GST में रजिस्टर्ड कुछ कारोबारियों को हर महीने रिटर्न दाखिल करना पड़ता है और कुछ कारोबारियों को हर तीन महीने में रिटर्न दाखिल करना पड़ता है। वार्षिक रिटर्न (Annual Return) भी कारोबारियों की कैटेगरी के हिसाब से अलग-्अलग नाम के भरे जाते हैं। सामान्य रजिस्टर्ड कारोबारियों का रिटर्न अलग होता है और कंपोजिशन कारोबारियों का अलग। ई-कॉमर्स कंपनी का वार्षिक रिटर्न अलग होता है और इनपुट सर्विस प्रोवाइडर्स का अलग। टीडीएस काटने वालों का रिटर्न अलग होता है और विदेशी कैजुअल टैक्स पेयर्स का अलग।
इस लेख में हम जानेंगे कि जीएसटी रिटर्न क्या है? ये कितने प्रकार के होते हैं? किस कैटेगरी के कारोबारी को कौन सा रिटर्न दाखिल करना है और किस तारीख तक करना है?
What is GST Return? How many types of GST Returns?
जीएसटी रिटर्न क्या होता है? What is GST Return
जीएसटी के तहत कारोबार करने वालों को हर महीने या हर तिमाही पर अपने लेन-देनों का विवरण, सरकार को बताना पड़ता है। इन विवरणों को जीएसटी के रिटर्न फॉर्म में भरकर देना पड़ता है। इसमें आपको सभी बिक्रियों (sales) और खरीदारियों (purchases) के साथ-साथ ही काटे गए टैक्स (tax collected on sales (output tax) और चुकाए गए गए टैक्स (tax paid on purchases ) का विवरण भी देना पड़ता है। अगर आपकी कोई टैक्स देनदारी बकाया (tax liability) है, तो उसे भी साथ-साथ जमा कर देना पड़ता है।
इस तरह से हम कह सकते हैं कि जीएसटी रिटर्न, ऐसा फॉर्म होता है, जिसमें आपको अपने बिजनेस संबंधी सौदों का विवरण भरकर सरकार के पास जमा करना पड़ता है।
5 करोड़ से अधिक टर्नओवर वालों को हर महीने रिटर्न दाखिल करना पड़ता है। 5 करोड़ से कम टर्नओवर वाले QRMP स्कीम अपनाकर हर तिमाही में रिटर्न दाखिल कर सकते हैं। अगर वे QRMP स्कीम नहीं अपनाते हैं तो उन्हें भी हर महीने रिटर्न दाखिल करना पड़ेगा।
जीएसटी रिटर्न के प्रकार (Types of GST Return)
अलग-अलग कैटेगरियों के कारोबारियों के लिए अलग-अलग तरह के रिटर्न दाखिल करने के नियम हैं। अगले पैराग्राफों में सभी तरह के जीएसटी रिटर्न का अलग-अलग परिचय दिया है और उनके दाखिल करने की तारीख भी बताई है।
GSTR-1 क्या है? कब भरना पड़ता है?
इस रिटर्न फॉर्म में, आपको अपने बिजनेस की सभी बिक्रियों (outward supplies) का हिसाब-किताब देना पड़ता है। इसके अलावा रिवर्स चार्ज सिस्टम के तहत की गई खरीदारियों का विवरण और अन्य राज्यों के बीच हुए स्टॉक ट्रांसफर्स का भी विवरण देना पड़ता है। बिजनेस की अलग-अलग कैटेगरी के हिसाब से जीएसटीआर-1 रिटर्न दो तरह के होते हैं।
- QRMP स्कीम वाले कारोबारी: जिन कारोबारियों ने जीएसटी की QRMP स्कीम में अपना रजिस्ट्रेशन कराया है, उन्हें हर तिमाही (Quarter) के कारोबार का रिटर्न दाखिल करना पड़ता है। हर तिमाही के तुरंत बाद वाले महीने की 13 तारीख तक इसे भरकर जमा करना पड़ता है।
- गैर QRMP स्कीम वाले कारोबारी: जिन कारोबारियों ने जीएसटी की QRMP स्कीम में अपना रजिस्ट्रेशन नहीं करा रखा है, उन्हें हर महीने (Monthly) के कारोबार का रिटर्न दाखिल करना पड़ता है। कारोबार वाले महीने के तुरंत बाद वाले महीने की 11 तारीख तक जमा करना पड़ता है।
GSTR-2 (फिलहाल कैंसिल)
इसमें हर महीने की खरीदारियों (Purchases) का विवरण देने का नियम था लेकिन फिलहाल, इस रिटर्न को सरकार ने स्थगित कर रखा है। इसलिए इसके डिटेल्स हम यहां नहीं दे रहे हैं।
GSTR-3 (फिलहाल कैंसिल)
इसमें हर महीने की बिक्रियों (Sales) और खरीदारियों (Purchases), दोनों के विवरण देने का नियम था लेकिन फिलहाल, इस रिटर्न को सरकार ने स्थगित कर रखा है। इसलिए इसके डिटेल्स हम यहां नहीं दे रहे हैं।
GSTR-3B क्या है? कब भरना पड़ता है?
