Income Tax Return दाखिल करने के दौरान, आपको अपने उन निवेशों (Investments) और खर्चों (Expenses) की जानकारी देनी पड़ती है, जिन पर आप टैक्स छूट लेना चाहते हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि ऐसे कौन से 10 सबसे अच्छे तरीके हैं, जिनकी मदद से आप अपनी टैक्स देनदारी कम से कम कर सकते हैं। इनके बारे में, अगर आप पहले से जानकारी रखते हैं तो शुरू से ही बेहतर Financial और Tax Planning कर सकते हैं।
इनकम टैक्स बचाने के 10 सर्वश्रेष्ठ तरीके
एक सामान्य करदाता के पास अपनी आमदनी पर टैक्स बचाने के निम्नलिखित 10 प्रमुख विकल्प होते हैं।
1. सैलरी पर 50 हजार रुपए का स्टैंडर्ड डिडक्शन
हाल के वर्षों में सरकार ने Service करने वालों के लिए टैक्स छूट की नई सुविधा शुरू की है। आप सालाना जितनी भी Salary पाते हैं, उसमें से 50 हजार रुपए पहले ही बाहर (deduct) कर सकते हैं। बाकी बची सैलरी को ही टैक्स गणना के लिए आमदनी (Taxable Income) में शामिल करेंगे। सभी नौकरीपेशा के लिए समान कटौती होने के कारण ही इसे Standard deduction कहते हैं। यह सुविधा सिर्फ वेतनभोगियों (Salaried) के लिए है, non Salaried के लिए नहीं। हालांकि, जो लोग नौकरी से Retirement ले चुके हैं और पेंशन पाते हैं, उन्हें भी इस Standard Deduction का फायदा मिलता है।
2. मकान किराया भत्ता (HRA) पर मिलने वाली टैक्स छूट
नौकरी करने के दौरान आपको जो मकान किराया भत्ता (HRA) मिलता है, उस पर भी टैक्स छूट ले सकते हैं। आपको HRA के कितने हिस्से पर टैक्स छूट मिलेगी, यह नीचे दी गई तीन स्थितियों पर निर्भर करता है। इन तीनों में से जिसमें सबसे कम हिस्सा निकलेगा, उसे आप HRA टैक्स छूट के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं—
- आपको साल भर में कुल कितना HRA मिला है।
- मेट्रो शहर में रहते हैं तो सालाना सैलरी का 50 प्रतिशत। Non Metro शहर में रहते हैं तो सालाना सैलरी का 40 प्रतिशत।
- आप साल भर में जितना किराया (Rent) चुकाया है, उसमें से अपनी Salary का 10 प्रतिशत घटाने के बाद बची हुई रकम पर।
Note: HRA पर टैक्स छूट की रकम निकालने के लिए जब सैलरी की रकम का उपयोग करेंगे तो उसमें सिर्फ आपकी Basic Salary, महंगाई भत्ता (DA) और Commision (अगर मिला है तो) को ही शामिल किया जाता है।
3. 80 C के तहत कुछ विशेष निवेशों व खर्चों पर छूट
सरकार ने कुछ विशेष प्रकार के निवेश, बचत योजनाओं और खर्चों को टैक्स से छूट दे रखी है। लेकिन, यह छूट 1.50 लाख रुपए तक की रकम पर है, वह भी सभी विकल्पों में खर्चों को मिलाकर। ऐसे प्रमुख विकल्पों की सूची हम यहां दे रहे हैं—
- EPF (कर्मचारी भविष्य निधि)
- PPF (जमा, ब्याज और मेच्योरिटी)
- सुकन्या समृद्धि योजना (जमा, ब्याज और मेच्योरिटी)
- सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम
- NSC (राष्ट्रीय बचत पत्र)
- 5 वर्षीय पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट (FD)
- बैंकों की टैक्स सेवर एफडी (FD)
- जीवन बीमा प्रीमियम (Life Insurance)
- होम लोन में मूलधन (principal) वाला हिस्सा
- बच्चों की फीस (सिर्फ टयूशन फीस वाला हिस्सा)
- ELSS (इक्विटी लिंक्ड बचत योजनाएं)
4. होम लोन के ब्याज और मूलधन पर टैक्स छूट
घर खरीदने या बनवाने के लिए आपने जो Home loan लिया है, उसकी किस्तों के भुगतान (Installment repayment) पर भी टैक्स छूट मिलती है। हालांकि, इसके मूलधन (Principal) और ब्याज (Interest) पर अलग-अलग नियमों के तहत टैक्स छूट मिलती है।
