हादसे और कठिनाइयां, जीवन में किसी से पूछकर नहीं आते। उन मुश्किल हालात में खुद को और अपने परिवार को तात्कालिक मदद के लिए, आप जीवन बीमा (life Insurance) कराते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जीवन बीमा पॉलिसी आपको टैक्स बचाने में भी मदद कर सकती है। इस लेख में हम जानेंगे कि जीवन बीमा पर टैक्स छूट कैसे मिलती है और कितनी मिलती है? How do you get Tax benefits on life insurance?
जीवन बीमा पर टैक्स छूट के नियम
जीवन बीमा पर टैक्स छूट आपको दो तरह से मिलती है-
हर साल, 1.5 लाख तक के बीमा प्रीमियम पर टैक्स छूट ली जा सकती है
इनकम टैक्स ऐक्ट के Sections 80C के अंतर्गत यह टैक्स छूट मिलती है। सरकार कुछ खास तरह के निवेशों (Investments) और खर्चों (Expenses) पर टैक्स छूट देती है। इसमें, हर साल आपको 1.50 लाख रुपए तक की रकम पर टैक्स छूट मिलती है। इनमें जीवन बीमा प्रीमियम भी शामिल होता है।
इसके अलावा भी कई तरह के निवेश और खर्चे शामिल हैं- जैसे कि, EPF, PPF, NSC, सुकन्या समृद्धि योजना, सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम, 5 वर्षीय टैक्स सेवर एफडी, ELSS, दो बच्चों की ट्यूशन फीस, वगैरह। इन सभी में किए गए निवेशों को मिलाकर 1.50 लाख रुपए, पर टैक्स छूट मिलती है।
बीमा मेच्योरिटी या बीमा क्लेम से मिली रकम पर पूरी टैक्स छूट मिलती है
इनकम टैक्स ऐक्ट के Section 10(10D) के अंतर्गत यह टैक्स छूट मिलती है। इसमें, जीवन बीमा पॉलिसी की अवधि पूरी होने पर जो maturity की रकम मिलती है, वह पूरी तरह टैक्स फ्री होती है। इसी तरह, बीमाधारक की मौत पर, उसके नोमिनी को जो रकम (sum assured) मिलती है, वह भी पूरी तरह टैक्स फ्री होता है।
टैक्स छूट के लिए आवश्यक शर्त: इस छूट के साथ यह शर्त लगी होती है कि आपके जीवन बीमा का प्रीमियम (बीमा खरीदने के लिए चुकाई गई रकम) उसके sum assured के 10% से अधिक नहीं होना चाहिए। दूसरे शब्दों में कहें तो बीमा से मिलने वाली रकम (sum assured), उसके प्रीमियम से 10 गुना से कम नहीं होनी चाहिए।
उदाहरण के लिए आपकी बीमा पालिसी से sum assured के रूप में 10 लाख रुपए मिलने हैं तो उसका प्रीमियम 1 लाख रुपए से अधिक नहीं होना चाहिए। sum assured वह रकम होती है, जोकि जीवन बीमा की अवधि के दौरान, बीमाधारक की मौत हो जाने पर, उसके नोमिनी को मिलती है।
जीवन बीमा पर टैक्स छूट के संबंध में, ध्यान रखने लायक बातें
बीमा प्रीमियम, अगर 10% से अधिक हुआ तो अतिरिक्त रकम पर टैक्स छूट नही
अगर आपकी बीमा पालिसी का प्रीमियम, उसके sum assured के 10% से अधिक है तो फिर आपको पूरे प्रीमियम पर टैक्स छूट नहीं मिलती। बल्कि सिर्फ 10% तक की लिमिट में टैक्स छूट मिलेगी। उदाहरण के लिए, आपकी जीवन बीमा पालिसी का sum assured 10 लाख रुपए है, और उसके लिए आप 1.25 लाख रुपए का प्रीमियम भरते हैं तो फिर आपको सिर्फ 10 लाख के 10%, यानी कि सिर्फ 1 लाख रुपए पर टैक्स छूट पाने का अधिकार होगा। इससे अधिक जो 25 हजार रुपए हैं, उन्हे टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स गणना में शामिल करना होगा।
बीमा पॉलिसी से मिले बोनस या मनीबैक पर भी कोई टैक्स नहीं लगता
Term Plan को छोड़कर बाकी सभी तरह की बीमा पॉलिसी किसी ना किसी रूप में आपको पैसे देती हैं। इसमें Bonus काफी Popular है। बीमा कंपनियां अपनी Life Insurance Policies पर हर साल बोनस की घोषणा करती हैं। हालांकि पूरा बोनस Policy के अंत में ही मिलता है। इस आमदनी पर भी आपको कोई टैक्स नहीं देना होता है।
