अगर आप अपने बैंक अकाउंट से 1 साल तक कोई लेन-देन (Transaction) नहीं करते हैं तो वह निष्क्रिय (Inactive Account) मान लिया जाता है। बैंक आपके पास इसकी सूचना भेजता है और उस अकाउंट में लेन-देन शुरू करने के लिए आग्रह भी करता है। इसके बावजूद अगर आप अगले 1 साल तक (कुल मिलाकर 2 साल तक) उस अकाउंट से कोई लेन देन नहीं करते हैं तो आपका अकाउंट बंद (Dormant) भी कर दिया जाता है।
Dormant Account से न तो कोई पैसा निकाला जा सकता है और न ही उसमें पैसा जमा हो सकता है। इस लेख में हम जानकारी देंगे कि बंद अकाउंट को कैसे चालू करें? साथ ही यह भी बताएंगे कि बैंक अकाउंट को बंद (dormant) होने से बचाने के लिए क्या सावधानियां अपनानी चाहिए ?
How to activate your inactive/dormant account in SBI, PNB, or ICICI Bank?
निष्क्रिय खाते को दोबारा कैसे चालू करवाएं ?
आप अपने निष्क्रिय बैंक अकाउंट (Inactive Bank Account) को दोबारा चालू कराने के लिए आपके पास दो रास्ते होतै हैं-
अपने अकाउंट से नया लेन-देन करें
अपने बैंक अकाउंट से लेन-देन (Transaction) आप इनमें से किसी भी एक तरीके से कर सकते हैं—
- बैंक ब्रांच में जाकर, अपने बैंक अकाउंट में पैसा जमा करें या निकाल लें
- बैंक चेक के माध्यम से उस अकाउंट में पैसे जमा करें या निकाल लें
- ATM मशीन पर जाकर से पैसा जमा कर दें या निकाल लें
- इंटरनेट बैंकिंग या मोबाइल बैंकिंग की मदद से पेमेंट भेजें या मंगाएं
- ECS या EFT के माध्यम से किसी तरह का भुगतान (payment) कर दिया जाए
अपने बैंक को अनुरोध भेजें
अगर आप कोई नया लेन-देन नहीं भी करते हैं तो भी बैंक से संपर्क करके, अपना बैंक अकाउंट दोबारा सक्रिय (activate) करा सकते हैं। इसके लिए आपके पास निम्नलिखित विकल्प होते हैं-
- बैंक अधिकारी को आवेदन दें: आप सीधे उस बैंक ब्रांच में जाकर अपना खाता दोबारा चालू करने के लिए अप्लीकेशन दे सकते हैं।
- कस्टमर केयर की मदद लें: बैंकों के ग्राहक सेवा (Customer Care) नंबर होते हैं। इन पर कॉल करके भी आप अपना अकाउंट दोबारा चालू करवा सकते हैं।
- इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से: अपने username और पासवर्ड की मदद से बैंक खाते में लॉगिन करिए। यहां service request section में खाता Active करने का विकल्प इस्तेमाल कर सकते हैं।
बंद बैंक अकाउंट को कैसे चालू (Active) करें ?
Dormant Account को फिर से चालू कराने के लिए आपको बैंक ब्रांच जाना पड़ता है और लिखित अप्लीकेशन देना पड़ता है। साथ में नए सिरे से KYC Documents (फोटो व पहचान और प्रमाण संबंधी दस्तावेज) भी जमा करने पड़ते हैं। अप्लीकेशन के साथ लगने वाले KYC डॉक्यूमेंट्स हैं-
- पहचान प्रमाण (Identity proof) के रूप में, आप कोई भी फोटोयुक्त मान्य दस्तावेज (Valid Document) की फोटोकॉपी जमा कर सकते हैं। जैसे कि आधार कार्ड, पैन कार्ड, राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट वगैरह।
- पता प्रमाण (address proof) के रूप में आप कोई भी ऐसा मान्य दस्तावेज की फोटोकॉपी जमा कर सकते हैं, जिसमें आपका पता दर्ज हो, जैसे कि आधार कार्ड, राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, बैंक पासबुक, बिजली का बिल, पानी का बिल, लैंडलाइन बिल वगैरह।
दोबारा खाता चालू कराने पर कोई शुल्क नहीं लगता
बैंक अकाउंट को दोबारा चालू (reactivate) कराने के लिए, बैंक कोई शुल्क (Charge) नहीं लेता। उस अकाउंट में अगर पहले से पैसा पड़ा है तो वह भी खत्म (Laps) नहीं होता। अकाउंट दोबारा Active होने पर उसे आप जब चाहें निकाल सकते हैं। बंद पड़े बैंक खातों (dormant account) में, न्यूनतम बैलेंस न होने पर भी पेनाल्टी काटने पर भी रिजर्व बैंक ने रोक लगा रखी है।
बैंक किसी खाते को निष्क्रिय या बंद करता क्यों है?
