भारत में अगर किसी कर्मचारी की सैलरी, ज्यादा होती हो तो उसकी सैलरी में से TDS (इनकम टैक्स) काट लिया जाता है। TDS काटने के बाद जो सैलरी बचती है, उसे उसके सैलरी अकाउंट में भेज दिया जाता है। सैलरी के अलावा भी कई तरह की आमदनी पर एक सीमा से अधिक भुगतान करने पर, TDS काटने के नियम हैं।
जैसे कि एक सीमा से अधिक ब्याज मिलने पर, TDS कट जाता है। एक सीमा से अधिक किराया, कमीशन या इनाम मिलने पर भी TDS कट जाता है। इसी प्रकार लॉटरी, सट्टेबाजी, जुआ, घुड़दौड़ वगैरह में जीती गई रकम पर भी TDS कट जाता है। अलग-अलग प्रकार की कमाई पर अलग-अलग रेट से TDS कटता है। अलग-अलग तरह की कमाई पर TDS काटने के लिए, भुगतान की सीमा भी अलग-अलग रखी गई है।
इस लेख में हम बताएंगे कि TDS क्या होता है? कब काटा जाता है और कितने प्रतिशत काटा जाता है? इन सारी चीजों पर चर्चा करने से पहले हम जान लेते हैं कि TDS का फुल फॉर्म क्या है और इसका हिंदी में मतलब क्या होता है? What is TDS , What is its Full Form and Meaning in Hindi.
टीडीएस क्या होता है? What is TDS
TDS का फुल फॉर्म होता है-Tax Deducted at Source. हिंदी भाषा में इसका अर्थ होता है-स्रोत पर टैक्स कटौती। जब सैलरी, ब्याज, किराया, कमीशन आदि का भुगतान देने से पहले, उसमें से टैक्स काटकर रख लिया जाता है तो उसे TDS कहते हैं। यहां पर आय का स्रोत (Source) वह व्यक्ति या संस्था होती है, जो भुगतान करता है।
उदाहरण के लिए, सैलरी के मामले में, कर्मचारी को सैलरी देने वाली कंपनी को स्रोत (Source) कहा जाएगा। इसी तरह जमा (Deposit) पर ब्याज देने वाले बैंक को स्रोत (Source) माना जाएगा। किराया देने वाला व्यक्ति किराए का स्रोत होता है। ऐसे किसी स्रोत से आय भुगतान मिलने के पहले जब टैक्स काट लिया जाता है तो उसे स्रोत पर कर कटौती या Tax deducted at source (TDS) कहा जाता है। भारत में निम्नलिखित प्रकार की आमदनी पर TDS काटा जाता है-
- सैलरी : अगर आपकी साल भर की सैलरी 7 लाख रुपए सालाना या इससे ज्यादा है तो अतिरिक्त आय पर टैक्स काटकर, बाकी रकम आपको मिलेगी। इसका रेट आप पर लागू इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से होगा। देखें इनकम टैक्स स्लैब 2023-24 क्या है?
