पिछले लेखों में हम आपको CTC और टेक होम सैलरी के बारे में विस्तार से बता चुके हैं। हमारे कुछ पाठकों ने पूछा था कि ग्रॉस सैलरी क्या होती है? इसकी गणना कैसे की जाती है? ग्रॉस सैलरी से संबंधित नियम, सेक्शन 17(1) क्या है? इस लेख में हम आपके इस प्रश्न का जवाब देंगे। लेख के अंत में हम यह भी बताएंगे कि CTC, ग्रॉस सैलरी और Net Salary में अंतर क्या होता है?
ग्रॉस सैलरी क्या होती है? What is Gross Salary
किसी कर्मचारी को काम करने के बदले में, उसकी कंपनी को जितना पैसा भरना पड़ता है, वह उसकी Gross Salary होती है। हालांकि यह पूरी रकम कर्मचारी को मिल नहीं पाती, क्योंकि उसके टैक्स, पीएफ, ग्रेच्युटी वगैरह का हिस्सा काट लिया जाता है। लेकिन, अगर आपका पूरा पैसा बिना किसी टैक्स कटौती के और, बिना EPF कटौती के मिल गया होता तो वह आपकी Gross Salary होती।
थोड़ा और सरल शब्दों में कहा जाए तो बिना कुछ कटे-पिटे जितने पैसों का भुगतान आपको कंपनी से मिलना चाहिए था, वह आपकी Gross Salary होती है। इसी Gross Salary में से जब टैक्स कट जाता है, पीएफ और पेंशन फंड का पैसा कट जाता है, तो अंतिम रूप से कर्मचारी के अकाउंट में जो बची हुई रकम पहुंचती है, वह इसकी In Hand Salary या Take Home Salary होती है।
CTC और ग्रॉस सैलरी में क्या अंतर होता है? CTC किसी कर्मचारी को मिलने वाली सैलरी और सुविधाओं का पूरा पैकेज होती है। इसमें सैलरी, भत्ते (Allowance), पीएफ, बोनस, ग्रेच्युटी और ऐसे सभी खर्च शामिल होते हैं जिनका बोझ कंपनी को, आपको काम पर रखने में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ढोना पड़ता है। जैसे कि मकान, गाड़ी, मोबाइल, इंटरनेट, ट्रैवलिंग वगैरह पर आने वाले सारे खर्चे।
इस प्रकार, यह आपके कारण कंपनी की ओर से ढोई जाने वाली पूरी लागत होती है। इसलिए, इसे Cost To Company कहा जाता है। संक्षेप में इसे CTC कहा जाता है। इस CTC में से पीएफ और ग्रेच्युटी को निकालने के बाद जो रकम बचती है वह ग्रॉस सैलरी होती है।
ग्रॉस सैलरी में क्या-क्या शामिल होता है?
आपकी ग्रॉस सैलेरी में, कंपनी की से भुगतान की जाने वाली जो चीजें शामिल होती हैं, वे इस प्रकार हैं-
- मूल वेतन (Basic Salary)
- मकान किराया भत्ता (House rent allowance)
- विशेष भत्ता (Special Allowance)
- वाहन भत्ता (Conveyance Allowance)
- शैक्षिक भत्ता (Educational Allowance)
- चिकित्सा भत्ता (Medical allowance)
- अवकाश ट्रैवलिंग भत्ता (Leave travel allowance)
- अन्य भत्ते, जैसे कि सैलरी एरियर, पुरस्कार, ओवरटाइम भुगतान, परफॉरमेंस संबंधी अवार्ड
- अन्य सुविधाएं जैसे कि रहने का किराया, बिजली बिल, पेट्रोल चार्ज, पानी बिल वगैरह।
ग्रॉस सैलरी से संबंधित नियम: सेक्शन 17(1)
ग्रॉस सैलरी का निर्धारण करने के संबंध में एक सरकारी कानून भी है। भारत सरकार के इनकम टैक्स ऐक्ट में Section 17(1) इस बात को स्पष्ट किया गया है। इस कानू के अनुसार ये चीजें ही सैलरी के अंदर शामिल की जा सकती हैं-
- आपका पारिश्रमिक या मजदूरी (Wages)
- सैलरी एडवांस (advance of salary)
- सैलरी से हटकर मिला अन्य कोई भत्ता, कमीशन, शुल्क वगैरह
- पेंशन स्कीम के तहत कंपनी या सरकार की ओर से अंशदान- Section 8OCCD के तहत
- छुट्टी न लेने के बदले में लिया गया किसी तरह का भुगतान
Gross Salary और Net Salary में अंतर
ग्रॉस सैलरी में से सभी तरह की कटौतियों (deductions) बाहर करने के बाद, अंतिम रूप से जो पैसा आपके सैलरी अकाउंट में पहुंचता है वह आपकी नेट सैलरी होती है। जैसे कि Income Tax, Pension, Professional Tax वगैरह को ग्रॉस सैलरी में से बाहर करने के बाद आपके अकाउंट में पहुंची रकम। इसी नेट सैलरी को इन हैंड सैलरी या टेक होम सैलरी भी कहते हैं।
ग्रॉस सैलरी की गणना कैसे करें?
उमेश प्रताप, एक कंपनी में प्रोडक्शन मैनेजर के रूप में काम करते हैं। उनकी ग्रॉस सैलरी 60 हजार रुपए प्रति महीने है, जबकि उनकी टेक होम सैलरी सिर्फ 47000 रुपए है। जानते हैं क्यों? दरअसल उनकी मंथली सैलरी में शामिल चीजों पर लागत का बंटवारा इस हिसाब से रहा-
- बेसिक सैलरी = 20,000 रुपए
- HRA = 18,000 हजार रुपए
- LTA = 9,000 हजार रुपए
- ट्रैवल अलाउंस 12,000 हजार रुपए
- कुल योग = Rs.60,000 (ये उमेश प्रताप की ग्रॉस सैलरी है)
नेट सैलरी की गणना कैसे करें?
ग्रॉस सैलरी में से कुल कटौतियां (Deductions) इस प्रकार हुई हैं-
- PF कटौती – 2400 रुपए
- इनकम टैक्स: 1200 रुपए
- प्रोफेशनल टैक्स: 400 रुपए
- लोन की कटौती : 9000 रुपए
- सभी कटौतियों का योग: 13,000 रुपए
इन आंकड़ों के हिसाब से उमेश प्रताप की नेट सैलरी होगी-
नेट सैलरी = 60,000 – 13,000 = 47,000 रुपए (Net Salary = Gross Salary – Deductions )