भारत में, कार, बाइक, स्कूटर या किसी भी तरह के इंजन से चलने वाला वाहन का बीमा अनिवार्य है। वाहन बीमा आपको किसी एक्सीडेंट या हादसे में नुकसान पहुंचने पर मुआवजा दिलाता है। साथ ही कई तरह की आर्थिक और शारीरिक और मानसिक परेशानियों से भी बचाता है। बिना बीमा के वाहन चलाते हुए पकड़े जाने पर, 2000 रुपए जुर्माना या 3 महीने की जेल हो सकती है। गंभीर लापरवाही की तो दोनों सजाएं एक साथ भी हो सकती हैं।
इस लेख में हम समझेंगे कि वाहन बीमा क्या होता है? कितने प्रकार का होता है और किस बीमा के क्या फायदे हैं? इसके अलावा भी वाहन बीमा के बारे में तमाम जरूरी जानकारियां साझा करेंगे।
What is Vehicle insurance in Hindi. Types, benefits and rules in Hindi.
वाहन बीमा क्या होता है? कितने प्रकार का होता है?
वाहन बीमा ऐसी बीमा पॉलिसी होती है, जो कि आपके वाहन को नुकसान पहुंचने पर, उसका मुआवजा आपको दिलाती है। साथ ही यह आपके वाहन से किसी अन्य व्यक्ति की गाड़ी, प्रॉपर्टी या शरीर को नुकसान का भी मुआवजा दिलाती है। आपको किस-किस तरह के नुकसान का मुआवजा मिलेगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने किस तरह की वाहन बीमा पॉलिसी ले रखी है।
अलग-अलग तरह के फायदों के हिसाब से वाहन बीमा पॉलिसी निम्नलिखित चार प्रकार की होती हैं-
- थर्ड पार्टी बीमा | Third Party Insurance : किसी दूसरे के वाहन, प्रॉपर्टी या शरीर को नुकसान का मुआवजा दिलाने के लिए
- कांप्रीहेंसिव बीमा | Comprehensive Insurance : अपने खुद के वाहन को नुकसान पहुंचने पर मुआवजा मिलने के लिए
- व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा | Personal Accidental Insurance: खुद के शरीर को हुए नुकसान का मुआवजा प्राप्त करने के लिए
- अतिरिक्त बीमा सुरक्षाएं | Add On Insurance Coverage : कुछ अतिरिक्त प्रकार की सहायक सुविधाएं प्राप्त करने के लिए
इन सभी प्रकार के वाहन बीमा के बारे में विस्तार से जानकारी, हमने इसी लेख में थोड़ा नीचे जाने पर दी है।
बिना बीमा के पकड़े जाने पर जुर्माना या जेल भी हो सकती है
भारत में, Motor Vehicle Act, 2019 के तहत, हर वाहन मालिक को Third Party Insurance लेना अनिवार्य है। अगर कोई वाहन, सड़क पर या सार्वजनिक स्थान पर बिना थर्ड पार्टी बीमा के चलाते हुए पकड़ा जाता है, तो वाहन मालिक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
आपको 2000 रुपए तक जुर्माना या 3 महीने की जेल हो सकती है। या फिर दोनों सजाएं एक साथ भी दी जा सकती है। यही अपराध अगर आप दोबारा करते हुए पकड़े जाते हैं तो फिर 4000 रुपए तक का जुर्माना या 3 महीने तक की जेल हो सकती है। यो फिर दोनो सजाएं एक साथ भी दी जा सकती है।
अब हम इन सभी तरह की बीमा पॉलिसियों के बारे में थोड़ा-थोड़ा विस्तार से भी समझ लेते हैं-
थर्ड पार्टी बीमा पॉलिसी क्या होती है?
आपकी गाड़ी से अगर किसी दूसरे वाहन को टक्कर लग जाती है या किसी दूसरे व्यक्ति या संपत्ति को नुकसान पहुंचता है तो उसका मुआवजा थर्ड पार्टी बीमा की मदद से मिलता है। यह बीमा न होने पर सारा नुकसान आपको खुद भरना पड़ सकता है।
अन्य व्यक्ति को शारीरिक नुकसान या मौत (injury/death) होने पर इसी बीमा प्लान से मुआवजा मिलता है। दूसरे व्यक्ति की संपत्ति को नुकसान का हर्जाना भी इसी के तहत मिलता है। लेकिन, इस बीमा में आपके खुद के वाहन को होने वाले किसी भी नुकसान की भरपाई की कोई जिम्मेदारी नहीं होती है।
थर्ड पार्टी इंश्योरेंस होने पर, किसी हादसे की बदौलत, आप पर बनने वाली कानूनी देनदारियों (Legal liabilities) का इसी पॉलिसी से निपटारा होता है। इसी कारण इसे Liability Only policy भी कहते हैं।
ध्यान दें: थर्ड पार्टी बीमा के साथ अनिवार्य रूप से व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा (Personal accident cover) भी मिलता है। इससे हादसे की स्थिति में आपके शरीर को हुए नुकसान पर 15 लाख रुपए तक का मुआवजा मिलता है।
कांप्रिहेंसिव बीमा पॉलिसी क्या होती है?
