ECS और NACH क्या है ? | फुल फॉर्म, मतलब और उपयोग

अब बड़ी कंपनियां, सारे कर्मचारियों की सैलरी एक साथ भेज देते हैं। इसी तरह, क्रेडिट कार्ड कंपनियां अपने सभी ग्राहकों के बिल का भुगतान एक ही तारीख को एक ही समय पर काट लेती हैं। बैंक भी किसी एक तारीख को लिए गए सभी लोन की किस्त किसी एक तारीख पर एक साथ काट लेते हैं। ये संभव हो सका है, पेमेंट सिस्टम में ECS और NACH सिस्टम लागू करने से।

कुछ साल पहले तक इस तरह के भुगतान (Payments) या प्राप्ति (Recieving) वाले काम, ECS (Electronic Clearance Service) के माध्यम से होते थे। अब यही काम NACH (National Automated Clearing House) के माध्यम से होते हैं।

इस लेख में हम जानेंगे कि ECS क्या होता है और NACH क्या होता है?। इनकी फुल फॉर्म क्या होती है और इनका हिंदी मेंं मतलब क्या होता है? इसके बाद हम ECS और NACH के बीच अंतर और फायदे भी बताएंगे।  

What is ECS and NACH in Hindi: full form, meaning, and uses in Hindi 

ECS and NACH kya Hai

ECS क्या है? फुल फॉर्म और मतलब 

ECS का अंग्रेजी में फुल फॉर्म होता है -Electronic Clearing Service। हिंदी में इसका मतलब होता है-इलेक्ट्रॉनिक समाशोधन सेवा। यह ऐसी तकनीकी सेवा होती है, जिसकी मदद से एक साथ कई बैंक अकाउंट्स में पैसे भेजे जा सकते हैं या प्राप्त किए जा सकते हैं।

ECS का इस्तेमाल दो प्रकार होता है-

  1. ECS Credit: एक साथ, कई Accounts में पैसे भेजने के लिए ECS credit सेवा का इस्तेमाल होता है। जैसे कि-dividend (लाभांश), interest (ब्याज) , salary (वेतन), pension (पेंशन) वगैरह का एक साथ कई लोगों को भेजना।
  2. ECS Debit: एक साथ कई अकाउंटों से पैसा प्राप्त करने के लिए, ECS debit सेवा का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे कि टेलीफोन बिल, बिजली के बिल, हाउस टैक्स, वाटर टैक्स, लोन की किस्तें, SIP या रेगुलर इन्वेस्टमेंट्स वगैरह।

ईसीएस के फायदे | Benefits of ECS

  • कंपनियाें या संस्थाओं को अपने ग्राहकों या सदस्यों से पेमेंट लेने के लिए, हर बार जमा करने या कराने की प्रक्रिया नए सिरे से नहीं करनी पड़ती।
  • ग्राहकों (customers) या सदस्यों (members) को भी अपना पैसा जमा करने या लेने के लिए, हर बार बैंक नहीं जाना पड़ता। या बार-बार ऑनलाइन पेमेंट की प्रक्रिया नए सिरे से नहीं करनी पड़ती।  

बैंक या कंपनियां ECS सिस्टम का इस्तेमाल कैसे करते हैं? 

ECS की पूरी प्रक्रिया, रिजर्व बैंक की ओर से स्थापित क्षेत्रीय समाशोधन गृहों (Regional Clearing Houses) की मदद से संपन्न की जाती है। ये Clearing House ऐसे Center होते हैं, जहां बैंकों के बीच एक दूसरे की देनदारियों का निपटारा (clearings) होता है।

किसी भी बैंक या कंपनी को ECS user बनने के लिए, खुद को RBI से मान्यताप्राप्त किसी clearing house के पास रजिस्ट्रेशन कराना होता है। इस समय देश में, 50 से अधिक clearing houses हैं। इनमें से 15 क्लियरिंग हाउस का संचालन RBI की ओर से किया जा रहा है और बाकी का संचालन सरकारी बैंकों (Public Sector Banks) की ओर से होता है। इनकी पूरी लिस्ट RBI की वेबसाइट www.rbi.org.in पर उपलब्ध है।