MoneyBack policy में भी पॉलिसी की अवधि खत्म होने के पहले की कुछ रकम लौटा दी जाती है। इस रकम को भी टैक्स छूट मिली हुई है। यानी इसे लेकर आपको फिक्र करने की जरूरत नहीं है। सेक्शन 10(10डी) के तहत इसे छूट मिली है।आपको पता ही होगा कि बैंक के fixed deposit का ब्याज हर साल आपकी टैक्सेबल इनकम में जुड़ जाता है।
सिर्फ किसी व्यक्ति या HUF को ही यह छूट पाने का अधिकार है
Insurance Policy को मिलने वाली ये टैक्स छूट सिर्फ individuals और HUF के लिए है। कोई संस्था या संगठन इस छूट को क्लेम नहीं कर सकता है।
टैक्स छूट के लिए अपनी, जीवनसाथी या बच्चों की पॉलिसी शामिल कर सकते हैं
जीवन बीमा पॉलिसी के Premium पर टैक्स छूट मिलती है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आप किसी का भी प्रीमियम जमा करके टैक्स छूट का फायदा ले लें। बल्कि, ये छूट तभी मिलेगी जब आप अपना, अपने जीवनसाथी (Spouse) या फिर बच्चों की पॉलिसी का Premium भरें। अपने माता-पिता, या भाई-बहन के प्रीमियम भरने पर कोई टैक्स छूट नहीं मिलेगी। वैसे, बच्चों की संख्या पर कोई सीमा नहीं है इसलिए आप दो से ज्यादा बच्चों के Premium पर भी टैक्स छूट ले सकते हैं।
जिस साल पैसा जमा किया, सिर्फ उसी साल की आमदनी पर टैक्स छूट ले सकते हैं
जीवन बीमा प्रीमियम पर टैक्स छूट उसी साल के लिए मिलेगी जिस साल आपने Premium जमा किया है। यहां साल से मेरा मतलब वित्त वर्ष से है। वित्त वर्ष एक अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च को खत्म होता है।
ऐसा हो सकता है कि आपकी जीवन बीमा पॉलिसी के प्रीमियम भरने की तारीख 25 मार्च 2019 हो लेकिन आपने तब पैसा नहीं भरा हो। ऐसी स्थिति में आप ग्रेस पीरियड में पैसा भर सकते हैं। अगर आप 5 अप्रैल 2019 को पैसा भरेंगे तो भी चलेगा । लेकिन ऐसी स्थिति में आप को टैक्स छूट वित्त वर्ष 2018-19 के लिए नहीं मिलेगा। बल्कि इस प्रीमयम पर टैक्स छूट आप वित्त वर्ष 2019-20 में ले पाएंगे।
न्यूनतम अवधि तक चालू रहनी चाहिए जीवन पॉलिसी
जीवन बीमा पर टैक्स छूट तभी मिलती है जब आपकी पॉलिसी न्यूनतम अवधि तक चालू रहे। सरकार ने टैक्स छूट के लिए जीवन बीमा पॉलिसी की न्यूनतम अवधि तय की है। अगर आप इस अवधि के पहले अपना पैसा निकालते हैं तो टैक्स छूट नहीं मिलेगी। वैसे बीमा कंपनियां खुद इस अवधि से पहले पैसा निकालने की इजाजत नहीं देती हैं।
इंश्योरेंस पॉलिसी | न्यूनतम अवधि |
ULIP | 5 साल |
सिंगल Premium पॉलिसी | 2 साल |
अन्य जीवन बीमा पॉलिसी | 2 साल |
ध्यान दें: इस लेख में हमने ‘जीवन बीमा (Life Insurance)’ शब्द का इस्तेमाल किया है। इसे सिर्फ ‘बीमा’ समझने की भूल ना करें। क्योंकि टैक्स छूट सिर्फ जीवन बीमा पर ही मिलेगी। अन्य तरह के बीमा जैसे कार बीमा, घर बीमा या फिर ट्रैवल इंश्योरेंस पर भी टैक्स छूट नहीं मिलती है। यहां तक कि हेल्थ इंश्योरेंस पर भी सेक्शन 80सी के तहत छूट नहीं मिलती है। बल्कि मेडिकल इंश्योरेंस पर सेक्शन 80डी के तहत टैक्स छूट दी गई है।
इसी तरह, कई बार लोगों को लगता है कि टैक्स छूट सिर्फ सरकारी जीवन बीमा कंपनी LIC से बीमा खरीदने पर मिलती है। लेकिन ऐसा नहीं है। आप चाहे जिस भी कंपनी से Life Insurance Policy ले आपको टैक्स छूट मिलेगी। इसमें सभी प्राइवेट कंपनियां शामिल हैं। क्या आपको पता है देश में करीब दो दर्जन जीवन बीमा कंपनियां हैं?