कार इंश्योरेंस आपको कई तरह की परेशानियों से बचाता है। इंश्योरेंस वाली कार के चोरी हो जाने या नष्ट हो जाने पर पूरी गाड़ी की कीमत आपको बीमा कंपनी देती है। एक्सीडेंट में आपकी गाड़ी से किसी दूसरी गाड़ी, व्यक्ति या प्रॉपर्टी को हुए नुकसान की भरपाई भी बीमा करती है। हमारे कई पाठ्कों नें पूछा था कि कार का एक्सीडेंट होने पर इंश्योरेंस क्लेम कैसे करें? इस लेख में हम आपके इस प्रश्न का उत्तर देंगे और कार बीमा संबंधी कुछ अन्य जरूरी बातें भी साझा करेंगे।
कार का एक्सीडेंट होने पर इंश्योरेंस क्लेम कैसे करें?
अगर आपने कंप्रीहेंसिव कार इंश्योरेंस करवा रखा है तो आपको थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के साथ-साथ Own Damage Cover का फायदा भी मिलता है। इसमें आपको किसी हादसे में गाड़ी के पूरी तरह नष्ट होने या चोरी होने पर भी मुआवजा मिलता है। सबसे पहले हम हादसे में गाड़ी को नुकसान पहुंचने पर या गाड़ी के पूरी तरह नष्ट होने पर बीमा प्रक्रिया बता रहे हैं-
स्टेप1: घटना की फोटो, गवाह व अन्य सबूत इकट्ठा करें
- Accident होने पर, सबसे पहले आपको उसके सबूत (Proof) इकट्ठा करने हैं। कार को हुए नुकसान के फोटो खींच लेने चाहिए। घटना स्थल के भी फोटाे ले लेने चाहिए। Video Recording कर सकते हैं तो वो ले लीजिए।
- आपकी कार से टकराने वाले वाहन और उसके Driver का Detail ले लीजिए। गाड़ी नंबर केे साथ साथ चलाने वाले का नाम नाम, पता, Mobile Number वगैरह नोट कर लें।
- अगर आपको Accident के कुछ प्रत्यक्ष गवाह (witnesses) मिल जाएं तो और अच्छा है। उनके नाम और पता भी नोट करके रख लें। घटना के सही कारणों को पुष्ट करने में इनकी जरूरत पड सकती है।
- Accident में आपको चोट लगी है तो उसे भी record कर लें। चोट ज्यादा लगी है तो आसपास के Hospital का पता करें और इलाज करवाएं। चोट किस तरह की है, उसके बारे में डॉक्टर से पूछकर नोट कर लें।
स्टेप 2: पुलिस को सूचना दें और FIR दर्ज कराएं
घटनास्थल के आसपास कोई पुलिसकर्मी मौजूद हो तो Report भी दर्ज करवा दें। उसका केस नंबर भी लेकर रख लें। ध्यान रखें, चाहे Third Party Insurance का मामला हो या own damage (खुद की कार को नुकसान) का मामला हो, हादसे की रिपोर्ट पुलिस में होनी ही चाहिए। car insurance claim करने में यह रिपोर्ट भी लगानी होगी।
छोटे-मोटे accident में, जिनमें आपकी कार में हल्की फुल्की टूट-फूट हुई हो FIR से बचा जाना चाहिए। किसी को शारीरिक रूप से ज्यादा चोट पहुंचने पर या मौत होने पर FIR करना जरूरी है। अगर आपकी कार चोरी हो गई तो भी तुरंत उसकी FIR करवाएं। FIR की copy लेकर सुरक्षित रखें।
स्टेप 3. बीमा कंपनी को हादसे के बारे में सूचित करें
हादसा होने पर, जितना जल्दी हो सके अपनी Insurance Company को उसके बारे में सूचना दे दी जानी चाहिए। यहां तक कि अपने वाहन को Garage या Service Center पर ले जाने के पहले ही Insurance Company को सूचना दे देनी चाहिए। सूचना देने के लिए आप insurance company के Toll Free number पर कॉल कर सकते हैंं।
हादसे के 7 दिन के भीतर आपको insurance company के पास सूचना दे दी जानी चाहिए। लेकिन, कुछ कंपनियां इससे कम समय का नियम भी रखती हैं। बहुत सी कंपनियां तो 24 से 48 घंटे में घटना की सूचना देने और Claim करने का नियम रखती हैं।
