इनकम टैक्स की पूरी जानकारी | प्रकार, मतलब और तरीके | All About Income Tax In Hindi

भारत में अगर आपकी सालाना आमदनी (Income) एक निश्चित सीमा से अधिक है तो आपको इनकम टैक्स भरना पड़ता है। सैलरी पाने वालों को अगर एक निश्चित सीमा से अधिक सैलरी मिलती है तो हर महीने उनकी सैलरी से TDS टैक्स कट जाता है। बिजनेस करने वालों को अगर निश्चित सीमा से अधिक आमदनी होती है , तो उन्हें हर तिमाही पर Advance Tax जमा करना पड़ता है। इसी प्रकार एक निश्चित सीमा से अधिक ब्याज, किराया, कमीशन या इनाम मिलने पर भी TDS काटा जाता है। इसी तरह कुछ विशेष प्रकार की वस्तुओं की खरीदारियों पर TCS वसूलने के नियम हैं।

ये सभी अलग-अलग नाम से कटने या जमा होने वाले टैक्स, वास्तव में इनकम टैक्स ही होते हैं। बस सरकार इनको वसूलती अलग-अलग तरीके से है। नए-नए करदाताओं के लिए तो इनका मतलब समझने में बड़ी माथा-पच्ची करनी पड़ती है।

इस लेख में हमने इनकम टैक्स के बारे में पूरी जानकारी दी है। सभी तरह के इनकम टैक्सों के नाम, उनके मतलब और वसूलने के तरीकों को समझाया है। A complete information about income Tax in Hindi.

Income Tax Rules and types

इनकम टैक्स क्या होता है?

इनकम टैक्स का हिंदी में मतलब होता है-आयकर। यह ऐसा टैक्स होता है, जिसे सरकार, लोगों की सालाना आमदनी (Annual Income) पर वसूलती है। हालांकि, भारत में कम आमदनी वालों से इनकम टैक्स नहीं लिया जाता। सिर्फ एक निश्चित सीमा से अधिक सैलरी या आमदनी वालों को ही इनकम टैक्स चुकाना पड़ता है। अलग-अलग तरह की कमाई पर, यह अलग-अलग नामों से वसूला जाता है। जैसे कि एडवांस टैक्स, टीडीएस, टीसीएस, वेल्थ टैक्स, प्रॉपर्टी टैक्स, प्रोफेशनल टैक्स वगैरह। 

इनकम टैक्स क्यों लिया जाता है? किसी भी देश की सरकार की आमदनी का जरिया मुख्य रूप से टैक्स होते हैं। सरकार को देश या राज्य पर अपना शासन चलाने के लिए और जनता को सुविधाएं देने के लिए पैसों की जरूरत पड़ती है। यह पैसा मुख्य़ रूप से टैक्सों के माध्यम से आता है। 

अंग्रेजी में एक कहावत है कि-NATIONS ARE MADE WHEN TAXES ARE PAID. मतलब यह कि जब टैक्सों का भुगतान किया जाता है तभी राष्ट्रों का निर्माण होता है। इससे आप टैक्सों का महत्व समझ सकते हैं। 

भारत में, वर्ष 1961 में पारित, इनकम टैक्स एक्ट के माध्यम से, सरकार को इनकम टैक्स वसूलने का अधिकार मिला हुआ है।

इनकम टैक्स के प्रकार | Types of Income Tax

भारत में इनकम टैक्स, जिन अलग-अलग नामों से और अलग-अलग तरीकों से लिया जाता है। ये मुख्य रूप से निम्नलिखित प्रकार के होते हैं-

टीडीएस (Tax Deducted at the Source)

सरकार ने कुछ खास तरह की आमदनी को ट्रांसफर करते वक्त ही टैक्स काटकर सरकार के पास जमा कर देने की व्यवस्था बना रखी है। इस तरह काटकर रखे गए टैक्स को Tax Deducted at Source का नाम दिया गया है। संक्षेप में इसे TDS  कहा जाता है।

ये TDS, एक सीमा से अधिक सैलरी पर भी कटता है और एक सीमा से अधिक ब्याज (Interest), कमीशन किराया (rent), इनाम (Prize money) दलाली (brokerage) वगैरह पर भी कटता है।

इसमें सैलरी पर,  TDS  टैक्स स्लैब के हिसाब से कटता है और बाकी अन्य तरह की आमदनी पर टैक्स की अलग-अलग दर (rate) निर्धारित है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए, कुछ प्रमुख तरह की कमाई पर TDS कटौती की दरें इस प्रकार हैं-

