जीएसटिन क्या होता है? जीएसटी नंबर कितने अंक का होता है? What is GSTIN in Hindi

भारत में अब सालाना 40 लाख रुपए से अधिक का कारोबार करने वाले कारोबारियों को जीएसटिन नंबर लेना अनिवार्य है। उनके हर सौदे में इस नंबर का उल्लेख होना भी जरूरी है। जीएसटी टैक्स का पेमेंट करने और जीएसटी के रिटर्न भरने में भी GSTIN नंबर की जरूरत पड़ती है। इस लेख में हम जानेंगे कि जीएसटिन क्या होता है? यह कितने अंकों का होता है। इसकी फुल फॉर्म और हिंदी मीनिंग क्या होती है? इसके अलावा भी जीएसटिन से जुड़ी अन्य जरूरी जानकारियां भी हम यहां साझा करेंगे। What is GSTIN in Hindi? Whom is it mandatory to get?

जीएसटिन क्या है? What is GSTIN

GSTIN का फुल फॉर्म होता है-“Goods and Service Tax Identification Number“। इसका हिंदी में मतलब होता है-“माल एवं सेवा कर पहचान संख्या“। जो भी कारोबारी GST में रजिस्ट्रेशन कराता है, उसे यह नंबर मिलता है। इसलिए इसे जीएसटी रजिस्ट्रेशन नंबर या जीएसटी नंबर भी कहते हैं।

इसे एक निश्चित मात्रा से अधिक टर्नओवर वाले हर कारोबारी को लेना अनिवार्य है। भले ही वह Composition Scheme वाला व्यापारी हो, वस्तुओं का निर्माण (Manufacturing) करता हो या Restaurant या किसी अन्य सेवा क्षेत्र में व्यवसाय करता हो।  GSTIN ने जीएसटी  सिस्टम लागू होने से पहले जारी होने वाले होने वाले TIN नंबर (Tax Identification Number) का स्थान लिया है,  जोकि VAT सिस्टम लागू होने के दौरान मिला करता था।

जीएसटिन में कितने अंक होते हैं?

जीएसटिन नंबर में कुल 15 अंक होते हैं। इन 15 अंकों में आपके बिजनेस और टैक्सपेयर कैटेगरी के पहचान डिटेल्स छुपे होते हैं। प्रत्येक अंक का अलग-अलग मतलब होता है। अगली लाइनों में हमने प्रत्येक डिजिट का मतलब स्पष्ट किया है।-

प्रथम दो अंक राज्य के कोड होते हैं| First Two Digits is state code

GSTIN नंबर में शुरुआती दो अंक (Digit) उस राज्य का कोड होते हैं, जहां वह कारोबार किया जा रहा है। हर राज्य का अलग-अलग दो अंकों का Code होता है, जैसे कि दिल्ली के लिए 07, उत्तर प्रदेश के लिए 09, बिहार के लिए 10 और मध्यप्रदेश के लिए 23 है। मतलब ये कि उत्तर प्रदेश के सभी रजिस्टर्ड कारोबारियों के GSTIN 09 से शुरू होंगे। दिल्ली के सभी कारोबारियों के GSTIN नंबर 07 से शुरू होंगे। नीचे दी गई तालिका में हमने सभी राज्यों के कोड बताए हैं-

जीएसटिन में राज्यों के Code Number

जीएसटिन के पहले दो अंक संबंधित राज्य का नाम
01 जम्मू एवं कश्मीर 
02 हिमाचल प्रदेश 
03 पंजाब
04 चंडीगढ़
05 उत्तराखण्ड 
06 हरियाणा 
07 दिल्ली 
08 राजस्थान
09 उत्तर प्रदेश 
10 बिहार 
11 सिक्किम
12 अरुणाचल प्रदेश
13 नागालैंड 
14 मणिपुर 
15 मिजोरम 
16 त्रिपुरा 
17 मेघालय
18 असम 
19 पश्चिम बंगाल 
20 झारखण्ड 
21 उडीसा 
22 छत्तीसगढ़ 
23 मध्यप्रदेश 
24 गुजरात 
25 दमण एवं दीव
26 दादर एवं नगर हवेली 
27 महाराष्ट्र
28 आंध्रप्रदेश
29 कर्नाटक 
30 गोवा 
31 लक्षद्वीप
32 केरल 
33 तमिलनाडु 
34 पांडिचेरी 
35 अंडमान- निकोबार 

