इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय, आपको वह असेसमेंट ईयर चुनना पड़ता है, जिसके लिए आप रिटर्न दाखिल कर रहे हैं। अक्सर नए टैक्सपेयर, फाइनेंशियल ईयर को ही असेसमेंट ईयर समझ बैठते हैं, जिससे उनका रिटर्न गलत हो सकता है। इसलिए रिटर्न दाखिल करते समय, ध्यान से सही Assessment Year का चुनाव करना चाहिए। असेसमेंट ईयर के संबंध में लोगों के कन्फ्यूजन को दूर करने के लिए हमने यह लेख तैयार किया है।
इस लेख में हम जानेंगे कि फाइनेंशियल ईयर क्या होता है और असेसमेंट ईयर क्या होता है। साथ ही यह भी जानेंगे कि फाइनेंशियल ईयर और असेसमेंट ईयर में क्या अंतर होता है?
What is difference between Financial Year and Assessment Year in Hindi.
फाइनेंशियल ईयर और असेसमेंट ईयर में अंतर
सबसे पहले हम Financial Year और Assessment Year के अलग-अलग अर्थ को स्पष्ट करेंगे।
फाइनेंशियल ईयर
Financial Year का हिंदी में मतलब होता है-वित्त वर्ष। वित्त वर्ष, उस साल भर की अवधि (Period of one Year) को कहते हैं, जिस अवधि के दौरान आप कमाई करते हैं और खर्च करते हैं। संक्षेप में इसे FY भी लिखा जाता है। भारत में फिलहाल यह 1 अप्रैल से लेकर 31 मार्च तक होता है।
इस हिसाब से 1 अप्रैल 2022 से 21 मार्च 2023 तक की अवधि को वित्त वर्ष 2022-23 कहा जाएगा। कंपनियां भी अपनी आमदनी (Income) व खर्चों (Expenditure) की गणना के लिए इसी अवधि को वित्त वर्ष (Financial Year) के रूप में मानती है। देश और राज्यों का बजट भी इसी अवधि के लिए बनता है और लागू किया जाता है।
वित्त वर्ष के बीच में ही भरे जाते हैं एडवांस टैक्स और TDS : जी हां Advance Tax और TDS को, मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान ही चुकाया जाता है। चूंकि ये दोनो टैक्स आपकी संभावित आमदनी के अनुमानित गणना पर निर्भर होते हैं, इसलिए ये अंतिम और वास्तविक देनदारी से कम-ज्यादा भी हो सकता है।
वास्तविक टैक्स देनदारी (Tax Liablity) तो वित्त वर्ष पूरा होने के बाद ही ठीक से पता चल पाती है। क्योंकि, तब तक आपकी पूरी कमाई और पूरी टैक्स देनदारी का हिसाब तय हो चुका होता है। वित्त वर्ष के ठीक बाद उसी वित्त वर्ष का Assessment Year चालू हो जाता है।
असेसमेंट ईयर
Assessment Year का हिंदी में अर्थ होता है निर्धारण वर्ष या आकलन वर्ष। संक्षेप में इसे AY भी कहते हैं। यह, वित्त वर्ष पूरा होने के ठीक बाद (अगली तारीख से) शुरू हो जाता है। आपने बीते वित्त वर्ष (Financial Year) के दौरान जितना कमाया है, और उस पर कितना Tax बनता है, इनका निर्धारण (Assessment), वित्त वर्ष पूरा होने के बाद ही हो पाता है।
आपकी आमदनी, या आमदनी के स्रोतों (Sources of Incomes) में किस तरह का बदलाव हुआ है। आपके खर्चों या निवेश (Investment) में कुछ कमी-बढ़ोतरी हुई है। इन सबका सही Assessment या आकलन वित्त वर्ष बीतने के बाद ही संभव है। इसीलिए Financial Year के ठीक बाद की एक साल की अवधि को इनकम टैक्स विभाग ने Assessment Year का नाम दिया है। इसे संक्षेप में AY लिखा जाता है।
असेसमेंट ईयर के दौरान भरा जाता है रिटर्न और सेल्फ असेसमेंट टैक्स : Assessment Year में ही आपको बची-खुची टैक्स देनदारी (Self Assessment Tax के रूप में) निपटानी होती है। इसके बाद ही इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल किया जा सकता है। रिटर्न में ही आपको अपनी हाल ही में गुजरे वित्त वर्ष की पूरी कमाई (Earnings) और टैक्स भुगतान (Tax Payments ) का ब्योरा देना होता है।