- होम लोन के मूलधन पर टैक्स छूट: होमलोन के मूलधन पर टैक्स छूट तो Section 80 C के तहत मिलती है, जिसका जिक्र हमने ऊपर के पैराग्राफ में किया है। अगर आप Section 80 C के तहत सिर्फ Home loan को टैक्स छूट के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं तो 1.50 लाख तक के मूलधन भुगतान (Principal Repayment) पर टैक्स छूट पा सकते हैं
- स्टांप शुल्क और रजिस्ट्री फीस पर टैक्स छूट: घर या प्लॉट खरीदने के लिए आपने जो स्टांप शुल्क और रजिस्ट्री फीस चुकाई है उसको भी Section 80 C के तहत टैक्स छूट में शामिल कर सकते हैं।
- होमलोन की ब्याज पर टैक्स छूट: होमलोन के ब्याज पर टैक्स छूट Section 24 A के तहत मिलती है। सरकार ने बजट 2019 में ब्याज पर मिलने वाली टैक्स छूट की सीमा बढ़ा दी है। अब आप 3.5 लाख रुपए तक सालाना ब्याज से टैक्स छूट पा सकते हैं। पहले ये सीमा 2 लाख रुपए सालाना थी।
- पहली बार घर खरीदने वालों को अतिरिक्त छूट: पहली-पहली बार घर खरीदने के लिए होमलोन लिया है तो 50 हजार रुपए की अतिरिक्त ब्याज पर टैक्स छूट मिलेगी। (Section 80 EE के तहत) लेकिन, यह छूट सिर्फ 45 लाख रुपए तक का होम लेने पर है।
5. बैंक जमाओं की ब्याज पर टैक्स छूट
Bank या Post Office में आपकी जमाओं पर भी टैक्स छूट मिलती है। बुजुर्गों और सामान्य नागरिकों के लिए यह अलग-अलग मात्रा में मिलती है। बैंक जमा पर टैक्स छूट के लिए नियम इस प्रकार हैं—
- सामान्य नागरिकों (60 वर्ष से कम) के लिए: सामान्य नागरिकों (60 वर्ष से कम) के लिए सिर्फ बचत खाते (Saving Account) की जमा पर मिली 10 हजार रुपए तक की ब्याज पर टैक्स छूट है । (Section 80 TTA के तहत)
बुजुर्ग नागरिकों (Senior Citizens) के लिए: बुजुर्ग नागरिकों (60 वर्ष से अधिक) के लिए Saving Account और Fixed Deposit (FD), दोनों तरह के Accounts में मिली 50 हजार रुपए तक की ब्याज पर टैक्स छूट है। (Section 80 TTB के तहत)
6. चिकित्सा बीमा और स्वास्थ्य चेक अप पर टैक्स छूट
अपने और अपने परिवार के सदस्यों के लिए आपने अगर चिकित्सा बीमा (Medical/Health Insurance) करवाया है तो उस पर भी टैक्स छूट मिलती है (Section 80D के तहत)। आपके परिवार में आप, आपकी पत्नी/पति और आपके बच्चे शामिल किए जाते हैं। आपके माता-पिता भी अगर आप पर ही आश्रित (Dependant) हैं तो उनके Health Insurance Premium के लिए भी अलग से यह टैक्स छूट मिलती है।
- 60 वर्ष से कम उम्र के लोग सालाना 25 हजार रुपए तक के Health Insurance Premium पर टैक्स छूट प्राप्त कर सकते हैं। जबकि, 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए सालाना 50 हजार रुपए तक के Health Insurance Premium पर टैक्स छूट मिलती है।
- खुद को स्वस्थ रखने के उद्देश्य से जो चेकअप (Preventive Health Checkups) वगैरह आप करवाते हैं, उसमें से भी 5 हजार रुपए तक का खर्च आप Section 80D के तहत टैक्स छूट में शामिल कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे, Health Check ups का खर्च भी ऊपर बताई गई कुल खर्च सीमा (25/50 हजार) मे शामिल किया जाएगा।
- अगर आपके मात-पिता ने Health Insurance नहीं करवाया है तो फिर उनके इलाज के खर्च को भी Section 80D के तहत टैक्स छूट में इस्तेमाल कर सकते हैं।