तीसरे से 12 वें अंकों का मतलब

जीएसटिन नंबर में, तीसरे अंक से लेकर 12 वें स्थान तक के कुल 10 डिजिट कारोबारी के PAN नंबर को दर्शाते हैं। आपके PAN नंबर से जुड़े देश भर के सभी कारोबारों के GSTIN नंबर में ये 10 अंक समान मिलेंगे।

तेरहवां अंक | Thirteenth Digit

तेरहवां digit आपके अधिकार में चल रहे सारे Businesses में उस Business के नंबर को दर्शाता है। जैसे कि आपके पास तीन Business  है तो पहले रजिस्टर्ड होने वाले Business को 1 नंबर मिलेगा, दूसरे नंबर पर रजिस्टर्ड कराए गए बिजनेस को 2 नंबर मिलेगा। यह संख्या 9 तक जाती है।

इसके बाद भी अगर इससे ज्यादा संख्या में बिजनेस हुए तो गिनती की बजाय A,B,C,D…..Z का क्रम शुरू हो जाता है। उदाहरण के लिए आपने अपना 12 वां कारोबार रजिस्टर्ड करवाया तो उसके लिए आपको GSTIN के तेरहवें स्थान पर C लिखा मिलेगा।

चौदहवां अंक| Fouteenth Digit

चौदहवां digit सभी GSTIN में आपको “Z” के रूप में मिलेगा। इसका किसी जानकारी या सूचना से मतलब नहीं है। संभवत: इसे भविष्य में प्रयोग के लिए विकल्प के रूप में रखा गया है।

पंद्रहवां अंक| Fifteenth Digit

15 वां digit एक चेकसम कोड (Checksome Code) होता है जो कंप्यूटर आपके Account के पहले से चौदहवें तक के अंक का एक विशेष तरीके से जोड़कर, फिर उनके अंकों के योग के रूप में दर्ज करता है। आपकी ओर से भरे गए Account Number में किसी गलती को ज्यादा तेज गति से पकड़ने (detection of errors) में यह Computer की मदद करता है।

GSTIN

जीएसटिन का महत्व या उपयोगिता (Importance Of GSTIN)

  • जीएसटी के नेटवर्क पर सभी जीएसटिन नंबर एक दूसरे में जुड़े (Interconnected) होते  हैं। इससे एक जगह किसी Account के आगे दर्ज की गई सूचना उस Account Owner के पास अपने आप पहुंच जाती है।
  • किसी सामान की बिक्री (Sale) करने वाला जैसे ही अपने बिक्री रिटर्न में उसे GSTIN नंबर के साथ चढ़ाता है। आगे चलकर खरीद करने वाले कारोबारी को अपने Account में वह सौदा अपने अाप चढ़ा मिलता है। अपनी खरीदारियों का Return भरने की दौरान इन्हें अलग से दर्ज करने की जरूरत नहीं होती।
  • किसी सौदे के आपके account में गलत दर्ज होने, या भूलवश कुछ कम-ज्यादा दर्ज होने की जानकारी भी आपके सामने होती है। आपके पास उसे सुधारने या हटाने का विकल्प होता है।
  • वस्तुओं के कोड (HSN Code) के अनुसार उनकी खरीद और बिक्रियों पर आपकी टैक्स देनदारी (Tax liablity) आपके अकाउंट में दिखती है। आपको ज्यादा माथा-पच्ची की जरूरत नहीं होती।
  • यह पूरे Tax System को पारदर्शी (Transparent)  विश्वसनीय (Authentic) और ज्यादा परिणामदायी (Fruitful) बनाने में मदद करता है। सारे कारोबार का Online Record होने से बिक्रियों को छुपाने और टैक्स चोरी के मौके बहुत कम हो गए हैं। इससे सरकार को ज्यादा राजस्व भी मिलेगा। टैक्स अधिकारियों के लिए निगरानी भी आसान हो गई है।

जीएसटिन लेना किसे अनिवार्य है? Whom GSTIN Mandatory

जिन व्यापारियों को जीएसटी में रजिस्ट्रेशन लेना अनिवार्य होता है, उन्हें ही जीएसटिन नंबर लेना अनिवार्य होता है। क्योंकि जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराने पर ही जीएसटीएन नंबर मिलता है। निम्नलिखित कैटैगरी के कारोबारियों को जीएटी में रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होता है-