इनकम टैक्स रिटर्न के नए नियमों के मुताबिक अब Assessment Year के बाद आप रिटर्न नहीं भर सकते हैं। यानी वित्त वर्ष खत्म होने के एक साल के अंदर रिटर्न भरकर जमा कर देना अनिवार्य है।
यहां यह बात ध्यान रखने लायक है कि, किसी Assessment Year के लिए टैक्स नियम और Tax Slab Rates वही रहेंगे, जोकि Financial Year के लिए थे। क्योंकि Assessment Year के लिए आमदनी और टैक्स संबंदी गणनाएं, वित्त वर्ष से संबंधित ही होती हैं।
लेट रिटर्न और असेससमेंट ईयर का संबंध: Assessment Year भले ही पूरे एक साल का होता है, लेकिन Return भरने की अंतिम तारीख 31 जुलाई तक ही होती है। इसके बाद अगर आप Return दाखिल करते हैं तो उसे Late Return कहा जाता है। Late Return भरने पर पेनाल्टी भी लगती है। हालांकि, कभी-कभी सरकार, करदाताओं की मुश्किलों को ध्यान नें रखते हुए, रिटर्न भरने की तारीख आगे भी बढ़ा देती है।
Financial Year और Assessment Year के उदाहरण
फाइनेंशियल ईयर 2022-23 के लिए असेसमेंट ईयर 2023-24 होगा। इसी तरह वित्त वर्ष 2023-24 के लिए असेसमेंट ईयर 2024-25 होगा। नीचे दी गई टेबल से इसे आप और स्पष्ट तरीके से समझ सकते हैं—
कमाई की अवधि (Period) | वित्त वर्ष (Financial year-FY) | असेसमेंट ईयर (Assessment year-AY) |
---|---|---|
1 अप्रैल 2021 से लेकर 31 मार्च 2022 तक | 2021-2022 | 2022-2023 |
1 अप्रैल 2022 से लेकर 31 मार्च 2023 तक | 2022-2023 | 2023-2024 |
1अप्रैल 2023 से लेकर 31 मार्च 2024 तक | 2023-2024 | 2024-2025 |
1अप्रैल 2024 से लेकर 31 मार्च 2025 तक | 2024-2025 | 2025-2026 |
1अप्रैल 2025 से लेकर 31 मार्च 2026 तक | 2025-2026 | 2026-2027 |
भारत में वित्त वर्ष 1 अप्रैल से ही क्यों शुरू होता है?
भारत में फाइनेंशियल ईयर हर साल 1 अप्रैल से ही शुरू होता है। इसके पीछे दरअसल, दो मुख्य कारण माने जाते हैं—
- ब्रिटेन में वित्त वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक चलता है। भारत के आजाद हो जाने के बाद भी यहां ब्रिटिश शासनकाल में बने बहुत से नियम और कानून लागू रहे। वित्त वर्ष की परंपरा भी ज्यों की त्यों 1 अप्रैल से 31 मार्च तक बनाए रखी गई।
- हिंदू कैलेंडर में भी नए वर्ष की शुरुआत चैत्र के महीने में नवरात्र के साथ शुरू होती है। यह भी मार्च के अंत में या अप्रैल की शुरुआत में पड़ती है। इस परंपरा से भी अप्रैल को नए वित्त वर्ष का पहला महीना बनाए रखने का आधार मजबूत होता है।
अलग-अलग देशों में अलग-अलग होती है वित्त वर्ष की अवधि
कई देशों में वित्त वर्ष की अवधि अलग भी है। यह वहां के मौसम और चुनाव प्रणाली के साथ सामंजस्य के हिसाब से तय की गई है। नीचे तालिका में हमने कुछ देशों में वित्त वर्ष की अवधि दी है-
देश का नाम (Name of Country) | वित्त वर्ष की अवधि (Period of financial Year) |
अमेरिका (USA) | 1 October से 30 September तक |
आस्ट्रेलिया | 1 July से 30 June तक |
ब्रिटेन | 6 April से 5 April तक |
फ्रांस | 1 January से 31 December तक |
जर्मनी | 1 January से 31 December तक |
रूस | 1 January से 31 December तक |
चीन | 1 January से 31 December तक |
जापान | 1 April से 31 March तक |
पाकिस्तान | 1 July से 30 June तक |