जीएसटी लागू होने के शुरुआती वर्षों में, कारोबारियों को ज्यादा झंझट से बचाने के लिए एक सरल रिटर्न फॉर्म दाखिल करने की सुविधा दी गई थी, जो अभी तक चल रही है। इसमें आपको अपने बिक्रियों (outward supplies) और खरीद (inward supplies) के साथ-साथ और टैक्स भुगतान वगैरह का मोटा-मोटा हिसाब देना पड़ता है।
जनवरी 2022 से यह नियम भी लागू हो गया है कि जो taxpayers Form GSTR-3B नहीं दाखिल करेंगे, उन्हें GSTR-1 भरने की अनुमति नहीं होगी। जीएसटीआर 3 बी की अंतिम तारीख भी अलग-अलग कैटेगरी के कारोबारियों के हिसाब से अलग-अलग होती हैं-
- QRMP स्कीम वाले कारोबारी: जिन कारोबारियों ने जीएसटी की QRMP स्कीम में अपना रजिस्ट्रेशन कराया है, उन्हें हर तिमाही (Quarter) के कारोबार का रिटर्न दाखिल करना पड़ता है।
- X कैटेगरी वाले राज्यों के कारोबारियों के लिए GSTR-3B रिटर्न हर तिमाही के बाद वाले महीने की 22 तारीख तक रिटर्न दाखिल करना पड़ता है। X कैटेगरी वाले राज्यों के नाम हैं- छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, दमन-दियू, दादर-नगर हवेली, पुडुचेरी, अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह व लक्षद्वीप
- Y कैटेगरी वाले राज्यों के कारोबारियों के लिए, GSTR-3B रिटर्न हर तिमाही के बाद वाले महीने की 24 तारीख तक भरकर जमा करना पड़ता है। Y कैटेगरी वाले राज्यों के नाम हैं- हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, बिहार, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, मेघालय, असम, पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, चंडीगढ़, नई दिल्ली
- गैर QRMP स्कीम वाले कारोबारी: जिन कारोबारियों ने जीएसटी की QRMP स्कीम में अपना रजिस्ट्रेशन नहीं करा रखा है, उन्हें हर महीने (Monthly) के कारोबार का रिटर्न दाखिल करना पड़ता है। कारोबार वाले महीने के तुरंत बाद वाले महीने की 20 तारीख तक जमा करना पड़ता है।
CMP-08 क्या है? कब भरना पड़ता है?
जीएसटी के तहत, कंपोजिशन स्कीम लेने वाले कारोबारियों को हर तिमाही (Quarter) पर टैक्स भुगतान करना पड़ता है और रिटर्न की बजाय एक Statement-Cum-Challan भरकर जमा करना पड़ता है। इसे CMP-08 नाम दिया गया है।
कौन ले सकता है कंपोजिशन स्कीम? सामान्य कैटेगरी वाले राज्यों में सालाना turnover 1.5 करोड़ रुपए तक टर्नओवर वाले कारोबारी कंपोजिशन स्कीम अपना सकते हैं। जबकि विशेष कैटेगरी वाले राज्यों (लिस्ट नीचे देखें) में सालाना 75 लाख रुपए टर्नओवर वाले कारोबारी इस स्कीम को अपना सकते हैं।
सिर्फ सेवा क्षेत्र में (service providers) व्यवसाय करने वाले कारोबारी, सालाना 50 लाख रुपए से कम टर्नओवर पर इस स्कीम को अपना सकते हैं।
जीएसटी में विशेष कैटेगरी वाले राज्यों के नाम हैं-
- अरुणाचल प्रदेश
- असम
- जम्मू-कश्मीर
- मणिपुर
- मेघालय
- मिजोरम
- नागालैंड
- सिक्किम
- त्रिपुरा
- हिमाचल प्रदेश
- उत्तराखंड
CMP-08 दाखिल करने की अंतिम तिथि: हर तिमाही के ठीक बाद वाले महीने की 18 तारीख तक CMP-08 दाखिल किया जा सकता है। यह फॉर्म एक चालान के रूप में होता है, जिसमें आपको उस तिमाही के लिए, खुद ही हिसाब लगाकर टैक्स देनदारी तय करनी पड़ती है।
GSTR-5 और GSTR-5A क्या हैं? कब भरना पड़ता है?