- ब्याज: बैंक में जमा पैसों पर अगर आपको साल भर में 40 हजार रुपए से ज्यादा ब्याज मिल रहा है तो अतिरिक्त ब्याज पर बैंक 10% TDS काट सकता है। इसी तरह, 60 साल से अधिक उम्र वाले नागरिकों के 50 हजार रुपए से ज्यादा ब्याज पर TDS काटा जाता है। लेकिन ब्याज के रूप में मिली उस रकम को जोड़कर भी अगर आपकी कुल सालाना आमदनी टैक्स भरने लायक नहीं है तो फॉर्म 15 G/H फरकर TDS कटौती रोक सकते हैं।
- EPF: अगर आप नौकरी के 5 साल बीतने के पहले अपने EPF अकाउंट से पैसा निकालते हैं और वह रकम 50 हजार रुपए से अधिक है तो उस पर 10% के हिसाब से TDS काटा जाएगा। लेकिन पीएफ की उस रकम को जोड़कर भी अगर आपकी कुल सालाना आमदनी टैक्स भरने लायक नहीं है तो फॉर्म 15 G/H फरकर TDS कटौती रोक सकते हैं।
- कमीशन: किसी संस्थान या फर्म के लिए कोई बड़ा सौदा कराने पर बड़ा कमीशन मिला हो तो उस कमीशन पर भी 5% TDS काटा जाएगा।
- किराया : आपको मकान के किराये में 20,000 रुपए प्रति माह से ज्यादा का किराया मिल रहा हो तो किराएदार 10% TDS काटकर बाकी पैसे आपको भुगतान करेगा।
- परामर्श शुल्क : आप अगर किसी कंपनी या फर्म से वकील,चार्टड एकाउंटेंट, फाइनेंशियल प्लानर आदि के के रूप में परामर्श शुल्क प्राप्त कर रहे हों। तो वह कंपनी या फर्म TDS काटकर बाकी आपको भुगतान करेगी।
- प्रोफेशनल फीस : आपको किसी फर्म ने आपकी पेशेवर विशेषज्ञता के आधार पर Hire कर रखा हो तो, वह भी 2% TDS काटकर, बाकी रकम आपको भुगतान करेगी।
सरकार के पास जमा करना पड़ता है TDS
सैलरी, ब्याज, किराया या किसी भी अन्य तरह की आमदनी पर जो TDS काटा जाता है, उसे सरकार के पास जमा कर दिया जाता है। जिस महीने में टीडीएस काटा गया है, उसके बाद वाले महीने की 7 तारीख तक उसे सरकार के इनकम टैक्स विभाग के वास जमा करना अनिवार्य है। ये जिम्मेदारी टीडीएस काटने वाली कंपनी, संस्था या व्यक्ति की होती है।
टैक्स काटने वाले को इसका सर्टिफिकेट (Form 16 या 16A) भी जारी करना पड़ता है।
आपके पैन कार्ड से जुड़े इनकम टैक्स अकाउंट में मौजूद Form 26 AS में इसके पूरे डिटेल्स दर्ज होते हैं। आपका कब कितना TDS कटा है, किसने काटा है और किस तरह की आमदनी पर कटा है, इन सबके विवरण आपके Form 26 AS में मौजूद होते हैं। आप अपने PAN नंबर की मदद से इनकम टैक्स की वेबसाइट पर लॉगिन करके इसका रिकॉर्ड भी चेक कर सकते हैं।
TDS सिस्टम में दो तरह के फायदे होते हैं-
- सरकार को फायदा: उच्च आमदनी (High Income) वाले लोगों से सरकार को टैक्स, उनकी आमदनी के साथ साथ ही मिल जाता है। इससे एक तो आगे चलकर टैक्स चोरी की गुंजाइश खत्म हो जाती है। दूसरी सुविधा यह होती है कि सरकार को शासन चलाने के लिए धन की प्राप्ति, वित्त वर्ष के दौरान ही होती रहती ह।
- लोगों को सहूलियत: करदाताओं (Taxpayers) को साल के अंत में एक साथ एक बड़ी रकम टैक्स के रूप में चुकाने का दबाव नहीं पड़ता। हर महीने उनकी सैलरी से टैक्स कट कर सरकार के पास जमा होता रहता है। अगर TDS थोड़ा-बहुत ज्यादा भी कट जाता है तो उसको वापस (Refund) भी ले सकते हैं।
वित्त वर्ष 2022-2023 के लिए TDS कटौती की दरें
वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अलग-अलग तरह की कमाई पर TDS कटौती की दरें इस प्रकार हैं-
