम जानेंगे कि ग्रेच्युटी क्या होती है? ग्रेच्युटी के नए नियम और शर्तें क्या हैं? ग्रेच्युटी की गणना का फॉर्मूला क्या है? इसके बाद हम यह भी जानेंगे कि नौकरी के दौरान, किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाने पर, उसके नोमिनी को कितनी ग्रेच्युटी मिलेगी?
What is Gratuity in Hindi. New Rules and Calculation Formula in Hindi.
ग्रेच्युटी क्या है? What is Gratuity
ग्रेच्युटी, एक प्रकार आभार राशि या अनुग्रह राशि की तरह होती है। कोई कंपनी या नियोक्ता (employer), अपने कर्मचारी को, लंबे समय तक कंपनी की सेवा करने के बदले में इनाम के रूप में देता है। सामान्य बोलचाल में लोग इसे ग्रेजुएटी भी कह देते हैं।कोई भी व्यक्ति जो कि किसी कंपनी या संस्थान में 5 साल तक नौकरी कर चुका है, वह ग्रेच्युटी पाने का अधिकारी हो जाता है।
10 से अधिक कर्मचारियों वाली ऐसी सभी कंपनियों या संस्थानों पर यह नियम लागू होता है, जिन्होंने ग्रेच्युटी एक्ट में अपना रजिस्ट्रेशन करा रखा है। फैक्टरियों, खनिज की खानों (mines) आयलफील्ड्स, प्लांटेशन, बंदरगाहों (ports), रेलवे कंपनियों, दुकानों या प्रतिष्ठानों पर भी ग्रेच्युटी के नियम लागू होते हैं। इससे संबंधित प्रमुख नियमों को हम अगले पैराग्राफों में दे रहे हैं-
ग्रेच्युटी के नियम | Rules of Gratuity
भारत में कर्मचारियों को ग्रेच्युटी Payment of Gratuity Act, 1972 द्वारा लागू कानूनों के हिसाब से होती है। बाद के वर्षों में इस एक्ट में कई बदलाव किये गए हैं। वर्ष 2023 में लागू ग्रेच्युटी के प्रमुख नियम इस प्रकार हैं-
पांच साल की नौकरी पूरी होने पर मिलती है ग्रेच्युटी
आपको ग्रेच्युटी पाने का अधिकार तभी है, जबकि आपने उसी कंपनी या संस्थान में लगातार वहां 5 साल पूरे किए हों। ऐसा नहीं कि 3 साल के बाद, दूसरी कंपनी में चले गए, फिर लौटकर 2 साल पूरे करके ग्रेच्युटी का दावा करें।
छुट्टियां और हड़ताल भी अवधि भी शामिल होगी: नौकरी के दौरान की छुट्टी (leave), बीमारी (sickness) या दुर्घटना (accident) की स्थिति में हुए Gap को भी 5 साल में ही गिना जाएगा। ऐसे किसी कारण को नौकरी के रुकावट (Service Break) के रूप में नहीं गिना जाएगा। इसी तरह हड़ताल (strike), काम से छुट्टी (lay-off) या तालाबंदी (lockout) को भी 5 साल के भीतर ही गिना जाएगा।
अध्ययन अवकाश को शामिल नहीं किया जाता: वास्तव में, ऐसा कोई भी व्यवधान, जिसके लिए कर्मचारी की गलती (fault) नहीं होती, उसे Service Break नहीं माना गया है। लेकिन, अगर आपने अध्ययन या आराम (sabbatical) के मकसद से छुट्टियां ली हैं या बिना तनख्वाह की छुट्टी (leave without pay) ली है तो इसे सर्विस में ब्रेक माना जाएगा।
हर 1 साल के लिए 15 दिन के वेतन के बराबर मिलता है पैसा
दरअसल, 5 साल के बाद नौकरी छोड़ने पर ग्रेच्युटी मिलती है। हर साल की नौकरी के लिए 15 दिन का वेतन के बराबर ग्रेच्युटी दी जाती है। आपको मिलने वाली ग्रेच्युटी की रकम का निर्धारण दो तथ्यों पर निर्भर करता है-
- आपकी मिलने वाली अंतिम सैलरी (last Salary) कितनी थी
- आप कितने साल नौकरी कर चुके हैं ? Numbers of Years in job?