ECS users बनने के बाद आप ECS clearings में भाग लेने के योग्य हो जाते हैं। अब आप एक साथ कई लोगों के खाते में पैसा ट्रांसफर कर सकते हैं। अगर कई लोगों के अकाउंट्स से पैसा प्राप्त करना चाहते हैं तो उन सभी beneficiaries से उनके account को इस्तेमाल करने की सहमति भी लेनी पड़ती है।

ECS सिस्टम से संबंधित प्रचलित शब्द 

  • ECS mandate:  यह एक प्रकार का आदेशपत्र होता है, जिसमें आप अपने अकाउंट से पैसा काटने के लिए, अपने बैंक को अधिकृत करते हैं। इसमें आपको अपने बैंक अकाउंट के डीटेल्स (नाम, अकाउंट नंबर, बैंक ब्रांच वगैरह) देने होते हैं, और पैसे कटवाने की सहमति देनी पड़ती है। अकाउंट से अधिकतम कितना पैसा काटा जा सकता है, यह भी निश्चित कर सकते हैं।
  • ECS user: जो कंपनियां या संस्थाएं ECS के माध्यम से एकसाथ पेमेंट करवाने की सर्विस का इस्तेमाल करती हैं, उन्हें ECS user कहते हैं।
  • Beneficiary: जिन ग्राहकों या सदस्यों का पैसा ECS के माध्यम से मिलता है या जिनका एक साथ पैसा कटता है, उन्हें ECS beneficiary कहते हैं।
  • Sponsor bank: ECS user संस्था या कंपनी का अकाउंट जिस बैंक में होता है, उसे उसका sponsor bank कहा जाता है।
  • Destination bank: ECS के माध्यम से पैसे प्राप्त करने वाले या कटवाने वाले ग्राहकों के बैंक अकाउंट को destination bank कहते हैं।
  • Destination account holder: ECS के माध्यम से पैसे कटवाने वाले या प्राप्त करने वाले ग्राहकों को destination account holder या ECS beneficiary account holder कहा जाता है।

NACH क्या है? फुल फॉर्म और मतलब

NACH का फुल फॉर्म है –National Automated Clearing House। इसका हिंदी में मतलब होता है- राष्ट्रीय स्वचालित समाशोधन गृह। यह पहले से प्रचलित ECS सिस्टम का आधुनिक रूप है।

ECS की प्रक्रिया में अकाउंट से अकाउंटों के बीच पेमेंट की प्रक्रिया पूरी होने में Clearing Houses के कर्मचारियों की भी भूमिका होती थी। NACH सिस्टम में पेमेंट ट्रांसफर की पूरी प्रक्रिया कंप्यूटर सॉफ्टवेयर की मदद से अपने आप पूरी हो जाती है।

ECS सिस्टम को रिजर्व बैंक के Regional Clearing houses के माध्यम से संचालित किया जाता था, जबकि NACH को भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) के राष्ट्रीय स्वचालित समाशोधन गृह (NACH) के माध्यम से संचालित किया जाता है।

इसका पूरा सिस्टम इंटरनेट की मदद से चलता है, जो देश के किसी भी कोने में मौजूद संस्था, कंपनी या व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता है। इस प्रकार, बैंकों के बीच इकट्ठा लेन-देन के लिए, पहले से मौजूद Electronic Clearing Service (ECS) सिस्टम की जगह, ज्यादा सुविधाजनक और तेज सिस्टम उपलब्ध कराने के लिए, NACH सिस्टम (National Automated Clearing House) लाया गया है।

Core banking की सुविधा देने वाले सभी बैंकों को NACH की सदस्यता लेनी पड़ती है। फिलहाल, सभी प्रमुख बैंक NACH को अपना चुके हैं। जिन बैकों ने NACH सिस्टम को अपना लिया है, उनसे ECS mandate को पूरी तरह से हटा लिया गया है। 

NACH का उपयोग कहां होता है? 