विदेशी (Non-resident foreign taxpayers) कारोबारी जो कि जीएसटी के तहत कारोबार करते हैं, उन्हें हर महीने की अपनी बिक्रियों और खरीद के विवरण के साथ-साथ टैक्स भुगतान वगैरह का विवरण रिटर्न फॉर्म GSTR5 के माध्यम से देना पड़ता है।
इसी तरह इंटरनेट के माध्यम से OIDAR service देने वाले विदेशी कारोबारियों को हर महीने की खरीद-बिक्रियों और टैक्स का हिसाब रिटर्न फॉर्म GSTR-5A के माध्यम से देना पड़ता है। प्रत्येक महीने के बाद, अगले महीने की 20 तारीख तक रिटर्न फॉर्म GSTR-5 और GSTR-5A जमा करना अनिवार्य है।
GSTR-6 क्या है? किसे भरना पड़ता है?
जीएसटी के तहत, इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर्स (ISDs) के रूप में कारोबार करने वालों को हर महीने यह रिटर्न दाखिल करना पड़ता है। किसी एक कारोबार को, कई शाखाओं या कार्यालयों के माध्यम से संचालित करने में यह सिस्टम काम करता है। इसमें सारे माल या सेवाओं की खरीदारी किसी एक मुख्य शाखा या Head Office के माध्यम से की जाती है और फिर उसे शाखाओं के माध्यम से बिक्री या सप्लाई किया जाता है।
हेड ऑफिस की ओर से अपनी खरीदारियों पर मिले इनपुट क्रेडिट का बंटवारा उसकी शाखाओं को कर दिया जाता है। हर महीने के ठीक बाद वाले महीने की 13 तारीख तक इस रिटर्न (GSTR-6) को दाखिल करना अनिवार्य है।
GSTR-7 क्या है? किसे भरना पड़ता है?
जीएसटी के तहत TDS काटने के लिए अधिकृत संस्थाओं और कारोबारियों को हर महीने यह रिटर्न (GSTR7) दाखिल करना पड़ता है। इसमें टैक्सपेयर के बारे में बेसिक डिटेल्स (नाम, GSTIN नंबर वगैरह) के अलावा सप्लायर का GSTIN नंबर और रसीदें (invoices) पेश करनी पड़ती हैं।
साथ ही जिस तरह के जीएसटी (SGST, CGST,,IGST) पर TDS काटा गया है उसकी जानकारी देनी पड़ती है। अगर किसी तरह की पेनाल्टी, ब्याज वगैरह चुकाया गया है तो वह भी दर्ज करना पड़ता है। प्रत्येक महीने के बाद वाले महीने की 10 तारीख तक इसे भरकर जमा करना अनिवार्य है।
GSTR-8 क्या है? किसे भरना पड़ता है?
ई-कॉमर्स कंपनियों (जैसे कि Amazon, Flipkart, Myntra, Snapdeal वगैरह) को हर महीने के कारोबार और वसूले गए TCS (Tax collected at source) का हिसाब-किताब, इस रिटर्न (GSTR-8) के माध्यम से दाखिल करना पड़ता है। प्रत्येक महीने के बाद वाले महीने की 10 तारीख तक इसे भरकर जमा करना अनिवार्य है।
वार्षिक रिटर्न
जीएसटी में रजिस्टर्ड प्रत्येक कारोबारी को, हर वित्तीय वर्ष के बाद, सालाना जीएसटी रिटर्न भी दाखिल करना पड़ता है। इनके नाम, परिचय और अंतिम तिथियां इस प्रकार हैं-
GSTR-9 क्या है? किसे भरना पड़ता है?
यह जीएसटी में रजिस्टर्ड सामान्य कारोबारियों (Regular Businesses) के लिए, सालाना जीएसटी रिटर्न होता है। इसमें आपको पूरे साल भर की खरीद-बिक्री और टैक्स भुगतान वगैरह का मोटा-मोटा विवरण देना पड़ता है। GSTR-9 दाखिल करने की अंतिम तारीख हर साल, वित्तीय वर्ष के बाद, 31 दिसंबर तक होती है।
GSTR- 4 क्या है? किसे भरना पड़ता है?
