अच्छी कंपनियों के कर्मचारियों को सैलरी के साथ में मकान किराया भत्ता (HRA) भी दिया जाता है। सरकार की ओर से इस HRA पर सरकार टैक्स छूट भी मिलती है। अगर HRA कम मात्रा में मिलता है तो आप पूरे के पूरे HRA पर टैक्स छूट ले सकते हैं। ज्यादा होने पर HRA के सिर्फ एक बड़े हिस्से पर टैक्स छूट मिलती है। वह हिस्सा कुछ निश्चित फॉर्मूलों के आधार पर तय होता है। इस लेख में हम जानेंगे कि HRA क्या होता है? इस पर टैक्स छूट कैसे मिलती है? HRA पर टैक्स छूट की गणना करने का फॉर्मूला क्या है?
HRA क्या होता है?
HRA की फुल फॉर्म होती है- House Rent Allowance. इसका हिंदी में मतलब होता है-मकान किराया भत्ता। यानी कि HRA ऐसा भत्ता होता है, जोकि कर्मचारियों के अपने आवास या मकान का किराया चुकाने के लिए दिया जाता है। आपकी कंपनी या संस्थान आपकी सैलरी के साथ में HRA का भी पेमेंट करती है।
दरअसल, कंपनियां जिन कर्मचारियों को नौकरी पर रखती है, उनके रहने का इंतजाम भी कंपनी को करना चाहिए। बहुत सी बड़ी कंपनियां ऐसा करती भी हैं। वे अपने कर्मचारियों को नौकरी के साथ-साथ, रहने के लिए मकान भी देती हैं। लेकिन, सभी कंपनियां ऐसा कर पाने में सक्षम नहीं होतीं। ऐसी कंपनियां, अपने कर्मचारियों को रहने के लिए आवास या मकान का किराया (Rent) दे दे देती हैं। मकान किराया भत्ता को ही अंग्रेजी में House Rent Allowance कहते हैं, जिसका शॉर्ट फॉर्म HRA होता है। हर महीने आपकी सैलरी के साथ ये मकान किराया भत्ता (HRA) भी आपको मिला करता है।
HRA पर टैक्स छूट पता करने का फॉर्मूला
आपको HRA पर टैक्स छूट कितनी मिल सकती है, यह 3 बातों पर निर्भर करता है।
- आपको HRA के रूप में मिलने वाली कुल रकम कितनी है
- छोटे शहर में हैं तो आपकी सैलरी का 40% कितना होता है, मेट्रो शहर में हैं तो सैलरी का 50% कितना होगा?
- सैलरी के 10% से HRA को घटाने के बाद बची रकम (वास्तविक किराया – आपकी सैलरी का 10%) कितनी है
इन तीनों फॉर्मूलों के हिसाब से अलग-अलग रकम निकाल लेते हैं। तीनों रकमों में से जो भी सबसे कम होगी, सिर्फ उतनी रकम पर आप टैक्स छूट ले सकते हैं। उसके अलावा जो भी रकम होगी, उसे टैक्स स्लैब के हिसाब से इनकम टैक्स की गणना में शामिल करना होगा।
सिर्फ Basic Salary और DA को गणना में शामिल करते हैं
HRA पर टैक्स छूट की गणना (Calculation) करते समय जिस Salary की हम बात करते हैं, उसमें सिर्फ Basic Salary, महंगाई भत्ता (Dealness Allowance) और कमीशन शामिल किए जाते हैं। और अगर कर्मचारी को ये भत्ते (महंगाई भत्ता और कमीशन) नहीं मिलते हैं तो फिर सिर्फ basic salary को हम अपनी गणना में शामिल करते हैं।
HRA पर टैक्स छूट की गणना का उदाहरण
मान लेते हैं कि संजीव एक वेतनभोगी कर्मचारी है, जिसे 15000 रुपए मासिक basic salary मिलती है। उसे 6000 रुपए HRA के रूप में मिलते हैं। हालांकि, वह दिल्ली (Metro City) में रहता है और 7000 रुपए हर महीने मकान किराए का भुगतान करता है। सालाना के हिसाब से संजीव को ये चीजें इस तरह मिलती हैं-
- सालाना बेसिक सैलरी= 15000*12=1,80,000 रुपए
- सालाना मिलने वाला HRA=6000*12=72,000 रुपए
- सालाना किराए के रूप में चुकाई जा रही रकम= 7000*12=84,000 रुपए
- साल भर की सैलरी का 10 प्रतिशत= 1,80,000*10%= 18,000 रुपए
अब संजीव की सैलरी से जुड़े इन तथ्यों को HRA के फॉर्मूले में रखते हैं।
कुल HRA = ₹72,000
सैलरी का 50% = 50% of Rs 1,80,000 = ₹90,000
वास्तविक किराया – सैलरी का 10% = ₹84,000 – ₹18,000 = ₹66,000
इस तरह इन तीनों आंकड़ों में सबसे कम है ₹66,000। इसी रकम पर टैक्स नहीं लगेगा। बाकी बचे HRA (₹6,000) को संजीव की taxable income में जोड़ दिया जाएगा।