  • सामान्य श्रेणी के राज्यों (Normal Category states) में सालाना 40 लाख रुपए से अधिक टर्नओवर वाले कारोबारी (राज्यों की लिस्ट अगले पैराग्राफ में देखें)
  • विशेष श्रेणी के राज्यों (Special Category states) में सालाना 20 लाख रुपए से अधिक टर्नओवर वाले कारोबारी (राज्यों की लिस्ट अगले पैराग्राफ में देखें)
  • दूसरे राज्यों तक सामान या सेवाएं भेजने वाले कारोबारी (Inter state suppliers)
  • Casual taxable person की कैटेगरी में आने वाले कारोबारी (देखें: कैजुअल टैक्सेबल पर्सन क्या होता है?)
  • Non-Resident taxable person की कैटेगरी में आने वाले कारोबारी
  • Agents या supplier के रूप में काम करने वाले कारोबारी (देखें: जीएसटी में प्रिंसिपल और एजेंट क्या होते हैं?)
  • रिवर्स चार्ज सिस्टम के तहत जीएसटी वसूलने वाले कारोबारी या संस्थाएं (देखें: जीएसटी में रिवर्स चार्ज क्या है? कब लागू होता है ?)
  • इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर (ISD) के रूप में काम करने वाले कारोबारी (देखें: इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर क्या है? )
  • e-Commerce operator या aggregator के रूप में काम करने वाली कंपनियां
  • e-commerce aggregator के माध्यम से अपना सामान बेचने वाले कारोबारी
  • किसी अन्य देश से भारत में online information and database access or retrieval (OIDAR) की सेवाएं देने वाले 

सेवा कारोबारियों को 20 लाख टर्न ओवर पर रजिस्ट्रेशन जरूरी

अगर कोई व्यक्ति या संस्था सामान नहीं बेचती है, बल्कि सिर्फ सेवाक्षेत्र ( service providers ) में कारोबार कर रहा है तो फिर उसे सामान्य कैटेगरी के राज्यों में 20 लाख सालाना टर्नओवर पर रजिस्ट्रेशन लेना अनिवार्य है।  विशेष कैटेगरी के राज्यों में, ऐसे सेवा कारोबारियों को 10 लाख का सालाना टर्नओवर होने पर रजिस्ट्रेशन लेना अनिवार्य है।

जीएसटी के तहत, विशेष श्रेणी राज्यों के नाम (Special Category States under GST)

अरुणाचल प्रदेशनागालैण्ड
असमसिक्किम
जम्मू-कश्मीरत्रिपुरा
मणिपुरहिमाचल प्रदेश
मेघालयउत्तराखण्ड
मिजोरम 

ध्यान दें:  विशेष श्रेणी के राज्यों (Special category states) को छोड़कर बाकी सभी राज्यों का नाम GST के तहत, सामान्य श्रेणी के राज्यों (Normal Category states) में आता है। सामान्य राज्यों के कारोबारियों को रजिस्ट्रेशन के लिए टर्नओवर लिमिट में छूट नहीं मिलती। जबकि विशेष श्रेणी के राज्यों के कारोबारियों को रजिस्ट्रेशन के लिए टर्नओवर लिमिट आधी रखी गई है। 

GSTIN और GSTN में अंतर

जैसा कि आप अब तक जान चुके हैं कि जीएसटिन (GSTIN) आपका जीएसटी में अकाउंट नंबर होता है। जिसे आप अपनी बिक्रियों, खरीदारियों का रिकॉर्ड दर्ज करने और फिर टैक्स जमा करने के लिए प्रयोग करते हैं।

इससे अलग जीएसटीएन GSTN यानी Goods and Service Tax Network वह सिस्टम है, जो जीएसटी पोर्टल के सारे आईटी सिस्टम को मैनेज करता है। GSTN ही ऑनलाइन सारे जीएसटिन और उनसे जुड़े सौदों को कंट्रोल करता है। अपने जीएसटी रिटर्न आदि दाखिल करने के लिए आप GSTN पर ही लॉगइन करते हैं।


तो दोस्तों ये थी जीएसटिन नंबर और इसके महत्व व उपयोग के बारे में जानकारी। रुपयों-पैसों से जुड़ी अन्य उपयोगी जानकारियों के लिए देखें हमारे लेख-

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