जिन कारोबारियों का सालाना टर्नओवर 1.50 करोड़ रुपए से अधिक नहीं है और उनका अन्य राज्यों के साथ व्यवसाय नहीं होता तो वे जीएसटी की कंपोजिशन स्कीम ले सकते हैं। कंपोजिशन स्कीम में रजिस्टर्ड हो जाने के बाद आपको न तो हर महीने रिटर्न दाखिल करना पड़ेगा और न ही सभी सौदों की रसीदें पेश करनी पड़ेगी।
इस लेख में हम जानेंगे कि जीएसटी की कंपोजिशन स्कीम क्या है? इसे कौन अपना सकता है? कौन-कौन सा रिटर्न दाखिल करना पड़ता है? साथ ही यह भी जानेंगे कि कंपोजिशन स्कीम के नियम व शर्तें क्या हैं? इसके फायदे और नुकसान क्या-क्या हैं? All About GST Composition Scheme in Hindi.
हेडलाइंस
जीएसटी की कंपोजिशन स्कीम क्या है?
छोटे कारोबारियों को बार-बार रिटर्न दाखिल करने से राहत देने के लिए और रसीदें इकट्ठा करने के झंझट से बचाने के लिए सरकार ने GST की कंपोजिशन स्कीम शुरू की है।
कंपोजिशन अपनाने वाले व्यवसायियों को, अपने सभी लेन-देनों का अलग-अलग डिटेल नहीं देना पड़ता। अगर आप वस्तुओं (Goods) का कारोबार करते हैं तो सिर्फ 1% टैक्स चुकाना पड़ता है। अगर सेवाओं (Services) का कारोबार करते हैं तो 6% तक टैक्स चुकाना पड़ता है। बिना शराब वाले रेस्टोरेंट कारोबार पर 5% और ईंटों के कारोबार पर 6% टैक्स देना पड़ता है।
सामान्य श्रेणी के राज्यों में सालाना 1.50 करोड़ या इससे कम टर्नओवर वाले कारोबारी इसमें रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। विशेष श्रेणी के राज्यों (Special Category Stats) में सालाना 75 लाख रुपए या इससे कम टर्नओवर वाले कारोबारी भी कंपोजिशन स्कीम अपना सकते हैं। सिर्फ सेवा क्षेत्र में (service providers) कारोबार करने वाले सालाना 50 लाख रुपए से कम टर्नओवर होने पर ही कंपोजिशन स्कीम ले सकते हैं।
जीएसटी में, विशेष कैटेगरी वाले राज्यों के नाम इस प्रकार हैं
अरुणाचल प्रदेश | नागालैंड |
असम | सिक्किम |
जम्मू-कश्मीर | त्रिपुरा |
मणिपुर | हिमाचल प्रदेश |
मेघालय | उत्तराखंड |
मिजोरम |

10% तक सेवाओं का कारोबार भी अपने टर्नओवर में शामिल कर सकते हैं
कोई भी कंपोजिशन स्कीम अपनाने वाला कारोबारी, हर साल, अपने कुल टर्न ओवर का 10% तक, या 5 लाख रुपए तक की सेवाओं का कारोबार भी कर सकता है। इनमें से जो भी अधिक हो उसे आप अपनी लिमिट में शामिल कर सकते हैं।
एक PAN नंबर से जुड़े सभी कारोबार, टर्नओवर में शामिल होंगे
कुल टर्नओवर की गणना के लिए, एक PAN नंबर के तहत, होने वाले सभी कारोबारों को शामिल किया जाएगा। क्योंकि, एक व्यक्ति या संस्थान के अलग-अलग राज्यों के अलग-अलग कारोबारों को एक ही PAN नंंबर के आधार पर अलग-अलग जीएसटी नंबर जारी किए जाते हैं।
कंपोजिशन स्कीम अपनाने के लिए टर्नओवर की लिमिट क्या है?
कंपोजिशन स्कीम लेने के लिए निर्धारित टर्नओवर लिमिट इस प्रकार हैं-
सामान्य कैटेगरी के राज्यों के कारोबारियों के लिए | 1.5 करोड़ रुपए |
विशेष कैटेगरी के राज्यों के कारोबारियों के लिए | 75 लाख रुपए |
सिर्फ सेवाक्षेत्र (Service Sector) का कारोबार होने पर | 50 लाख रुपए |
कंपोजिशन स्कीम के साथ टैक्स किस रेट से देना पड़ता है?
