भारत में इंजन से चलने वाली किसी भी गाड़ी का वाहन बीमा करवाना जरूरी है। अब तो इलेक्ट्रिक इंजन से चलने वाले वाहनों (EV) का बीमा करवाना भी अनिवार्य कर दिया गया है। अगर आपकी गाड़ी बिना बीमा के पकड़ी जाती है तो आप पर 2000 रुपए तक पेनाल्टी लग सकती है। गंभीर लापरवाही पर जेल भी भेजा जा सकता है। वाहन बीमा के बारे में बीमा एजेंट से बात करने पर वह कई तरह के बीमा प्लान के बारे में बात करता है, जैसे कि थर्ड पार्टी इंश्योरेंस, कंप्रिहेंसिव इंश्योरेंस, एडऑन इंश्योरेंस आदि। इस लेख में हम जानेंगे कि वाहन बीमा कितने प्रकार का होता है ? किस तरह के बीमा में क्या-क्या सुविधाएं मिलती हैं?
वाहन बीमा के प्रकार | types of Vehicle insurance
बीमा पॉलिसी के साथ, मिलने वाली बीमा सुरक्षाओं के हिसाब से वाहन बीमा (Vehicle Insurance) मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं-
- थर्ड पार्टी इंश्योरेंस पॉलिसी: आपके वाहन से किसी अन्य वाहन, व्यक्ति या संपत्ति को जो नुकसान पहुंचता है, उसकी भरपाई Third-party insurance policy के माध्यम से होती है। ऐसी घटनाओं के बाद, मुआवजा निर्धारण के लिए, जो कानूनी प्रक्रियाएं होंगी, उनसे निपटने की जिम्मेदारी भी बीमा कंपनी की होती है।
- थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के साथ आपको 15 लाख का Compulsory Personal Accident Insurance (अनिवार्य व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा) भी मिलता है। इससे वाहन मालिक की मौत या परमानेंट विकलांगता की स्थिति में 15 लाख रुपए तक मुआवजा मिलता है।
- लेकिन ध्यान रहे, आपके खुद को वाहन को हुए नुकसान का मुआवजा थर्ड पार्टी इंश्योरेंस पॉलिसी से नहीं मिलता। इसके लिए आपको Own Damage Cover लेना पड़ता है, जोकि कंप्रिहेंसिव मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी लेने पर ही मिलता है।
- कंप्रिहेंसिव मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी: इसे संपूर्ण बीमा पॉलिसी भी कहते हैं। इसमें आपके वाहन से किसी दूसरे वाहन, व्यक्ति और संपत्ति को नुकसान का मुआवजा तो बीमा कंपनी भरती ही है, आपके खुद के वाहन को हुए नुकसान की भरपाई भी बीमा कंपनी करती है। यानी कि आपको Third party insurance और Own Damage Cover, दोनों का फायदा कंप्रिहेंसिव मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी से मिलता है।
- एड ऑन इंश्योरेंस: कंप्रिहेंसिव इंश्योरेंस लेने पर आपको कई प्रकार के Add On Covers (सहायक बीमा पॉलिसियां) भी जुड़वाने की सुविधा मिलती है। आप जिस तरह का एड ऑन इंश्योरेंस अपनी मुख्य बीमा पॉलिसी के साथ जुड़वा लेंगे, उस तरह की अतिरिक्त बीमा सुरक्षा का लाभ आपको अलग से मिलता है। लेकिन, ध्यान रखें कि हर एड ऑन पॉलिसी का प्रीमियम भी अलग से जुड़ता है, जिससे आपकी बीमा पॉलिसी भी उतनी ही महंगी पड़ती है। कुछ प्रमुख प्रकार के एडऑन इंश्योरेंस के नाम इस प्रकार हैं-
- जीरो डेप्रिसिएशन कवर: गाड़ी पुरानी होने पर भी, उसके बीमा क्लेम पूरा मिलने के लिए
- नो क्लेम बोनस प्रोटेक्शन कवर: पॉलिसी के दौरान कोई क्लेम न करने पर बीमा शुल्क कम कराने के लिए
- इंजिन प्रोटेक्शन कवर: इंजन को नुकसान पहुंचने पर, उसका मुआवजा भी पाने के लिए
- रोडसाइड असिस्टेंस कवर: किसी हादसे के बाद घटना स्थल पर ही मदद प्राप्त करने के लिए
- पैसेंजर कवर: गाड़ी में मौजूद सवारियों को नुकसान पहुंचने पर मुआवजा मिलने के लिए
