भारत में बहुत से कारोबारी Casual Taxable Person के रूप में, व्यापार करते हैं। वे या तो सीजन-सीजन में कारोबार करते हैं और फिर लौट जाते हैं। या फिर किसी दूसरी जगह पर व्यापार करने चले जाते हैं। भारत में बिजनेस सेक्टर पर लागू GST एक्ट इन पर भी लागू होता है। इसलिए, Casual Taxable Person को भी जीएसटी में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया है।
इस लेख में हम समझेंगे कि जीएसटी में कैजुअल टैक्सेबल पर्सन क्या होता है? इनका रजिस्ट्रेशन कैसे होता है और इन्हें कौन-कौन से रिटर्न दाखिल करने पड़ते हैं। What is Casual Taxable Person in GST
GST में कैजुअल टैक्सेबल पर्सन क्या होता है?
आपने देखा होगा कि, आपके शहर में कुछ लोग सीजन-सीजन में आकर व्यापार करते हैं। ऐसे कारोबारी थोड़े-थोड़े दिनों के लिए टेंट लगाकर या प्रदर्शनी लगाकर भी कारोबार करते हैं। वहीं कुछ लोग बिना किसी स्थान पर टिके भी व्यक्तिगत रूप से संपर्क करके कारोबार कर सकते हैं। GST एक्ट में ऐसे लोगों को कारोबार करने के लिए अलग से रजिस्ट्रेशन कैटेगरी बनाई गई है। इन्हें Casual Taxable Person कहा गया है।
जीएसटी एक्ट के अनुसार कैजुअल टैक्सेबल पर्सन की परिभाषा CGST Act के Section 2(20) के मुताबिक Casual Taxable Person वह होता है, जोकि–
- किसी बिजनेस को अस्थायी रूप से (temporarily) करने वाला व्यक्ति, भले ही वह डायरेक्ट बिजनेस कर रहा हो, या फिर बिजनेस को बढ़ाने की प्रक्रिया में शामिल हो।
- उस व्यक्ति का, किसी भी राज्य या केंद्र शासित राज्य (Union territory) में बिजनेस का कोई निश्चित स्थान न हो। (He has no fixed place of business)
- वह व्यक्ति पूरे अधिकार वाला ( principal) या प्रतिनिधि (agent) या किसी अन्य हैसियत ( capacity) से भी कारोबार करने में शामिल हो सकता है।
कैजुअल टैक्सेबल पर्सन का उदाहरण
अश्विन कुमार की दिल्ली में Event Management Company है, जिसका मुख्य कार्यालय (Headquarter) दिल्ली में है। यह अपनी सेवाएं उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में शुरू करना चाहती है। यहां पर इसका अपना कोई कार्यालय नहीं है। ऐसे में अश्विन कुमार को आगरा में, खुद को Casual Taxable Person के रूप में पंजीकृत (Registered) कराना होगा। इसके बाद ही वह आगरा में अपनी कंपनी की सेवाएं देना शुरू कर सकते हैं।
इसी तरह, मान लिया कि अरुणेंद्र सिन्हा की उत्तर प्रदेश के वाराणसी में कालीन निर्माण कंपनी है। वह मध्य प्रदेश के भोपाल में अपने Products की प्रदर्शनी और सेल (Exhibition cum Sale) लगाना चाहते हैं। उन्हें भी पहले खुद को casual taxable person के रूप में रजिस्टर्ड करवाना होगा। उसके बाद ही वे यहां अस्थायी कारोबार शुरू कर सकते हैं।
कैजुअल टैक्सेबल पर्सन से संबंधित नियम और शर्तें
Casual Taxable Person को निम्नलिखित नियमों का पालन करना पड़ता है-
अलग कैटेगरी में रजिस्ट्रेशन लेना अनिवार्य
CGST Act के Section 24 के मुताबिक, भारत में कारोबार करने वाले, किसी भी casual taxable person को जीएसटी में रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है। भले ही उसका टर्नओवर कितना भी कम या ज्यादा हो। अगर वह किसी ऐसे सामान (Goods) या सेवा (Service) का कारोबार करता है, जिस पर GST टैक्स लगता है, तो वह बिना रजिस्ट्रेशन के उनका कारोबार नहीं कर सकता।
कंपोजिशन स्कीम नहीं ले सकते
कोई भी casual taxable person की कैटेगरी में आने वाला कारोबारी, GST की कंपोजिशन स्कीम नहीं अपना सकता। उसे सामान्य रजिस्टर्ड कारोबारियों की तरह जीएसटी भुगतान और रिटर्न दाखिल करना पड़ेगा।
कंपोजिशन स्कीम क्या है? भारत में 1.5 करोड़ रुपए तक सालाना टर्नओवर वाले कारोबारी कंपोजिशन स्कीम ले सकते हैं। विशेष कैटेगरी में रखे गए राज्यों के लिए यह लिमिट 75 लाख रुपए रखी गई है। इन्हें हर महीने रिटर्न दाखिल नहीं करना पड़ता और सभी सौदों की रसीदें नहीं प्रस्तुत करनी पड़ती। एक निश्चित रेट पर टैक्स का भुगतान करना पड़ता है।
एडवांस जीएसटी देना पड़ता है
Casual Taxable Person (CTP) को उस राज्य में GST का अस्थायी पंजीकरण (Temporary Registration) लेना पड़ता है, जिस राज्य में वह अस्थायी रूप से कारोबार करना चाहता है। कारोबार शुरू करने से पहले उसे Advance GST भी चुकाना पड़ता है। यह उसके कुल अनुमानित कारोबार (Estimated Turnover) के अनुसार होता है।
उदाहरण के लिए, किसी बिजनेस में 18 प्रतिशत GST की दर है, तो 10 लाख रुपए के अनुमानित कारोबार वाले व्यक्ति को कुल 1,80,000 रुपए Advance GST के रूप में चुकाना होगा। Casual Registration कराने के पहले ही उसे खुद अपनी supplies की कुल कीमत और उसके हिसाब से अपने टैक्स का आकलन करना होगा। रजिस्ट्रेशन के लिए भरे जाने वाले application form में उनका उल्लेख भी करना होगा।
कैजुअल टैक्सेबल पर्सन के रूप में रजिस्ट्रेशन कैसे करें?