स्टेप 4. कार को हुए नुकसान का आकलन करवाएं
जैसे ही आप Insurance company को इसके बारे में सूचना देते हैं, उनकी तरफ से निरीक्षण (inspection) का कोई टाइम निर्धारित किया जाता है। उस टाइम पर insurance Company का कोई प्रतिनिधि (Representative/ Surveyor) आएगा और आपकी कार को हुए नुकसान का आकलन (Estimation) करेगा।
आपको कंपनी के अनुबंध में शामिल नजदीकी Garage या service center की भी जानकारी दी जाएगी। आपकी कार को खिंचवाकर या उठवाकर ले जाने की व्यवस्था करेंगे। खुद अपनी कार को खिंचवाकर ले जाने की जरूरत नहीं है। आपका Claim मंजूर होने के बाद ही उसकी Repairing शुरू की जानी चाहिए।
गैराज में अपनी कार का निरीक्षण करवाकर नुकसान का आकलन (estimate) करवा लीजिए। बीमा कंपनी को कार की मरम्मत का estimate भी देना पडता है। हादसे के कारण, आपको जो भी खर्च करना पड़ा है, उसको नोट कर लें। बीमा कंपनी का प्रतिनिधि, आपसे Insurance Claim संबंधी आवश्यक दस्तावेज लेगा और अपनी रिपोर्ट के साथ कंपनी को भेज देगा।
स्टेप 5: दस्तावेजों के साथ बीमा कंपनी को भेजें क्लेम
अब बारी है, अपने नुकसान के लिए बीमा कंपनी के पास क्लेम भेजने की। नीचे बताए गए दस्तावेजोें (Documents) के साथ आप अपना क्लेम कर सकते हैं-
- पुलिस के पास दर्ज कराई गई रिपोर्ट (FIR) की कॉपी
- आपकी इंश्योरेंस पॉलिसी की कॉपी
- शारीरिक नुकसान हुआ है तो मेडिकल रसीद
- अपनी कार का जिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC)
- घटना के वक्त गाडी चलाने वाले का ड्राइविंग लाइसेंस
- ठीक से भरा हुआ कार इंश्योरेंस क्लेम फाॅर्म
- कार की रिपेयरिंग में खर्च का एस्टीमेट या रसीद
स्टेप 6. बीमा कंपनी की ओर से आपके क्लेम का निपटारा
बीमा कंपनी 10 से 15 दिन का टाइम Claim process पूरी करने के लिए लेगी। आपके केस की गंभीरता और क्लेम की मात्रा के हिसाब से time लगेगा। घटना की प्रकृति और दायरे के हिसाब से, इंश्योरेंस कंपनी आपको cashless claim या reimbursement type के भुगतान का विकल्प दे सकती हैं।
कैशलेस मोड कैसे काम करता है? कंपनी अगर Cashless mode को मंजूरी देती है तो फिर आप अपने वाहन को बीमा कंपनी के साथ अनुबंधित, Garage या Service Center में ले जाकर Repairing करवाते हैं। बीमा कंपनी बाद में उसका भुगतान कर देगी। वहां पर जो surveyor होगा, वह आपके नुकसान का आकलन करके एक मोटा-मोटा हिसाब बता देगा।
रिएंबर्समेंट मोड कैसे काम करता है? कंपनी अगर reimbursement mode मंजूरी देती है तो बीमा कंपनी की ओर से भेजा गया surveyor आपके वाहन का निरीक्षण करेगा और insurance company के पास Estimate भेजेगा। इसके बाद आपकी गाडी की repairing होगी, जिसका भुगतान आपको अपनी जेब से करना होगा। Repairing होने के बाद आपको उसकी रसीद और अन्य जरूरी Documents के साथ Claim करना होगा। बीमा कंपनी उसका भुगतान करेगी।
इंश्योरेंस क्लेम के मामले में इन चीजों से बचें-
वाहन बीमा संबंधी क्लेम में अनजाने में आप कुछ गलतियां कर सकते हैं। इससे आपका क्लेम कमजोर हो सकता है। कुछ खास बातें जो ध्यान रखने लायक हैं-
घटनास्थल से भाागने की कोशिश न करें
