जब भी आप कोई ऐसा सामान खरीदते हैं, जिसमें GST लगता है तो उसकी रसीद में सिर्फ GST का % दर्ज नहीं होता। सामान्य राज्यों में यह SGST % और CGST % के रूप में दो अलग-अलग नामों से दर्ज होता है। केंद्र शासित प्रदेश (Union Terretory) में खरीदारी पर यह UGST % और GST % के रूप में दर्ज होता है। अगर खरीदार किसी अन्य राज्य का है तो फिर दो तरह के जीएसटी की बजाय सिर्फ एक तरह का टैक्स IGST का % दर्ज होता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि GST को चार अलग-अलग नामों से वसूला जाता है। ये नाम हैं CGST, SGST, UGST, और IGST.
इस लेख में हम जानेंगे कि-
- सीजीएसटी क्या होता है? और यह कब लगता है?
- एसजीएसटी क्या होता है? और यह कब लगता है?
- यूजीएसटी क्या होता है? और यह कब लगता है?
- आईजीएसटी क्या होता है? और यह कब लगता है?
सीजीएसटी क्या होता है? What is CGST
CGST का फुल फॉर्म होता है-Central GST. इसका हिंदी में मतलब होता है-केंद्रीय सामान एवं सेवा कर। यह केंद्र सरकार (Central Government) के हिस्से का GST होता है। जब खरीदार और विक्रेता,दोनों एक ही राज्य के होते हैं तो उन सौदों में CGST+SGST वसूले जाते हैं।
इनमें CGST के रूप में वसूला गया GST केंद्र सरकार को मिलता है, इसीलिए इसे Central GST या CGST कहा गया है। SGST के रूप में वसूला गया टैक्स खरीदार के राज्य को मिलता है। इसलिए उस हिस्से को राज्य जीएसटी (State GST या SGST) कहा जाता है। किसी भी सौदे में CGST और SGST, दोनों टैक्स बराबर-बराबर मात्रा में वसूले जाते हैं।
एक उदाहरण से इसे और अधिक स्पष्ट कर देते हैं। मान लिया कि, हरियाणा राज्य के व्यापारी ने, हरियाणा राज्य के ही दूसरे व्यापारी को कुछ टीवी सेट बेचे। टीवी सेट पर 18% GST लगता है, तो उस सौदे पर हरियाणा सरकार को 9% SGST मिलेगा और केंद्र सरकार को भी 9% CGST मिलेगा। आपकी रसीद पर भी इनका अलग-अलग उल्लेख मिलेगा।
एसजीएसटी क्या होता है? What is SGST
SGST का फुल फॉर्म होता है- State GST. इसका हिंदी में मतलब होता है-राज्य जीएसटी। यह उस राज्य के हिस्से का GST होता है, जहां पर उस सामान की या सेवा की खपत होनी है। खरीदार और विक्रेता एक ही राज्य के होने पर SGST + CGST जोड़कर वसूले जाते हैं। इनमें SGST राज्य के हिस्से वाला GST होता है, जबकि CGST केंद्र के हिस्से वाला GST।
यूजीएसटी क्या होता है? What is UGST
UGST का फुल फॉर्म होता है-Union Territory Goods and Services Tax. इसका हिंदी में मतलब होता है- केंद्र शासित राज्य का जीएसटी। दरअसल UGST टैक्स, उस केंद्र शासित राज्य की सरकार को मिलता है, जहां पर वह माल बिकता है। इन राज्यों की ओर से SGST की बजाय UGST के नाम से वसूला जाता है। केंद्र शासित प्रदेशों की सीमा के भीतर होने वाले सौदों में CGST के साथ-साथ UGST भी वसूला जाता है। दोनों टैक्स बराबर-बराबर मात्रा में वसूले जाते हैं। भारत में कुल 7 केंद्र शासित प्रदेश (union territories) हैं। इनकी सीमाओं के भीतर होने वाले सौदों में यह टैक्स लगता है-
दिल्ली |