NACH का भी इस्तेमाल भी ECS की तरह कई बैंक अकाउंटों के बीच एक साथ और बार-बार लेन-देन के लिए किया जाता है। जैसे कि एक साथ कई लोगों के अकाउंट में सैलरी भेजने के लिए। या फिर, एक साथ कई निवेशकों को शेयरों के लाभांश (Dividends) भेजने के लिए।

इसी प्रकार ग्राहकों से नियमित रूप से एक साथ payments collect करना, जैसे कि क्रेडिट कार्ड का बिल, बीमा प्रीमियम या म्यूचुअल फंड के तहत SIP का भुगतान वगैरह भी NACH सिस्टम से किये जाने लगे हैं। 

NACH सिस्टम दो प्रकार से काम करता है-

  1. NACH-Credit : अपने बैंक अकाउंट से कई दूसरे अकाउंट्स में एक साथ पैसा भेजने के लिए। जैसे कि, सैलरी, लाभांश, ब्याज वगैरह भेजने के लिए।
  2. NACH-Debit : दूसरों के बैंक अकाउंट्स से पैसा काटकर, अपने अकाउंट में जमा करने के लिए। जैसे कि, बिजली का बिल, बीमा प्रीमियम, SIPS वगैरह का पेमेंट पाने के लिए।

NACH Mandate क्या होता है?

NACH सिस्टम में भी, आपको अपने अकाउंट से ऑटोमैटिक पैसा कटवाने के लिए, सहमति देनी होती है। इसे NACH mandate कहते हैं। इंटरनेट बैंकिंग या बैंक के App की मदद से आप ऐसा कर सकते हैं। इसी तरह दूसरों के अकाउंट से पैसे काटकर अपने अकाउंट में जमा करने के लिए भी उनके NACH mandate  प्राप्त करने पड़ते हैं।

ECS सिस्टम की तुलना में NACH सिस्टम के फायदे 

NACH उन corporate और financial institutions के लिए, खास उपयोगी साबित हुआ है, जिन्हें अपने मेंबरों, कर्मचारियों या ग्राहकों को एक साथ payments करना होता है। जैसे कि dividend distribution, salary, interest, pension वगैरह। ये पहले से प्रचलित ECS सिस्टम से कई मायनों में बेहतर है। जैसे कि-

  • तेज प्रक्रिया: ECS में ये सारी प्रक्रिया, manual होती है। इसलिए इसमें ज्यादा समय लगता है। कभी-कभी verification issues भी सामने आते हैं। NACH में defined workflow होता है, जिससे न के बराबर समय लगता है।
  • रिफरेंस नंबर: NACH के मामले में आपको, सहमति देने पर एक unique mandate registration reference number मिलता है, आगे किसी तरह की समस्या होने पर आप इसकी मदद से समाधान पा सकते हैं। ECS में यह सुविधा नहीं थी।
  • रिजेक्ट नहीं: NACH में कागजी कार्यवाही (paperwork), बहुत कम होती है, इसलिए rejection ratio बहुत कम होता है। ECS में rejection ratio ज्यादा होता है।
  • जल्द निपटारा: NACH में payment, का Settlement, उसी दिन 24 घंटे के भीतर पूरा हो जाता है। ECS में इसे 3 से 4 दिन लगते हैं।
  • विवाद कम: NACH में दो पक्षों के बीच, विवाद की स्थिति में, निपटारे के लिए dispute management system बनाया गया है। ECS के साथ यह सुविधा नहीं थी।
  • रजिस्ट्रेशन आसान: NACH में रजिस्ट्रेशन 15 दिन के भीतर हो जाता है। ECS में रजिस्ट्रेशन के लिए, लगभग 30 दिन लगते हैं।

NACH सिस्टम की इन खूबियों को देखते हुए, अब ज्यादातर मुख्य बैंकिंग व वित्तीय संस्थाएं  ECS सिस्टम को छोड़कर NACH सिस्टम को अपना चुकी हैं।


तो दोस्तों ये थी बैंकों के ECS और NACH सिस्टम के बारे में जरूरी जानकारी। बैंकिंग, इन्वेस्टमेंट, सेविंग और टैक्स से जुड़ी अन्य उपयोगी जानकारियों के लिए देखें हमारे लेख-

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