घटना स्थल (Accident Spot) से न तो खुद भागें और न ही अपने वाहन को वहां से कहीं और ले जाएं। वाहन को ज्यादा नुकसान हुआ है, तब तो कतई उसे वहां से हटाएं। इससे आपका Insurance Claim कमजोर पड सकता है। यहां तक कि अस्वीकृत (reject) भी हो सकता हैै।
गाडी की खुद ही मरम्मत न करने लगें
आपको क्षतिग्रस्त वाहन की Repairing भी खुद शुरू नहीं करनी चाहिए। गैराज या सर्विस सेंटर पर भी repair work तभी शुरू करवाएं जबकि बीमा कंपनी की ओर से उसके लिए मंजूरी (approval) मिल जाए।
तथ्यों को छिपाएं नहींं, झूठे तथ्य न पेश करें
कभी-कभी लोग, हादसे का सही details पेश नहीं करते या फिर कुछ तथ्यों को छिपा जाते हैं। कभी-कभी ज्यादा फायदे के चक्कर में बहुत ज्यादा भी बता देते हैं। वास्तव में, इससे आपको नुकसान हो सकता है। तथ्य गलत पाए जाने पर अस्पष्ट सूचनाएं देने पर आपका क्लेम reject हो सकता है।
फाइनल सेटलमेंट पर जल्दबाजी में साइन न करें
आपकी गाडी और आपको नुकसान के संबंध में, बीमा कंपनी की ओर से जो आकलन किया गया है, उस पर ठीक से विचार कर लें। कुछ खामी समझ में आती है तो उसेे सुधरवाएं। जरूरत लगती है तो किसी जानकार से या वकील से मदद लें। विशेष रूप से आपके केस के मामले में क्या क्या लागू होता है, इसको समझ लें।
पाॅलिसी के नियम व शर्तों को देखें
बीमा क्लेम करने से पहले, आपको अपनी पॉलिसी के नियम व शर्तों पर भी नजर डाल लेनी चाहिए। बीमा प्लान खरीदते समय कंपनी आपको इसके detail भेजती है। आपके क्लेम मेें क्या-क्या शामिल हो सकता है और क्या-क्या नहीं शामिल हो सकता है, इन सबकी जानकारी उसमें रहती है। इसके अलावा आप अपनी कार के इंश्योरेंस का Renewal जरूर करा लें।
कार के चोरी होने पर इंश्योरेंस क्लेम कैसे करें?
गाड़ी के चोरी होने पर बीमा क्लेम की प्रक्रिया थोड़ा अलग होती है। इसका तरीका इस प्रकार होता है-
- सबसे पहले, नजदीकी पुलिस स्टेशन में अपनी शिकायत दर्ज कराएं और कार चोरी होने की रिपोर्ट (FIR) दर्ज कराएं।
- थाने में दर्ज FIR की एक कॉपी, उस बीमा कंपनी के पास जमा करें, जिसने आपकी गाड़ी का बीमा किया है।
- इसके बाद, जब पुलिस की तरफ से गाड़ी के न मिल पाने की रिपोर्ट (Non Traceable Report) मिल जाए तो उसे भी आपको बीमा कंपनी के पास जमा करनी होगी। ध्यान रखें कि, इस रिपोर्ट पर कोर्ट की मुहर होनी जरूरी है।
- बीमा कंपनी की ओर से एक Investigator नियुक्त किया जाएगा, जोकि गाड़ी के चोरी होने और आपके दावे के संंबंध में जांच-पड़ताल करेगा। Investigator की ओर से मांगी गई जानकारियों को सही-सही बता दीजिए।
- Investigator अपनी रिपोर्ट बीमा कंपनी के पास जमा कर देगा और कुछ दिन में आपका बीमा क्लेम मंजूर हो जाएगा।
- बीमा क्लेम मंजूर होने के बाद, चोरी हुई गाड़ी के कागजात (RC Book) बीमा कंपनी के पास जमा करने होंगे। साथ में गाड़ी की डुप्लीकेट चाबियां और Subrogation letter भी जमा करना पड़ता है। Subrogation letter के माध्यम से ही बीमा कंपनी को यह अधिकार मिलता है कि वह नुकसान करने वाले से हर्जाना वसूल सके।
- जैसे ही ये सारी प्रक्रियाएं पूरी हो जाती हैं, बीमा कंपनी आपकी खोई हुई गाड़ी का मुआवजा आपके सेविंग अकाउंट में ट्रांसफर कर देती है।