7. अवकाश यात्रा भत्ता (LTA) पर टैक्स छूट
अगर आपकी कंपनी आपको छुटि्टयों में घूमने के लिए भत्ता (LTA) देती है तो उस पर भी टैक्स छूट आप ले सकते हैं। लेकिन, यह टैक्स छूट आपको LTA के सिर्फ उतने हिस्से पर टैक्स छूट मिलेगी, जितने का आपने यात्रा बिल (टिकट, बोर्डिंग पास वगैरह के खर्च का) दिया है।
ऐसी अवकाश यात्राओं में, आप सिर्फ अपना और अपने परिवार के सदस्यों (आप, आपके पति/पत्नी, और बच्चे) के खर्च ही शामिल कर सकते हैं। बच्चों में भी सिर्फ दो बच्चों पर खर्च (अगर जन्म (1 October 1998) के बाद हुआ है। इसके पहले पैदा हुए बच्चों की संख्या में प्रतिबंध नहीं है। अगर आपके माता-पिता या भाई-बहन आपकी कमाई पर आश्रित हैं तो उनका भी यात्रा खर्च आप LTA टैक्स छूट में शामिल कर सकते हैं।
सिर्फ भारत के अंदर की अवकाश यात्राएं ही LTA के लिए मान्य हैं। विदेश यात्रा नहीं। ऐसी हर यात्रा में आपका खुद शामिल होना अनिवार्य है और यात्रा के टाइम पर आपके नाम पर छुट्टी (Leave) भी दर्ज होना अनिवार्य है।
आप किसी एक 4 वर्षीय Time Block में ज्यादा से ज्यादा 2 अवकाश यात्राओं के लिए LTA टैक्स छूट ले सकते हैं। सरकार ने ये चार वर्षीय Time Block इस तरह से तय किए हैं—
- 2010-13 (यानी कि 2010,2011,2012,2013)
- 2014-17 (यानी कि 2014,2015,2016,2017)
- 2018-21 (यानी कि 2018,2019,2020,2021)
- 2022-25 (यानी कि 2022,2023,2024,2025)
8. ग्रेच्युटी, सेविंग मेच्योरिटी वगैरह पर टैक्स छूट
अगर आपने 5 साल (4 साल 7 महीने) तक किसी कंपनी/संस्थान में नौकरी की है तो नौकरी छोडने या Retirement लेने पर आपको Gratuity मिलती है। (Section 10(10)(iii) के तहत)। नए नियमों के तहत 20 लाख रुपए तक की Gratuity पर कोई टैक्स नहीं लगेगा।
उल्लेखनीय है कि किसी कंपनी या संस्थान में 10 से अधिक कर्मचारी होने पर Gratuity के नियम लागू होते हैं। इसी तरह पांच साल पूरे होने पर कुछ बचत योजनाओं (जैसे कि EPF, PPF) का पैसा निकालने पर भी टैक्स नहीं कटता। पीपीएफ और सुकन्या समृद्धि योजना की मेच्योरिटी रकम पर भी टैक्स नहीं लगता। हलांकि, ये सारी टैक्स छूटें आपको ऊपर बताए गए Section 80 C के तहत ही मिलती हैं।
9. उच्च शिक्षा के लिए ऋण के ब्याज पर टैक्स छूट
आपने अपने लिए, अपने पति/पत्नी के लिए या अपने बेटे/बेटे के लिए Education Loan लिया है, तो उसकी पूरी ब्याज पर आप टैक्स छूट ले सकते हैं। (Section 80E के तहत) देश या विदेश कहीं भी उच्च शिक्षा के लिए Education Loan पर यह टैक्स छूट है। सिर्फ उसी Education loan पर इस टैक्स छूट का दावा किया जा सकता है, जो बैंक या वित्तीय संस्थान (Financial Institution) से लिया गया हो।
Education Loan की ब्याज पर टैक्स छूट आपको शुरू के 7 साल तक ही मिलती है। इसके बाद के वर्षों में जो ब्याज आप चुकाएंगे, उसे टैक्स गणना योग्य आमदनी (Taxable Income) में शामिल किया जाएगा।
12,500 तक टैक्स देनदारी बनी तो वो भी माफ (Section 87A के तहत रिबेट)
Income Tax Slab के हिसाब से टैक्स गणना करने के बाद भी अगर आप पर टैक्स देनदारी 12500 रुपए तक निकलती है तो उसे भी सरकार माफ कर देगी। टैक्स गणना के बाद की इस टैक्स माफी को Rebate कहते हैं। Income Tax Act के Section 87A के तहत यह छूट मिलती है। इस तरीके से जिनकी Taxable Income 5 लाख रुपए तक है, उनको कोई टैक्स देने की जरूरत नहीं पड़ेगी।