सरकार, कम आमदनी वाले लोगों से कोई इनकम टैक्स नहीं लेती। उन्हें एक निश्चित सीमा तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता। उस सीमा के बाद भी जिनकी आमदनी थोड़ी ज्यादा होती है, उनसे थोड़ा ज्यादा टैक्स लिया जाता है। जिनकी बहुत ज्यादा आमदनी होती है, उनसे और ज्यादा रेट से टैक्स लिया जाता है।
सरकार ने विकलांग व्यक्तियों (Disabled Persons) के लिए टैक्स छूट की लिमिट बढ़ा दी है। ये टैक्स छूट उन्हें इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80 U के माध्यम से मिलती है। इस लेख में हम बताएंगे कि इनकम टैक्स एक्ट का सेक्शन 80 U क्या है? इससे कोई विकलांग व्यक्ति कितनी टैक्स छूट ले सकता है? साथ ही यह भी जानेंगे कि इस टैक्स छूट को पाने के लिए किस डॉक्यूमेंट्स की जरूरत पड़ती है।
सेक्शन 80 U क्या है? What is Section 80U
इनकम टैक्स एक्ट का Section 80 U, किसी विकलांग व्यक्ति को, आमदनी पर ज्यादा टैक्स छूट लेने का अधिकार देता है। इसकी मदद से आप हर साल 75 हजार रुपए से लेकर 1.25 लाख रुपए तक की आमदनी पर अलग से टैक्स छूट ले सकते हैं। यह टैक्स छूट आपको Tax Deduction (टैक्स कटौती) के माध्यम से मिलती है। यानी कि इतनी रकम को आप पहले काटकर बाहर (Deduct) कर देंगे, उसके बाद बची आमदनी पर टैक्स स्लैब के हिसाब से इनकम टैक्स की गणना करेंगे।
आपको कितनी टैक्स छूट मिल सकती है? आपको ये टैक्स छूट कितनी मिलेगी, यह आपकी शारीरिक विकलांगता की गंभीरता के हिसाब से कम या ज्यादा ली जा सकती है।
- 40% तक विकलांगता वाला व्यक्ति, सामान्य विकलांग (General Disabled) श्रेणी में आता है। वह , हर साल अपनी आमदनी पर 75,000 रुपए तक की टैक्स कटौती (Deduction) का फायदा ले सकता है।
- 80% तक विकलांगता से ग्रस्त व्यक्ति, गंभीर विकलांग (Severe Disabled) की श्रेणी में आता है। वह हर साल अपनी आमदनी पर, 1.25 लाख रुपए तक की टैक्स कटौती (Deduction) का फायदा ले सकता है।
- अगर कोई विकलांग व्यक्ति, एक से अधिक विकलांगता समस्याओं से ग्रस्त है तो उसे भी गंभीर विकलांग (Severe Disabled) की कैटेगरी में रखा जाता है। वह भी हर साल, अपनी आमदनी पर 1.25 लाख रुपए की टैक्स कटौती (Tax Deduction) का फायदा ले सकता है।
विदेशी नागरिकों या NRI को छूट नहीं: Section 80 U के तहत, विकलांगों को मिलने वाली टैक्स छूट सिर्फ भारतीय नागरिकों (Resident of India) को मिलती है। विदेशी नागरिकों या NRI (Non Resident Indians) को इस कानून के तहत, टैक्स छूट लेने का अधिकार नहीं है।
विकलांगता की श्रेणी में रखी गईं शारीरिक समस्याएं
Person with disability (Equal Opportunities, Protection of Right and Full Participation) Act 1955 में निम्नलिखित प्रकार की शारीरिक समस्याओं को विकलांगता माना गया है-
अंधापन | Blindness |
अल्पदृष्टि (देखने में समस्या) | Low vision |
श्रवणदोष (सुनने में समस्या) | Hearing Impairment |
चलन अक्षमता | Locomotor Disability |
मानसिक मंदता | Mental Retardation |
मानसिक बीमारी | Mental Illness |
स्वलीनता या आत्मविमोह | Autism |
मस्तिष्क पक्षाघात | Cerebral Palsy |
कुष्ठ (जो ठीक हो चुका हो) | Leprosy (Cured) |
ध्यान दें: Paralysis (लकवा या पक्षाघात) को भी सेक्शन 80 U के तहत, विकलांगता की कैटेगरी वाली बीमारियों में शामिल किया जाता है।
सेक्शन 80 U के तहत टैक्स छूट के लिए आवश्यक डॉक्यूमेंट्स
- Section 80 U के तहत, टैक्स छूट पाने के लिए, विकलांगता सर्टिफिकेट (Certificate of Disability) की जरूरत पड़ती है। यह सर्टिफिकेट किसी सक्षम अधिकारी द्वारा जारी किया गया हो। इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय यह इस सर्टिफिकेट को भी जमा करना पड़ता है।
- लेकिन, अगर कोई व्यक्ति Autism या Cerebral Palsy से पीड़ित है तो उसे Section 80U के तहत टैक्स छूट पाने के लिए, विकलांगता सर्टिफिकेट के साथ-साथ Form 10-IA भी पेश करना पड़ता है। यह फॉर्म आपको इनकम टैक्स विभाग की वेबसाइट पर मिल जाता है।
विकलांगता सर्टिफिकेट जारी करने वाले अधिकारियों के पदनाम इस प्रकार हैं-
- सरकारी अस्पताल का सिविल सर्जन
- सरकारी अस्पताल का मुख्य चिकित्साधिकारी (CMO)
- न्यूरोलॉजी में MD डिग्री रखने वाला न्यूरोलॉजिस्ट
- बच्चों का मामला होने पर पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजिस्ट
किसी बिल या रसीद की जरूरत नहीं: Section 80 U के तहत, टैक्स छूट पाने के लिए आपको विकलांगता सर्टिफिकेट के अलावा कुछ नहीं लगता। कोई भी बिल या रसीद पेश करने की जरूरत नहीं पड़ती। आपको सिर्फ विकलांग होने के कारण, अपनी विकलांगता कैटेगरी के हिसाब से टैक्स छूट लेने का अधिकार होता है।
Section 80 U और Section 80 DD में क्या अंतर होता है?