लंबे समय से निष्क्रिय (Inactive) या बंद (Dormant) पड़े अकाउंट का इस्तेमाल, किसी फ्रॉड में हो सकता है। ऐसी किसी आशंका को खत्म करने के लिए, बैंक लंबे समय से इस्तेमाल न होने वाले अकाउंट के साथ ऐसा करता है। बैंक अपने कर्मचारियों को भी ऐसे किसी Account में, नए transaction पर अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश देते हैं।
खाता बंद होने से बचाने के लिए क्या करें ?
- ऐसा बैंक खाता, जिसकी आपको जरूरत नहीं है उसे खुद ही बंद करवा दें। बैंक में जाकर Application देकर आप ये काम कर सकते हैं।
- अगर आगे उस Account की जरूरत है, तो फिर ध्यान देकर, हर साल कुछ न कुछ पैसा जमा या निकालते रहें। 2 साल में एक भी बार, अपने अकाउंट से कोई वित्तीय लेन-देन कर लेते हैं, तो फिर आपका अकाउंट बंद नहीं होगा।
- SIP, mutual funds, shares, or insurance वगैरह में निवेश करते हैं, तो उनकी किस्त (Installments) या लाभांश (dividends) या बोनस वगैरह को अपने उस बैंक खाते से लिंक कर दीजिए।
- अगर आपके पास कई सारे बैंक अकाउंट हैं तो अलग-अलग तरह के बिलों के भुगतान (Payments) के लिए अलग-अलग बैंक खाते लिंक कर दीजिए। ऐसा करके भी आप कई खातों को निष्क्रिय या बंद होने से बचा सकते हैं।
खाता निष्क्रिय करने या बंद करने की सूचना देता है बैंक
रिजर्व बैंक के नए निर्देशों के मुताबिक किसी का बैंक खाता निष्क्रिय या Dormant Account की श्रेणी में डालने से पहले उस खाताधारक को सूचना भेजेगा। बैंक आपके मोबाइल पर और email ID पर भी इसकी सूचना भेजते हैं। यह सूचना कम से कम 3 महीने पहले दी जानी चाहिए। सूचना के साथ ही Account को दोबारा सक्रिय बनाने (re-activation) की प्रक्रिया भी बताई जानी चाहिए।
- बैंक की ओर से Notice भेजे जाने पर जाने पर, आपको उसका जवाब (Reply) देना होगा। अगर आप, अपना खाता निष्क्रिय (Inactive) रहने का समुचित कारण बता देते हैं तो आपका बैंक अकाउंट अगले एक साल तक Active Account के रूप में काम करता रहेगा।
- बैंक की ओर से बढ़ाई गई सक्रियता अवधि (extended period) में भी अगर, आपने कोई लेन-देन नहीं किया तो फिर आपका अकाउंट dormant account (सुसुप्त खाता) की श्रेणी में डाल दिया जाएगा।
- लेकिन, आपका खाता डोरमैंट अकाउंट की कैटेगरी में होने पर भी आपके खाते में जमा पैसों की ब्याज, उसमें जाती रहेगी। SMS charge या अन्य सर्विस चार्ज भी पहले की तरह काटे जाते रहेंगे।
वित्तीय लेन-देन और गैर वित्तीय लेन-देन में अंतर | Difference
किसी बैंक अकाउंट के निष्क्रिय होने या बंद होने का कारण, लंबे समय तक उसमें लेन-देन न होना माना जाता है। लेकिन, यह वित्तीय लेन-देन क्या होता है आइए जानते हैं। साथ ही यह भी समझ लेते हैं कि वित्तीय लेन-देन और गैर वित्तीय लेन-देन के बीच अंतर क्या होता है?
