ऐसे सैलरीड कर्मचारी, जिन्हें किसी वित्त वर्ष के दौरान, कैपिटल गेन्स हुआ होता है, वे इनकम टैक्स रिटर्न का फॉर्म ITR-1 नहीं भर सकते। उन्हें आयकर रिटर्न फॉर्म-2 (ITR-2) भरना पड़ता है। लेकिन, ज्यादातर नये करदाताओं (Taxpayers) को कैपिटल गेन्स का मतलब ही पता नहीं होता। ऐसे में वे गलत रिटर्न दाखिल कर देते हैं। उन्हें बाद में रिवाइज रिटर्न दाखिल करना पड़ता है। इस लेख में हम बताएंगे कि कैपिटल गेन्स टैक्स क्या होता है? यह कब लगता है और कितना लगता है? What is Capital Gains Tax in Hindi?
कैपिटल गेन टैक्स क्या होता है?
जमीन, मकान, सोना, शेयर, बॉन्ड्स जैसी संपत्ति को बेचने पर जो मुनाफा होता है, उसे कैपिटल गेन कहते हैं। इस कैपिटल गेन पर सरकार टैक्स लेती है, जिसे कैपिटल गेन टैक्स कहते हैं।
सामान्य मुनाफा और कैपिटल गेन में अंतर:
सामान्य वस्तुओं को बेचने से मिलने वाले लाभ को सामान्य मुनाफा कहते हैं। लेकिन किसी capital asset (पूंजी संपत्ति) की बिक्री से होने वाले फायदे को Capital Gain कहते हैं। सामान्यत: ऐसी प्रॉपर्टी (Capital asset) की बिक्री कीमत, उनकी खरीद कीमत से बढ़कर मिलती है। इससे प्रॉपर्टी बेचने वाले को लाभ होता है, जिसे Capital Gain कहते हैं। ऐसे Capital Gain पर जो टैक्स चुकाना पड़ता है, उसे Capital Gains Tax कहते हैं। हिंदी में इसे पूंजीगत लाभ कर कहते हैं।
यहां पर capital asset (पूंजी संपत्ति) ऐसी प्रॉपर्टी या प्रॉपर्टी के हिस्से को कहा जाता है, जिनमें समय बीतने के साथ खुद की कीमत बढ़ाने की क्षमता होती है। ये ऐसी वस्तुएं या प्रॉपर्टी होती हैं, जिन्हें आप खुद के इस्तेमाल के लिए या खुद के स्वामित्व के लिए खरीदते हैं। लेकिन, आगे चलकर, इन्हें खरीद दाम से अधिक कीमत पर बेचा जा सकता है। जैसे कि जमीन, प्लॉट, गोल्ड, शेयर, बांड्स, पेंटिंग्स, हेरिटेज कार वगैरह। Capital asset को ही हिंदी में पूंजीगत परिसंपत्ति या पूंजी सपत्ति कहा जाता है।
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स और लांग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स क्या हैं
अलग-अलग तरह की प्रॉपर्टी के लिए शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन और लांग टर्म कैपिटल गेन की अवधि अलग-अलग निर्धारित होती है।
शेयर (1 साल) | शेयर खरीदने की तारीख से 1 वर्ष के भीतर बेच देने पर जो मुनाफा (Capital Gain) होता है, उस पर लगने वाले टैक्स को short-term Capital Gains Tax कहते हैं। 1 वर्ष के बाद शेयर बेचने पर जो मुनाफा (Capital Gain) होता है उस पर लगने वाले टैक्स को Long Term Capital Gains Tax कहते हैं। |
अचल संपत्ति (2 साल) | जमीन, मकान, दुकान या कोई अन्य अचल संपत्ति (Immovable Property) खरीदकर 2 साल के पहले बेचने पर जो मुनाफा होता है, उस पर Short term Capital Gain Tax लगता है। 2 साल के बाद बेचने पर होने वाले मुनाफा पर जो टैक्स लगेगा उसे Long Term Capital Gains Tax कहते हैं। |
चल संपत्ति (3 साल) |
गोल्ड, डायमंड, गहने, जेवर, कीमती धातुएं, महंगी कलाकृतियां, एंटीक आइटम या कोई अन्य चल संपत्ति (Movable property) अगर खरीदने के बाद 3 साल के भीतर बेच दी जाती है तो उससे मिले मुनाफा (Capital Gain) पर Short term Capital Gain Tax लगेगा। ऐसी चीजों को 3 साल बाद बेचने पर होने वाले मुनाफा (Capital Gain) पर Long term Capital Gains Tax लगता है। |
सामान्य वस्तुओं (Goods) से कैसे अलग होती हैं पूंजी संपत्ति (Capital Asset)
बिजनेस क्षेत्र में capital asset, ऐसी संपत्तियों को कहा जाता है, जोकि उस बिजनेस में इस्तेमाल के लिए खरीदी जाती हैं। ऐसी वस्तुओं के टिकने या चलने की अवधि सामान्यत: एक साल से अधिक होती है। इन्हें दुकानदार या व्यापारी की तरह, सिर्फ खरीदने और बेचने के हिसाब से नहीं लिया जाता।