- रिटर्न टू इनवाइस कवर: हादसा होने पर गाड़ी की रसीद में दर्ज दाम के बराबर उसकी कीमत प्राप्त करने के लिए
वाहन की कैटेगरी के अनुसार इंश्योरेंस के प्रकार
वाहन की कैटेगरी के हिसाब से, वाहन बीमा तीन प्रकार के होते हैं।
- Car Insurance | कार बीमा
- Two Wheeler Insurance | दोपहिया वाहन बीमा
- Commercial Vehicle Insurance | व्यावसायिक वाहन बीमा
अब तीनों के बारे में आइए थोड़ा विस्तार से जानते हैं—
कार इंश्योरेंस | Car Insurance
Car Insurance कराने पर, किसी हादसे की स्थिति में, वाहन को होने वाले नुकसान की भरपाई की सुविधा मिलती है। प्राकृतिक आपदा (natural calamities) या मानव जनित हादसे (man-made calamities) की स्थिति में भी वाहन को होने वाले नुकसान की भरपाई भी इस Insurance के तहत कवर होता है। बहुत सी कंपनियां अब कार बीमा के साथ, उसी के एक हिस्से के रूप में medical insurance भी उपलब्ध कराने लगी हैं।
Car insurance, आपके वाहन से हुए हादसे की स्थिति में किसी अन्य व्यक्ति या संपत्ति (third party) को हुए नुकसान पर कानूनी देनदारियां (legal liability) निपटाने के लिए भी जिम्मेदार होता है। वाहन ड्राइवर भी इस Third Party liability का लाभ पाने का अधिकारी होता है। इतना ही नहीं सवारियों/सहयात्रियों (co-passengers) के लिए भी कवरेज लेने का विकल्प होता है। हालांकि, जितना ज्यादा कवरेज बढ़ता है, पॉलिसी का Premium भी उतना ही ज्यादा होता है।
दो पहिया बीमा | Two Wheeler Insurance
दो पहिया वाहन बीमा के तहत भी third party liability के साथ-साथ खुद के वाहन को हुए नुकसान की भरपाई की सुविधा दी जाती है। इस तरह का बीमा सडक हादसों के अलावा प्राकृतिक व मनुष्य के हाथों हुए हादसे (Natural And Man made Calamity) पर भी सुरक्षा प्रदान करता है। सामान्यत: यह बीमा एक साल के लिए होता है।
भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI insurance regulatory and development authority of India) की ओर से दीर्घकालिक दो पहिया वाहन (long-term two wheeler insurance (LTTW) की सुविधा भी शुरू की गई है। इस पॉलिसी के तहत कोई व्यक्ति एकमुश्त 3 साल के लिए वाहन बीमा करवा सकता है।
बीमा कंपनियों को Two wheeler insurance के साथ 1 लाख रुपए का personal accident cover भी देना अनिवार्य होता है। प्रीमियम बढवाकर आप सवारियों के लिए भी बीमा ले सकते हैं।
व्यावसायिक वाहन बीमा| Commercial Vehicle Insurance
ऐसे सभी वाहन जिनका प्रयोग व्यावसायिक उद्देश्यों (commercial purposes) के लिए होता है, जैसे कि बस, ट्रक, एंबुलेंस, लोडर, कैंटर, मल्टी यूटिलिटी वाहन, कृषि वाहन (agricultural vehicles) वगैरह। इनका बीमा व्यावसायिक वाहन बीमा (commercial vehicle insurance) के तहत होता है। commercial vehicle insurance भी हादसा या आपदा की स्थिति में हुए नुकसान से निपटने की सुरक्षा प्रदान करती है।
Road Accident की स्थिति में किसी अन्य व्यक्ति या संपत्ति (Third Party ) को नुकसान की भरपाई के अलावा मौत या शारीरिक क्षति (death/injury) के claims की सुविधा भी इस तरह की बीमा पॉलिसी का हिस्सा होते हैं।
बीमा पॉलिसी का प्रीमियम निर्धारित करते वक्त commercial vehicle के मेक और मॉडल, के साथ—साथ रजिस्ट्रेशन का स्थान, निर्माण वर्ष, तात्कालिक शोरूम कीमत वगैरह का ध्यान रखा जाता है। और यह भी कि बीमा कराने वाला कोई व्यक्ति है या कंपनी।
वाहन बीमा करवाना जरूरी क्यों होता है?