वित्तीय लेन-देन किन्हें माना जाता है? What are Financial Transactions
बैंक अकाउंट के संबंध में, वित्तीय लेन-देन (Financial Transaction) ऐसे लेन-देन को कहा जाता है, जिनमें आपके अकाउंट में मौजूद अकाउंट बैलेंस पर असर पड़ता हो। मतलब यह कि या तो आपके अकाउंट में पैसा जमा हुआ हो या निकला हो।
बैंक अकाउंट में वित्तीय लेन-देन की कैटेगरी में आने वाले सौदे हैं-
- बैंक अकाउंट से पैसे निकालना (Cash withdrawal)
- बैंक अकाउंट में पैसे जमा होना (Cash deposit)
- दूसरे अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करना (Funds transfer)
- NEFT, RTGS, UPI वगैरह के माध्यम से हुए लेन-देन (transaction)
- Recharge, Billing, शॉपिंग आ या अन्य किसी तरीके का पेमेंट
ब्याज का जमा होना ये सर्विस चार्ज का कटना वित्तीय लेन-देन नहीं: ब्याज का जमा होना (interest deposit) या किसी सेवा का शुल्क कटना (service charge deduction) या मिनिमम बैलेंस न रखने पर पेनाल्टी कटना वगैरह , वित्तीय लेन-देन की कैटेगरी में नहीं आते। क्योंकि इसमें किसी अकाउंट धारक या अन्य व्यक्ति का संबंध नहीं होता। बल्कि ये बैंक की ओर से की जाने वाली प्रक्रियाएं होती हैं और बैंक की ओर से होने वाली प्रक्रियाएं, वित्तीय लेन-देन में नहीं गिनी जातीं।
गैर वित्तीय लेन-देन किन्हें माना जाता है? What are Non Financial transactions
गैर वित्तीय लेन-देन (Non-Financial Transaction) ऐसे लेन-देनों को कहा जाता है, जिनमें आपके अकाउंट में मौजूद बैलेंस पर कोई फर्क नहीं पड़ता। यानी कि पैसा न तो अकाउंट में आता है और न ही जाता है।
उदाहरण के लिए, बैलेंस चेक करना गैर वित्तीय लेन-देन ( (Non-Financial Transaction) में आता है, क्योंकि इसमें पैसों का कोई लेन-देन नहीं होता। इसी तरह ग्राहक की ओर से बैंक को भेजे गए मेल या मैसेज या Instructions वगैरह भी गैर वित्तीय लेन-देन की कैटेगरी में आते हैं। बैंकिंग की भाषा में इन गतिविधियों को गैर वित्तीय लेन-देन (non financial transaction) की कैटेगरी में रखा जाता है-
- Balance Inquiry: बैंक अकाउंट का बैलेंस चेक करना
- Updating a customers details: बैंक अकाउंट में व्यक्तिगत विवरण में बदलाव कराना जैसे कि mobile number, ईमेल, address, वगैरह बदलना।
- Account opening or Account closing : अकाउंट खुलवाना या बंद करवाना
- Printing an account statement: अपने अकाउंट का स्टेटमेंट या लेन-देन रिकॉर्ड चेक करना
- Standing instructions maintenance : ग्राहक की और से अकाउंट संबंधी निर्देश या मैसेज देना
- Sweep in / sweep out instructions maintenance: स्वीप-इन या स्वीप-आउट संबंधी निर्देश से जुड़ी प्रक्रिया (स्वीप आउट सिस्टम अपनाने पर, एक लिमिट से अधिक बैलेंस पहुंचने पर, अतिरिक्त बैलेंस, अपने आप एफडी में पहुंच जाता है। लिमिट से कम बैलेंस पहुंचते ही एफडी वाली रकम अपने आप सेविंग अकाउंट में बदल जाती है)
- ATM Card, Cheque book issuance: अकाउंट के लिए एटीएम कार्ड, चेक बुक वगैरह जारी करवाना।
ब्याज का जमा होना भी गैर वित्तीय लेन-देन में आता है: आपके बैंक अकाउंट में जमा पर बनी ब्याज जमा होती है तो आपके बैंक अकाउंट का बैंलेंस बढ़ जाता है। फिर भी इसे वित्तीय लेन-देन नहीं माना जाता। इसे गैर वित्तीय लेन-देन की कैटेगरी में माना जाता है। इसी तरह बैंक की ओर से सर्विस चार्ज काटना या मिनिमम बैलेंस की पेनाल्टी काटना भी गैर वित्तीय लेन-देन में आता है।