बहुत कम लोगों को पता होता है कि प्रॉपर्टी बेचने से होने वाले फायदे पर भी टैक्स लगता है। उसे कैपिटल गेन टैक्स कहते हैं। प्रॉपर्टी खरीदने की तारीख से लेकर बेचने तक के बीच में जो अंतराल होता है, उसके हिसाब से यह शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स हो सकता है या फिर लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स हो सकता है। इस लेख में हम बताएंगे कि शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स क्या होता है? यह कब और कितना लगता है? इसकी गणना कैसे की जाती है? What is Short Term Capital Gains Tax? How is It Calculated?
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स क्या होता है?
किसी प्रापर्टी को बेचने से मिले लाभ को Capital Gain कहते हैं। इस Capital Gain पर जो टैक्स लगता है, उसे Capital Gains Tax कहते हैं। सरकार, अलग-अलग तरह की परिसंपत्ति पर, अलग-अलग अवधिसीमा को long Term और Short Term के रूप में निर्धारित करती है। जैसे कि, भारत में land (जमीन), building (भवन) और house property (घर) संबंधी मामलों में 2 साल तक की अवधि को अल्प अवधि (Short Term) माना गया है, जबकि Mutual Funds Investments के मामले में 1 साल तक की अवधि को अल्प अवधि (Short Term) माना गया है। ये अवधि की समय-सीमा सरकार बदलती रहती है। फिलहाल, किस तरह की संपत्ति के लिए कितनी अवधि को Short Term माना गया है, इसकी तालिका हमने इसी लेख में आगे चलकर दी है। बहरहाल, इस Short Term Capital Gain पर आपको एक निश्चित दर से टैक्स भी देना पड़ता है। उस टैक्स को ही Short Term Capital Gains Tax कहते हैं। जिस वर्ष आपको वह Capital Gain होता है, उसी वर्ष उसका Capital Gains Tax आपको चुकाना पड़ता है।
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स की गणना कैसे करें?
किसी प्रॉपर्टी को बेचने से हुए Short Capital Gain पर टैक्स की गणना कैसे होगी, आइए Step-wise जानते हैं।
- STEP 1: आपको संपत्ति को बेचने पर कुल जितनी रकम मिली है, इसे आपके सौदे का कुल मूल्य (Full value of consideration ) मानेंगे।
- STEP 2: सौदे के कुल मूल्य में से संपत्ति को बेचने या हस्तांतरण में हुए खर्च को घटा देते हैं। बची रकम ही आपके सौदे का नेट बिक्री मूल्य (Net sale consideration) हुआ।
- STEP 3: अब नेट बिक्री मूल्य से संपत्ति को पाने की लागत (cost of acquisition) यानी खरीद मूल्य को भी घटा देते हैं।
- STEP 4: सुधार लागत (cost of improvement) य़ानी सज्जा-मेंटीनेंस आदि में खर्च आदि को भी घटा देते हैं। जो रकम बची वही आपका मुनाफा यानी शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन होगा।
- STEP 5: इस मुनाफे में भी Income Tax Act के सेक्शन 54 B,54D,54 G,54GA आदि के आधार पर Tax छूट का फायदा मिल सकता है। अगर आपकी रकम इस दायरे में है तो उसे भी इससे घटा दीजिए।
- STEP 6: चूंकि शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन सीधे-सीधे आपकी टैक्सेबल इनकम में जुड़ जाती है इसलिए Tax की गणना आपके उपर लागू होने वाले Tax Slab Rates के अनुसार होगी। (शेयरों में निवेश को छोड़कर, जहां Short Term Capital Gain पर फिक्स 15 प्रतिशत टैक्स लगता है, टैक्स स्लैब के हिसाब से नहीं)
- STEP 7: आप पर जो टैक्स देनदारी बनती है, उसमें कुल टैक्स का 4 प्रतिशत Health and Education Cess जोड़कर देना अनिवार्य है। अगर आपकी कुल Taxable Income सरचार्ज के दायरे में आती है तो Surcharge भी जोड़ दें।
इनकम टैक्स, सेस और सरचार्ज को जोड़कर, आपकी टैक्स देनदारी तय होती है। लेकिन, अगर आपकी साल भर की कुल आमदनी 5 लाख रुपए से कम है तो सरकार 12500 रुपए तक का टैक्सेस माफ भी कर देती है। सेक्शन 87A के तहत ये रिबेट आपको मिलती है।
क्या उत्तराधिकार में मिली प्रॉपर्टी पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है
उत्तराधिकार में मिली प्रॉपर्टी (inherited property) पर capital gains tax नहीं लगता। क्योंकि इसमें सिर्फ प्रॉपर्टी का ट्रांसफर होता है। वास्तविक बिक्री नहीं होती। लेकिन, अगर उत्तराधिकार में प्राप्त करने के बाद, उसे बेच दिया जाता है तो फिर उस पर capital gains tax लगेगा। ऐसे मामले में अवधि की गणना में पहले वाले व्यक्ति (previous owner) के स्वामित्व की अवधि (ownership period) की भी गणना की जाएगी।