अगर आपने कोई घऱ या प्रॉपर्टी बेचकर बड़ा मुनाफा (Capital Gain) कमाया है तो उस पर टैक्स देना पड़ सकता है। सरकार प्रॉपर्टी बेचने से हुए लाभ पर Capital Gain Tax लगाती है। लेकिन यह टैक्स कुछ शर्तों के हिसाब से लगता है और कुछ खास तरीकों से उस फायदे को निवेश करने पर, सरकार टैक्स छूट भी देती है।
इस लेख में हम जानेंगे कि प्रॉपर्टी पर कैपिटल गेन्स टैक्स कैसे बचा सकते हैं? साथ ही हम भी जानेंगे कि किन शर्तों को पूरी करने पर यह टैक्स नहीं देना पड़ता।
How to save on capital gains tax on property sales?
प्रॉपर्टी पर, लांग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स होता क्या है?
सरल भाषा में Capital Gain को प्रॉपर्टी बेचने से मिला फायदा समझ सकते हैं। इस फायदे को सरकार ने उस प्रॉपर्टी की खरीद और बिक्री के बीच की अवधि के हिसाब से दो श्रेणियों में बांट रखा है-
- अगर किसी जमीन या प्रॉपर्टी को खरीदने के 3 साल बाद बेचते हैं तो उस पर मिले लाभ को long-term capital gains कहते हैं।
- अगर आप किसी जमीन या प्रॉपर्टी को खरीदने के 3 साल के भीतर बेच देते हैं तो उस पर मिले लाभ को Short-term capital gain कहते हैं।
प्रॉपर्टी बेचने पर मिले लाभ (Capital Gain) पर सरकार कैपिटल गेंन्स टैक्स लगाती है। प्रॉपर्टी के खरीदने और बेचने के बीच अवधि में अंतर के हिसाब से यह टैक्स भी दो प्रकार का होता है-
- 3 साल के बाद बिकने वाली प्रॉपर्टी के मामले में long-term capital gain tax कहलाता है
- 3 साल के पहले बिकने वाली प्रॉपर्टी के मामले में short term capital gain Tax कहलाता है।
कुछ संपत्तियों पर 3 साल से कम भी मानी जाती है अवधि
- कृषि भूमि (Agricultural Land) के मामले में, खरीदने के 1 से 3 साल के बीच बेचने पर मिले लाभ को long term capital gains माना जाता है।
- म्यूचुअल फंड्स के मामले में 1 साल के बाद बेचने पर मिले लाभ को long term capital gain माना जाता है।
प्रॉपर्टी पर कैपिटल गेन्स टैक्स कैसे बचाएं?
सरकार ने कुछ शर्ते पूरी करने कर लांग टर्म कैपिटल गेन्स पर टैक्स छूट दे रखी है। इनकम टैक्स ऐक्ट के Section 54 में इन शर्तों का उल्लेख किया गया है। ये शर्तें इस प्रकार हैं-
- दूसरी प्रॉपर्टी खरीद लेने पर या निर्माण करने पर: अगर आप प्रॉपर्टी बेचने से मिले लाभ (Capital gains) को, किसी दूसरी प्रॉपर्टी खरीदने के लिए या बनाने के लिए इस्तेमाल कर लेते हैं तो आपको Long-term capital gains Tax नहीं देना पड़ता।
- 2 साल के भीतर नया घर खरीद लेने पर: पुरानी घर बेचने के 1 साल पहले नया घर खरीदा है या 2 साल बाद नया घर खरीद लेते हैं, तो भी आपको प्रॉपर्टी बेचने से हुए लाभ पर Long-term capital gains Tax नहीं चुकाना पड़ेगा।
- 3 साल के भीतर नया घर निर्माण करा लेने पर: पुराना घर बेचने के 3 साल के भीतर नया घर बनवा लेते हैं तो भी आपको पुराना घर बेचने से मिले लाभ पर Long-term capital gains Tax का भुगतान नहीं करना पड़ेगा।
यहां पर Long-term capital gains Tax छूट पाने के लिए, निम्नलिखित शर्तों का भी पूरा करना आवश्यक है-
- सिर्फ एक घर (house property) आप अलग से खरीद सकते हैं या बनवा सकते हैं। खरीदे गए नए घर को 3 साल के पहले बेचा नहीं जा सकता।