भले ही आप बड़ी कुशलता से गाड़ी चला लेते हों, भले ही आपको भीड़ भरे रास्तों पर वाहन न ले जाने की जरूरत होती हो, वाहन बीमा करवाना हर हाल में फायदे का सौदा होता है। वाहन बीमा होने से आप इन कई तरह की मुश्किलों से बचे रहते हैं—
1. दूसरे व्यक्ति, वाहन या संपत्ति को नुकसान की भरपाई के लिए
भारत मेें लागू Motor Vehicle Act के मुताबिक, हर वाहन के लिए थर्ड पार्टी बीमा (third party liability insurance) लेना अनिवार्य है। किसी हादसे की स्थिति में, आपके वाहन से किसी अन्य व्यक्ति (third party) को होने वाली क्षति का हर्जाना third party insurance के माध्यम से ही निपटाया जाता है। ये नुकसान स्थायी चोट (Permanent injury) या मौत के रूप में भी हो सकता है। जिसका मुआवजा लाखों या करोड़ों में भी हो सकता है। किसी अन्य व्यक्ति की property को हुए नुकसान को भी इसी third party liability insurance के तहत चुकाया जाता है।
सामान्य परिस्थिति में भी, अगर आपने अपने वाहन का third party insurance नहीं करवा रखा है तो पकड़े जाने पर 2000 रुपए तक जुर्माना या 3 महीने की जेल हो सकती है। यहां तक कि दोनों दंड एक साथ भी दिए जा सकते हैं।
2. खुद के वाहन को हुए नुकसान की भरपाई के लिए
दुर्घटना की स्थिति में, आपके वाहन को हुए नुकसान की मरम्मत (Repair) के खर्च की भरपाई First Party Motor Insurance से हो जाती है। इससे न केवल आप अचानक बड़े आर्थिक संकट (Financial Crisis) से महफूज रहते हैं, बल्कि रिपेयरिंग के झंझटों से भी मुक्त रहते हैं। अब तो कई कंपनियां (खासकर कार कंपनियां) roadside assistance की सुविधा भी उपलब्ध कराने लगी हैं। इसमें आपको मौके पर (हादसा वाले स्थान पर) पहुंचकर ही मदद कर दी जाती है।
3. प्राकृतिक आपदा या अन्य ऐसी घटना से नुकसान की भरपाई
वाहन बीमा होेने पर आपको किसी प्राकृतिक हादसे (natural disaster) या मनुष्य के कारण आई आपदा (human calamities) वगैरह से हुए नुकसान पर भी मदद मिलती है।
किस तरह की घटनाएं शामिल: ऐसी आकस्मिकताओं में सड़क हादसा (Road accident), कार मेें आग लग जाना (fire), प्राकृतिक आपदा (Natural Calamity) जैसे कि भूकंप (earth quake), भूस्खलन (Landslide), बाढ़ (Flood), आंधी-तूफान (Storm-hurricane), बिजली गिरना (lightning) वगैरह शामिल होती हैं। इसी प्रकार मानव जनित आपदाओं में आगजनी (fire), दंगे (riots) आतंकी हमला (terrorist attacks), विस्फोट (explosion),चोरी (theft) वगैरह शामिल हैं।
इन सब तथ्यों को देखते हुए कहा जा सकता है कि Motor Insurance करवा लेना हर तरह से समझदारी का सौदा होता है।
वाहन बीमा लेते समय रखें ध्यान
अक्सर लोग वाहन बीमा के प्रीमियम (पैसा भरने) की मात्रा कम देखकर बीमा पॉलिसी का चुनाव कर लेते हैं। लेकिन हो सकता है कि सस्ते प्लान देकर वो आपको कवरेज के मामले में बहुत कम सहूलियत दे रही हो। हो सकता है, कोई प्रीमियम महंगा लग रहा है, लेकिन उसके साथ जीरो डेप्रिसिएशन एड ऑन भी मिल रहा हो।
वास्तव में, बीमा पॉलिसी चुनते वक्त तीन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
1. बीमा कंपनी की बाजार में साख (Credit) कैसी है? (सर्विस की सुलभता और तेजी पर फर्क पडता है)
2. वह आपको कवरेज कौन-कौन से और कितना दे रही है? (खुद और थर्ड पार्टी के लिए भी)
3. आपकी ओर से भरे जाने वाले प्रीमियम की मात्रा क्या है? (थोडी सुविधा देकर ज्यादा तो नहीं वसूल रही)
तीनों तथ्यों को ध्यान में रखते हुए जो सर्वश्रेष्ठ विकल्प (Option) लगे, उसका चयन आप कर सकते हैं।