Casual taxable person के रजिस्ट्रेशन के लिए कोई अलग से special form नहीं होता। सामान्य GST Registration की तरह ही इसके लिए भी फॉर्म GST REG-01 भरना होता है। GST Portal पर जाकर, खुद भी अपना Registration पूरा कर सकते हैं। इसका लिंक है—https://reg.gst.gov.in/registration/।
प्रक्रिया के दौरान Business Details के तहत यह पूछा जाता है कि-Are you applying for registration as a casual taxable person? यानी कि क्या आप कैजुअल टैक्सेबल पर्सन के रूप में रजिस्ट्रेशन चाहते हैं। Yes का आप्शन सेलेक्ट करते हैं तो आपको रजिस्ट्रेशन की शुरुआती और अंतिम तारीख डालनी होती है। साथ ही अनुमानित सप्लाई और टैक्स देनदारी (Estimated supplies and Estimated Net Tax Liability) का भी ब्योरा देना पडता है।
रजिस्ट्रेशन के लिए आवश्यक डॉक्यूमेंट्स
Casual GST registration के लिए भी वही documents/information लगते हैं, जो कि सामान्य GST registration के लिए होते हैं। बस कारोबार की जगह (place of business) संबधी दस्तावेजों में अंतर होता है। उदाहरण के लिए, आप किसी प्रोडक्ट की सेल कम प्रदर्शनी लगाते हैं तो जगह के मालिक की ओर से प्रदर्शनी को आवंटित की गई जगह के लिए सहमति पत्र (consent letter), बूथ आवंटन के लिए भुगतान (payment for booth allocation) वगैरह के दस्तावेज देने पड़ते हैं।
रजिस्ट्रेशन की अवधि बढ़वा भी सकते हैं
Casual taxable person की मौजूदा रजिस्ट्रेशन अवधि पूरी होने के पहले, अगले 90 दिनों के लिए, अवधि विस्तार (extension) करवाया जा सकता है। इसके लिए फॉर्म GST REG-11 भरकर जमा करना होता है। उस अतिरिक्त अवधि का अतिरिक्त टैक्स जमा करने पर ही ऐसे extension की अनुमति मिल सकती है।
एक बार अवधि विस्तार (Extension) के बाद दोबारा अवधि विस्तार (Extension) नहीं करवा सकते। ऐसे में, आपको सामान्य कारोबारी (normal taxpayer) की तरह रजिस्ट्रेशन करवाना होगा।
कैजुअल टैक्सेबल पर्सन को कौन-कौन से रिटर्न भरने पड़ते हैं
जीएसटी के तहत रजिस्टर्ड सामान्य कारोबारी की तरह, Casual Taxable Person को भी बिक्री और खरीदारियों से संबंधित रिटर्न (GSTR-3B और GSTR-1) दाखिल करने पड़ते हैं। लेकिन, इन्हें जीएसटी का वार्षिक रिटर्न (annual return) GSTR- 9 नहीं दाखिल करना पड़ता। जो दो रिटर्न इन्हें दाखिल करने पड़ते हैं, उनका विवरण इस प्रकार है-
रिटर्न फॉर्म का नाम | भरने की अंतिम तिथि |
FORM GSTR-1 ( इसमें महीने भर की सभी बिक्रियों का विवरण दिया जाता है।) | अगले महीने की 11 तारीख तक |
FORM GSTR-3B (इनपुट क्रेडिट-ITC, सभी खरीदारियों और टैक्स देनदारी का सारांश दिया जाता है) | अगले महीने की 20 तारीख तक) |
ज्यादा टैक्स जमा होने पर वापस भी ले सकते हैं
कोई कैजुअल टैक्सेबल पर्सन, अगर अपनी टैक्स देनदारी (tax liability) से अधिक जमा कर देता है तो वह उसे वापस भी ले सकता है। GST से संबंधित अपने सभी returns दाखिल करने के बाद ही वह refund के लिए आवेदन कर सकता है। यहां तक कि, अगर आप advance tax जमा करने के बाद, बिजनेस नहीं करना चाहते हैं तो उसका भी refund पाने के लिए आवेदन कर सकते हैं।