अगर आप अपनी गाड़ी को हुए नुकसान का पूरा मुआवजा चाहते हैं तो आपको अपनी गाड़ी के इंश्योरेंस में Zero Depreciation Add On भी जुड़वा लेना चाहिए। ये ऐसी सहायक बीमा पॉलिसी होती है जोकि गाड़ी के पुरानी हो जाने पर भी बीमा राशि मे कटौती नहीं होने देती। यानी कि हादसे में आपकी गाड़ी को नुकसान पहुंचने पर, पूरी की पूरी बीमा राशि दिलाती है। इस लेख में हम समझाएंगे कि कि कार का जीरो डेप्रिसिएशन इंश्योरेंस क्या होता है? इसके फायदे क्या होते हैं।
What is Zero Depreciation Insurance in Hindi. What are its benefits? How to purchase?
जीरो डेप्रिसिएशन इंश्योरेंस क्या होता है?
जीरो डेप्रिसिएशन इंश्योरेंस, एक प्रकार की अतिरिक्त बीमा सुरक्षा (Add On Insurance) होती है। इसको जुड़वा लेने पर, गाड़ी के पुरानी हो जाने पर भी, आपको बीमा की पूरी रकम मिलती है। ऐसा कैसे होता है, आइए समझते हैं-
दरअसल, किसी एक्सीडेंट में कार या अन्य किसी वाहन को नुकसान पहुंचने पर, आप बीमा क्लेम करते हैं। तब होता ये है कि बीमा कंपनी आपको आपकी गाड़ी की पूरी कीमत नहीं देती। बल्कि, गाड़ी की उम्र के हिसाब से कम करके देती है। ऐसा इसलिए होता है? क्योंकि आपकी गाड़ी की पूरी कीमत (Full Price) में से Depreciation (मूल्य ह्रास) की रकम कम कर दी जाती है। गाड़ी जितनी पुरानी होती जाती है, उसके लिए बीमा की रकम, उतनी ही कम मिला करती है। ऐसा, समय बीतने के साथ, वाहन की कीमत में डेप्रिसिएशन (घटाव) के कारण होता है।
लेकिन, अगर आपने अपने वाहन बीमा के साथ में जीरो डेप्रिशिएशन इंश्योरेंस ले रखा है तो फिर आपकी बीमा रकम को कम करके नहीं दिया जाता। बल्कि, गाड़ी या उसके पार्ट्स को नुकसान की पूरी कीमत मिलती है।
ये इंश्योरेंस, एक प्रकार के अतिरिक्त बीमा (Add On) के रूप में होता है, जोकि कंप्रिहेंसिव इंश्योरेंस के साथ मिलता है। संक्षेप में इसे Zero Dep Insurance या Zero Dep Cover भी कहते हैं।
उदाहरण के लिए, मान लेते हैं कि अनुज रावत ने 10 लाख रुपए की कार खरीदी। इसके बाद, उसने कार का Insurance कराया और बीमा प्रीमियम के रूप में पहले साल 15000 रुपए का भुगतान किया। एक साल बाद उस कार की बाजार कीमत (Market Price) घटकर 9 लाख रुपए रह जाती है। और उसके बीमा के लिए बीमा की कीमत भी घटकर 12000 रुपए चुकानी पड़ती है।
हर साल गुजरने के साथ, ऐसा होता जाता है और कार की बाजार कीमत घटती जाती है। और उसी तरह, उसके बीमा की कीमत भी घटती चली जाती है। इसी तरह, गाड़ी के साथ कोई हादसा होने पर बीमा के रूप में मिलने वाली रकम में भी कमी आती जाती है।
लेकिन, अगर आपने Zero depreciation इंश्योरेंस जुड़वा रखा है तो फिर आपकी पुरानी गाड़ी की कीमत भी नई गाड़ी के हिसाब से बनी रहेगी। उसका बीमा प्रीमियम भी नई गाड़ी की तरह चुकाना होगा और हादसे मे आपकी गाड़ी को नुकसान पहुंचने पर, बीमा की रकम भी पूरी मिलती है।
गाड़ी का डेप्रिशिएशन क्या होता है?