उदाहरण के लिए, अगर कोई कंपनी अपने यहां कामकाज को लिए, कंप्यूटर खरीदती है तो उसके लिए वह कंप्यूटर capital asset (पूंजी संपत्ति) के रूप में माना जाएगा। लेकिन, उसी कंप्यूटर को अगर कोई दूसरी कंपनी, सिर्फ खरीदकर बेचने के उद्देश्य से खरीदती है तो फिर वह उसके लिए एक सामान या वस्तुसूची (inventory) के रूप में होगा।
कैपिटल गेन और बिजनेस इनकम में अंतर होता है
Business Income और Capital Gain में फर्क पैसा लगाने के मकसद में छिपा है। अगर आप किसी प्रकार की Property को खरीदने-बेचने का कारोबार ही करते हैं। आप वर्ष भर में कई बार उनकी खरीद-बेच करते हैं। ऐसी Property पूंजी यानी Capital की कैटेगरी में नहीं आएगी। उससे होने वाली Income भी Business Income में गिनी जाएगी। लेकिन, अगर आपने Property को Investment या अपने उपयोग के उद्देश्य से खरीदी है तो ये Property आपकी पूंजी के रूप में गिनी जाएगी। इनसे होने वाली आमदनी Capital Gain के रूप में गिनी जाएंगी।
उदाहरण नंबर-1 : एक घर जब Builder खरीदता है तो उसका मूल उद्देश्य खरीदना और बेचना होता है। Builder के लिए घर के बेचने से होने वाला फायदा Business Income की कैटेगरी में आएगा। इसके उलट एक सामान्य व्यक्ति जो अपना कोई अन्य कारोबार या नौकरी आदि कर कर रहा है। अगर किसी कारण से उसे बेचना पड़ा तो यह Capital Gain की श्रेणी में आएगा।
उदाहरण नंबर-2 : एक सराफा कारोबारी जब Jewellery को खरीदता—बेचता है तो उसकी इनकम Business Income की श्रेणी में आएगी। एक सामान्य व्यक्ति जब अपनी घरेलू Jewellery को बेचेगा तो उससे होने वाला प्रॉफिट Capital Gain की कैटेगरी में आएगा। क्योंकि Jewellery खरीदना-बेचना उसका बिजनेस नहीं है।
उदाहरण-3: कोई शेयर कारोबारी कंपनियों के Share खरीदने-बेचने का व्यवसाय करता है। उसकी आमदनी Business Income में गिनी जाएगी। एक सामान्य व्यक्ति जब शेयरों को Investment के हिसाब से खरीदता है, तो उससे होने वाली इनकम Capital Gain में गिनी जाएगी। Bonds के मामले में भी यही बात लागू होती है।
कैपिटल गेन टैक्स किस दर से लगता है?
शॉर्ट टर्न कैपिटल गेन और लांग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स अलग-अलग तरीके से लगाया जाता है-
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स की दर (rate)
Short Term Capital Gain पर टैक्स के लिए सरकार कोई अलग से दर घोषित नहीं करती। इसे अन्य आमदनी की तरह आपकी कुल आमदनी में जोड़ दिया जाता है। फिर कुल आमदनी में से जितनी आपकी Taxable Income होती है, उस पर Tax Slab के अनुसार टैक्स भरना पड़ता है।
लेकिन, अगर आपने किसी कंपनी के equity share ले रखे हैं, या किसी equity oriented fund की Unit ले रखी है, तो उन्हें बेचने पर होने वाले short term Capital gains पर 15 प्रतिशत फिक्स Tax देना पड़ता है। ऐसे मामले में लगने वाले टैक्स पर Surcharge और Education Cess नहीं देना पड़ता।
लांग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स की दर (rate)
सामान्यतया long-term capital gains पर 20 प्रतिशत टैक्स देना पड़ता है। कुछ विशेष मामलों में यह 10 प्रतिशत भी हो सकता है (Finance Act, 2016 में संशोधन के मुताबिक)। 10 प्रतिशत लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स वाली संपत्तियां इस प्रकार हैं-
- ऐसी security जो भारत के किसी मान्यताप्राप्त Stock Exchange में सूचीबद्ध (listed) हो।
- UTI की यूनिट या म्यूचुअल फंड (चाहे listed हो या न हो)। (10-7-2014 से पहले बिकने पर ही लागू)
- जीरो कूपन बांड्स
ध्यान दें: जिन मामलों में हम Capital Gain निकालने के लिए Indexation का प्रयोग करते हैं, उन में 20 प्रतिशत Tax देना पड़ता है। लेकिन जिन मामलों में Capital Gain निकालने के लिए Indexation का प्रयोग नहीं किया जाता, उनमें 10 प्रतिशत ही Tax देना पड़ता है।
कैपिटल गेन्स पर टैक्स की गणना कैसे होती है?