बिजनेस का प्रकार | CGST | SGST | कुल देय GST |
वस्तुओं का उत्पादन और व्यापार करने वाले | 0.5% | 0.5% | 1% |
बिना शराब की सेवा वाले रेस्टोरेंट कारोबारी | 2.5% | 2.5% | 5% |
सेवाक्षेत्र में कारोबार करने वाले (Service Providers) | 3% | 3% | 6% |
ईंटों टाइल्स के निर्माता (Manufacturers of bricks) | 3% | 3% | 6% |
जीएसटी कंपोजिशन स्कीम कौन नहीं ले सकता?
निम्नलिखित कैटेगरी के कारोबारी जीएसटी की कंपोजिशन स्कीम नहीं अपना सकते-
- आइसक्रीम, पान मसाला, और तंबाकू का उत्पादन करने वाले व्यवसायी नहीं ले सकते
- दूसरे राज्यों से काराेबार करने वाले (inter-state suppliers) व्यवसायी नहीं ले सकते
- कैजु्अल टैक्सेबल पर्सन और नॉन रेजीडेंट टैक्सेबल पर्सन की श्रेणी वाले नहीं ले सकते
- ई-कॉमर्स कंपनियों (ऑनलाइन व्यापार) के माध्यम से कारोबार करने वाले नहीं ले सकते
कंपोजिशन कारोबारियों के लिए शर्तें व प्रतिबंध ?
टैक्स की रसीद जारी नहीं कर सकते: कंपोजिशन स्कीम अपनाने वाले कारोबारी, टैक्स की रसीद (tax invoice) नहीं जारी कर सकते। क्योंकि, इन्हें अपने ग्राहकों (customers) से टैक्स लेने का अधिकार नहीं होता। इसकी बजाय कंपोजिशन कारोबारियों को अपनी जेब से टैक्स चुकाना पड़ता है। इन्हें अपने बिल पर ऊपर की तरफ इसका उल्लेख भी करना होता है कि “composition taxable person, not eligible to collect tax on supplies”।
इसके अलावा, इन कारोबारियों के साथ निम्नलिखित शर्तें और प्रतिबंध भी जुड़े होते हैं-
- आप अपने कारोबार में, खरीदारियों (Purchases) पर चुकाए गए GST के बदले में Input Tax Credit के लिए क्लेम नहीं कर सकते।
- GST से बाहर की वस्तुओं का कारोबार नहीं कर सकते जैसे कि शराब (Alchohal)
- रिवर्स चार्ज सिस्टम के तहत होने वाले सौदों पर नॉर्मल रेट्स के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा
- अपने सभी बिलों पर composition taxable person का उल्लेख करना अनिवार्य है
- सभी नोटिसों पर भी composition taxable person का उल्लेख करना अनिवार्य है।
- अपनी दुकान या ऑफिस के बाहर लगे साइनबोर्ड पर भी composition taxable person का उल्लेख होना चाहिए।
अगर आपका अलग-अलग कई तरह के कारोबार है, तो सभी तरह के कारोबारों का टर्नओवर जोड़कर कंपोजिशन के लिए निर्धारित लिमिट से अधिक नहीं होनी चाहिए। जैसे कि एक ही मालिक के ग्रॉसरी, इलेक्ट्रॉनिक, टेक्सटाइल वगैरह।
- इनपुट टैक्स क्रेडिट क्या है? कैसे क्लेम किया जाता है?
- निल जीएसटी रिटर्न क्या होता है? कैसे भरा जाता है?
कंपोजिशन स्कीम अपनाने के लिए क्या करना होगा
आप GST Portal पर ऑनलाइन GST CMP-02 फॉर्म भरकर कंपोजिशन स्कीम अपना सकते हैं। इसका तरीका इस प्रकार है-
- सरकार के जीएसटी पोर्टल (https://www.gst.gov.in/) पर जाकर अपने जीएसटिन नंबर और पासवर्ड की मदद से लॉगिन करें
- ऊपर Services के बटन पर कर्सर ले जाएं और फिर Registration पर क्लिक कर दें
- Application to opt for composition Scheme के लिंक पर क्लिक कर दें

- अगले स्टेप्स में आपको अपने बारे में कुछ डिटेल्स देने होंगे और declaration पर सहमति देनी होगी
- आखिर में डिजिटल साइन या OTP की मदद से आप प्रक्रिया पूरी कर देते हैं।
- जैसे ही आपकी डेटा वैरिफाई हो जाता है, आपके मोबाइल नंबर और e-mail पर इसकी सूचना आ जाती है। इसका एक Acknowledgment Reference Number (ARN) भी आता है।
- ARN नंबर की मदद से आप अपना स्टेटस चेक कर सकते हैं। आगे किसी तरह की समस्या आने पर पूछताछ कर सकते हैं।
कब करा सकते हैं कंपोजिशन स्कीम में रजिस्ट्रेशन?