कंपोजिशन स्कीम अपनाने वालों को अपने साल भर की बिक्रियों और खरीदारियों के साथ-साथ, टैक्स भुगतान का हिसाब GSTR- 4 के हिसाब से देना पड़ता है। हर साल, वित्तीय वर्ष के बाद, 31 दिसंबर तक इसे भरकर जमा करना अनिवार्य है।
GSTR-9B क्या है? किसे भरना पड़ता है?
ई-कॉमर्स कंपनियों (जैसे कि Amazon, Flipcart, Myntra, snapdeal वगैरह) को अपने सालाना कारोबार और वसूले गए TCS (Tax collected at source) का हिसाब-किताब, वित्त वर्ष के बाद इस रिटर्न (GSTR9B) के माध्यम से देना पड़ता है। हर साल, वित्तीय वर्ष के बाद, 31 दिसंबर तक इसे भरकर जमा करना अनिवार्य है।
GSTR-9C क्या है? किसे भरना पड़ता है?
सालाना 2 करोड़ रुपए से अधिक टर्न ओवर वाले ऐसे कारोबारी, जिन्हें कि अपनी सालाना रिपोर्ट का ऑडिट कराना पड़ता है, उन्हें यह रिटर्न दाखिल करना पड़ता है। हर साल, वित्तीय वर्ष के बाद, 31 दिसंबर तक इसे भरकर जमा करना अनिवार्य है।
GSTR-10 क्या है? किसे भरना पड़ता है?
अगर आप अपना GST के तहत, कारोबार बंद करना चाहते हैं तो अपना GST registration खत्म या कैंसल कराना पड़ता है। ऐसा करने के लिए आपको, एक फाइनल रिटर्न फॉर्म भरकर जमा करना पड़ता है। यह रिटर्न फॉर्म GSTR10 के रूप में होता है। इसमें आपको अंतिम रूप से अपने सौदोंं और टैक्स वगैरह का आकलन करके दर्ज करना पड़ता है और अंतिम टैक्स देनदारी का भुगतान करना पड़ता है।
जब भी आप अपना GST registration कैंसल या सरेंडर करते हैं, उसके कैंसल होने की तारीख से 3 महीने के भीतर आपको यह रिटर्न (GSTR10) जमा करना पड़ता है।
GSTR-11 क्या है? किसे भरना पड़ता है?
भारत में स्थित अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं (जैसे कि, विदेशी दूतावासों, संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यालयों वगैरह) को अपनी हर महीने की खरीदारियों (purchases) का हिसाब-किताब जीएसटी के रिटर्न फॉर्म GSTR11 में भरकर देना पड़ता है।
ऐसी संस्थाओं को जीएसटी के तहत रजिस्ट्रेशन कराने पर GSTIN नंबर की बजाय UIN नंबर (Unique Identity Numbe) मिलता है। इसी UIN नंबर के आधार पर इन्हें अपना रिटर्न फॉर्म GSTR11 दाखिल करना पड़ता है।
दरअसल, इन संस्थाओं की भारत में टैक्स चुकाने की अनिवार्यता नहीं होती। इनकी खरीदारियों पर जो GST वसूला गया होता है, वह इन्हें वापस कर दिया जाता है। लेकिन इन्हें अपने चुकाए गए GST को वापस पाने के लिए,रिटर्न फॉर्म GSTR 11 भरकर जमा करना पड़ता है। इसमें अपनी खरीदारियों और उन पर चुकाए गए GST का विवरण देना पड़ता है
। जिस महीने की खरीदारियों का स्टेटमेंट जमा किया जाता है, उसके ठीक बाद वाले महीने की 28 तारीख तक, रिटर्न GSTR11 भरकर जमा करना पड़ता है।
निल जीएसटी रिटर्न क्या होता है? किसे भरना पड़ता है?
अगर आपने किसी रिटर्न की निर्धारित अवधि के दौरान, कोई कारोबार नहीं किया है। यानी कि कोई बिक्री (Sales) नहीं की है और कोई खरीदारी (Purchases) नहीं की है तो आप पर किसी तरह की टैक्स (GST) देनदारी भी नहीं बनती।
लेकिन, आपको उस अवधि के लिए भी जीएसटी रिटर्न दाखिल करना पड़ता है। इस तरह के रिटर्न को निल जीएसटी रिटर्न कहते हैं।