चंडीगढ़ |
जम्मू-कश्मीर |
लद्दाख |
पुडुचेरी |
लक्षद्वीप |
अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह |
दादर व नगर हवेली दमन व दियू |
आईजीएसटी क्या है? What is IGST
IGST का फुल फॉर्म होता है-Integrated GST. इसका हिंदी में मतलब होता है-एकीकृत जीएसटी। जब कोई सौदा, दो अलग-अलग राज्यों के कारोबारियों के बीच हौता है तो उस पर दो टैक्स नहीं लगते। बल्कि, सिर्फ एक ही टैक्स लगता है-एकीकृत जीएसटी (Integrated GST)।
ये IGST दरअसल CGST और SGST, दोनों के योग (Total) के बराबर का अकेला टैक्स होता है। पहले यह केंद्र सरकार (Central Government) के पास जाता है और बाद में, दो बराबर-बराबर भागों में केंद्र (Central) और राज्य (State) के बीच बंटता है। राज्य वाला हिस्सा उस राज्य को मिलता है, जहां कि उसकी खपत होती है।
- किसी दूसरे देश से माल या सेवा के लेन-देन वाले सौदे भी IGST के दायरे में आते हैं।
- SEZ Unit या SEZ Developer से किसी माल या सेवा के लेन-देन भी IGST के दायरे में आते हैं।
CGST, SGST और IGST का उदाहरण
अभिषेक श्रीवास्तव, इलाहाबाद (UP) का रहने वाला है। उसने कानपुर (UP) में किसी थोक की दुकान से 1 लाख रुपए का माल खरीदा। मान लिया कि इस पर 12% GST लगता है, जोकि होता है 12000 रुपए। अब चूंकि उसका सौदा उत्तर प्रदेश में ही खरीदा जा रहा है और उत्तर प्रदेश में ही बेचा जाना है। तो यह Intra-state Supply की श्रेणी में आता है। तो इस सौदे पर अभिषेक को CGST और SGST दोनों बराबर-बराबर 6-6 हजार रुपए चुकता करने होंगे।
इसी तरह मान लेते हैं कि अभिषेक ने 12 प्रतिशत GST वाला कोई माल शिमला (Himachal Pradesh) से मंगवाया। अब चूंकि उसका सौदा अंतर्राज्यीय सौदे (Inter State Supply) में आता है तो उसे इस पर 12000 रुपए इकट्ठा IGST के रूप में चुकाने होंगे।
दोहरे जीएसटी की जरूरत क्यों? Why Dual GST System
भारत एक संघीय (federal) व्यवस्था वाला देश है। यहां पर केंद्र और राज्य दोनों अलग-अलग स्तर पर शासन के लिए जिम्मेदार हैं। दोनों स्तर पर सरकारों को शासन के लिए धन की जरूरत होती है। इसलिए दोनों को Tax लगाने के अधिकार भी हैं। हालांकि, कुछ Taxes पर सिर्फ केंद्र सरकार का एकाधिकार है, लेकिन उनमें भी नियमों के मुताबिक राज्यों को हिस्सा मिलता है।
अभी तक वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन और उनके व्यापार पर केंद्र सरकार और राज्य सरकारें अलग-अलग नाम से कई टैक्स वसूलती रही हैं। अब उन्हीं सारे टैक्सों को GST में मिला दिया गया है। तो फिर GST पर दोनों का अधिकार भी बनता है। इसी लिए राज्य सरकार के लिए CGST और केंद्र सरकार के लिए SGST के रूप में दोहरी जीएसटी कर प्रणाली (Dual GST) निर्धारित की गई।
IGST की रचना इसलिए की गई, ताकि, दो राज्यों के बीच आपसी लेन-देन को लेकर कोई समस्या न खड़ी हो और टैक्सों का न्यायपूर्ण ढंग से वितरण (Distribution) हो जाए। IGST में किसी राज्य का हिस्सा उसे केंद्र के माध्यम से मिल जाएगा।
केंद्र शासित राज्यों के लिए अलग से GST की कैटेगरी क्यों?
