महंगाई भत्ता बढ़ने से कर्मचारियों की सैलरी तो बढ़ ही जाती है, उनके पीएफ और पेंशन पर भी इसका अच्छा असर पड़ता है। चूंकि पीएफ और सैलरी दोनों, सैलरी के एक निश्चित प्रतिशत के रूप में मिलते हैं, इसलिए सैलरी के बढ़ने से पीएफ और पेंशन भी ज्यादा कटकर जमा होते हैं। यही कारण है कि कर्मचारी, महंगाई भत्ता बढ़ने की खबर का इंतजार करते हैं।
इस लेख में हम समझाएंगे कि महंगाई भत्ता क्या होता है। इसका मतलब क्या होता है? और इसकी गणना कैसे की जाती है? What is Dearness allowance meaning in Hindi. How is it calculated?
DA या महंगाई भत्ता क्या है? What is Dearness Allowance
DA का फुल फॉर्म होता है-Dearness Allowance। इसका हिंदी में मतलब होता है-महंगाई भत्ता।
महंगाई के कारण कर्मचारियों की आर्थिक हैसियत में आई गिरावट को संतुलित या समायोजित करने के लिए दिया जाता है। संक्षेप में इसे DA कहते हैं। यह कर्मचारी की बेसिक सैलरी के एक निश्चित प्रतिशत में होता है। सैलरी में जोड़कर ही इसे दिया भी जाता है। सामान्यतया, सरकार, हर छह महीने में (जनवरी और जुलाई में) कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढ़ाने की घोषणा करती है।
महंगाई भत्ता, किस साल कितने प्रतिशत बढ़ेगा, इसका निर्णय करने के लिए, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (All-India Consumer Price Index) की मदद ली जाती है।
महंगाई भत्ता की जरूरत क्यों: महंगाई बढ़ने के कारण रोजमर्रा के इस्तेमाल में आने वाली वस्तुओं के दाम बढ़ जाते हैं। भोजन, दवाई, कपड़े, आवास, शिक्षा जैसी जरूरी चीजों और सेवाओं को पाने के लिए लोगों को पहले के मुकाबले ज्यादा खर्च करना पड़ता है। इस कारण वे पहले से मिल रही सैलरी में, कम सामान या सुविधाओं का इस्तेमाल कर पाने की स्थिति में होते हैं। इसी समस्या का समाधान करने के लिए कर्मचारियों को वेतन के साथ महंगाई भत्ता जोड़कर दिया जाता है।
सिर्फ सरकारी कर्मचारियों पर लागू होती है DA बढ़ोतरी: प्राइवेट कर्मचारियों को उनकी सैलरी के हिस्से के रूप में, महंगाई भत्ता नहीं दिया जाता। सिर्फ सरकारी कर्मचारियों को इसका लाभ मिलता है।
कार्यक्षेत्र या स्थान के हिसाब से अलग-अलग होता है DA: कर्मचारी, जिस इलाके में काम करते हैं, उसके आधार पर DA की रकम अलग-अलग हो सकती है। ग्रामीण (rural), नगरीय (urban),और उपनगरीय (semi-urban areas) इलाकों के हिसाब से यह अलग-अलग हो सकता है।
महंगाई भत्ता, सैलरी में कब मिलाया जाता है?
2006 के बाद से लगातार महंगाई भत्ता (dearness allowance) बढ़ रहा है। इस समय ये लगभग बेसिक सैलरी का 50% तक हो गया है। अभी तक जो चलन में दिखा है, उसके हिसाब से जैसे ही महंगाई भत्ता का प्रतिशत 50% का स्तर छू लेता है, उसे basic salary में मिला दिया (merged) जाता है।
इसका असर यह होता है कि, कर्मचारियों के सारे भत्तों में बढ़ोतरी हो जाती है। क्योंकि, कर्मचारियों को मिलने वाले सारे भत्ते, उनकी बेसिक सैलरी के आधार पर ही बनते हैं। और महंगाई भत्ता मिल जाने के बाद बैसिक सैलरी बढ़ जाती है। बेसिक सैलरी बढ़ते ही, उन भत्तों की रकम भी बढ़ जाती है।
महंगाई भत्ता की गणना कैसे की जाती है?