आमदनी का प्रकारकितनी आमदनी पर, TDS कटेगा किस दर से TDS कटेगा
सैलरी (Salaries)टैक्स भरने लायक आमदनी होने परइनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से
5 साल के पहले EPF निकालना50000 से अधिक होने पर10%
डिबेंचर्स वगैरह से ब्याज मिलना 5000 से अधिक होने पर10%
कंपनियों से लाभांश (Dividends) मिलना5000 से अधिक होने पर10%
बैंक, पोस्ट ऑफिस या को-आॉपरेटिव बैंक से ब्याज मिलना40000 ( बुजुर्गों से 50000 से अधिक ब्याज पर)10%
घुड़दौड़, लॉटरी, क्रॉसवर्ड या किसी अन्य प्रकार के गेम पर रकम जीतना10000 से अधिक होने पर30%
ठेकेदार (Contractors) या उपठेकेदार (sub-contractors) को भुगतान 30000 से अधिक होने पर1% (व्यक्ति/HUF के लिए), 2% (अन्य श्रेणी के करदाताओं के लिए)
बीमा पॉलिसी से कमीशन मिलन पर15000 से अधिक होने पर5%(व्यक्तियों के लिए), 10% (कंपनियों के लिए)
बीमा के अलावा किसी अन्य प्रकार के कमीशन या दलाली 15000 से अधिक होने पर5%
किसी प्लांट, मशीनरी या उपकरण के किराए के रूप में मिली रकम पर 240000 से अधिक होने पर2%
अचल संपत्ति को किराए पर देने से मिली रकम पर240000 से अधिक होने पर10%
जमीन, घर, दुकान या बिल्डिंग को बेचने से मिली रकम पर 50 लाख से अधिक होने पर1%
किसी व्यक्ति या HUF को किराया भुगतान पर 50000 प्रतिमाह से अधिक होने पर5%
प्रोफेशनल फीस के भुगतान पर30000 से अधिक होने पर2% (FTS, रॉयल्टी पर) 10%(अन्य पर)

टीसीएस (Tax Collected at the Source) 

सरकार ने कुछ खास तरह की वस्तुओं को बेचते समय ही उनकी कीमत के साथ टैक्स वसूलने की व्यवस्था बना रखी है। जैसे कि, इमारती लकड़ी, scrap, खनिज, शराब, तेंदू पत्ता, जंगली उत्पाद, कारें, टोल टिकट वगैरह पर। ऐसे किसी सामान की कीमत, अगर 50 लाख रुपए से अधिक है तो उसकी कीमत के साथ-साथ निर्धारित रेट से से TCS भी वसूलने का नियम है।

ऐसा सामान बेचने वाला व्यक्ति या कंपनी को ही, उसकी बिक्री कीमत के साथ-साथ टैक्स (TCS) वसूलकर, सरकार के पास जमा करना पड़ता है। अलग-अलग तरह के सामान पर TCS वसूलने के रेट, इस प्रकार रहते हैं-

सामान्य सामानों को बेचने पर (Sale of Goods)0.10%
स्क्रैप के बेचने पर (Sale of any Scrap)1%
कार या मोटर वाहनों की बिक्री पर (Motor Vehicle (any mode of payment)1%

एडवांस टैक्स (अग्रिम कर) 

सैलरी के अलावा, किसी अन्य प्रकार से आपको अगर 10 हजार रुपए से अधिक इनकम टैक्स भरने लायक आमदनी होती है तो फिर आपको एडवांस टैक्स चुकाना पड़ता है। इसे वित्त वर्ष के दौरान ही, अपनी कमाई के अनुमान के हिसाब से भरना पड़ता है। कमाई का हिसाब पता चलने के पहले ही एडवांस में टैक्स भरने के कारण इसे एडवांस टैक्स कहा जाता है। हर तिमाही पर आपको अपने अनुमानित टैक्स का एक निश्चित हिस्सा चुका देना पड़ता है। नीचे तालिका में देखें-  

15 जून के पहलेकम से कम 15%
15 सितंबर के पहले कम से कम 45%
15 दिसंबर के पहले कम से कम 75%
15 मार्च के पहले कम से कम 100%

ध्यान दें: 31 मार्च के पहले, चुकाया गया कोई टैक्स, उसी वित्तवर्ष के दौरान चुकाये गए एडवांस टैक्स के रूप में माना जाता है। विस्तार से जानने के लिए देखें हमारा लेख:एडवांस टैक्‍स क्या होता है? कब और कितना जमा करना पड़ता है?