अगर आप, ऊपर वाले पैराग्राफ में बताई गई थर्ड पार्टी बीमा के लाभों के साथ-साथ, खुद के वाहन को होने वाले नुकसान का भी मुआवजा लेना चाहते हैं तो फिर आपकी गाड़ी का कंप्रीहेंसिव बीमा होना चाहिए। इसे Package Policy भी कहते हैं। हालांकि य़ह कानूनी रूप से अनिवार्य नहीं होती। Comprehensive Insurance होने पर आपकी गाड़ी को निम्नलिखित प्रकार के नुकसानों का मुआवजा मिलता है-
- Third Party insurance वाले लाभ: कंप्रिहेंसिव बीमा में, थर्ड पार्टी बीमा भी शामिल होता है, इसलिए
- आपकी गाड़ी से अगर किसी दूसरे के वाहन को नुकसान पहुंचता है, तो उसका मुआवजा बीमा कंपनी देती है
- आपकी गाड़ी से किसी दूसरे व्यक्ति को शारीरिक नुकसान पहुंचता है, तो उसका मुआवजा बीमा कंपनी देती है
- आपकी गाड़ी से अगर किसी दूसरे व्यक्ति की संपत्ति को नुकसान पहुंचता है, तो मुआवजा बीमा कंपनी देती है
- थर्ड पार्टी बीमा के साथ अनिवार्य रूप से व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा (Personal accident cover) भी मिलता है। इससे हादसे की स्थिति में आपके शरीर को हुए नुकसान पर 15 लाख रुपए तक का मुआवजा मिलता है।
- Own Damage Cover वाले लाभ: कंप्रिहेंसिव बीमा में, Own Damage Cover भी शामिल होता है, इसलिए
- प्राकृतिक हादसे (Natural disasters) से आपकी गाड़ी को हुए नुकसान का मुआवजा मिलता है
- आगजनी या विस्फोट (Fire) से आपकी गाड़ी को हुए नुकसान का मुआवजा मिलता है
- आसमान से गिरी किसी चीज (Falling objects) से आपकी गाड़ी को हुए नुकसान का मुआवजा मिलता है। जैसे कि satellites (उपग्रह), asteroids (धूमकेतु), meteors (उल्कापिंड), अंतरिक्ष का कचरा (space debris) आदि।
- चोरी (Theft) या बर्बरता (Vandalism) के कारण आपकी गाड़ी को हुए नुकसान का मुआवजा
- नागरिक अशांति या दंगे (Civil Disturbances) वगैरह में आपकी गाड़ी को हुए नुकसान का मुआवजा मिलता है
व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा पॉलिसी क्या होती है?
व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा (personal accident cover) लेने पर, किसी हादसे में आपको शारीरिक रूप से नुकसान पर मुआवजा मिलता है। अगर आप अनिवार्य दुर्घटना बीमा के 15 लाख से अधिक का बीमा कराना चाहते हैं तो फिर इस बीमा को करवा सकते हैं।
अपने अलावा, अपने कर्मचारी/ ड्राइवर के लिए भी personal accident cover ले सकते हैं। अपनी कार में मौजूद अन्य सहयात्रियों/सवारियों के लिए भी ले सकते हैं। अन्य यात्रियों के लिए personal accident cover आपकी गाड़ी में मौजूद सीटों की क्षमता के हिसाब से मिलता है।
एड ऑन बीमा क्या होते हैं
ऊपर बताए गए वाहन बीमाओं के अलावा भी कई तरह की अतिरिक्त बीमा सुरक्षाएं होती हैं, जिनके लेने से आपको या आपके वाहन को या उसके उपकरणों को या आपके सामानों को नुकसान का मुआवजा मिलता है। इन्हें Add on Covers या Riders कहते हैं। कुछ ज्यादा प्रचलित add-on covers के नाम इस प्रकार हैै-
- Zero depreciation add-on
- no-claim bonus protection add-on
- Engine Protection cover add-on : आपकी गाड़ी के इंजन को नुकसान होने पर मुआवजे के लिए
- Accessories Cover add-on: गाड़ी में रखे कीमती सामान के चोरी होने पर मुआवजा के लिए
- Return to invoice add-on: गाड़ी की रसीद (एक्स शोरूम कीमत) के हिसाब से मुआवजा मिलने के लिए
- Roadside Assistance add-on : दुर्घटना स्थल पर ही आपको मदद पहुंचाने के लिए
वाहन बीमा में किस तरह के जोखिम कवर होते हैं
वाहन बीमा के तहत आपको निम्नलिखित तरह की घटनाओं में बीमा सुरक्षा मिलती है—
- प्राकृतिक हादसे (Natural disasters): जैसे कि भूकंप (earthquake) बाढ़ (flood), आंधी-तूफान (storm), भूस्खलन, हिमस्खलन, बिजली गिरना वगैरह से से नुकसान।
- मनुष्य के कारण हुए हादसे (Man-made disasters): जैसे कि किसी अन्य वाहन से टक्कर, (accident) चोरी (theft), आगजनी (fire), दंगे (riots) या तोड़-फोड़ (malicious act) वगैरह से नुकसान।
- वाहन को लादकर ले आने जाने (transit) में: वाहन को रेलमार्ग या सड़क मार्ग या हवाई मार्ग से भेजने के दौरान। या फिर वाहन को माल वाहक में उतारने-चढ़ाने के दौरान हुए नुकसान।
वाहन की आईडीवी क्या होती है?
