अगर आपको कहीं से एकमुश्त पैसा मिल है और उसे आप कुछ साल बाद इस्तेमाल करना चाहते हैं तो उसे NSC में जमा करके रख सकते हैं। इससे आपको एक अच्छी ब्याज भी मिलेगी और आपका पैसा भी सुरक्षित रहेगा। चूंकि NSC सरकार की खुद की लघु बचत योजना (Small Saving Scheme) है, इसलिए इसमें जमा किए गए पैसों पर सरकार टैक्स छूट भी देती है।
इस लेख में, हम जानेंगे कि NSC की वर्तमान ब्याज दर 2023 क्या है? इस पर टैक्स छूट और अन्य फायदे क्या मिलते हैं? What is NSC interest rate and tax benefits in Hindi.

एनएससी क्या है? NSC यह एक प्रकार का जमा सर्टिफिकेट होता है। इसका पूरा नाम राष्ट्रीय बचत पत्र (National Saving Certificate) है। इसे आप 1000 या इससे अधिक कितनी भी ज्यादा रकम जमा करके खरीद सकते हैं। 5 साल तक आपका पैसा जमा रहता है और उस पर ब्याज जुड़ती रहती है। 5 साल के बाद कुल जमा और कुल ब्याज को जोड़कर पैसा वापस मिल जाता है। बैंक या पोस्ट ऑफिस में इसका अकाउंट खुलता है।
हेडलाइंस
एनएससी की ब्याज दर 2023 क्या है?
सरकार ने 1 अप्रैल 2023 से NSC की ब्याज दर बढ़ाकर 7.7% कर दी है। पिछली तिमाहियों (Quarters) के दौरान NSC की ब्याज दरें इस प्रकार रही हैं-
अप्रैल 2023 से जून 2023 | 7.7% |
जनवरी 2023 से मार्च 2023 | 7.0% |
अक्टूबर 2022 से दिसंबर 2022 | 6.8% |
जुलाई 2022 से सितंबर 2022 | 6.8% |
अप्रैल 2022 से जून 2022 | 6.8% |
जनवरी 2022 से मार्च 2022 | 6.8% |
अक्टूबर 2021 से दिसंबर 2021 | 6.8% |
जुलाई 2021 से सितंबर 2021 | 6.8% |
अप्रैल 2021 से जून 2021 | 6.8% |
जनपरी 2021 से मार्च 2021 | 6.8% |
अक्टबर 2020 से दिसंबर 2020 | 6.8% |
जुलाई 2020 से सितंबर 2020 | 6.8% |
अप्रौल 2020 से जून 2020 | 6.8% |
जनवरी 2020 से मार्च 2020 | 7.9% |
अक्टूबर 2019 से दिसंबर 2019 | 7.9% |
जुलाई 2019 से सितंबर 2019 | 7.9% |
अप्रैल 2019 से जून 2019 | 8.0% |
जनवरी 2019 से मार्च 2019 | 8.0% |
अक्टूबर 2018 से दिसंबर 2018 | 8.0% |
हर वित्त वर्ष के अंत में मिल जाती है ब्याज: NSC में जमा पैसों पर जो ब्याज बनती है, उसे वित्त वर्ष के अंत में आपके अकाउंट में जमा कर दिया जाता है। लेकिन, यह ब्याज आपको मिलता तभी है, जबकि 5 साल बाद आपको NSC अकाउंट की अवधि पूरी होती है।
NSC पर टैक्स छूट कितनी मिलती है?
एनएससी स्कीम पर टैक्स छूट आपको इस प्रकार से मिलती है-
जमा पर सेक्शन 80 C के तहत टैक्स छूट ले सकते हैं
एनएससी में जो पैसा आप जमा करते हैं, उस पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80 C के तहत टैक्स छूट मिलती है। सेक्शन 80 C, आपको NSC. PPF, EPF, सुकन्या समृद्धि योजना, सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम और कुछ अन्य निर्धारित निवेशों और खर्चों पर लगे 1.50 लाख रुपए पर टैक्स छूट लेने की इजाजत देता है। इन निवेशों और खर्चों के बारे में विस्तार से समझने के लिए देखें: सेक्शन 80C क्या है? इससे टैक्स बचत कैसे होती है?
