सरकारी कर्मचारियों और बड़ी प्राइवेट कंपनियों के कर्मचारियों की सैलरी एक ही दिन, एक ही दिन उनके सैलरी अकाउंट्स में आ जाती है। बैंक और फाइनेंस कंपनियां अपने लाखों ग्राहकों के लोन की किस्त एक साथ काट लेते हैं। ये संभव हो सका है, भुगतान सिस्टम में ECS और NACH सिस्टम लागू होने की बदौलत।
इस लेख में हम जानेंगे कि ECS क्या होता है और NACH क्या होता है?। इनकी फुल फॉर्म क्या होती है और इनका हिंदी मेंं मतलब क्या होता है? इसके बाद हम ECS और NACH के बीच अंतर और फायदे भी बताएंगे।
ECS क्या है? फुल फॉर्म और मतलब
ECS का अंग्रेजी में फुल फॉर्म होता है -Electronic Clearing Service। हिंदी भाषा में इसका मतलब होता है-इलेक्ट्रॉनिक समाशोधन सेवा। यह ऐसी टेक्निकल सर्विस होती है, जिसकी मदद से एक साथ कई बैंक अकाउंट्स में पैसे भेजे जा सकते हैं। इससे एक साथ कई अकाउंटों से पैसे प्राप्त भी किए जा सकते हैं।
ECS का इस्तेमाल दो प्रकार होता है-
- ECS क्रेडिट: इस सेवा का इस्तेमाल, एक साथ, कई खातों में पैसे भेजने के लिए होता है। जैसे कि, salary (वेतन), pension (पेंशन) , dividend (लाभांश), interest (ब्याज) वगैरह को एक साथ कई लोगों को भेज देना।
- ECS डेबिट: इस सेवा का इस्तेमाल एक साथ कई खातों से पैसा प्राप्त करने के लिए, किया जाता है। जैसे कि, कई ग्राहकों को टेलीफोन बिल, बिजली के बिल, हाउस टैक्स, वाटर टैक्स वगैरह के बिल भेजना। इसी तरह बैंक लोन की किस्तें, SIP या रेगुलर निवेश के लिए भी ECS डेबिट का इस्तेमाल होता है।
ईसीएस के फायदे | Benefits of ECS
- कंपनियाें या संस्थाओं को अपने ग्राहकों या सदस्यों से पेमेंट लेने के लिए, हर बार जमा करने या कराने की प्रक्रिया नए सिरे से नहीं करनी पड़ती।
- ग्राहकों (customers) या सदस्यों (members) को भी अपना पैसा जमा करने या लेने के लिए, हर बार बैंक नहीं जाना पड़ता। या बार-बार ऑनलाइन पेमेंट की प्रक्रिया नए सिरे से नहीं करनी पड़ती।
बैंक या कंपनियां ECS का इस्तेमाल कैसे करते हैं?
ECS की पूरी प्रक्रिया, रिजर्व बैंक की ओर से स्थापित क्षेत्रीय समाशोधन गृहों (Regional Clearing Houses) की मदद से होती है। क्लियरिंग हाउस ऐसे सेंटर होते हैं, जहां बैंकों के बीच एक दूसरे की देनदारियों का निपटारा (clearings) होता है।
किसी भी बैंक या कंपनी को ECS यूजर बनने के लिए, खुद को RBI से मान्यताप्राप्त किसी क्लियरिंग हाउस के पास रजिस्ट्रेशन कराना होता है। इस समय देश में, 50 से अधिक क्लियरिंग हाउस हैं। इनमें से 15 क्लियरिंग हाउस का संचालन रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से किया जा रहा है और बाकी का संचालन सरकारी बैंकों (Public Sector Banks) की ओर से होता है।
ECS यूजर बनने के बाद, कोई बैंक या कंपनी ECS क्लियरिंग में भाग लेने के योग्य हो जाते हैं। अब आप एक साथ कई लोगों के खाते में पैसा ट्रांसफर कर सकते हैं। अगर कई लोगों के अकाउंट्स से पैसा प्राप्त करना चाहते हैं तो उन सभी से उनके अकाउंट को इस्तेमाल करने की सहमति भी लेनी पड़ती है।
NACH क्या है? फुल फॉर्म और मतलब
NACH का फुल फॉर्म है –National Automated Clearing House। इसका हिंदी में मतलब होता है- राष्ट्रीय स्वचालित समाशोधन गृह। यह पहले से प्रचलित ECS सिस्टम का आधुनिक रूप है। यानी कि यह ECS सिस्टम से तेज और बेहतर तरीके से काम करता है।
ECS की प्रक्रिया में, दो अकाउंटों के बीच पेमेंट की प्रक्रिया पूरी होने में क्लियरिंग हाउस के कर्मचारियों की भी भूमिका होती थी। NACH सिस्टम में पेमेंट ट्रांसफर की पूरी प्रक्रिया कंप्यूटर सॉफ्टवेयर की मदद से अपने आप पूरी हो जाती है।
ECS सिस्टम को रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय क्लियरिंग हाउसों के माध्यम से संचालित किया जाता था, जबकि NACH को भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) के राष्ट्रीय स्वचालित समाशोधन गृह (NACH) के माध्यम से संचालित किया जाता है।
इसका पूरा सिस्टम इंटरनेट की मदद से चलता है, जो देश के किसी भी कोने में मौजूद संस्था, कंपनी या व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता है। इस प्रकार, बैंकों के बीच इकट्ठा लेन-देन के लिए, पहले से मौजूद इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सर्विस (ECS) सिस्टम की जगह, ज्यादा सुविधाजनक और तेज सिस्टम उपलब्ध कराने के लिए, NACH सिस्टमलाया गया है।
कोर बैंकिंग की सुविधा देने वाले सभी बैंकों को NACH की सदस्यता लेनी पड़ती है। फिलहाल, सभी प्रमुख बैंक NACH को अपना चुके हैं। जिन बैकों ने NACH सिस्टम को अपना लिया है, उनसे ECS mandate को पूरी तरह से हटा लिया गया है।
NACH का उपयोग कहां होता है?