किसी वाहन का बीमा उसकी वर्तमान अनुमानित कीमत (value) के आधार पर किया जाता है। इसे Insured Declared Value कहा जाता है। यह वैल्यू वाहन की घटती कीमत (Depreciation) को ध्यान में रखते हुए तय की जाती है। इसी IDV के आधार पर यह तय होता है कि आपके वाहन को नुकसान पहुंचने की स्थिति में क्षतिपूर्ति (Compensation) कितनी मिलेगी। यही कारण है कि जैसे-जैसे वाहन पुराना होता जाता है, उसको हुए नुकसान के बदले क्षतिपूर्ति की मात्रा कम होती जाती है। नीचे दी गई Tableसे इस तथ्य को आप ज्यादा आसानी से समझ सकते हैं।
बीमा का वर्ष (Year Of Insurance) | कार की कीमत में मूल्यह्रास (Depreciation in Value of Car) | Insured Declared Value |
नई कार ‘पहला साल’ | 5% | शुरुआती एक्स शोरूम कीमत का 95% |
दूसरे साल रिन्यू कराने पर | 20% | शुरुआती एक्स शोरूम कीमत का 80% |
तीसरे साल रिन्यू कराने पर | 30% | शुरुआती एक्स शोरूम कीमत का 70% |
चौथे साल रिन्यू कराने पर | 40% | शुरुआती एक्स शोरूम कीमत का 60% |
पांचवे साल रिन्यू कराने पर | 50% | शुरुआती एक्स शोरूम कीमत का 50% |
छठे साल में और उसके बाद के वर्षों में रिन्यू कराने पर | हर अतिरिक्त वर्ष के लिए 10 से 15% डेप्रिशिएशन बढ़ता जाएगा | एक्स शोरूम कीमत में से कुल डेप्रिशियेशन घटाने के बाद बची कीमत |
ध्यान दें: Insured Declared Value का वास्ता सिर्फ Own Damage Policy से होता है, थर्ड पार्टी बीमा के मामले में वाहन के उम्र या मूल्यह्रास से कोई वास्ता नहीं होता। Third Party Liability से मिलने वाला मुआवजा उस व्यक्ति या संपत्ति को हुए आर्थिक नुकसान के आकलन के आधार पर होता है।
पॉलिसी प्रीमियम क्या होता है? कैसे तय होता है?
बीमा प्रीमियम, दरअसल वह रकम होती है जो कि आपको किसी Insurance Policy का लाभ पाने के लिए चुकानी पडती है। premium की रकम एकमुश्त या किस्तों में चुकाई जा सकती है। किसी वाहन के लिए बीमा पॉलिसी का premium, वाहन और उसके मालिक की स्थिति के अनुसार तय होता है। जैसे कि—
- वाहन किस प्रकार (Type) का है। जैसे कि उसका model कौन सा है, वाहन कितनी इंजन क्षमता ( Engine capacity) वाला है। किस तरह का ईंधन (fuel) प्रयोग होता है और वाहन कितना पुराना है, वगैरह-वगैरह।
- आपकी (वाहन मालिक की) उम्र क्या है? आपका पेशा (profession) क्या है और आप किस स्तर के शहर (Metro या Non Metro) में रह रहे हैं।
- बीमा की पिछली अवधि के दौरान आपने कितने वर्षों से क्लेम नहीं लिया है। आपके वाहन में किस तरह के Accessories जोडे गए हैं। उसे Modified तो नहीं किया गया है।
Premium saving options | प्रीमियम में छूट के विकल्प
आपको Insurance Premium भरने में कुछ छूट भी मिल सकती है। सबसे ज्यादा प्रचलित तरीका है नो क्लेम बोनस ‘no-claim bonus (NCB)’। इसमें आपको प्रीमियम में छूट ‘discount’ मिलती है, बशर्ते कि आपने पिछले वर्ष के दौरान कोई क्लेम न किया हो। zero-claim होने पर यह छूट आपको साल दर साल बढती जाती है। यहां तक कि यह छूट बढते-बढते प्रीमियम की आधी ‘50%’ तक पहुंच सकती है। यानी कि आप छोटे-मोटे claims को दरकिनार करके ज्यादा से ज्यादा NCB का फायदा उठा सकते हैं।