Section 80 U की तरह, Section 80 DD भी विकलांग व्यक्तियों पर खर्च पर, 75 हजार रुपए से लेकर 1.25 लाख रुपए तक टैक्स कटौती (dedution) का फायदा लेने की सुविधा देता है। लेकिन दोनों में एक बड़ा अंतर होता है-
- Section 80U किसी विकलांग व्यक्ति को खुद की आमदनी पर टैक्स छूट लेने की सुविधा देता है।
- Section 80DD अपने घर के किसी आश्रित विकलांग व्यक्ति (dependent disabled) पर खर्च के लिए, उसके अभिभावक या पालक को टैक्स छूट लेने की सुविधा देता है। ऐसे आश्रित व्यक्तियों में आपके पति -पत्नी, पुत्र-पुत्री, माता-पिता और सगे भाई-बहन को शामिल किया जाता है। HUF के मामले में, उस HUF का प्रत्येक सदस्य पर हुए खर्च के लिए Section 80 DD के तहत टैक्स छूट ली जा सकती है।
ध्यान दें: आश्रित विकलांग व्यक्ति (Dependent Disabled person) के इलाज (Treatment), दवाइयों (medicines) प्रशिक्षण (Training), पुनर्वास (Rehabilitaion) वगैरह के खर्चो को Section 80 DD के तहत टैक्स छूट में शामिल किया जाता है।
क्या सेक्शन 80 U और सेक्शन 80 DD से टैक्स छूट का फायदा एक साथ ले सकते हैं?
नहीं, अगर आपने, अपने लिए सेक्शन 80 U के तहत टैक्स छूट ले ली है तो फिर आपको सेक्शन 80 DD के तहत टैक्स छूट लेने का अधिकार नहीं होता। इसी तरह से अगर आपने सेक्शन 80 DD के तहत टैक्स छूट का फायदा ले लिया है तो फिर आप अपने लिए सेक्शन 80 U का फायदा नहीं ले सकते।
यानी कि आप या तो खुद की विकलांगता को आधार बनाकर सेक्शन 80 U की मदद से टैक्स छूट ले सकते हैं या फिर अपने आश्रित व्यक्ति की विकलांगता के आधार पर सेक्शन 80 DD की मदद से टैक्स छूट ले सकते हैं। दोनों छूट एक साथ नहीं ले सकते।
एक बात और ध्यान में रखें कि, सेक्शन 80 U और सेक्शन 80DD दोनों के तहत, टैक्स छूट की सीमाएं एक जैसी होती हैं। यानी कि आप चाहे जिस सेक्शन का इस्तेमाल करें, आपको छूट बराबर ही मिलेगी। बस अंतर ये होगा कि सेक्शन 80 U की मदद से आप खुद अपने लिए, टैक्स छूट ले पाएंगे। जबकि 80DD की मदद से आप, अपने परिवार के किसी सदस्य के लिए टैक्स छूट ले पाएंगे।
क्या सेक्शन 80 U और सेक्शन 80 C से टैक्स छूट एक साथ ले सकते हैं?
जी हां, आप सेक्शन 80U के साथ मेंं, सेक्शन 80C, 80D, 80E, 80G, 80TTA, 80TTB वगैरह को भी टैक्स छूट के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि 80U और 80 DD को एक साथ टैक्स छूट के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। टैक्स डिडक्शन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ज्यादा प्रचलित अन्य कानून इस प्रकार हैं-
सेक्शन 80C | कुछ खास तरह की बचत, निवेश, और खर्चों पर 1.50 लाख तक टैक्स कटौती (deduction) की छूट दिलाता है |
सेक्शन 80D | हेल्थ इंश्योरेंस या मेडिकल इंश्योरेंस पर 25 हजार से 1 लाख तक की रकम पर टैक्स छूट दिलाता है |
सेक्शन 80E | एजुकेशन लोन की पूरी ब्याज पर टैक्स छूट लेने का अधिकार देता है |
सेक्शन 80TTA | सेविंग अकाउंट की 10 हजार रुपए तक की ब्याज पर टैक्स छूट दिलाता है |
सेक्शन 80TTB | बुजुर्गो को सेविंग अकाउंट और डिपॉजिट अकाउंट्स की 50 हजार तक की ब्याज पर टैक्स छूट दिलााता है |
अगर, वित्त वर्ष के बीच में विकलांगता सर्टिफिकेट एक्सपायर हो जाता है तो …
क्या सेक्शन 80 U के तहत टैक्स छूट मिलेगी?
जी हां, जिस वित्त वर्ष के दौरान आपके विकलांगता सर्टिफिकेट की वैधता अवधि खत्म (Expired) हुई है, उस वित्त वर्ष की आमदनी के लिए आप सेक्शन 80 U के तहत टैक्स छूट प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन, उसके बाद आने वाले वित्त वर्ष की आमदनी पर टैक्स छूट पाने के लिए आपको अपनी विकलांकता सर्टिफिकेट दाेबारा बनवाना (Reissue) पड़ेगा।