महंगाई भत्ता (dearness allowance) की गणना के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (All-India Consumer Price Index) को आधार बनाया जाता है। यह केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए और केंद्रीय सार्वजनिक संस्थानों के कर्मचारियों के लिए अलग-अलग तरीके से तय होता है-
केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ता निकालने का फॉर्मूला
Percentage (%) of DA = {(Average of the All-India Consumer Price Index (Base year -2001 =100) for the last 12 months -115.76)/115.76} x 100
हिंदी में इस फॉर्मूला को इस प्रकार लिखेंगे-
महंगाई भत्ता का प्रतिशत = पिछले 12 महीनों के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का औसत (आधार वर्ष 2001=100)-115.76)/115.76} x 100
केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ता निकालने का फॉर्मूला
Percentage (%) of DA = {(Average of the All-India Consumer Price Index (Base year -2001 =100) for the last 3 months -126.33)/126.33} x 100
हिंदी में इस फॉर्मूला को इस प्रकार लिखेंगे-
महंगाई भत्ता का प्रतिशत = पिछले 3 महीनों के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का औसत (आधार वर्ष 2001=100)-126.33)/126.33} x 100
महंगाई भत्ता (DA) और महंगाई राहत ( DR) में अंतर
वैसे तो, महंगाई भत्ता (Dearness Allowance-DA) और महंगाई राहत (Dearness Relief-DR) एक जैसी ही चीजें हैं, लेकिन, दोनों के बीच एक मूलभूत अंतर यह होता है कि-
- महंगाई भत्ता (DA)- उन सरकारी कर्मचारियों के लिए होता है, जोकि अभी नौकरी कर रहे हैं। (for existing government employees)। इसकी गणना basic salary के आधार पर होती है।
- महंगाई राहत (DR)- उन सरकारी कर्मचारियों के लिए होती है, जोकि सेवानिवृत्त हो चुके हैं, यानी की पेंशन पाने वाले रिटायर कर्मचारियों के लिए (for retired government employees or pensioners)। इसकी गणना basic pension के आधार पर होती है।
महंगाई भत्ता (DR) पर इनकम टैक्स का नियम
सैलरी पाने वाले कर्मचारियों को मिलने वाला महंगाई भत्ता, पूरी तरह से taxable होता है। इसे आपके सालाना आमदनी का हिस्सा माना जाता है। आप पर लागू टैक्स स्लैब के हिसाब से इस पर टैक्स की गणना होगी। अगर टैक्स देनदारी निकलती है तो टैक्स भी चुकाना होगा। इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय, इसकी जानकारी भी देनी पड़ती है।
महंगाई भत्ता से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
छठे वेतनमान के लागू होने के बाद, तेजी से बढ़ा महंगाई भत्ता
छठा वेतनमान (6th Pay Commission) लागू होने के बाद, महंगाई भत्ता बढ़ने की दर में बहुत तेजी से उछाल आया है। पांचवें वेतनमान (5th Pay Commission) के लागू रहने तक महंगाई भत्ता (Dearness Allowance) 1 से 2% के बीच बढ़ा करता है। छठा वेतनमान (6th Pay Commission) लागू होने के साथ ही यह दोहरे अंकों (double-digit) में बढ़ने लगा।
पांचवें वेतनमान (5th CPC) के पहले तक, औद्योगिक कर्मचारियों (Industrial Workers) के लिए All India Consumer Price Index Number 1982 = 100 था। इसी के आधार पर महंगाई भत्ता तय होता था। छठा वेतनमान (6th Pay Commission) लागू होने पर, इसका आधार बदलकर CPI (IW) 2001=100 कर दिया गया।
एक अन्य महत्वपूर्ण बदलाव जो 6ठे वेतनमान के कारण जो हुआ, वह यह कि, 01 जनवरी 2006 से रिफरेंस बेस इंडेक्स को 306.33 से बदलकर 115.76 हो गया।
डीए फ्रीजिंग क्या होता है?
‘Freezing of DA’ (Freezing of Dearness Allowance) का मतलब, होता है- कुछ समय के लिए महंगाई भत्ता को रोक देना। उदाहरण के लिए केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए 1st January 2020 to 30th June 2021 तक अस्थायी रूप से DA इंक्रीमेंट रोक दिया गया था। जबकि सामान्य रूप से हर 6 महीने में, एक निश्चित प्रतिशत में महंगाई भत्ता दिया जाता है।