HRA पर टैक्स छूट के लिए आवश्यक डॉक्यूमेंट्स
- किराए की रसीद या एग्रीमेंट कॉपी: HRA पर टैक्स छूट पाने के लिए आपको किरायदारी का सबूत देना होगा। यानी किराये का एग्रीमेंट या फिर किराए की रसीद जमा करनी होगी। एग्रीमेंट या रसीद में किराए की रकम (rent amount), मकान मालिक नाम, मकान का पूरा पता (complete address of the property) तारीख आदि होनी चाहिए। रसीद में मकान मालिक के हस्ताक्षर (Signature) जरूर होने चाहिए। एग्रीमेंट में किरायेदार और मकान मालिक दोनों के हस्ताक्षर होने चाहिए।
- 1 लाख से ज्यादा सालाना किराया पर, मकान मालिक का PAN नंबर: अगर आप 1 लाख रुपए सालाना (8,333 per month) से ज्यादा मकान किराया चुकाते हैं तो अपने मकान मालिक (landlord) का PAN नंबर भी अपनी कंपनी को बताना होगा। पैन नंबर नहीं है तो मकान मालिक से इस संबंध में एक घोषणापत्र (declaration- नाम, पता हस्ताक्षर सहित) लेकर उसे आप नियोक्ता के पास जमा कर सकते हैं।
- जांच होने पर रेंट एग्रीमेंट भी पेश करना पड़ता है? सामान्य रूप से तो HRA पर टैक्स छूट claim करने के लिए कंपनी के पास सिर्फ किराए की रसीद जमा करना काफी होता है, लेकिन, अगर कभी Income Tax Department ने आपके दावे पर जांच (scrutiny) की तो फिर अन्य ज्यादा प्रामाणिक दस्तावेज (जैसे कि Rent agreement वगैरह भी प्रस्तुत करने पड़ सकते हैं।
किराए की रसीदें न जमा कर पाएं हो तो क्या करें?
अगर आप नियोक्ता की ओर से तय अंतिम तारीख deadline तक किराए की रसीद नहीं भी जमा कर पाए हैं तो भी सीधे अपना इनकम टैक्स रिटर्न भरते वक्त भी इनके आधार पर HRA की टैक्स छूट का लाभ ले सकते हैं।
क्या अपने घर में किरायेदार बनकर ले सकते हैं HRA पर टैक्स छूट?
कानूनी रूप से तो आप ऐसा नहीं कर सकते। अगर आप खुद के मकान में रहते हैं तो फिर आप खुद को मिलने वाले HRA पर टैक्स छूट नहीं ले सकते। HRA पर टैक्स छूट आपको सिर्फ तभी मिल सकती है, जबकि आप किराये के मकान में रहकर नौकरी करते हैं। लेकिन, कुछ नियम ऐसे हैं जिनकी मदद से आप अपने पारिवारिक मकान में भी किरायेदार बन सकते हैं, और HRA पर टैक्स छूट भी ले सकते हैं, जैसे कि-
क्या माता-पिता के घर पर किराएदार बनकर रह सकते हैं?
आप अपने माता-पिता (parents) के साथ रहते हैं तो आप खुद को उनका किरायेदार बना सकते हैं। माता-पिता को किराया Payment करके, उनकी रसीदों के आधार पर मकान किराया भत्ता (HRA) पर मिलने वाली टैक्स छूट का लाभ उठा सकते हैं। Income Tax Department कानूनी रूप से ऐसा करने की इजाजत देता है। इसके लिए जरूरी है कि आपके माता-पिता (दोनों या कोई एक भी) के नाम पर वह संपत्ति Registered होनी चाहिए। और आपकी ओर से चुकाई गई किराए की रकम को वे अपने Income Tax Return में आमदनी के रूप में दर्ज भी करें। ऐसा करने पर आपको भी अपने दावे के पक्ष में सामान्य किराएदार की तरह rent agreement और किराया भुगतान (proof of cash payments) वगैरह के दस्तावेज जमा करने होंगे।
आपके पास घर तो है, लेकिन ज्यादा दूरी के कारण किराए पर रहते हों
जी हां, अगर आपके पास घर तो हो, लेकिन कार्यस्थल से बहुत दूरी होने के कारण किराए के मकान में रहना पड़ रहा हो, तो भी आप HRA के माध्यम से Tax Saving का फायदा उठा सकते हैं। बस इस बात का ध्यान रखें कि जिस मकान में आप किराएदार हैं वह न तो आपके नाम हो, न आपके पति या पत्नी, बच्चे, या हिन्दू संयुक्त परिवार Hindu Undivided Family (HUF) की परिभाषा में आने वाले किसी सदस्य के नाम पर नहीं होना चाहिए।
HRA नहीं मिलता हो, लेकिन किराया चुकाते हों तो टैक्स छूट कैसे मिलेगी?
