भारत में प्रत्येक इनकम टैक्स चुकाने वाले को अपनी कुल टैक्स देनदारी का 4% हेल्थ एंड एजुकेशन सेस भी अलग से चुकाना पड़ता है। अगर किसी की सालाना आमदनी 50 लाख रुपए से ज्यादा है तो उसे 10% सरचार्ज भी अलग से चुकाना पड़ता है। इस लेख में हम बताएंगे कि Cess क्या होता है?और Surcharge क्या होता है? दोनों के बीच में अंतर क्या होता है? What is the Difference between Cess and Surcharge in Hindi?
सेस और सरचार्ज के बीच अंतर
Cess को किसी विशेष अतिरिक्त कार्य के लिए लगाया जाता है। इसे हर करदाता (TaxPayers) से लिया जाता है। जैसे कि Education Cess, Agriculture Cess, Health Cess आदि।
लेकिन, Surcharge को सिर्फ कुछ विशेष करदाताओं (अमीर लोगो) पर लगाया जाता है। जैसे कि, भारत में 50 लाख रुपए सालाना या इससे अधिक आमदनी वालों को Surcharge चुकाना पड़ता है।
सेस की विशेषता
Cess, का हिंदी में अर्थ होता है, उपकर। यह टैक्स के ऊपर टैक्स की तरह काम करता है। इसे सरकार, किसी खास उद्देश्य के लिए ही वसूल करती है और सिर्फ उसी काम पर उसे खर्च कर सकती है। अगर उसमें से कुछ रकम बच भी जाती है तो उसे किसी दूसरे काम में खर्च नहीं किया जा सकता। बल्कि, आगे आने वाले वर्ष में फिर उसी उद्देश्य पर ही खर्च कर सकते हैं। नीचे दिए गए कुछ सेस के नाम और उनके इस्तेमाल को पढ़कर आप इसे ज्यादा बेहतर समझ सकेंगे-
- Education Cess के रूप में वसूले गए टैक्स को सिर्फ शिक्षा संबंधी कामों या योजनाओं पर ही खर्च किया जा सकता है। Agriculture Cess के रूप में वसूले गए टैक्स को सिर्फ कृषि विकास या कृषि संबंधी खर्चों के लिए ही इस्तेमाल किया जा सकता है। Health Cess के नाम पर वसूले गए टैक्स को स्वास्थ्य संबंधी कार्यों या योजनाओं पर खर्च किया जा सकता है। Health & Education Cess : भारत में इस समय सभी करदाताओं को 4% Health & Education Cess देना पड़ता है। इसका पैसा सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों क्षेत्रों के विकास के लिए कर सकती है।
इनकी एक और महत्वपूर्ण खासियत यह होती है कि केंद्र सरकार की ओर से Cess के रूप में मिली रकम में से राज्य सरकारों को हिस्सा नहीं दिया जाता। जबकि सामान्य टैक्स और सरचार्ज के रूप में मिली रकम में राज्यों का भी हिस्सा होता है। सेस की दर: 4%, आपके इनकम टैक्स+सरचार्ज का जितना भी टोटल होता है, उसका 4% आपको हे Health & Education cess के रूप में आपको अतिरिक्त टैक्स चुकाना पड़ेगा। ये हर टैक्स चुकाने वाले पर लगता है।
सरचार्ज की विशेषता
Surcharge का हिंदी में अर्थ होता है ‘अधिभार’। यह भी टैक्स के ऊपर टैक्स (Tax On Tax) ही होता है, लेकिन, इसे सरकार, सिर्फ ऊंची आमदनी वाले लोगों पर लगाती है। Surcharge के साथ सुविधा यह होती है कि, इसे खर्च करने के लिए किसी खास काम या उद्देश्य का प्रतिबंध नहीं होता। बल्कि, सामान्य टैक्स की तरह, इसे किसी भी उद्देश्य या खर्च के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। सरचार्ज के रूप में वसूल की गई रकम में राज्य सरकारों को भी हिस्सा मिलता है।
सरचार्ज की दर: चार्ज सिर्फ उन लोगों पर लगता है, जिनकी सालाना टैक्सेबल आमदनी 50 लाख रुपए से ज्यादा होती है। इससे ऊपर भी, जैसे-जैसे आपकी आमदनी बढ़ती है, सरचार्ज के रेट ज्यादा लगते है। नीचे सरचार्ज रेट की लिस्ट देखें-
टैक्सेबल आमदनी की मात्रा | सरचार्ज का रेट |
50 लाख से 1 करोड़ के बीच | 10% |
1 करोड़ से 2 करोड़ के बीच | 15% |
2 करोड़ से 5 करोड़ के बीच | 25% |
5 करोड़ रुपए से अधिक | 37% |
ध्यान दें: Dividend (लाभांश) या सेक्शन 111A, 112A, 115AD के तहत होने वाली आमदनी पर ज्यादा से ज्यादा 15% सरचार्ज ही लगता है। चाहे आमदनी कितनी भी अधिक हो।