भारतीय स्टेट बैंक (SBI) देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक है। ज्यादातर सरकारी कर्मचारियों के सैलरी अकाउंट SBI में होते हैं। अन्य कैटेगरी के ग्राहक भी सबसे ज्यादा इसी के साथ जुड़े हैं। देश में सबसे ज्यादा ब्रांचें और ATMs भी इसी बैंक के हैं। हमारे कई पाठकों ने पूछा था कि SBI सेविंग अकाउंट में कितना मिनिमम बैलेंस जरूरी है? मिनिमम बैलेंस न रखने पर पेनाल्टी कितनी लगती है।कुछ लोगों ने यह भी जानना चाहा था कि SBI में अकाउंट खुलवाने के लिए कितना जमा करना पड़ता है? इस लेख में हम आपके इन प्रश्नों का उत्तर देंगे? what are the minimum balance for SBI account ?
SBI सेविंग अकाउंट मिनिमम बैलेंस 2023 क्या है?
SBI के सेविंग अकाउंट में अब कोई भी मिनिमम बैलेंस रखना आवश्यक नहीं है। 11 मार्च 2020 को एक अधिसूचना जारी करके बैंक ने अपने सभी प्रकार के सेविंग अकाउंटों में मिनिमम बैलेंस रखने की अनिवार्यता खत्म कर दी थी। अब SBI में अकाउंट खोलने के लिए किसी न्यूनतम जमा की अनिवार्यता नहीं है। अकाउंट खुलने के बाद आगे भी कोई मिनिमम बैलेंस रखने की अनिवार्यता नहीं होती।
हालांकि जब आप ब्रांच में अकाउंट खुलवाने जाते हैं तो बैंक कर्मचारी, आपको 1000-500 रुपए जमा करने की सलाह देते हैं। बाहर खुले हुए एसबीआई ग्राहक सेवा केंद्रों पर भी अकाउंट खुलवाने जाने पर 100-200 रुपए जमा करने का आग्रह किया जाता है। लेकिन, बैंक के नियमों के अनुसार ऐसा करना अनिवार्य नहीं है।
11 मार्च 2020 तक न्यूनतम बैलेंस रखना अनिवार्य था: 11 मार्च 2020 के पहले तक, SBI ने अपने यहां रेगुलर सेविंग अकाउंट्स में मिनिमम बैलेंस रखने का नियम लागू कर रखा था। आवश्यक औसत तिमाही मिनिमम बैलेंस (QAB) न रखने पर पेनाल्टी भी कटती थी। सिर्फ बेसिक सेविंग अकाउंट्स (जीरो बैलेंस अकाउंट्स) पर मिनिमम बैलेंस न रखने की छूट थी।
अब बैंक ने सभी प्रकार के मिनिमम बैलेंस रखने की शर्त हटा ली है, लेकिन आपकी जानकारी के लिए हम 20 मार्च 2020 के पहले तक लागू औसत मिनिमम बैलेंस के नियमों की जानकारी भी दिए दे रहे हैं।
SBI सेविंग अकाउंट पर लागू मिनिमम औसत बैलेंस की शर्त
अप्रैल 2017 से लेकर मार्च 2022 तक SBI सेविंग अकाउंट्स पर नीचे दी गई तालिका के हिसाब से आवश्यक औसत मासिक बैलेंस (AMB) रखना अनिवार्य था-
मेट्रों और शहरी क्षेत्रों की SBI ब्रांचों के लिए, |
3000 रुपए |
अर्द्धशहरी (Semi Urban) SBI ब्रांचों के लिए |
2000 रुपए |
ग्रामीण (Rural) इलाकों में स्थित SBI ब्रांचों के लिए |
1000 रुपए |
औसत मिनिमम बैलेंस कम होने पर पेनाल्टी भी लगती थी
मेट्रो और शहरी SBI ब्रांचों के लिए,जहां पर 3000 औसत बैलेंस की अनिवार्यता होती थी, वहां पर मिनिमम बैलेंस न रखने पर पेनाल्टी निम्नलिखित प्रकार से लगती थी-
50% से ज्यादा औसत बैलेंस रहने पर |
10 रुपए + GST |
50 से 25% तक औसत बैलेंस रहने पर |
12 रुपए + GST |
25% से भी कम औसत बैलेंस रहने पर |
15 रुपए+ GST |
अर्द्धशहरी (Semi Urban) SBI ब्रांचों के लिए, जहां पर 2000 औसत बैलेंस की अनिवार्यता होती थी, वहां पर मिनिमम बैलेंस न रखने पर पेनाल्टी निम्नलिखित तरीके से लगती थी-
50% से ज्यादा औसत बैलेंस रहने पर |
7.50 रुपए+ GST |
50 से 25% के बीच औसत बैलेंस रहने पर |
10 रुपए+ GST |
25% से भी कम औसत बैलेंस रहने पर |
12 रुपए+ GST |
ग्रामीण (Rural) इलाकों में स्थित SBI ब्रांचों के लिए, जहां पर 1000 औसत बैलेंस की अनिवार्यता होती थी, वहां पर मिनिमम बैलेंस न रखने पर पेनाल्टी नीचे बताए गए तरीके से लगती थी-
50% से ज्यादा औसत बैलेंस रहने पर |
5.00 रुपए+ GST |
50 से 25% के बीच औसत बैलेंस रहने पर |
7.50 रुपए+ GST |
25% से भी कम औसत बैलेंस रहने पर |
10 रुपए+ GST |
मासिक औसत बैलेंस (AMB) की गणना कैसे होती है?