ध्यान देंं: यहां सैलरी से मतलब सिर्फ आपके मूल वेतन (Basic Salary) और महंगाई भत्ता (DA) के योग (Basic+DA) से होता है। और, अंतिम सैलरी (Last Salary) से मतलब आपकी अंतिम 10 महीनों की सैलरी के औसत से है।
ग्रेच्युटी की गणना के लिए फार्मूला
किसी कर्मचारी को मिलने वाली ग्रेच्युटी की गणना करने के लिए, एक निश्चित फॉर्मूला होता है। यह फॉर्मूला इस प्रकार होता है
ग्रेच्युटी की रकम = अंतिम मासिक वेतन x नौकरी के वर्ष x 15/26
अंग्रेंजी में इसी फॉर्मूला को इस प्रकार लिखते हैं-
Gratuity Amount = Y x S x 15/26
यहां पर Y=नौकरी के वर्षों की संख्या है और S=अंतिम सैलरी का औसत है।
4 साल 7 महीने को भी 5 साल के बराबर माना जाएगा
अगर आपकी नौकरी के 4 साल 7 महीने भी पूरे हो गए हैं तो भी आप ग्रेच्युटी के हकदार हो जाते हैं। दरअसल नौकरी (Service) की अवधि की गणना में महीनों की संख्या को निकटतम वर्ष (rounded to the nearest year) के हिसाब से माना गया है। नौकरी की 6 महीने तक की अवधि को अतिरिक्त वर्ष के रूप में नहीं माना जाएगा, लेकिन 7 महीने तक की अवधि पूरी हो जाने पर, उसे 1 अतिरिक्त वर्ष के रूप में गिना जाएगा। इस गणित से, 4 साल 7 महीने की नौकरी को 5 वर्ष की नौकरी के बराबर माना जाएगा।
लेकिन नौकरी के बीच में नहीं कर सकते दावा: आपको नौकरी छोड़ने के बाद ही gratuity मिल सकती है। ऐसा नहीं हो सकता कि आप नौकरी करते हुए ही 5 साल पूरे होने पर, ग्रेच्युटी का पैसा मांगने लगें। gratuity आपको तभी मिल सकेगी, जबकि आप उस कंपनी से अलग हो जाएंगे। इस अलगाव की वजह रिटायरमेंट, इस्तीफा या नौकरी बदलना (job switch) कुछ भी हो सकता है।
बीच में मृत्यु होने पर भी पहले मिल सकती है ग्रेच्युटी
5 साल तक न्यूनतम नौकरी का नियम, कर्मचारी की मौत या अपंगता की स्थिति में, अनिवार्य नहीं होता। ऐसा होने पर 5 साल से कम नौकरी पर भी ग्रेच्युटी, उसके nominee या कानूनी उत्तराधिकारी (legal heirs) को मिलेगी। नौकरी ज्वाइन करते समय form F भरकर आप अपने नॉमिनी या उत्तर अधिकारियों का नाम दर्ज करा सकते हैं
कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसकी ग्रेच्युटी का पैसा उसके नॉमिनी या आश्रित को मिलेगा। लेकिन ऐसी रकम पर इनकम टैक्स की गणना, ग्रेच्युटी पाने वाले व्यक्ति पर लागू इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार होगी। ग्रेच्युटी के रूप में मिली रकम को उस व्यक्ति की को अन्य स्रोतों से प्राप्त हुई आमदनी (income from other sources) के रूप में माना जाएगा।
मृत्यु होने पर, ग्रेच्युटी का फॉर्मूला अलग हो जाता है
किसी कर्मचारी की मौत होने पर, उसको 5 साल से कम नौकरी होने पर भी ग्रेच्युटी दी जा सकती है। वैसी स्थिति में, ग्रेच्युटी की रकम की गणना, थोड़ा अलग तरीके से होती है। तब इसकी गणना के लिए, नीचे तालिका में दिया गया तरीका इस्तेमाल होगा-–
नौकरी की अवधि | ग्रेच्युटी की रकम |
1 साल से कम | 2 x बेसिक सैलरी |
1 साल से अधिक, लेकिन 5 साल से कम | 6 x बेसिक सैलरी |
5 साल से अधिक, लेकिन 11 साल से कम | 12 x बेसिक सैलरी |
11 साल से अधिक, लेकिन 20 साल से कम | 20 x बेसिक सैलरी |
