ईपीएफ की वर्तमान ब्याज दर 8.15 %है
सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए EPF की ब्याज दर 8.15 % घोषित की है। इस पिछले वित्त वर्ष 2021-22 के 8.10 % के मुकाबले 0.05% ज्यादा है। उल्लेखनीय है की EPF अकाउंट की ब्याज दर हमेशा वित्त वर्ष के अंत में घोषित की जाती है। पिछले कुछ वर्षों के लिए EPF की ब्याज दरें इस प्रकार रही हैं-
वित्त वर्ष | EPF की ब्याज दर |
वित्त वर्ष 2022-2023 | 8.15% |
वित्त वर्ष 2021-2022 |
8.10% |
वित्त वर्ष 2020-2021 |
8.50% |
वित्त वर्ष 2019-2020 |
8.50% |
वित्त वर्ष 2018-2019 |
8.65% |
वित्त वर्ष 2017-2018 |
8.55% |
वित्त वर्ष 2016-2017 |
8.65% |
वित्त वर्ष 2015-2016 |
8.80% |
ईपीएफ ब्याज दर के बारे में जरूरी जानकारियां
प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों का पीएफ कटता है। यह पैसा रिटायरमेंट के बाद उन्हें मिलता है। नौकरी छूटने पर या नौकरी के बीच में भी कुछ आवश्यक कामों के लिए एडवांस या पूरा पीएफ निकालने की अनुमति होती है।
हर महीने आपकी सैलरी का 12% काटकर जमा किया जाता है
EPF अकाउंट , में हर महीने आपकी सैलरी का 12 प्रतिशत कटकर जमा होता है। इतना ही पैसा आपके नियोक्ता (Employer) या कंपनी की ओर से आपके EPF Account में जमा किया जाता है। हालांकि, आपका तो पूरा का पूरा 12 प्रतिशत अंशदान EPF Account में ही जमा होता है, जबकि नियोक्ता के 12 प्रतिशत अंशदान में से 8.33% आपके नाम pension scheme में जमा होता है। बाकी बचा पैसा (3.66 प्रतिशत) नियोक्ता की ओर से आपके EPF Account में जमा कर दी जाती है।
हर महीने के ओपनिंग बैलेंस पर होती है ब्याज की गणना
अब चूंकि EPF में पैसा हर महीने जमा होता है, इसलिए इस पर ब्याज की गणना भी हर महीने की जाती है। और, हर महीने के ब्याज की गणना के लिए मासिक ब्याज दर (Monthly Interest Rate) का प्रयोग किया जाता है। ये मासिक ब्याज दर आप वार्षिक ब्याजदर (Anual Interest Rate) में 12 का भाग देकर निकाल सकते हैं।
ब्याज आपके EPF account में महीने की शुरुआत में मौजूद शेष राशि (opening balance) पर मिलता है। यही कारण है कि किसी महीने की last Date के बाद जमा पैसे को अगले महीने के शुरुआती बैलेंस (opening balance) में नहीं गिना जाता।
ओपनिंग बैलेंस पर ब्याज की गणना का उदाहरण
सुनील के EPF Account में March 2021 के अंत में (31 March को) 50,000 रुपए जमा थे। 2 April 2021 को उसके Account में 5,000 रुपए और जमा हो गए।
लेकिन, नियमानुसार, 1 अप्रैल शुरू होने तक उसके खाते का बैलेंस तो 50,000 रुपए ही था। इसलिए April का ओपनिंग बैलेंस 50,000 ही माना जाएगा।
तो फिर, सुनील को अप्रैल महीने में, सिर्फ 50, 000 रुपयों पर ही ब्याज मिलेगा। 2 April को जो 5000 रुपए जमा हुए हैं, इन्हें मई महीने के Opening Balance में जोड़ा जाएगा और तब 55, 000 रुपयों पर ब्याज की गणना होगी।
ब्याज की रकम, साल के अंत में, जुड़ती है
लेकिन, ये हर महीने जो ब्याज की गणना होती है, इसे आपके अकाउंट में हर महीने जमा नहीं किया जाता। महीने दर महीने ये ब्याज इकटठा होता चलता है और इसे आपके ईपीएफ अकाउंट में जमा वित्तीय वर्ष के अंत में यानी कि 31 मार्च को किया जाता है। तब ये ब्याज भी आपके ईपीएफ बैलेंस में जुड़ जाता है और इस ब्याज पर भी ब्याज की गणना होने लगती है।
PF पर मिला ब्याज पूरी तरह टैक्स फ्री होता है
EPF scheme आपको पूरी तरह टैक्स छूट का फायदा देती है। इसे नीचे दिए गए चार बिंदुओं से समझा जा सकता है—
- EPF Scheme में आप जो भी अंशदान करते हैं वह section 80C के तहत टैक्स छूट का हकदार होता है। Section 80C के तहत सरकार कुछ खास योजनाओं में एक वित्त वर्ष के अंदर 1.5 लाख रुपए तक की जमाओं पर टैक्स नहीं लेती।
- आपके नियोक्ता (Employer) की ओर से किए गए Contribution को भी section 10(11) और 10(12) के तहत टैक्स से मुक्त रखा गया है। अप्रत्यक्ष रूप से (Indirectly) यह कर्मचारी के हित में होता है।
- परिपक्वता अवधि (Maturity Period) के बाद पीएफ के रूप में जो रकम आपको मिलती है, उस पर भी कोई टैक्स नहीं लगता। यह 100% टैक्स फ्री है।
- EPF Account में जमा रकम पर मिलने वाली ब्याज भी पूरी तरह Tax Free होती है, जबकि अन्य कई बचत योजनाओं में 10,000 रुपए सालाना से अधिक ब्याज होेने पर TDS काट लिया जाता है।
EPF की ब्याज दर कौन तय करता है?
जैसा कि हम शुरू में ही बता चुके हैं कि EPF में जमा रकम के प्रबंधन का जिम्मा EPFO के पास होता है। इस Fund में जमा लगभग पूरी रकम को सरकारी Bonds में निवेश कर देता है। ये सरकारी Bonds लंबे समय (long-term) के लिए होते हैं और इन पर निश्चित दर से ब्याज मिलता है।
उन सरकारी Bonds से किसी वित्तीय वर्ष में जो कमाई EPFO को होती है, उसी के आधार पर EPF ब्याज की घोषणा की ब्याज दर की घोषणा की जाती है। इसी कारण EPF पर ब्याज दर की घोषणा Financial Year के अंत में जाकर हो पाती है।
EPFO board, केंद्रीय वित्त मंत्रालय से विचार-विमर्श करके इस ब्याज दर को तय (Fix) करता है। लेकिन, अच्छी बात यह है कि अन्य Saving Schemes के मुकाबले ईपीएफ की ब्याज दर कम से कम 1 प्रतिशत अधिक रहती है।
निष्क्रिय अकाउंट (Inoperative Account) पर भी ब्याज देती है सरकार
पहले, ऐसे ईपीएफ अकाउंट, जिनमें 3 साल तक कोई पैसा जमा नहीं होता था, उन्हें निष्क्रिय खाता (Inoperative Account) घोषित कर दिया जाता था। निष्क्रिय खातों पर सरकार ब्याज देना बंद कर देती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं है। निष्क्रिय खातों पर भी सरकार ब्याज देना जारी रखती है। और जब भी (कर्मचारी के रिटायर होने तक) उस Account का हकदार व्यक्ति अपना पैसा निकालता है तो उसे ब्याज सहित पूरी रकम मिल जाती है।