अगर, खरीदी गई नई प्रॉपर्टी की कीमत, बेची गई पुरानी प्रॉपर्टी की कीमत से कम है तो फिर लाभ की सिर्फ उस रकम पर टैक्स छूट मिलेगी, जोकि नई प्रॉपर्टी खरीदने में लगाई गई होगी। बाकी बचे हुए पैसों को 6 महीने के अंदर, ऐसे निवेश में लगाना होगा, जिन्हें कि Section 54EC में निर्धारित किए गए हैं। किसी वित्त वर्ष के दौरान 50 लाख तक कर रकम ऐसे निवेश पर लगाई जाती है तो वह Section 54EC के तहत टैक्स छूट पाने के योग्य होती है।
Capital gains account scheme में जमा करके रख सकते हैं पैसा
अगर आप, प्रॉपर्टी बेचने पर मिले capital gain के तुरंत बाद, घर खरीदने या बनवाने की स्थिति में नहीं हैं तो उस पैसे को किसी सरकारी बैंक केCapital gains account scheme (CGAS) में जमा करके रख सकते हैं। जब तक आप दूसरी प्रॉपर्टी खरीदने या बनवाने की स्थिति में नहीं आते, तब तक इस अकाउंट में अपना कैपिटल गेंस जमा करके रख सकते है। दरअसल, सरकार Capital gains account scheme में जमा पैसों पर भी Long-term capital gains Tax नहीं लगाती। किसी वित्त वर्ष के लिए income tax returns दाखिल करने से पहले, जो भी पैसा आप Capital Gains Account Scheme में जमा कर देंगे, उस पर Long-term capital gains Tax से छूट मिल जाती है।
विशेष सरकारी Bonds में पैसा निवेश करके भी बचा सकते हैं टैक्स
सरकार ने कुछ ऐसे खास बांड्स निर्धारित कर रखे हैं, जिनमें पैसा लगाने पर long-term capital gain tax पर छूट मिलती है। Section 54EC के तहत मिलने वाली इस छूट को प्राप्त करने के लिए 6 महीने के भीतर, ऐसे बांड्स में पैसा लगाना अनिवार्य है। ऐसे बांड्स में शामिल हैं-
- REC (Rural Electrification Corporation Ltd) के बांड्स PFC (Power Finance Corporation Ltd) के बांड्स IRFC (Indian Railways Finance Corporation Limited) के बांड्स NHAI (National Highways Authority of India) के बांड्स
किसी एक वित्तीय वर्ष के दौरान 50 लाख रुपए तक, ऐसे बांड्स में लगाए जा सकते हैं और कैपिटल गेन्स टैक्स छूट ली जा सकती है।
कैपिटल गेन टैक्स बचाने में मददगार तरकीबें
ऊपर बताए गए तरीकों के अलावा, कुछ अन्य तरकीबें भी हैं, जो आपका कैपिटल गेन टैक्स घटाने में मददगार होती है। प्राय: लोग इन्हें नहीं जानते और ज्यादा टैक्स भर देते हैं।
इंडेक्सेशन से कम करें कैपिटल गेन
Capital Gains Tax बचाने की दिशा में सबसे पहला कदम है Indexation। इंडेक्शेसन दरअसल टैक्स बचाने का नहीं, बल्कि Profit को कम दिखाने की तरकीब है। जब Profit कम दिखेगा तो अपने आप Tax कम लगेगा।
दरअसल सरकार Property की कीमतों के लिए हर साल एक Cost Inflation Index जारी करती है। इसमें महंगाई बढ़ने के कारण Property की कीमतों में आनुपातिक बढ़ोतरी (Proportionate Increase) दिखाई जाती है। किसी साल का Index यह दिखाता है कि पिछले खरीद वर्ष में Property पर खर्च हुई रकम तब की तुलना में अब तक किस अनुपात में बढ़ चुकी है।
किसी किसी पुराने वर्ष के दौरान हुए सौदे की कीमत नए वर्ष में कितनी हो चुकी होगी, इसको निकालने के लिए फॉर्मूला इस प्रकार है-प्रॉपर्टी की इंडेक्स कीमत=खरीद कीमत×बिक्री वर्ष का इंडेक्स÷खरीद वर्ष का इंडेक्स। अब हम, इस फॉर्मूला के हिसाब से टैक्स बचाने का तरीका, उदाहरण सहित बताते हैं।
Example