डेप्रिशिएशन का हिंदी में मतलब होता है ह्रास या कमी। दरअसल, कोई भी सामान, जैसे-जैसे पुराना होता जाता है, उसकी गुणवत्ता में कमी होती जाती है, साथ ही साथ उसकी बाजार कीमत भी घटती जाती है। क्योंकि, समय बीतने के साथ-साथ वह वस्तु भी पुरानी होती जाती है और उसके मैटेरियल और लुक में कमजोरी या खराबी या ह्रास होता रहता है।
यही बात कार या बाइक या अन्य वाहन पर भी लागू होती है। फाइनेंस की भाषा में इसे ह्रास या depreciation कहते हैं। इसी depreciation के कारण बीमा क्लेम के निपटारे के समय, बीमा कंपनी आपके वाहन के लिए बीमा रकम को घटाकर देती है।
ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि Depreciation के कारण, आपकी कार की कीमत घट जाती है। और आपकी कार की कीमत जितनी तय होती है, उसी के हिसाब से, कार के इंश्योरेंस की कीमत (premium ) भी कम हो जाता है। इसलिए, जब आपकी कार की कीमत घटती है तो उसके लिए, car insurance policy की कीमत भी कम लगती है।
किसके लिए ज्यादा जरूरी होता है जीरो डेप इंश्योरेंस ?
- नए कार मालिक – अगर आपने पहली बार कार खरीदी है तो आपके लिए zero depreciation cover की जरूरत ज्यादा होती है। क्योंकि, कार या वाहन में डेप्रिशिएन, उसको खरीदने की तारीख के साथ ही शुरू हो जाता है। अगर नई कार डैमेज हो जाती है तो आपको बिना इस इंश्योरेंस के बीमा की रकम घटाकर मिलेगी। अगर आपने जीरो डेप्रिसिएशन कवर ले रखा है तो फिर आपको बीमा की पूरी रकम मिलती है।
- बहुत महंगी या लक्जरी कार रखते हैं तो – अगर, आपके पास बहुत ज्यादा कीमत वाली कार है, स्पोर्ट्स कार, या लक्जरी कार है तो न सिर्फ वह कार महंगी होती है, बल्कि उसके पार्ट्स भी बहुत महंगे होते हैं। ऐसी गाड़ी अगर किसी हादसे का शिकार हो जाती है, तो उसकी मरम्मत में लंबा खर्च बैठ सकता है। ऐसे में जीरो डेप्रिशिएशन कवर आपका नुकसान बहुत कम करा देता है।
- दुर्घटना बहुल इलाके में रहते हैं तो: अगर आप ऐसे इलाके में रहते हैं, जहां पर वाहन दुर्घटनाएं ज्यादा होती हैं तो फिर आपके लिए zero-depreciation cover लेना उपयोगी रहता है। क्योंकि इन इलाकों में आपकी कार या वाहन के भी हादसाग्रस्त होने की आशंका बढ़ जाती है। तब फिर अगर आप पूरा बीमा क्लेम पाना चाहते हैं तो zero-depreciation cover होना ही चाहिए।
- नए ड्राइवरों को –अगर, आपने नया-नया गाड़ी चलाना सीखा है तो आपसे गाड़ी लड़ाने-भि़ड़ाने की आशंका ज्यादा हो सकती है। तो फिर आपके लिए, जीरो डेप्रिसिएशन कवर लेना फायदेमंद होगा। ताकि गाड़ी को नुकसान पहुंचने पर, आपको बीमा का पूरा क्लेम मिल सके।
- सामान्य कार मालिक – सामान्यत: बीमा कंपनियां, ज्यादा पुरानी गाड़ियों के लिए जीरो डेप्रिसिएशन कवर देने से बचती हैं। क्योंकि उनके खराब होने या अनियंत्रित होकर हादसाग्रस्त होने की आशंका ज्यादा रहती है। लेकिन, अगर आपकी कार को जीरो डेप्रिशिएशन कवर मिल पा रहा है तो ले लेना बेहतर रहता है। क्योंंकि कार भले ही छोटी हो या बड़ी. उसको नुकसान पहुंचने पर रिपेयरिंग का खर्च जुटा पाना बहुत आसान नहीं होता। अगर बीमा कंपनी से पूरा बीमा मिल जाता है तो बड़ी सहूलियत रहती है।
कार के डेप्रिशिएन की गणना कैसे की जाती है?