किसी कर्मचारी के साथ ऐसा भी हो सकता है कि उसकी सैलरी के साथ HRA न मिलता हो लेकिन उसे मकान किराया चुकाना पड़ता हो। ऐसे लोगों के पास अलग तरीके से Section 80 (GG) के तहत टैक्स बचाने का रास्ता होता है। इसके लिए उसे Income Tax Department के पास Form 10B जमा करना होगा। Section 80GG के तहत आप इनमें से किसी एक विकल्प (सबसे कम वाला) के हिसाब से टैक्स कटौती का फायदा उठा सकते हैं।
- आपकी कुल आमदनी के 10 प्रतिशत से ज्यादा जितना किराया चुकाते हैं।
- अपनी कुल आमदनी का 25%
- 5000 रुपए प्रति माह
इन तीनों विकल्पों में से जिसमें भी सबसे कम रकम निकलती है, उतनी रकम पर आपको टैक्स नहीं चुकाना होगा।
Section 80 GG के तहत यह लाभ पाने के लिए शर्तें
- जिस शहर में आप काम कर रहे हैं, वहां आपके, आपके पति/पत्नी या नाबालिग बच्चे के नाम पर कोई मकान नहीं होना चाहिए।
- आपके पास किसी अन्य स्थान पर कोई मकान (self-occupied property) नहीं होनी चाहिए
- पूरे वित्तीय वर्ष के दौरान आपको कहीं से HRA नहीं मिलना चाहिए।
Note: यदि आप वित्तीय वर्ष में 1 महीने के लिए कार्यरत थे (और HRA का फायदा उठाते हैं) और बाकी बचे समय में self-employed थे, तो भी आप धारा 80 GG के तहत टैक्स लाभ नहीं ले सकते।
इन स्थितियों में नहीं मिल सकती HRA पर टैक्स छूट
इनकम टैक्स के नियमों के मुताबिक, कुछ ऐसे प्रतिबंध हैं, जिनके लागू होने पर आपको HRA टैक्स छूट नहीं मिल सकती। जैसे कि-
खुद के मकान में रहते हों
आप HRA पर टैक्स कटौती के हकदार तभी बन सकते हैं, जबकि आप किराए के मकान में रहते हों। अगर आप अपने खुद के मकान में रहते हैं, तो फिर आप HRA के आधार पर Tax Benefit का दावा नहीं कर सकते।
रहने का कोई किराया ही न देते हों
अगर आप ऐसे मकान में रहते हों, जिसका आप कोई किराया ही नहीं देते हैं तो भी आप HRA के आधार पर Tax Benefit का दावा नहीं कर सकते। हो सकता है कि किसी संबंधी (Relative) या परिचित (Friend) के यहां रहने पर आपको ऐसी सुविधा मिल रही हो।
पति/पत्नी या बच्चे के नाम मकान है तो
जिस मकान में आप खुद को किरायेदार दर्शा रहे हैं और दस्तावेज भी जमा कर रहे हैं, अगर वह आपके पति, पत्नी या बच्चे के नाम है तो भी आप नियमत: एचआरए से टैक्स बचत का फायदा लेने के हकदार नहीं हैं। क्योंकि इस रिश्ते में, भले ही मकान आपके नाम नहीं हो, लेकिन उसे आपका ही माना जाएगा।
हालांकि, अगर आपने चालाकीवश ऐसा कर लिया तो हो सकता है कि इस टैक्स छूट का फायदा आपको मिल जाए। लेकिन, आगे कभी भी Income tax Department की जांच में फंस सकते हैं।
वेतनभोगी कर्मचारी की श्रेणी में नहीं आते हों
अगर आप खुद का काम करते हैं तो आप वेतनभोगी (salaried) की श्रेणी में नहीं होते। ऐसे में आप अपने मकान किराए (Rent For Home) के रूप में चुकाई गई रकम के आधार पर टैक्स छूट का लाभ नहीं उठा सकते। क्योंकि, टैक्स छूट की यह सुविधा सिर्फ उन वेतनभोगी कर्मचारियों (Salaried Employees) के लिए ही है, जिनकी सैलरी में HRA शामिल होता है। वैसे ये लोग किराये को अपने बिजनेस के खर्च के तौर पर दिखा सकते हैं।
होम लोन और HRA पर, एक साथ भी टैक्स छूट ले सकते हैं
अक्सर लोगों का सवाल होता है कि क्या वह HRA और Home Loan पर चुकाई जा रही ब्याज, दोनों पर एक साथ टैक्स बचत का फायदा उठा सकता है? इसका जवाब है हां, आप HRA के साथ-साथ होम लोन के मूल धन (principal) और ब्याज (interest) दोनों के payments पर टैक्स बचत का लाभ ले सकते हैं। बशर्ते कि आप उस घर में रह न रहे हों, या फिर किराए पर दे रखा हो।
- होम लोन के मूल धन की वापसी (Principal repayment) पर Section 80C के तहत 1.5 लाख रुपए सालाना पर टैक्स कटौती का फायदा लिया जा सकता है।
- होमलोन के ब्याज भुगतान (interest repayment) पर Section 24 के तहत, 2 लाख रुपए सालाना तक टैक्स कटौती का फायदा मिलता है।
लेकिन, अगर आपने अपने घर को किराए पर दे रखा है तो उससे मिलने वाली रकम को अपनी सालाना आमदनी में शामिल करना होगा।