संपत्ति कर (Wealth Tax)

कुछ खास तरह की प्रॉपर्टी, जिनके पास होती है, उन्हें wealth tax देना पड़ता है। भले ही उस प्रॉपर्टी से आपको कोई इनकम हो रही हो या न हो रही हो। individuals, companies, HUFs (Hindu Undivided Families) वगैरह पर यह नियम लागू होता है। आगर आपकी net wealth 30 लाख रुपए से ऊपर की है तो आपको Wealth-tax चुकाना होगा। 

कॉर्पोरेट टैक्स 

भारत में काम करने वाली कंपनियों को कॉर्पोरेट टैक्स का भुगतान करना पड़ता है। कंपनी चाहे अपने देश की हो या किसी अन्य देश की अगर वह भारत की जमीन पर स्थित है या यहां अपना कारोबार करती है तो उसे कॉर्पोरेट टैक्स चुकाना पड़ता है। कॉर्पोरेट टैक्स के अंतर्गत कुछ अन्य प्रकार के इनकम टैक्स भी आते हैं, जैसे कि FBT (फ्रिंज बेनेफिट टैक्स), MAT (मिनिमम अल्टरनेटिव टैक्स), STT (सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स) वगैरह। 

प्रोफेशनल टैक्स 

बहुत से लोग सोचते हैं कि professional tax, सिर्फ उन लोगों का कटता होगा, जोकि किसी professional जॉब से जुड़े होते हैं जैसे कि डॉक्टर, वकील वगैरह। लेकिन, वास्तव में ऐसा नहीं है।

अगर आप, कोई जॉब करते हैं और आपको नियमित रूप से सैलरी मिलती है तो आपको TDS के साथ-साथ  professional tax भी चुकाना पड़ता है। आपकी सैलरी स्लिप्स में इसका उल्लेख होता है। सैलरी स्लिप में gross salary, allowance, HRA वगैरह के नीचे काटे गए professional tax का उल्लेख मिलता है। 

इसे उस राज्य सरकार (state government) की ओर से लगाया जाता है, जिस राज्य में आप रहते हैं। लेकिन, इसकी वसूली का जिम्मा उस कंपनी या संस्थान के पास होता है, जिसमें आप काम करते हैं। यह आमदनी के स्तर के हिसाब से कम-ज्यादा लगता है। हर राज्य की ओर से प्रोफेशनल टैक्स के लिए टैक्स स्लैब रेट्स घोषित  किये जाते हैं। लेकिन, किसी भी हाल में यह 2500 रुपए से अधिक नहीं काटा जा सकता। 

सैलरी पाने वाले लोगों के अलावा, कंपनियाें, संस्थाओं, क्लब, प्रोफेशनल्स (जैसे कि वकील, सीए, सीएस, कंसल्टैंट्स वगैरह) पर भी इस टैक्स को लगाया जाता है।

कैपिटल गेन्स टैक्स 

किसी संपत्ति (assets) या निवेश (investments) को बेचने पर, जो मुनाफा होता है, उसे कैपिटल गेन कहते हैं। सरकार इस पर टैक्स लेती है, जिसे कैपिटल गेन टैक्स कहते हैं। इसमें property, cars, machinery, businesses, art, bonds, and shares वगैरह ऐसी सभी चीजें शामिल की जाती हैं, जिन्हें लाभ कमाने के उद्देश्य से खरीदकर रख लिया जाता है और कुछ अवधि के बाद बेच दिया जाता है।

विस्तार से जानें:लांग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स क्या है ?किसे चुकाना पड़ता है?

कम अवधि तक रखने के बाद बेचने पर जो लाभ मिलता है, उस पर लगने वाले टैक्स को short-term capital gains (STCG) tax कहते हैं। कुछ लंबी अवधि तक ऐसी चीजों को रखने के बाद बेचने पर मिले मुनाफा पर long-term capital gains (LTCG) tax कहते हैं।

विस्तार से जानेंशॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स क्या होता है? किसे चुकाना पड़ता है?

इनकम टैक्स कुल कितना चुकाना पड़ता है? 

सरकार हर व्यक्ति की आमदनी पर एक ही दर से इनकम टैक्स नहीं लेती। बल्कि वह ऐसा सिस्टम बनाती है, जिसमें बहुत कम आमदनी वालों को टैक्स न देना पड़े। थोड़ी अधिक आमदनी वालों को कम रेट पर टैक्स देना पड़े और बहुत अधिक आमदनी वालों को ज्यादा रेट पर टैक्स का भुगतान करना पड़े। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए, इनकम टैक्स स्लैब इस प्रकार निर्धारित किए गए हैं-

आमदनी का स्लैबइनकम टैक्स रेट
2.50 लाख से कम वाले हिस्से पर कोई टैक्स नहीं (Nil)
2.5 लाख से 5 लाख के बीच वाले हिस्से पर

(अगर आप पर कुल टैक्स सिर्फ 12500 रुपए बनता है,तो सेक्शन 87A की मदद से पूरा माफ हो जाता है)