किसी भी वित्तीय वर्ष की शुरुआत में, इसकी प्रक्रिया पूरी करके सरकार को सूचना देनी पड़ती है। अगर आप किसी वित्तीय वर्ष के बीच में, कंपोजिशन स्कीम अपनाने के लिए फॉर्म CMP-02 भरते हैं तो, अगले महीने से आपके ऊपर कंपोजिशन स्कीम के नियम लागू हो जाएंगे। जिस महीने में आपने फॉर्म भरा है, ठीक उसके बाद वाले महीने से लागू होंगे।
कंपोजिशन कारोबारियों को टैक्स कब-कब चुकाना पड़ता है?
कंपोजिशन स्कीम अपनाने वाले कारोबारियों को अपने सभी सौदों पर खुद ही GST चुकाना पड़ता है। इन्हें निम्नलिखित प्रकार के सौदों पर GST का भुगतान करना पड़ता है। –
- आप जो भी बिक्री करते हैं, उनका एक निश्चित प्रतिशत GST के रूप में चुकाना पड़ता है। (लेख के शुरुआती हिस्से में देखें)
- रिवर्स चार्ज सिस्टम के तहत होने वाले सौदों पर भी GST टैक्स चुकाना पड़ता है। जानें: जीएसटी में रिवर्स चार्ज क्या है? कब लगता है?
- गैर रजिस्टर्ड कारोबारियों से खरीद पर भी GSTटैक्स चुकाना पड़ता है। देखें: जीएसटी किस-किस पर लागू है .. लिस्ट देखें
कंपोजिशन स्कीम लेने पर कौन सा रिटर्न भरना पड़ता है?
कंपोजिशन स्कीम लेने वाले कारोबारियों को तीन तरह के रिटर्न भरकर जमा करने पड़ते हैं-
- हर तिमाही के बाद CMP-08: कंपोजिशन स्कीम वाले हर कारोबारी को, हर तिमाही के बाद फॉर्म CMP-08 भरकर जमा करना पड़ता है। यह एक प्रकार का statement या विवरणपत्र होता है। जिसमें आपको उस तिमाही के लिए, self-assessed tax payable की details या summary देनी पड़ती है। इस फॉर्म को टैक्स का पेमेंट करने के लिए challan के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। हर तिमाही के बाद, पड़ने वाले महीने की 18 तारीख तक फॉर्म CMP-08 को भरकर जमा करना अनिवार्य है।
- हर साल के बाद GSTR-4: प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अंत में, 30 अप्रैल तक एक सालाना रिटर्न GSTR-4 भरकर जमा करना पड़ता है। वित्तवर्ष 2019-20 के पहले Form GSTR-9A को सालाना रिटर्न के रूप में दाखिल करना पड़ता था। अब Form GSTR-9A को खत्म कर दिया गया है।
नोट: April 2019 के पहले कंपोजिशन कारोबारियों को हर तिमाही के कारोबार पर GSTR-4 दाखिल करना पड़ता था। इसे अब सालाना रिटर्न बना दिया गया है। तिमाही रिटर्न के लिए ही अब ज्यादा सरल रिटर्न CMP-08 लांच किया गया है।
तो दोस्तों! ये थी जीएसटी कंपोजिशन स्कीम पर जरूरी जानकारियां। टैक्स, सेविंग और इन्वेस्टमेंट संबंधी अन्य उपयोगी जानकारियों के लिए देखें हमारे लेख-
- जीएसटी क्या है? अर्थ, महत्व और रिटर्न के बारे में पूरी जानकारी
- महिला सम्मान बचत पत्र योजना 2023 क्या है | ब्याज दर, नियम, फायदे
- सुकन्या समृद्धि योजना में 1000, 3000, 5000, 10000 जमा करने पर कितना मिलेगा
use total sale ka 1/5/6 % tax hi dena padta hai nhi ki 5/12/18/28 %, jiska fayda ye hota hai ki monthly returan filling fees bach jata hai
Dear customer composition me ap purchase karte he tab taxable value + gst hota he ap apna Profit margin ke sath gst value ka bhi value apne profit me indirect + karke sale kre jisse apko loss nahi hoga
composition wala na hi kisi se gst leta na khud deta h mtlb wo apni jeb se bhrta h fir use profit kya hota h usne jitna kmaya usme se hi gst bhrta h kya wo lgta h y sceme apna ne se wo tension free ho sakta h monthly return ka lafda nii rhta hoga