20 साल से अधिक | हर 6 महीने की अतिरिक्त नौकरी के लिए, बेसिक सैलरी का आधा। (Half of the basic salary for each completed six-monthly period) लेकिन, कुल रकम 33x बेसिक सैलरी से अधिक नहीं हो सकती। |
20 लाख रुपए से ज्यादा नहीं हो सकती ग्रेच्युटी
gratuity की रकम पर टैक्स छूट का फायदा सिर्फ इसके लिए तय अधिकतम सीमा (maximum limit) तक ही है। सरकार ने हाल ही में अधिकतम gratuity की सीमा 20 लाख रुपए कर दी है। अगर आपको 20 लाख रुपए से ज्यादा gratuity मिलती है तो अतिरिक्त रकम को टैक्स गणना में शामिल किया जाएगा।
नियोक्ता चाहे तो ज्यादा ग्रेच्युटी भी दे सकता है: आपकी कंपनी या नियोक्ता चाहे तो, आपको निर्धारित फॉर्मूले से ज्यादा भी gratuity दे सकता है। लेकिन, फॉर्मूले से अतिरिक्त जो भी gratuity की रकम होगी, उसे आपकी करयोग्य आय (taxable income) में गिना जाएगा। उस वित्त वर्ष के इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से अगर उस पर टैक्स देनदारी बनती है तो टैक्स भी चुकाना होगा।
नुकसान करने पर जब्त की जा सकती है ग्रेच्युटी
कर्मचारी ने अगर कंपनी का कोई नुकसान किया है तो उसकी gratuity जब्त की जा सकती है। इसी तरह कंपनी का अगर किसी तरह का बकाया पड़ा हो तो gratuity की रकम से ही उस loss की भरपाई होगी। बाकी रकम उसे मिल जाएगी। लेकिन, ऐसे नुकसान की स्थिति में कंपनी की ओर से कर्मचारी को नौकरी से बर्खास्त (terminate) किया जाना भी जरूरी है।
उदाहरण के लिए, यदि कोई कर्मचारी कंपनी द्वारा आवंटित आवास में निर्धारित समय से अधिक समय तक रहता है या कब्जा करता है, तो उससे जुर्माने के साथ किराया की राशि वसूली जा सकती है। अगर कर्मचारी पैसा नहीं देता है तो उसको मिलने वाली ग्रेच्युटी की राशि में से पैसे काटे जा सकते हैं।
गंभीर अपराध या लापरवाही पर भी रोकी जा सकती है ग्रेच्युटी
केंद्र सरकार ने हाल में सेंट्रल सिविल सर्विसेज (पेंशन) रूल 2021 के रूल 8 में बदलाव किया है। इसके अनुसार अगर केंद्रीय कर्मचारी अपने सेवाकाल के दौरान किसी गंभीर अपराध या लापरवाही में दोषी पाया जाता है तो रिटायरमेंट के बाद उनकी ग्रेच्युटी और पेंशन रोक दी जाएगी।
यहां तक कि अगर कोई कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद पेंशन और ग्रेच्युटी का भुगतान ले चुका है, उसके बाद दोषी पाया जाता है तो उससे भी पेंशन या ग्रेच्युटी की पूरी अथवा आंशिक राशि वसूली जा सकती है। विभाग को हुए नुकसान के आधार पर इसका आकलन किया जाएगा।
फिलहाल यह आदेश केंद्रीय कर्मचारियों पर लागू किया गया है, लेकिन आगे चलकर राज्य कर्मचारियों पर भी लागू किया जा सकता है।
ग्रेच्युटी की पूरी रकम पर टैक्स छूट मिलती है
आपको मिलने वाली Gratuity की रकम पूरी तरह से tax-free होती है। लेकिन, उतनी ही, जितनी कि, निर्धारित फॉमूले के हिसाब से आपकी Gratuity बनती है। formula के हिसाब से गणना करने के बाद जो भी अतिरिक्त रकम होगी, उस पर tax की गणना होगी। इसके अलावा भी, यह ध्यान रखें कि 20 लाख से अधिक ग्रेच्युटी पर टैक्स छूट नहीं मिल सकती, भले ही वह फॉर्मूले के हिसाब से ज्यादा बैठती हो।