5%
5 लाख से 7.50 लाख के बीच वाले हिस्से पर10%
7.5 लाख से 10 लाख के बीच वाले हिस्से पर15%
10 लाख से 12.50 लाख के बीच वाले हिस्से पर20%
12.50 लाख से 15 लाख के बीच वाले हिस्से पर25%
15 लाख रुपए से अधिक वाले पूरे हिस्से पर30%

भारत में फिलहाल 5 लाख रुपए तक सालाना आमदनी वालों को कोई टैक्स नहीं भरना पड़ता, जिसे वित्त वर्ष 2023-24 से बढ़ाकर 7 लाख रुपए तक कर दिया गया है।  

सेस और सरचार्ज

सेस: ऊपर दिए गए टैक्स स्लैब के हिसाब से आप पर जितना भी टैक्स बनता है, उस टैक्स देनदारी का 4% आपको Health and Education Cess के रूप में अलग से जोड़कर देना पड़ता है।

और पढ़ें- सेस क्या है? भारत में हेल्थ एंड एजुकेशन सेस कितना लगता है?

सरचार्ज: बहुत ज्यादा आमदनी वाले लोगों से सरकार, इनकम टैक्स के अलावा, सरचार्ज भी अलग से वसूलती है। यह आपके Income tax के कुछ प्रतिशत के रूप में होता है। जैसे कि-

इनकम टैक्स का 10%50 लाख से अधिक टोटल इनकम होने पर
इनकम टैक्स का 15%1 करोड़ से अधिक टोटल इनकम होने पर
इनकम टैक्स का 25%2 करोड़ से अधिक टोटल इनकम होने पर
इनकम टैक्स का 37%5 करोड़ से अधिक टोटल इनकम होने पर

12500 रुपए तक का टैक्स पूरा माफ हो जाता है

अगर आपकी टैक्स देनदारी 12500 रुपए तक बन रही होती है तो फिर आपको कोई टैक्स देने की जरूरत नहीं होती। आयकर अधिनियम की धारा 87 के तहत यह टैक्स छूट सरकार देती है।  फिलहाल ये नियम वित्तवर्ष 2022-23 की आमदनी पर लागू है।

उदाहरण के लिए,आपकी सालाना आमदनी पर कुल 11,000 रुपए टैक्स बन रहा है। अब चूंकि धारा 87 a के तहत आपको इस टैक्स देनदारी में से 12500 की रिबेट (टैक्स माफी) मिल रही है। इसलिए आपको कोई टैक्स नहीं चुकाना पड़ेगा।

जीएसटी ई वे बिल प्रणाली के नियम


तो दोस्तों ये थी इनकम टैक्स के बारे में जरूरी जानकारियां। रुपयों-पैसों से जुड़ी अन्य जरूरी जानकारियों के लिए देखें हमारे लेख-

16 thoughts on “इनकम टैक्स की पूरी जानकारी | प्रकार, मतलब और तरीके | All About Income Tax In Hindi”

  1. RAJESH B MESHRAM

    Sir
    Mai ek private company me job karta hu, company muze salary direct mere account me transfer karti hai. Sath hi mera khud ka chotasa business bhi hai, muze return file karne ke liye konsa ITR ka prakar chunana padega. muze ye samaz nahi aa raha hai k mai return file salary ke base per karu ya apne business ke base pe. mai salary aur business k liye ek hi saving account ka use karta hu.
    krupaya muze in dono me konsa sahi ITR hai samzaye

  2. Rajendra Dattaram Shinde

    Mai pf pension scheme certificate ke bareme janna chahata hu maine samya samya par nokari badli hai 01/05/2012 se lekar 28/02/2016 tak ek company me service ki uska pf maine 01/03/2016 se suruhui dusari company ke pf account me transfar kiya usa wajahse meri umar 60 year hone tak meri service 13 year 11month hogi pf pension rule se meri service 14year ki mani jayegi lekinmaine 01/05/2012 ke pahle 01/09/2008 se lekar 31/04/2012 tak 3 alag alag company me 3 year 8 month service ki uska pf maine withdra kiya pf pension scheme me koi rule hai kya pension scheme ka paisa wapas bhar sakta hu us se meri service 01/09/2008 se lekar meri umar 60 sal hone tak (31/03/2026 tak) 17year 7 month hogi pf pension scheme rule se 18 year mani jayegi

  3. SIR INCOME TAX RETURN FILE ME AAPNE FILE RETURN KI DATE KO 31 SEPTEMBER KAR RAKHA H JABKI YEH 30 SEPTEMBER HI HOTA H SEPTEMBER ME 31ST DATE AATI HI NAHI H

  4. mein ek income tax ki book laya hu usme 250000 to 500000 lack walo pr income tax 10% de rkha h.
    so plz clear me

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