जिन लोगों को बेसिक टैक्स छूट लिमिट से अधिक सैलरी मिलती है, उनकी सैलरी से TDS काट लिया जाता है। इसी प्रकार ब्याज, किराया, कमीशन, इनाम या लॉटरी वगैरह से एक निर्धारित सीमा से अधिक आमदनी मिलने पर भी TDS काटने का नियम है। उस काटे गए टैक्स को हर महीने एक निश्चित तारीख तक सरकार के इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास जमा करना पड़ता है। हर वित्तवर्ष (Financial Year) के अंत में उसका हिसाब-किताब भी TDS रिटर्न के रूप में दाखिल करना पड़ता है। इस लेख में, हम जानेंगे कि TDS पेमेंट के नियम क्या हैं? और वित्त वर्ष के अंत में TDS रिटर्न फाइलिंग के नियम क्या हैं?
In this article, we would know about the Rule of TDS payment and TDS return filing in Hindi.
टीडीएस क्या है? What is TDS
TDS का फुल फॉर्म होता है-Tax Deducted at Source. इसका हिंदी में मतलब होता है-स्रोत पर कर कटौती। यानी कि जिस स्रोत से आमदनी मिलनी है, वहीं पर टैक्स को काट लिया जाता है। उसके बाद बची हुई रकम दे दी जाती है।
यहां स्रोत से मतलब उस कंपनी, संस्थान या व्यक्ति से है, जिससे आमदनी प्राप्त होती है। जैसे कि सैलरी देने वाला स्रोत (Source) आपकी कंपनी या संस्थान है। ब्याज देने वाला स्रोत बैंक है। किराया देने वाला स्रोत किरायेदार है। ऐसे किसी भी स्रोत से आमदनी मिलने के पहले ही जब टैक्स काट लिया जाता है, तो उसे स्रोत पर टैक्स कटौती यानी कि (Tax deducted at the source)
भारत में, फिलहाल 5 लाख रुपए से अधिक सैलरी पर TDS काटने का नियम है। इसी तरह एक निर्धारित सीमा से अधिक ब्याज, किराया, कमीशन, दलाली, इनाम वगैरह पर भी एक निश्चित प्रतिशत TDS काटने का नियम है।
कैसे काम करता है TDS सिस्टम: TDS की व्यवस्था में, कोई व्यक्ति या संस्थान जब किसी को पेमेंट करता है तो कुल आमदनी में से टैक्स का हिस्सा पहले ही काटकर अलग रख लेता है और बकाया रकम को भुगतान कर देता है।
काटे गए टैक्स (TDS) को कंपनी, आपके PAN नंबर के माध्यम से आपही के नाम पर सरकार के इनकम टैक्स विभाग के पास जमा कर देती है। इस तरह से यह सुनिश्चित हो जाता है कि आपकी आमदनी में से उतना टैक्स, सरकार के पास पहुंच चुका है।
किसी की आमदनी पर TDS काटने वाले को, इसका एक सर्टिफिकेट भी उस व्यक्ति को देना पड़ता है।
TDS कटौती का एक उदाहरण
मान लेते हैं कि किसी कंपनी ने किसी फाइनेंशियल एक्सपर्ट की सेवाएं ली। जिसके लिए उसे 1 लाख रुपए का भुगतान करना है। हम जानते हैं कि प्रोफेशनल फीस के मामले में 30 हजार रुपए से अधिक के भुगतान पर 10% TDS काटने का नियम है।
ऐसे में जब भी कंपनी उसे 1 लाख रुपए का भुगतान करेगी तो 1 लाख का 10 % यानी कि 10 हजार रुपए पहले ही TDS काटकर रख लेगी। बाकी बचे 90 हजार रुपए का ही वह कंपनी उस व्यक्ति यानी कि Financial Expert को भुगतान कर देगी। जो 10% टैक्स वसूला गया है, उसे इनकम टैक्स विभाग के पास, उसी Finanacial Expert के PAN नंबर पर जमा कर देना होगा। ।
Financial Year के पूरा होने के बाद वह फाइनेंशियल एक्सपर्ट, जब अपना इनकम टैक्स रिटर्न भरकर जमा करेगा, तो उस टैक्स पेमेंट का हिसाब कर देगा। अगर टैक्स कम कटा है तो बकाया टैक्स जमा कर देगा। अगर टैक्स ज्यादा कट गया है तो अतिरिक्त टैक्स को वापस पाने के लिए रिफंड क्लेम कर सकेगा।
किस-किस तरह की कमाई पर कटता है TDS
निम्नलिखित प्रकार की आमदनी पर, एक निर्धारित सीमा से अधिक पैसा मिलने पर TDS काटा जाता है-
- कर्मचारियों को मिलने वाले वेतन पर | Salary of Employee
- बैंकों से मिलने वाले ब्याज पर | Interest Payment
- कमीशन के भुगतान पर| Commission
- किराया (मकान, दुकान, ऑफिस, जमीन वगैरह) के भुगतान पर | Rent
- कंसल्टैंट या परामर्शदाताओं को भुगतान पर | Payments made to consultants
- वकीलों या फ्रीलांसर्स की फीस के भुगतान पर | Payment to lawyers or freelancers.
