अगर आपने बड़ी रकम बैंक में जमा कर रखी है और उस पर सालाना 10 हजार रुपए से अधिक ब्याज मिलती है तो उसे आपकी Taxable Income में शामिल किया जाता है। यानि कि उसे आपकी टैक्स योग्य आमदनी में शामिल किया जाएगा और इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से उस पर टैक्स की गणना होगी। बैंक ब्याज पर जो टैक्स छूट आपको मिलती है वह सामान्य लोगों को सेक्शन 80TTA के तहत मिलती है और बुजुर्गों को सेक्शन 80TTB के तहत मिलती है। इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय आपको बैंक ब्याज की भी जानकारी देनी पड़ती है।
इस लेख में हम जानेंगे कि, सेक्शन 80TTA और सेक्शन 80TTB क्या हैं? इनकी मदद से बैंक ब्याज पर टैक्स छूट कितनी मिलती है? इससे जुड़े अन्य प्रमुख नियमों और शर्तों के बारे में भी समझाएंगे। What is Section 80TTA and Section 80TTB in Hindi. What are tax benefits?
सेक्शन 80TTA क्या है?
इनकम टैक्स एक्ट का Section 80TTA, आपको सेविंग अकाउंट में जमा पैसों पर मिलने वाली ब्याज पर टैक्स छूट लेने का अधिकार देता है। इसकी मदद से आप 10 हजार रुपए तक की ब्याज पर टैक्स छूट ले सकते हैं। ये टैक्स छूट आपको निम्नलिखित प्रकार की ब्याजों पर मिलती है-
- सरकारी या प्राइवेट बैंक के बचत खातों (savings accounts) से मिली ब्याज पर
- पोस्ट ऑफिस के बचत खाता (savings account) से मिली ब्याज पर
- को-ऑपरेटिव सोसायटी के बचत खाता (savings account) की ब्याज पर
ध्यान दें : अगर आपके कई बैंकों में बचत खाते (सेविंग अकाउंट्स) हैं तो सभी सेविंग अकाउंट्स की ब्याज को जोड़कर टैक्स कटौती (deductions) में शामिल करेंगे।
किन-किन अकाउंट की ब्याज शामिल नहीं कर सकते: Section 80TTA के तहत टैक्स कटौती ( Deduction) में निम्नलिखित प्रकार के ब्याज को में शामिल नहीं किया जा सकता-
- Fixed deposits: बैंक या पोस्ट ऑफिस के फिक्स्ड डिपॉजिट अकाउंट (FD) से मिली ब्याज
- Recurring deposits: बैंक या पोस्ट ऑफिस के रेकरिंक डिपॉजिट अकाउंट्स (RD) से मिली ब्याज
- Time deposits : अन्य कोई ऐसा अकाउंट, जिसमें किसी निश्चित अवधि (Fixed Period) के लिए पैसा जमा होता हो
Section 80TTA के तहत टैक्स छूट की सीमा क्या है: अगर आपकी ब्याज 10 हजार रुपए से कम है तो पूरी की पूरी ब्याज को Deduct (अपनी आमदनी से बाहर) कर सकते हैं। अगर आपकी ब्याज 10 हजार रुपए से अधिक है तो फिर सिर्फ 10 हजार रुपए पर deduction लेने का अधिकार होगा। बाकी ब्याज की रकम को टैक्स की गणना में शामिल करना होगा।
उदाहरण के लिए, किसी साल आपके सभी सेविंग अकाउंट्स पर कुल 26 हजार रुपए ब्याज बनी। तो आपको सेक्शन 80 TTA के तहत सिर्फ 10 हजार रुपए पर deduction का फायदा मिल सकेगा। बाकी के 16 हजार को इनकम टैक्स स्लेब के हिसाब से, टैक्स की गणना में शामिल करना होगा।
सामान्य नागरिक और HUF ही पात्र, कंपनियां नहीं: ये छूट सिर्फ सामान्य नागरिकों (individuals) और HUF (Hindu Undivided Family) के लिए है। किसी फर्म या लोगों का संगठन बचत खाते के ब्याज पर ये टैक्स छूट नहीं पा सकता है।
सेक्शन 80TTB क्या है?
इनकम टैक्स एक्ट का सेक्शन 80TTB 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों (बुजुर्ग नागरिकों=Senior Citizens) को बैंक ब्याज पर टैक्स छूट लेने की सुविधा देता है। इसकी मदद से वे हर साल 50 हजार रुपए तक की ब्याज को अपनी आमदनी से बाहर (Deduction) कर सकते हैं और अपना टैक्स घटा सकते हैं। इस ‘टैक्स छूट में आप फिक्स्ड डिपॉजिट्स (FD) और रेकरिंग डिपॉजिट्स (RD) की ब्याज को भी शामिल कर सकते हैं।
2018 में सरकार ने बुजुर्गों को ज्यादा राहत देने के लिए इनकम टैक्स एक्ट में एक और सेक्शन (80TTB) जोड़ा है। इसके हिसाब से अगर ब्याज की रकम 50 हजार रुपए या उससे ज्यादा है तो सिर्फ 50 हजार पर ही टैक्स छूट मिलेगी। उदाहरण के लिए, आपको किसी वित्त वर्ष में 60 हजार रुपए की आमदनी ब्याज के रूप में हुई है। तो बाकी के 10 हजार रुपयों को टैक्स स्लैब में शामिल करके टैक्स गणना करनी होगी।
क्या सीनियर सिटिजन को धारा 80TTA और 80TTB दोनों का फायदा मिल सकता है?
