पहली-पहली बार नौकरी शुरू करने वाले लोगों को बाद में अहसास होता है कि उन्हें जो सैलरी देने की बात की गई थी, उससे कहीं कम पैसा मिल रहा है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि कंपनी नौकरी देते वक्त Gross Salary को ध्यान में रखती है, जबकि आपके हाथ में जो पैसा पहुंचता है, वह Net Salary के रूप में होता है। हमारे ई-मेल पर आने वाले प्रश्नों में कई लोगों ने पूछा था कि Net Salary और Gross Salary में क्या अंतर होता है?
इस लेख में हम आपके इस प्रश्न का उत्तर देंगे। साथ ही इनसे जुड़ी गणनाओं के उदाहरण और कुछ अन्य जरूरी चीजें भी समझाएंगे।
What is the meaning of Net Salary in Hindi? What is the difference between Net Salary and Gross Salary? Example and Explanation in Hindi
नेट सैलरी और ग्रॉस सैलरी में अंतर
नेट सैलरी और ग्रॉस सैलरी के बीच में अंतर बताने के पहले हम इनका अलग-अलग मतलब और अवधारणा (Concept) को समझ लेते हैं।
Gross Salary (सकल वेतन) क्या है?
कोई कंपनी या संस्था, अपने किसी कर्मचारी के लिए, कुल जितना भुगतान करती है, वह उस कर्मचारी की Gross salary होती है। हालांकि Gross Salary के रूप में बताई गई पूरी रकम कर्मचारी को नहीं मिलती। क्योंकि कर्मचारी के हाथ में सैलरी पहुंचने के पहले उसमें से EPF, Income Tax, Professional Tax वगैरह काट लिए जाते हैं।
मतलब यह कि बिना कोई टैक्स काटे,बिना कोई पीएफ काटे या बिना किसी अन्य कटौती के जो पैसा कर्मचारी को भुगतान करने के लिए होता है, वह उसकी Gross Salary होती है।
कर्मचारी के लिए हेल्थ इंश्योंरेंस, ग्रुप इंश्योरेंस, स्पेशल भत्ता वगैरह भी कर्मचारी की Gross salary में शामिल किए जाते हैं। यहां तक कि अब कंपनियां बोनस पेमेंट, ओवरटाइम पेमेंट, छुट्टियों का भुगतान वगैरह भी आपकी Gross salary में शामिल कर लेती है।
सामान्यत: इसकी गणना साल भर के हिसाब से (Annualy) होती है। लेकिन आप इसे अपनी सुविधानुसार महीने के हिसाब से या हफ्ते के हिसाब से भी निकाल सकते हैं।
ग्रॉस सैलरी में शामिल की जाने वाली चीजें (Components of Gross Salary)
मूल वेतन (Basic salary) | परफॉर्मेंस आधारित भत्ते और बोनस (Performance linked incentives or bonus) |
महंगाई भत्ता (Dearness allowance) | ओवरटाइम पेमेंट्स (Overtime payments) |
मकान किराया भत्ता (House rent allowance-HRA) | कंपनी से मिला आवास (Accommodation provided by the employer) |
घर से ऑफिस या कार्यस्थ्ल तक आने-जाने का भत्ता (Conveyance allowance) | कंपनी की ओर से आवास के बिजली-पानी बिल का भुगतान Utility bills such as electricity and water paid by the employer |
टेलीफोन या मोबाइल फोन भत्ता (Telephone or mobile phone allowance) | सैलरी एरियर्स (Arrears of salary) |
अवकाश यात्रा भत्ता (Leave travel allowance-LTA) | भोजन या नाश्ता कूपन (Meal coupons) |
विशेष भत्ते (Special allowances) | स्वास्थ्य संबंधी भुगतान (Health care costs) |
CTC और Gross Salary अलग-अलग कैसे
CTC में ग्रॉस सैलरी वाले सारे भुगतान तो शामिल होते ही हैं। इनके साथ में EPF (सिर्फ कंपनी वाला अंशदान) और Gratuity शामिल की जाती है। कंपनी की ओर से जो अप्रत्यक्ष फायदे (Indirect Benefits) आपको दिए जाते हैं, उन्हें भी CTC में शामिल किया जाता है।
मतलब यह कि CTC में से EPF (कंपनी वाला अंशदान), ग्रेच्युटी और अन्य अप्रत्यक्ष फायदों को बाहर करने के बाद जो रकम होती है वह आपकी Gross Salary होती है। नीचे दिए गए फॉर्मूलों से आप CTC और ग्रॉस सैलरी के बीच में अंतर को ज्यादा आसानी से समझ पाएंगे-
- CTC = Gross Salary+PF+Gratuity+Other Indirect Benefits
- Gross Salary= CTC-(PF+Gratuity+Other Indirect Benefits)
Net Salary (शुद्ध वेतन) क्या है?