7 तारीख तक सरकार के पास TDS जमा करना अनिवार्य
- TDS काटने वाली कंपनी या संस्थान को TDS के रूप में काटी गई रकम को सरकार के पास हर महीने की 7 तारीख तक जमा करना अनिवार्य होता है। उदाहरण के लिए, अप्रैल महीने की कमाई पर काटे गए TDS को सरकार के पास अगले महीने यानी कि मई महीने की 7 तारीख तक जमा करना अनिवार्य है।
- और यह 7 तारीख हर तरह के TDS काटने वालों पर लागू होती है। चाहे वह सैलरी पर TDS काटने के मामला हो या फिर बिना सैलरी (ब्याज, कमीशन, भुगतान वगैरह) पर TDS काटने का मामला हो।
- अगर सरकारी संस्थान की ओर से TDS के भुगतान के लिए चालान का प्रयोग नहीं किया जा रहा है तो फिर उसे उसी तारीख को पैसा जमा कर देना अनिवार्य होता है, जिस तारीख को TDS काटा गया है।
- वित्तीय वर्ष के अंतिम महीने (मार्च) का TDS 30 अप्रैल तक जमा कर देना अनिवार्य है।
टीडीएस जमा करने और टीडीएस रिटर्न जमा करने की तारीखें अलग-अलग
- यहां, इस बात का ध्यान रखें कि TDS की रकम जमा करने की अंतिम तिथि और TDS Return भरकर जमा करने की अंतिम तिथि अलग-अलग होती हैं। TDS जमा करने की अंतिम तिथि हर महीने आती है, जबकि TDS Return जमा करने की अंतिम तिथि हर तीन महीने में आती हैै।
- ये अंतिम तिथियां (TDS जमा करने और TDS Return जमा करने की) सरकारी या गैर सरकारी किसी भी प्रकार के TDS कटौती करने वाले ऐसे संस्थान या व्यक्ति के लिए भी समान होती हैं, जो कि चालान के माध्यम से सरकार के पास TDS जमा करते हैं।
भुगतान के हिसाब से अलग-अलग होते हैं TDS Forms
सैलरी, ब्याज, कमीशन, परामर्श शुल्क वगैरह पर TDS काटने के लिए सरकार ने अलग-अलग फॉर्म निर्धारित कर रखे हैं। TDS काटते समय सही टीडीएस फॉर्म का ही उपयोग किया जाना चाहिए और TDS रिटर्न दाखिल करते समय इनका ठीक तरीके से उल्लेख होना जरूरी है। इसलिए हम यहां इन फॉर्मों के नाम और उनके उपयोग की संक्षेप में जानकारी भी यहां दे रहे हैं—
Form 24 Q | सैलरी के भुगतान पर TDS काटने के लिए इस फॉर्म का प्रयोग किया जाना चाहिए। |
Form 26 Q | सैलरी के अलावा जहां कभी भी TDS काटा जाए, वहां इस फॉर्म का प्रयोग किया जाना चाहिए। |
Form 27 Q | अनिवासी भारतीय नागरिक (NRIs) को भुगतान करने पर TDS काटने में इस फॉर्म का प्रयोग किया जाना चाहिए। |
टीडीएस का भुगतान करने के तरीके| Modes of TDS Payment
टीडीएस का भुगतान करने के दो तरीके (modes) हैं—
ऑनलाइन या ई-पेमेंट के माध्यम से TDS भुगतान
आप इनकम टैक्स विभाग की वेबसाइट पर जाकर सीधे Online TDS Payment कर सकते हैं। इस प्रक्रिया को E-Payment कहा जाता है। इसके लिए आप इस लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं—https://onlineservices.tin.egov-nsdl.com/etaxnew/tdsnontds.jsp