नहीं, सीनियर सिटिजन (वरिष्ठ नागरिक, जिनकी उम्र 60 साल पूरी हो चुकी है) को सिर्फ 80TTB के तहत टैक्स कटौती (deduction) का लाभ लेने का ही अधिकार है। वे सेक्शन 80TTA के तहत टैक्स कटौती का लाभ नहीं ले सकते। सेक्शन 80TTA सिर्फ 60 वर्ष से कम उम्र वाले ही इस्तेमाल कर सकते हैं।
विदेशी नागरिकों या NRI को भी सेक्शन 80TTB का फायदा नहीं मिलेगा
विदेशी नागरिक या Non Resident Indian (NRI) 80TTB के तहत ब्याज पर टैक्स कटौती का लाभ नहीं ले सकता। सिर्फ भारत की नागरिकता रखने वाला व्यक्ति (Residents of India) ही Section 80 TTA या Section 80 TTB की मदद से ब्याज पर टैक्स कटौती (Tax Deduction) का लाभ ले सकता है।
सेक्शन 80TTA और Section 80 TTB में अंतर
सेक्शन 80 TTA | सेक्शन 80 TTB |
यह 60 वर्ष से कम उम्र के लोगों की सेविंग अकाउंट की ब्याज पर टैक्स बेनेफिट दिलाता है। | यह 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की सेविंग अकाउंट की ब्याज पर टैक्स बेनेफिट दिलाता है। |
सभी सेविंग अकाउंट की कुल 10,000 रुपए तक ब्याज पर Deduction (आमदनी में कटौती या बाहर करने) का अधिकार देता है। | सभी सेविंग अकाउंट्स और सभी डिपॉजिट अकाउंट्स की कुल 50 हजार रुपए तक की ब्याज पर Deduction (कटौती) का लाभ लिया जा सकता है। |
फिक्स्ड डिपॉजिट्स (FD)और रिकरिंग डिपॉजिट्स (RD) की ब्याज को शामिल नहीं कर सकते है। | फिक्स्ड डिपॉजिट्स(FD)और रिकरिंग डिपॉजिट्स (RD) की ब्याज को शामिल कर सकते है। |
निम्नलिखित प्रकार के सेविंग अकाउंट्स की ब्याज को Deduction में शामिल कर सकते है। 1.बैंकों के सेविंग अकाउंट्स 2.पोस्ट ऑफिस के सेविंग अकाउंट्स 3.को-आपरेटिव बैंको के सेविंग अकाउंट्स | निम्नलिखित प्रकार के सेविंग अकाउंट्स और डिपॉजिट अकाउंट्स की ब्याज को Deduction में शामिल कर सकते है। 1.बैंकों के सेविंग अकाउंट्स+डिपॉजिट अकाउंट्स 2.पोस्ट ऑफिस के सेविंग अकाउंट्स+डिपॉजिट अकाउंट्स 3.को-आपरेटिव बैंको के सेविंग अकाउंट्स+डिपॉजिट अकाउंट्स |
Section 80C, 80D, 80B, 80G, 80E वगैरह की कटौतियों (Deduction) के लाभ से अतिरिक्त इस Deduction का लाभ लिया जा सकता है। | Section 80C व अन्य सभी प्रकार के कटौती लाभों (Deduction) से अतिरिक्त इस Deduction का लाभ ले सकते है। |
कंपनियों, फर्मों, AOP, BOP वगैरह को सेक्शन 80 TTA के तहत, टैक्स छूट का लाभ नहीं मिल सकता। सिर्फ व्यक्तिगत (indivicuals) और HUF को ही इसका फायदा उठाने की छूट है। | सेक्शन 80 TTB का भी कंपनियों, फर्मों, AOP, BOP वगैरह को इस टैक्स छूट का लाभ नहीं मिल सकता। सिर्फ व्यक्तिगत (indivicuals) और HUF को ही इसका फायदा मिलता है। |
रिटर्न भरते समय, ब्याज इनकम को भी दिखाना अनिवार्य है
इनकम टैक्स एक्ट 1961 के अनुसार, आपको अपनी सभी तरह की आमदनी (Incomes) का विवरण, अपने इनकम टैक्स रिटर्न में दर्ज करना चाहिए। ब्याज भी एक प्रकार की आमदनी होती है। इसे अन्य स्रोतों से आय (income from other sources) की कैटेगरी में रखा जाता है। अगर आप पर टैक्स देनदारी बनती है या फिर आप किसी तरह की टैक्स छूट या कटौती (Deduction) का फायदा लेने चाहते हैं तो रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य है।
इनकम टैक्स कानून के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति, जानबूझकर या अनजाने में भी, अपने इनकम टैक्स रिटर्न में, उस वर्ष के दौरान हुए किसी आमदनी को नहीं दर्शाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। गलती मिलने पर आप पर जुर्माना के साथ-साथ बकाया टैक्स का भी भुगतान करना पड़ेगा।