किसी कार या वाहन में, depreciation की निर्धारण, कार की उम्र और उसकी तात्कालिक बाजार कीमत (Insured Declared Value (IDV). जैसे-जैसे वाहन पुराना होता जाता है, उसका depreciation बढ़ता जाता है। depreciation की सही मात्रा पता करने के लिए insurance company, कार के अलग-अलग parts का अलग-अलग मूल्यांकन करती है।
जैसे कि टायर-ट्यूब, नायलॉन पार्ट्स, बैटरी व एयरबैग, फाइबरग्लास, पेंट, कांच से बने पार्ट्स, सबमें डिप्रेशिएशन का अलग-अलग तरीके से मूल्यांकन होता है। हादसा होने पर insurance company, कुल नुकसान का आकलन करती है और उसके बाद, कार की उम्र के हिसाब से, क्लेम में से depreciation की रकम काट ली जाती है।
गाड़ी के पुरानी होने पर डेप्रिसिएशन काटने की दर क्या होती है?
कार में depreciation की गणना, कार के निर्माण वर्ष (manufacturing year) के हिसाब से की जाती है। इससे, किसी खास पार्ट को नुकसान पहुंचने पर, बीमा की रकम का निर्धारण करने में सहूलियत रहती है। कार की उम्र बढ़ने के साथ-साथ उसके दाम में कमी आती जाती है। अगर पूरी गाड़ी नष्ट हो गई है या चोरी हो गई है तो इसके लिए डेप्रिसिएशन या दाम में कमी , नीचे दर्शाई गई तालिका के हिसाब से होती है।
वाहन की उम्र (Age of the Vehicle) | कार पर लागू डिप्रिसिएशन की दर (%) |
6 महीने से कम पुरानी कार | 0% |
6 महीने से 1 साल के बीच पुरानी कार | 5% |
1 साल से 2 साल के बीच पुरानी कार | 10% |
2 से 3 साल के बीच पुरानी कार | 15% |
3 से 4 साल के बीच पुरानी कार | 25% |
4 से 5 साल के बीच पुरानी कार | 35% |
5 से 10 साल के बीच पुरानी कार होने पर | 40% |
10 साल से अधिक पुरानी कार होने पर | 50% |
गाड़ी के पार्ट्स में डेप्रिसिएशन की दर
अगर आपकी पूरी गाड़ी नष्ट नहीं हुई या चोरी नहीं हुई है, बल्कि सिर्फ गाड़ी के किसी खास हिस्से को ही नुकसान पहुंचा है, तो उसके लिए डेप्रिसिएशन की दर, पार्ट्स के मैटेरियल के हिसाब से तय होती है। नीचे तालिका में देखें-
सभी तरह के पेंट या पेंट वर्क पर | 50% की दर से |
कार के रबड़, नायलॉन, प्लास्टिक और बैटरी पार्ट्स में डेप्रिसिएशन रेट | 50% की दर से |
फाइबरग्लास से बने हुए पार्ट्स में | 30% की दर से. |
लकड़ी से बने (wooden parts) पार्ट में | कार की उम्र के हिसाब से |
कांच से बने हि्स्सों (glass parts) को नुकसान पहुंचने पर | Nil (कोई डेप्रिसिएशन नहीं) |