शुरुआती 4 साल तक की ब्याज पर टैक्स छूट मिलती है
एनएससी की जमा पर जो ब्याज मिलता है, उस पर टैक्स छूट नहीं मिलती। लेकिन अगर उस ब्याज को NSC अकाउंट में जमा कर दिया जाता है तो वह उस साल के निवेश (investment) में शामिल हो जाता है। इस तरह से हर साल की ब्याज पर भी सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट मिल जाती है। लेकिन, ये टैक्स छूट शुरुआती 4 साल तक मिल सकती है, क्योंकि, शुरुआती 4 साल की ब्याज ही आपकी एनएससी की जमा में शामिल हो पाती है।
लेकिन, 5 वें साल की ब्याज पर टैक्स छूट नहीं
5 साल बाद आपकी जमा और ब्याज आपके हाथ में आ जाती है, इसलिए पांचवें साल की ब्याज को टैक्स की गणना में शामिल करना होता है।
खाता खुलवाते समय की ब्याज दर ही अंत तक रहती है
जैसा कि हमने ऊपर बताया कि NSC की ब्याज दर, सरकार हर तिमाही के पहले घोषित करती है। लेकिन, किसी नई ब्याज दर का प्रभाव पहले खरीदे गए NSC पर नहीं पड़ता। दरअसल, आप जिस दिन NSC खरीदते हैं, उस समय जो भी ब्याज दर लागू होती है, वही ब्याज दर आगे मेच्योरिटी पूरी होने तक बनी रहती है। बीच में ब्याज दर घटने पर आपके NSC पर ब्याज कम नहीं होगी और ब्याज दर बढ़ने पर आपके NSC पर ब्याज बढ़ेगी भी नहीं।
मेच्योरिटी के बाद एनएससी न भुनाने पर क्या होगा
NSC की की निर्धारित ब्याजदर सिर्फ उसकी परिपक्वता अवधि (Maturity Period) तक ही लागू रहती है। अगर मेच्योरिटी के बाद आप उसे भुनाते नहीं हैं तो उस पर NSC की ब्याज बंद हो जाएगी। आगे की अवधि के लिए उस पर डाकघर बचत खाते की तरह (4 प्रतिशत) ब्याज मिलेगी। यह 4 प्रतिशत ब्याज भी सिर्फ अगले दो साल तक ही मिलेगी। ये अतिरिक्त 2 साल पूरे होने के बाद फिर कोई ब्याज नहीं मिलेगा।
इनकम टैक्स रिटर्न में कैसे दर्ज होती है ब्याज की रकम
एनएससी पर मिलने वाले ब्याज को अन्य स्रोतों से आमदनी (Income from other sources) तहत दर्ज करना होता है। दरअसल, इनकम टैक्स रिटर्न में आपको अपनी आमदनी, कुल पांच तरह के मदों के तहत दर्शानी होती है।-
1. वेतन के रूप में प्राप्त आमदनी | Income As Salary
2. हाउस प्रॉपर्टी से प्राप्त आमदनी (किराया वगैरह) | Income from house property
3. बिजनेस से लाभ या किसी पेशे से हुई आमदनी | Profits/ gains from business or profession
4. संपत्ति बिक्री से हुए लाभ से आमदनी | Capital gains
5. अन्य स्रोतों से हुई आमदनी | Income from other sources
हर तरह की ब्याज को पांचवें प्रकार की आमदनी Income from other sources में दर्शाना पड़ता है।
हर साल ब्याज को टैक्स गणना में रखने से फायदा
अगर आप बड़ी रकम की एनएससी खरीदते हैं तो हर साल की ब्याज को उस साल के रिटर्न में दर्ज करते जाना बेहतर होता है। क्योंकि एक साल की ब्याज पांच साल की इकट्ठा ब्याज के मुकाबले निश्चित रूप से काफी कम होगी। इसे 80 सी के तहत टैक्स छूट पाने के लिए निर्धारित 1.5 लाख रुपए की आमदनी के अंदर दर्शाना आसान होगा।
अगर आपने 5 साल की मेच्योरिटी पूरी होने के बाद किसी साल में उसकी कुल ब्याज को अपनी आमदनी में दर्शाया तो हो ब्याज की रकम काफी ज्यादा हो चुकी होगी। ऐसे में हो सकता है कि ब्याज के कुछ या पूरे हिस्से पर आपको 80 सी के तहत टैक्स छूट का फायदा न मिल सके।
उदाहरण के लिए, आपने 1 लाख रुपए के एनएससी खरीदे हैं। इस पर फिलहाल (अप्रैल 2020) में 7.1 प्रतिशत ब्याज दर लागू है। यानी कि पहले एक साल में आपको कुल 7100 रुपए ब्याज मिलेगी। इतनी ही ब्याज आपको हर साल अपने एनएससी जमा के बदले मिलेगी। इसे आप अपनी टैक्स गणना में शामिल कर सकते हैं।
ब्याज की रकम का पता कैसे चलेगा?
बड़ा सवाल। जब NSC पर हर साल ब्याज आपके किसी अकाउंट में दिखता नहीं है तो फिर पता कैसे चलेगा कि आपके एनएससी जमा पर किसी साल के दौरान कितना ब्याज हुआ है? जवाब बहुत आसान है। आप जब NSC खरीदते हैं, तभी उसकी ब्याज दर तय हो चुकी होती है। वो ब्याज दर पूरे पांच साल तक फिक्स ही रहती है।
उसी ब्याज दर के हिसाब से आप पहले साल का ब्याज निकाल लीजिए। दूसरे साल का ब्याज निकालने के लिए मूल रकम और ब्याज को जोड़ने से जो रकम बन रही है उसका ब्याज निकाल लीजिए। इस तरह हर साल का ब्याज निकलता जाएगा।
तो दोस्तों ये थी NSC की नई ब्याज दर और उस पर मिलने वाली टैक्स छूट के बारे में जानकारी। रुपयों-पैसों से जुड़ी अन्य उपयोगी जानकारियों के लिए देखें हमारे लेख-
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