NACH का भी इस्तेमाल भी ECS की तरह कई बैंक अकाउंटों के बीच एक साथ और बार-बार लेन-देन के लिए किया जाता है। जैसे कि एक साथ कई लोगों के अकाउंट में सैलरी भेजने के लिए। या फिर, एक साथ कई निवेशकों को शेयरों के लाभांश (Dividends) भेजने के लिए।
इसी प्रकार ग्राहकों से नियमित रूप से एक साथ payments collect करना, जैसे कि क्रेडिट कार्ड का बिल, बीमा प्रीमियम या म्यूचुअल फंड के तहत SIP का भुगतान वगैरह भी NACH सिस्टम से किये जाने लगे हैं।
NACH सिस्टम दो प्रकार से काम करता है-
- NACH-क्रेडिट: अपने बैंक अकाउंट से, कई अन्य लोगों के अकाउंट्स में, एक साथ पैसा भेजने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। जैसे कि, सैलरी, लाभांश, ब्याज वगैरह भेजने के लिए।
- NACH-डेबिट: कई सारे अन्य अकाउंटों से पैसा काटकर, अपने एक अकाउंट में जमा करने के लिए इस सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे कि, बिजली का बिल, बीमा प्रीमियम, SIPS वगैरह का पेमेंट पाने के लिए।
NACH मैंडेट क्या होता है?
NACH सिस्टम में भी, आपको अपने अकाउंट से ऑटोमैटिक पैसा कटवाने के लिए, सहमति देनी होती है। इसे NACH मैंडेट कहते हैं। इंटरनेट बैंकिंग या बैंक के App की मदद से ऐसा किया जा सकता है। इसी तरह, ग्राहकों के अकाउंट से पैसे काटकर अपने अकाउंट में जमा करने के लिए भी उनके NACH मैंडेट प्राप्त करने पड़ते हैं।
ECS सिस्टम की तुलना में NACH सिस्टम के फायदे
NACH उन कॉर्पोरेट और फाइनेंशियल संस्थाओं के लिए, खास उपयोगी साबित हुआ है, जिन्हें अपने मेंबरों, कर्मचारियों या ग्राहकों को एक साथ पेमेंट करना होता है। जैसे कि डिविडेंट वितरण, सैलरी या पेंशन ट्रांसफर, ब्याज ट्रांसफर, वगैरह के लिए। ये पहले से प्रचलित ECS सिस्टम से कई मायनों में बेहतर है। जैसे कि-
- तेज प्रक्रिया: ECS में ये सारी प्रक्रिया, मैनुअल होती है। इसलिए इसमें ज्यादा समय लगता है। कभी-कभी सत्यापन में दिक्कत आ जाती है। NACH में पूरा सिस्टम पहले से सेट रहता है, जिससे कोई समस्या नहीं होता। समय भी बहुत कम लगता है।
- रिफरेंस नंबर: NACH के मामले में आपको, सहमति देने पर एक यूनिक मैंडेट रजिस्ट्रेशन रिफरेंस नंबर मिलता है, आगे किसी तरह की समस्या होने पर आप इसकी मदद से समाधान पा सकते हैं। ECS में यह सुविधा नहीं थी।
- रिजेक्ट नहीं: NACH में कागजी कार्यवाही बहुत कम होती है, इसलिए रिजेक्शन की दर बहुत कम होती है। ECS में रिजेक्शन दर ज्यादा होती है।
- जल्द निपटारा: NACH में पेमेंट सेटलमेंट, उसी दिन 24 घंटे के भीतर पूरा हो जाता है। ECS में इसे 3 से 4 दिन लगते हैं।
- विवाद कम: NACH में दो पक्षों के बीच, विवाद की स्थिति में, निपटारे के लिए डिस्प्यूट मैनेजमेंट सिस्टम गया है। ECS के साथ यह सुविधा नहीं थी।
- रजिस्ट्रेशन आसान: NACH में रजिस्ट्रेशन 15 दिन के भीतर हो जाता है। ECS में रजिस्ट्रेशन के लिए, लगभग 30 दिन लगते हैं।
NACH सिस्टम की इन खूबियों को देखते हुए, अब ज्यादातर मुख्य बैंकिंग व वित्तीय संस्थाएं ECS सिस्टम को छोड़कर NACH सिस्टम को अपना चुकी हैं।
तो दोस्तों ये थी बैंकों के ECS और NACH सिस्टम के बारे में जरूरी जानकारी। बैंकिंग, इन्वेस्टमेंट, सेविंग और टैक्स से जुड़ी अन्य उपयोगी जानकारियों के लिए हमारे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से जुड़ें।