सतीश ने वर्ष 2010-11 में 25 लाख रुपए का Plot खरीदा। वर्ष 2015-16 में इस प्लॉट को 40 लाख रुपए में बेच दिया। Plot को बेचने पर सतीश के विज्ञापन, कमीशन वगैरह पर 50 हजार रुपए खर्च हुए हैं।
पहली नजर में देखें तो सतीश को 14.50 लाख रुपए फायदा दिखता है (बिक्री मूल्य – खरीद मूल्य )। लेकिन Indexation के बाद यह काफी कम हो जाएगा। कैसे? आइये देखते हैं-
नीचे हम Cost Inflation Index में देखते हैं कि वर्ष 2010-11 में Index 167 अंकों पर था जोकि वर्ष 2015-16 में बढ़कर 254 हो गया है। ऐसे में सतीश के प्लॉट की खरीद कीमत वर्ष 2015-16 की महंगाई के हिसाब से होनी चाहिए- 25 × 254÷ 167=38.023 लाख रुपए।
कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स | Cost Inflation Index
2010-11 | 167 |
2011-12 | 184 |
2012-13 | 200 |
2013-14 | 220 |
2014-15 | 240 |
2015-16 | 254 |
2016-17 | 264 |
2017-18 | 272 |
2018-19 | 280 |
2019-20 | 289 |
2020-21 | 301 |
2021-22 | 317 |
2022-23 | 331 |
Indexation का इस्तेमाल करने के बाद सतीश को कुल फायदा दिखेगा- 40 – (38 + .50) = 1.5 लाख रुपए {बिक्री मूल्य-(खरीद का indexed मूल्य+कमीशन)। इस तरह जो फायदा पहले हमें 14.5 लाख रुपए का लग रहा था वह Indexation के बाद सिर्फ 1.5 लाख रुपए रह गया। जाहिर है इस पर टैक्स भी कम लगेगा।
प्रॉपर्टी बेचने में हुए नुकसान को समायोजित करके बचाएं टैक्स
अगर आपको किसी अन्य संपत्ति को बेचने पर long-term Capital loss हुआ हो तो इसे आप अपना घर बेचने से हुए long term capital gains के साथ समायोजित कर सकते हैं। ऐसे में आपको capital gain से Capital loss को घटाकर बची रकम पर ही टैक्स देना पड़ेगा। ऐसा करने वक्त इन दो बातों को जरूर ध्यान रखें
- Capital Loss को सिर्फ Capital Gain से ही एडजस्ट किया जा सकता है। अन्य किसी मद से हुई आमदनी में Adjust नहीं किया जा सकता। अन्य किसी मद में हुए नु्कसान को जरूर Capital Gain में आप एडजस्ट कर सकते हैं।
- Long Term Capital Loss को सिर्फ Long Term Captal Gain में ही एडजस्ट कर सकते हैं। Short Term Capital Gain में नहीं। जबकि Short Term Capital Loss को लांग टर्म और शॉर्ट टर्म, दोनों तरह के Capital Gain में एडजस्ट कर सकते हैं
प्रॉपर्टी बेचने में हुए नुकसान को आने वाले वर्षों में एडजस्ट करें
अगर आप किसी साल के capital loss को उसी साल के कैपिटल गेन्स में Adjust न कर पाए हों तो इसे बाद के वर्षों में भी (Carry Farward) किया जा सकता हैै । यह सुविधा Short Term loss और Long Term loss दोनों के साथ आपको मिलती है।
Note: आवासीय संपत्ति (Residential Property) से हुए capital loss को अगले 8 सालों तक Carry Forward करके एडजस्ट किया जा सकता है। बिजनेस प्रॉपर्टी से हुए capital loss को अगले 4 वर्षों तक Carry Forward करके एडजस्ट किया जा सकता है।
अगर TDS कटा हो तो उसे भी टैक्स भुगतान में समायोजित करें
Tax Leak को रोकने के लिए सरकार ने 50 लाख रुपए से ज्यादा की Property के सौदों पर 1% TDS काटना अनिवार्य कर दिया है। अगर आप इतनी या इससे ज्यादा कीमत का घर बेच रहे हैं तो सुनिश्चित करें कि इसे खरीदने वाला आपके नाम TDS जरूर जमा कर दे। आपको ज्यादा कुछ नहीं करना है, बस उससे फार्म 16B के रूप में Certificate प्राप्त कर लीजिए। कुछ दिन बाद इसके बाद अपने Form 26AS में भी इसे चेक कर लें। इसके ‘Part F में यह दर्ज होगा।