यहां common State GST (SGST) क्यों नहीं लागू किया जा सकता। क्योंकि Union Territory में बिना किसी विधेयक के common State GST (SGST) नहीं लगाया जा सकता। इनमें से ऊपर की 2 Union Territory Delhi और Puducherry में चूंकि उनकी खुद की विधानसभाएं (legislatures) हैं, इसलिए वहां पर SGST लागू किया जा सकता है। बाद की 5 Union Territories के लिए कोई अलग से विधानसभा नहीं है। इसलिए वहां होने वाले सौदों पर UTGST ही चुकाना होगा।
नोट: SEZ इकाइयों या developers से किए गए सौदे (खरीद या बिक्री दोनों) में भले ही खरीदार और बिक्रेता एक ही राज्य के भीतर स्थित हों, उन्हें राज्यान्तरिक आपूर्ति (Inter-State Supply से बाहर माना जाएगा।
इनपुट क्रेडिट में कैसे होता है इन टैक्सों का समायोजन
GST में किसी वस्तु या सेवा पर टैक्स का भार अंतिम रूप से उस व्यक्ति पर पडता है, जिसने उसका उपभोग (Consumption) किया हो। लेकिन उस अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने के पहले माल जितने स्तरों पर खरीदा गया होता है, सब जगहों पर GST चुकाना होता है। लेकिन ये बीच में चुकाया गया GST आखिरकार उसे वापस मिल जाता है। इसके लिए सरकार ने Input Credit सिस्टम की व्यवस्था जारी की है।
इस व्यवस्था में होता यह है कि आपके चुकाए गए गए GST के बदले में आपके अकाउंट में Credit दर्ज होते जाते हैं। बाद में जब आपको अपनी बिक्रियों पर वसूले गए GST को सरकार के पास जमा करना होता है, तो आप अपने Account में जमा Credit को उसमें कटवा देते हैं।
लेकिन, किस तरह के GST को किस तरह के GST को चुकाने में इस्तेमाल किया जा सकता है, इसके लिए निश्चित नियम हैं। इनकी जानकारी भी हम यहां दे रहे हैं—
इनपुट क्रेडिट कितने प्रकार से मिलते हैं?
जीएसटी सिस्टम में किसी सौदे पर खरीदार को तीन प्रकार के Input Credit मिलते हैं—
- SGST इनपुट क्रेडिट: एक ही राज्य के दो कारोबारियों के बीच सौदा होने पर राज्य सरकार को चुकाए जाने वाले SGST के बदले में मिलते हैं।
- CGST इनपुट क्रेडिट: एक ही राज्य के दो कारोबारियों के बीच सौदा होने पर केंद्र सरकार को चुकाया जाने वाले GST के बदले में मिलते हैं।
- IGST इनपुट क्रेडिट: दो अलग-अलग राज्यों के कारोबारियों के बीच सौदा होने पर, Purchaser की ओर से चुकाया जाने वाले एकीकृत टैक्स (Integrated) के बदले में मिलते हैं।
Note: IGST के मामले में Export करने वाला राज्य, SGST के बदले में Credit Central Government को Transfer कर देता है, फिर केंद्र सरकार की ओर से Import करने वाले राज्य को Credit ट्रांसफर कर दी जाती है।
इनपुट क्रेडिट के भुगतान के नियम
- IGST का भुगतान: IGST के भुगतान के लिए SGST, CSGT और IGST, सभी के बदले में मिले Input Credit का उपयोग किया जा सकता हैं।
- CGST का भुगतान: CGST के भुगतान के लिए, CGST और IGST के बदले में मिले Input Credit का उपयोग किया जा सकता है।
- SGST का भुगतान: SGST के भुगतान के लिए, SGST और IGST के बदले में मिले Credit का उपयोग किया जा सकता है।
Note: CGST और SGST के इनपुट क्रेडिट एक दूसरे के Output Tax के भुगतान के लिए उपयोग में नहीं लाए जा सकते। यानी कि CGST के भुगतान के लिए SGST के बदले में मिले Input Credit का उपयोग नहीं किया जा सकता। इसी प्रकार SGST के भुगतान के लिए CGST के बदले में मिले Input Credit का उपयोग नहीं किया किया जा सकता।