Reserve bank के निर्देश के बाद अब बैंक को औसत बैलेंस के आधार पर ही पेनाल्टी लगाने का हक है। अब ऐसा नहीं होता कि महीने के किसी एक दिन बैलेंस बहुत नीचे आ गया और बैंक ने पेनाल्टी लगा दी। बल्कि अब ये देखा जाता है कि महीने के हर दिन रहने वाले बैलेंस का औसत क्या है। अगर औसत बैलेंस तय सीमा से नीचे आता है तभी पेनाल्टी लगेगी।
मासिक औसत बैलेंस (Average Monthly Balance) निकालने की प्रक्रिया
- महीने के सभी दिनों का बैलेंस निकाल लें – Get End of Day balance of whole month
- सभी दिनों का बैलेंस जोड़ें – Sum all the EOD balances
- अब कुल योग से महीने के कुल दिनों को भाग दे दें – Divide the Total with days in the month
- जो भी रकम आएगी वही औसत मासिक बैलेंस होगी – The result would be Average Monthly Balance
औसत बैलेंस निकालने के इस formula की वजह से ग्राहकों को काफी आसानी हो गई है। क्योंकि उनके पास एवरेज बैलेंस को कायम रखने का मौका होता है।
मान लीजिए किसी को तीन हजार रुपए average balance रखना है लेकिन अप्रैल के दस दिन तक उसके खाते में कुछ भी पैसे नहीं हैं। लेकिन 11 तारीख को उसकी सैलरी आ जाती है। ऐसे में अगर वो खाते में सिर्फ साढ़े चार हजार रुपए 30 अप्रैल तक (20 दिन) के लिए छोड़ देगा तो महीने भर के लिए तीन हजार का औसत बन जाएगा।
बेसिक अकाउंट्स में Minimum Balance जरूरी नहीं होता
सामान्य सेविंग अकाउंट्स के अलावा कुछ ऐसे भी अकाउंट्स होते हैं, जिनमें कभी भी मिनिमम बैलेंस रखने की जरूरत नहीं पड़ती। जैसे कि- SBI में खुलने वाले No-Frills Account, BSBDA अकाउंट हमेशा ही जीरो बैलेंस अकाउंट रहेंगे। इनके अलावा कई और तरह के खातों को भी minimum balance maintain करने की जरूरत नहीं है।
- जन-धन खाता
- बेसिक सेविंग अकाउंट
- पेंशन अकाउंट
- बच्चों का खाता
- कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पाने वाले खाते
- सैलरी पैकेज अकाउंट
- 21 वर्ष तक के छात्रों का अकाउंट
इस तरह के अकाउंट, चाहे जिस बैंक में होते हैं, उन पर मिनिम बैलेंस रखने की अनिवार्यता नही होती। साथ ही किसी तरह का पेनाल्टी भी नहीं लगती।
मेट्रो ब्रांच और शहरी ब्रांच में अंतर क्या होता है?
ऊपर दिए गए विवरण में आपने देखा कि मेट्रो ब्रांचों में सबसे ज्यादा मिनिमम बैलेंस के नियम होते हैं, जबकि ग्रामीण ब्रांचों में सबसे कम मिनिमम बैलेंस रखने की जरूरत पड़ती है। इसी तरह एटीएम के चार्जेज भी शहरी और ग्रामीण इलाके के लिए अलग अलग होते हैं। इन ब्रांचों की कैटेगरी (मेट्रो, शहरी, अर्द्धशहरी, ग्रामीण) कैसै तय होती है, आइए जानते हैं-
दरअसल, आबादी के आधार पर स्टेट बैंक की शाखाओं को शहरी, कस्बाई और ग्रामीण समूहों में बांटा गया है।
- मेट्रो शाखाएं (Metro) – ये शाखाएं उन शहरों की हैं जहां की आबादी 10 लाख से ऊपर है।
- शहरी शाखाएं (Urban)- ऐसी शाखाएं उन जगहों पर हैं जहां की आबादी एक लाख से ऊपर है।
- अर्ध शहरी या कस्बाई शाखाएं (Semi-urban)- यहां की आबादी 10 हजार से एक लाख लोगों के बीच है।
- ग्रामीण शाखाएं (Rural)- ये शाखाए उन जगहों पर हैं जहां की आबादी 10 हजार से कम है।
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के अलावा दूसरे सभी सरकारी या प्राइवेट banks भी अपनी शाखाओं को जनसंख्या के आधार पर, अलग-अलग group में बांटते हैं।