सैलरी और पेंशन पर- (Section 192 के तहत) | आप पर लागू इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से। |
5 साल के पहले 50 हजार से ज्यादा PF निकालने पर- (Section 192A के तहत) | 10% |
शेयर, डिबेंचर, या बांड्स से मिले ब्याज या लाभ पर- (Section 193 के तहत) | 10% |
डिविडेंड यानी लाभांश के रूप में आमदनी पर (Section 194 के तहत) | 10% |
शेयरों के अलावा किसी अन्य तरह की जमा पर मिली ब्याज पर (Section 194A के तहत) | 10% |
लॉटरी, क्रॉसवर्ड पहेली, कार्ड गेम या अन्य किसी तरह के गेम पर (Section 194B के तहत) | 30% |
होर्स रेस में जीत पर मिली रकम पर (Section 194BB के तहत) | 30% |
ठेकेदार या उपठेकेदार को भुगतान पर (Section 194C के तहत) | 1% (किसी व्यक्ति या HUF से पेमेंट मिलने पर) 2% (कंपनी या संस्था की ओर से पेमेंट मिलने पर) |
बीमा कमीशन पर (Section 194D के तहत) | 5% |
नेशनल सेविंग स्कीम के तहत जमा के भुगतान पर (Section 194EE के तहत) | 10% |
म्यूचुअल फंड की यूनिट की पुनर्खरीद के लिए भुगतान पर (Section 194F के तहत) | 20% |
लॉटरी टिकेट्स की बिक्री पर कमीशन पर (Section 194G के तहत ) | 5% |
ब्रोकरेज या दलाली के भुगतान पर (Section 194H के तहत) | 5% |
किराये (Rent) के भुगतान पर (Section 194-I के तहत) | प्लांट या मशीनरी के किराए पर -2% जमीन, बिल्डिंग या फर्नीचर पर -10% |
कृषि भूमि के अलावा अन्य प्रकार की अचल संपत्ति की खरीद पर (Section 194-IA के तहत) | 1% |
ऐसे व्यक्ति या HUF, जिन्हें अपना अकाउंट ऑडिट कराना अनिवार्य नहीं है, उनकी ओर से किराया भुगतान पर (Section 194-IB के तहत) | 5% |
प्रोफेशनल या टेक्निकल सर्विस के लिए फीस के भुगतान पर (Section 194J के तहत ) | 2% |
TDS सर्टिफिकेट क्या है? कहां से मिलता है?
यदि कोई कंपनी यह संस्थान या व्यक्ति किसी व्यक्ति को आमदनी देने के पहले टैक्स काटता है तो उसके लिए एक सर्टिफिकेट भी जारी करता है। इसे TDS Certificate कहते है।
- फॉर्म 16: जब किसी की सैलरी से TDS काटा जाता है, तो उसके लिए Form 16 के रूप में TDS Certificate जारी किया जाता है। इसीलिए इसे सरल भाषा में salary TDS certificate भी कह सकते हैं।
- फॉर्म 16A : सैलरी के अलावा किसी अन्य तरह की आमदनी में से TDS काटने पर Form 16A के रूप में TDS Certificate जारी किया जाता है।
टीडीएस सर्टिफिकेट मैं आपके पैन नंबर, कुलमिलने वाली आमदनी, उसमें से काटे गए टैक्स का हिस्सा वगैरह का उल्लेख होता है। इसमें TDS काटने वाले का टैन नंबर और उसके हस्ताक्षर भी इसमें रहते हैं। यह सर्टिफिकेट दो प्रकार के होते हैं।
ज्यादा TDS कट गया है तो, वापस (Refund) भी प्राप्त कर सकते हैं
अगर आप की कुल आमदनी taxable limit से कम है और किसी कारणवश अपने नियोक्ता के पास अपने टैक्स छूट संबंधी प्रमाण नहीं दे पाए हैं या फिर आपके नियोक्ता या बैंक ने पहले ही TDS काट लिया है तो आप Income Tax Return में इसके रिफंड के लिए क्लेम कर सकते हैं।
इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय, जब आप अपनी कुल आमदनी, निवेश और टैक्स पेमेंट की जानकारी देंगे तो extra paid tax, रिफंड के तौर पर आपके खाते में आ जाएगा। इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय ही आपको ये रिफंड दिख जाएगा। रिटर्न की ईफाइलिंग के तीन महीने के अंदर टैक्स रिफंड मिल जाता है।