नो क्लेम बोनस के बदले बीमा प्रीमियम में कटौती का स्वरूप इस तरह होता है—
लगातार नो-क्लेम की अवधि | प्रीमियम में कटौती |
1 साल | 20% |
2 साल | 25% |
3 साल | 35% |
4 साल | 45% |
5 साल | 50% |
नोट: नो क्लेम बोनस ‘NCB’ का फायदा सिर्फ Own Damage premium पर मिलता है, Third Party Liability premium पर नहीं। यानी कि NCB सिर्फ आपको मिलता है, आपके वाहन को नहीं। और हां, आप अपनी NCB को कोई नया वाहन खरीदने पर transfer भी करा सकते हैं। लेकिन अगर आपकी पॉलिसी खत्म (laps) हो चुकी है और इसे आपने 90 दिनों के भीतर renew नहीं कराया है तो फिर आप NCB का फायदा नहीं उठा सकते।
प्रीमियम कम करवाने के कुछ अन्य तरीके
बीमा प्रीमियम कम करने के कुछ तरीके भी हैं, जैसे कि वाहन में सुरक्षा उपकरण (safety devices) लगा लिए जाएं। किसी automobile association की सदस्यता (membership) लेना या फिर ज्यादा deductible चुनना। Deductible क्या होता है, इसकी जानकारी हमने नीचे एक अलग पैराग्राफ में दी है।
इन स्थितियों में नहीं मिलता वाहन बीमा का लाभ
नीचे दी गई स्थितियों में आप बीमा का claim करने को अधिकृत नहीं होंगे।
- छोटी-मोटी टूट-फूट होने पर
- Mechanical या electrical खराबी (breakdown) होने पर
- वाहन का किसी अन्य प्रयोजन में इस्तेमाल करने पर (जैसे कि प्राइवेट कार का टैक्सी के रूप में उपयोग)
- वाहन चलाने वाले के पास मान्य लाइसेंस न होने पर
- वाहन चलाने वाले व्यक्ति के नशे में होने पर
- एक्सीडेंट का कोई प्रमाण नहीं होने पर
- बहुत देर से क्लेम करने पर
वाहन बीमा में कैशलेस सुविधा क्या होती है?
Health Insurance में जिस तरह से कैशलेस इलाज की व्यवस्था होती है, उसी तरह वाहन बीमा के साथ भी बहुत सी कंपनियां cashless facility की सुविधा देती हैं। लेकिन, इस सुविधा के लिए वाहन का उनकी ओर से अधिकृत गैराज ‘authorized garages’ में रिपेयर कराया जाए। इसके अलावा आप अगर अपनी सुविधानुसार भी किसी garage में मरम्मत करवाते हैं तो उसका reimbursement बाद में भी claim कर सकते हैं।
डिडक्टिबल क्या होता है?
Deductible, आपके बीमा क्लेम का वह हिस्सा होता है, जिसे आपकी कंपनी नहीं चुकाती बल्कि, आपको अपनी तरफ से चुकाना होता है। Deductible के बाद क्लेम का बचा हुआ हिस्सा ही आपकी बीमा कंपनी चुकाती है।
इसे एक उदाहरण से समझते हैं। मान लिया आपने अपनी कार का बीमा करवा रखा है और उसमें अनिवार्य deductible 1000 रुपए का है। आगे कभी अपनी कार को नुकसान पहुंचने पर आपका 6000 का क्लेम बना। तो इस नुकसान में से पहला 1000 वाला हिस्सा आपको खुद चुकाना होगा, बाकी बचा हिस्सा 5000 रुपए बीमा कंपनी चुकाएगी।
बीमा कंपनियां deductible का प्रावधान, फर्जी क्लेम पर लगाम लगाने के लिए रखती हैं। क्लेम करने वाले को चूंकि क्लेम का पहला हिस्सा खुद ही चुकाना पडता है, इसलिए वह छोटे-मोटे या फर्जी क्लेम करने से बचता है।
बीच में भी बदल सकते हैं बीमा कंपनी
मोबाइल नंबर की पोर्टेबलिटी की तरह ही आपका वाहन बीमा भी portable होता है। यानी कि आप जब चाहें तब अपने बीमा पॉलिसी की कंपनी बदलवा सकते हैं। कंपनी बदलने पर भी no-claim bonus के फायदे आपकी पॉलिसी के साथ ज्यों का त्यों मिलेंगे।