कर्मचारी की Gross Salary में से EPF, Income Tax, Professional Tax वगैरह काटने के बाद बची जो रकम उसके बैंक अकाउंट में भेजी जाती है, वह उसकी Net Salary होती है। Net Salary को ही दूसरे शब्दों में In Hand Salary और Take Home Salary भी कहा जाता है।
कोई भी कंपनी सबसे पहले कर्मचारी के लिए एक सालाना खर्च (Annual Compensation) तय करती है। बाद में नियमों के हिसाब से उसका पीएफ, टैक्स, बीमा वगैरह का हिस्सा काटकर, हर महीने उसका वेतन भेज देती है। ये वेतन उसे Net Salary के रूप में ही मिलता है। सामान्यत: इसकी गणना हर महीने के हिसाब से (Monthly) होती है।
फॉर्मूला के रूप में नेट सैलरी और ग्रॉस सैलरी के बीच संबंध को इस प्रकार दर्शा सकते हैं-
Net Salary = Gross Salary – (Income Tax (TDS) – Deductions (PF contribution, Pension Contribution, Insurance Premium, etc)
एक उदाहरण से इसे और ज्यादा स्पष्ट करते हैं-
मान लेते हैं कि आदर्श कटियार की कंपनी, उसके लिए साल भर में, कुल 5 लाख रुपए Gross Salary देने का वादा करती है। इस 4 लाख रुपए में से उसके पीएफ, पेंशन, बीमा वगैरह के 68 हजार रुपए कट जाते हैं। ऐसे में आदर्श कटियार को साल भर में सिर्फ 4 लाख 32 हजार रुपए ही मिलते हैं। ये 4.32 लाख रुपए उसकी नेट सैलरी होगी। महीने के हिसाब से इसे देखा जाए तो 36 हजार रुपए महीना उसकी नेट सैलरी कही जाएगी।
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ग्रॉस सैलरी और नेट सैलरी के बीच अंतर तालिका
तुलना का आधार (Parameter) | ग्रॉस सैलरी | नेट सैलरी |
मतलब (Meaning) | Gross salary वह रकम है, जो बिना किसी कटौती के कर्मचारी के ऊपर खर्च की जानी है। | Gross salary में से हर तरह की कटौतियों के बाद, मिलने वाली रकम Net salary होती है। |
शामिल चीजें (Components) | Gross pay में कर्मचारी की बेसिक सैलरी, मकान किराया भत्ता, आवाजाही भत्ता, ओवरटाइम पेमेंट, परफॉर्मेंस बोनस और अन्य प्रकार के भत्ते शामिल किए जाते हैं। | TDS, PPF, professional tax, pension and other deductions को घटाने के बाद gross pay में से जो बचता है वे सभी चीजें Net Salary में शामिल होती है। |
गणना का फॉर्मूला (Formula) | Gross Salary = बेसिक सैलरी+ HRA+मेडिकल भत्ता+ अन्य बोनस+अन्य भत्ते | Net salary = ग्रॉस सैलरी-सभी प्रकार की कटौतियां |
टैक्स गणना (Taxes) | सभी प्रकार की टैक्स कटौतियों को ग्रॉस सैलरी का हिस्सा माना जाता है। | नेट सैललरी में किसी तरह की टैक्स कटौती को शामिल नहीं किया जाता |
ग्रॉस सैलरी और नेट सैलरी की गणना का संयुक्त उदाहरण
अरुण शुक्ला, एक कंपनी में प्रोडक्ट मैनेजर हैं। उन्हें कंपनी हर महीने 1.50 लाख रुपए Gross Salary देने का वादा करती है। इस 1.50 लाख में जो भुगतान शामिल किए जाएंगे, वे इस प्रकार हैं-