TDS में कटी इस रकम को आप रिटर्न भरने के पहले Self Assesement Tax में एडजस्ट कर सकते हैं। इतना ही नहीं अगर आपको घर बेचने में घाटा हो गया है तो इसे आप अपने किसी long-term capital gains के साथ एडजस्ट भी कर सकते हैं। अगर ज्यादा जमा कर दिया गया है तो TDS का refund भी प्राप्त कर सकते हैं।
जमीन बिक्री या अधिग्रहण संबंधी विशेष मामले
नगरीय सीमा या उसके पास की कृषि भूमि बेची हो तो…
सबसे पहले जान लें कि कृषि भूमि को बेचने पर Capital gains tax नहीं लगता है। लेकिन यह छूट सिर्फ ग्रामीण क्षेत्र में मौजूद कृषि भूमि पर ही मिलती है। नगरीय क्षेत्र की सीमा में मौजूद कृषि भूमि पर नहीं।
यहां नगरीय क्षेत्र से मतलब Municipality, Town Area, Cantonment board से है, जहां की आबादी 10,000 से अधिक है। इनके सीमा क्षेत्र से बाहर भी 8 किलोमीटर के दायरे में आने वाली जमीन का सौदा करने पर Capital Gain Tax लगता है।
नगरीय क्षेत्र की कृषि भूमि को बेचने के बाद होने वाले Short Term Capital Gain को अगर आप फिर से नई कृषि भूमि को खरीदने में लगा देते हैं तो आपको Section 54B के तहत कैपिटल गेन पर पूरी तरह से टैक्स छूट मिलती है।
Capital Gain का जितना हिस्सा आप नई जमीन में लगा देंगे उस पर आपको टैक्स छूट मिलेगी। ये छूट Long Term Capital Gain की स्थिति में भी मिलती है। Short Term Capital Gain पर इस छूट के लिए आपको इन शर्तों का भी ध्यान रखना होगा।.
- कृषि जमीन बेचने के दो साल के अंदर नई कृषि जमीन खरीद ली जानी चाहिए।
- अगर आपका जमीन बेचने से मिला Capital Gain आपकी नई जमीन पर लगे पैसे से ज्यादा है तो जो Capital Gain अतिरिक्त बचेगा, उस पर अपने Tax Slab के अनुसार टैक्स देना होगा।
औद्योगिक भूमि या बिल्डिंग का अधिग्रहण होने पर…
Capital Gains पर ये Exemption आपको उस स्थिति में मिलता है जबकि कोई Industrial Land या Building सरकार अधिग्रहण (acquired) कर लेती है । Section 54D ऐसे मामले में कैपिटल गेन पर टैक्स छूट इन शर्तों पर ही मिल सकेगी।
- जमीन के अधिग्रहण से कम से कम दो साल पहले तक यह औद्योगिक उपयोग में लगी हुई हो।
- Capital Gain की रकम फिर से औद्योगिक उपयोग के लिए जमीन या बिल्डिंग खरीदने में ही लगाई जाए।
नगरीय क्षेत्र के उद्योग को ग्रामीण क्षेत्र या सेज में ट्रांसफर करने पर
Section 54G के मुताबिक नगरीय क्षेत्र की जो जमीन, Building या Machinery आपने बेची है, उनसे हासिल Capital Gain पर टैक्स से पूरी तरह छूट मिलेगी। इसके साथ यह भी शर्त जुड़़ी होती है कि आपको Rural Area में ही नई जमीन, बिल्डिंग या मशीनरी पर अपना Capital Gain निवेश (reinvest) करना होगा।
इसी तरह अगर आपका मौजूदा कारोबार अगर नगरीय क्षेत्र में है और इसे आप Special Economic Zone(SEZ) के क्षेत्र में ले जाते हैं तो भी Short Term Capital Gains पर आपको टैक्स छूट मिलेगी। इस छूट को पाने के लिए भी शर्त है।
नगरीय क्षेत्र में मौजूद अपनी जमीन, बिल्डिंग या मशीन बेचने से जो भी Capital Gain आपको हुआ है, उसे Special Economic Zone(SEZ) में जमीन, बिल्डिंग या मशीन आदि खरीदने में लगाना पड़ेगा।