सामान्य वस्तुओं की बिक्री में फायदे की गणना करना बहुत आसान होता है। जितने की खरीदी है और जितने में बेची है, उनका अंतर (difference) निकाल लिया और फायदा पता चल गया। Capital Gains के मामले में यह तरीका थोड़ा अलग हो जाता है। कैपिटल गेन निकालने के लिए हम तीन चीजों को शामिल करते हैं।
Property बेचने से वास्तव में हमारी कितनी income बढ़ी: किसी प्रापर्टी को बेचने में जो आपको रकम मिलती है,अक्सर वो पूरा का पूरा फायदा नहीं होती। Property को बेचने की प्रक्रिया में पहले ही कुछ खर्चे हो चुके होते हैं। जैसे कि विज्ञापन पर खर्च, एजेंट को कमीशन आदि। इन खर्चों को निकालने के बाद फायदा पता चलता है। पहले यह यह रकम निकाल लीजिए।
Property को खरीदने में लगी रकम आज के हिसाब से कितनी हुई: जब आपने Property खरीदी थी, उस समय उसके लिए कितनी रकम दी थी। उसको खरीदने में रजिस्ट्री, स्टांप शुल्क, कमीशन आदि में कितना खर्च हुआ था। सब कुछ जोड़कर पूरा खर्च निकाल लेते हैं। इस टोटल खर्च को Indexation करके आज की तारीख में उसकी कीमत (value) निकाल लेते हैं। अगर Property में बाद में कुछ लागत लगाई है तो उसे भी Indexation करके आज के हिसाब से उसका मूल्य निकाल लेते हैं।
सौदे से अंतिम रूप से फायदा कितना हुआ: शुरु के दो चरणों में हमारे सामने जो दोनों चीजें निकलकर आईं-
- संपत्ति को बेचने से आपको हुई वास्तविक आमदनी (Real Income)
- संपत्ति पर अब तक लगाई गई वास्तविक लागत (Real Costs)
अब हम वास्तविक आमदनी (Real Income) से वास्तविक लागत (Real Costs) को घटाकर अपना वास्तविक मुनाफा ( Real Capital Gain) निकाल लेते हैं।
कैपिटल गेन्स को अपनी सालाना आमदनी में जोड़कर टैक्स स्लैब में रखें और टैक्स की गणना करें
Capital Gains चूंकि आपकी Total Income का हिस्सा होता है। इसलिए अब आपको करना यह है कि Capital Gains के रूप में जो आपको आमदनी हुई है, उसे अपनी अन्य सभी Incomes के साथ जोड़ दीजिए। अब अगर सब मिलाकर जो रकम निकली, वह Tax Exemptions और कटौतियों के बाद टैक्स लायक बचती है तो आपको टैक्स देना होगा। टैक्स कितना बनेगा ये आपके उपर लागू होने वाले Tax Slab rates पर निर्भर करता है।
कैपिटल गेन्स टैक्स की गणना का एक उदाहरण| An Example
आपने April 2017 में 30 लाख रुपए का एक घर खरीदा। छह महीने बाद यानी September 2017 में आपने इसे किसी और को 35 लाख रुपए में बेच दिया। मान लेते हैं कि आपने घर खरीदते वक्त और उसके बाद उस पर 2 लाख रुपए और खर्च किए हैं। तो कुल मिलाकर घर के लिए आप कुल 32 लाख रुपए खर्च कर चुके हैं।
घर खरीदने और बेचने की दोनों घटनाएं एक ही Financial Year के अंदर हुई हैं, इसलिए यहां Indexation करने की जरूरत ही नहीं है। जो खर्चे जितने हुए हैं, उनका मौजूदा मूल्य भी उतना ही माना जाएगा।
इस प्रकार घर को बेचने से मिली रकम से घर पर लगी लागतों को घटाने पर आपको शुद्ध रूप से 3 लाख रुपए का फायदा हुआ। ये 3 लाख रुपए आपका Capital Gain हुआ। आपका ये कैपिटल गेन भी आपकी कुल taxable income में जुड़ जाएगा और आप इस पर नियमों के मुताबिक टैक्स देंगे।