भुगतानों के प्रकार (Particulars) | भुगतान की रकम (Amount) |
बेसिक सैलरी | 75,000 रुपए |
मकान किराया भत्ता (HRA) | 25,000 रुपए |
अवकाश यात्रा भत्ता (LTA) | 20,000 रुपए |
यात्रा भत्ता | 30,000 रुपए |
योग (Total) | 1,50,000 रुपए (यह अरुण शुक्ला की मासिक ग्रॉस सैलरी होगी) |
लेकिन, अरुण शुक्ला के सैलरी अकाउंट में ये पूरे 1.50 लाख रुपए नहीं आते। इनमें से पहले टैक्स (TDS), प्रोफेशनल टैक्स, पीएफ वगैरह कट जाते हैं। अरुण की ग्रॉस सैलरी में से की जाने वाली कटौतियां (deductions) इस प्रकार हैं-
कटौतियों के प्रकार (Particulars) | कटौती की रकम (Amount) |
ईपीएफ | 3700 |
इनकम टैक्स | 24,000 |
प्रोफेशनल टैक्स | 300 |
कुल कटौतियां (Total Deductions) | 28000 रुपए (ग्रास सैलरी में से कुल इतना पैसा काट लिया जाता है |
नेट मासिक सैलरी (ग्रॉस सैलरी-कुल कटौतियां) | 122000 रुपए (150000-28000) |
ऊपर दिए गए आंकड़ों के आधार पर, आप देख सकते हैं कि प्रोडक्ट मैनेजर अरुण शुक्ला की हर महीने की ग्रॉस सैलरी 1.50 लाख रुपए है, लेकिन इसमें से टैक्स, पीएफ वगैरह कटने के बाद, सिर्फ 122000 रुपह ही उसके बैंक अकाउंट में पहुंचते हैं। तो अरुण की मासिक नेट सैलरी 1.22 लाख रुपए मासिक होगी।
ग्रॉस सैलरी और नेट सैलरी के बीच अंतर जानने की जरूरत क्यों?
- नई नौकरी ज्वाइन करने से पहले या दूसरी नौकरी में जाने से पहले, कंपनी और कर्मचारी के बीच सैलरी निर्धारण के लिए बातचीत (Salary Negotiation) होती है। अगर आपको नेट सैलरी और ग्रॉस सैलरी के बीच अंतर ठीक से पता है तो आप ज्यादा समझदारी के साथ अपने हित में बातचीत कर सकते हैं। और बेहतर सैलरी पाने में सफल हो सकते हैं।
- अपनी टैक्स देनदारी तय करते वक्त भी आपको ग्रॉस सैलरी की जानकारी मदद करती है। क्योंकि आपकी टैक्स देनदारी में ग्रॉस सैलरी में शामिल कई चीजों की गिनती की जाती है। उनमें से कई तरह के भत्तों पर टैक्स छूट भी मिलती है।
- अपने खर्चों और कमाई का बजट बनाते समय भी नेट सैलरी को ध्यान में रखना पड़ता है। बड़े खर्चोंं के लिए या लंबी अवधि की योजनाओं के लिए आप पीएफ का पैसा भी एडवांस निकाल सकते हैं। पीएफ का पैसा ग्रॉस सैलरी में शामिल होता है। इसलिए आपको नेट सैलरी के अलावा ग्रॉस सैलरी की भी समझ होनी चाहिए।
- बैंक या फाइनेंस कंपनियं, लोन या क्रेडिट कार्ड जारी करते वक्त, आपकी नेट सैलरी या इन हैंड सैलरी को आधार बनाती हैं। आपको खुद भी लोन की किस्तें और अवधि तय करने में अपनी नेट सैलरी को ध्यान में रखना चाहिए।
- स्कॉलरशिप, सब्सिडी से जुड़े मामलों में भी आपकी सालाना आमदनी पूछी जाती है। कहीं-कहीं आपके दावे से संबंधित प्रमाणपत्र (Certificate) भी बनवाना पड़ता है। ऐसे में आपको अपनी सालाना नेट सैलरी और सालाना ग्रॉस सैलरी के बारे में जानकारी काम आती है।