- सभी corporate assesses यानी कि कंपनियों को भुगतान ऑनलाइन यानी ईपेमेंट से ही करना अनिवार्य है।
- ऐसे करदाता (assessee) जिन पर Income Tax Act का section 44AB लागू होता है, उन्हें भी E-payment ही करना अनिवार्य है।
सेक्शन 44 एबी : इनकम टैक्स ऐक्ट के तहत Section 44 AB, वह नियम है, जिसके तहत एक सीमा से अधिक कमाई करने वाले व्यक्तियों या संस्थाओं को अपनी कमाई व टैक्स संबंधी विवरणों का ऑडिट पहले ही करवा लेना अनिवार्य है। ऐसे ऑडिट Chartered Accountant से करवाने होते हैं।
चालान फॉर्म के माध्यम से TDS का भुगतान
आप इनकम टैक्स डिपॉर्टमेंट की ओर से अधिकृत बैंक की ब्रांच पर जाकर चालन फॉर्म के माध्यम से भी TDS का भुगतान कर सकते हैं। यहां भी आपको वही डिटेल्स भरने होते हैं, जो कि E-Payment की प्रक्रिया में भरे जाते हैं। फर्क सिर्फ इतना होता है कि बैंक शाखा पर आपको सारे डिटेल कागज के चालान फॉर्म में भरकर देने होते हैं, जबकि ईमेंट की प्रक्रिया में सारे डिटेल ऑनलाइन चालान फॉर्म मे ही भरे जाते हैं।
Note: ध्यान रखें कि TDS या TCS जमा करने के लिए Assesees के पास अपना टैन नंबर (TAN -Tax Deduction Account Number) होना अनिवार्य है। चाहे भुगतान ई पेमेंट से किया जाए या बैंक में चालान के माध्यम से।
टीडीएस रिटर्न भरने की Last Date
किसी Financial Year के दौरान `किसी कंपनी या संस्थान व्यक्ति ने जो भी TDS काटा है, उसका विवरण (Details) भी सरकार के पास जमा करना अनिवार्य है। टैक्स के संबंध में इसी विवरण पत्र को TDS Return कहा जाता है। और यह TDS Return हर तीन महीने में एक बार भरना होता है।
उदाहरण के लिए अप्रैल, मई, जून के तीन महीनों में जो भी TDS काटा जाएगा, उसका रिटर्न, जुलाई के अंत तक (31 जुलाई तक) भरना जरूरी है। इस तथ्य को और बेहतर तरीके से समझने के लिए आप नीचे दी गई टेबल को देख सकते हैं—
तिमाही की अवधि | रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि |
अप्रैल से जून | 31 जुलाई |
जुलाई से सितंबर | 31 अक्टूबर |
अक्टूबर से दिसंबर | 31 जनवरी |
जनवरी से मार्च | 31 मई |
विलंब से TDS Return भरने पर जुर्माना
अगर आप ऊपर बताई गई अंतिम तारीखों के हिसाब से TDS return दाखिल नहीं कर पाते हैं तो आपको 200 रुपए रोज के हिसाब से पेनाल्टी भी चुकानी पडती है। जुर्माने की यह दर तब तक लागू रहेगी, जब तक कि पेनाल्टी की रकम कुल देय टीडीएस (Total Payable TDS ) के बराबर तक नहीं पहुंच जाती।
अगर आप अंतिम तारीख के बाद 1 साल तक भी TDS Return दाखिल नहीं करते हैं तो आपको कम से कम 10 हजार रुपए से से लेकर अधिकतम 1 लाख रुपए तक का पेनाल्टी भरना पडेगा। Penalty का यह प्रावधान उनके लिए भी है जिन्होंने PAN या TDS कटौती की गलत जानकारी दी है।
TDS काटने में और जमा करने में देरी पर भी जुर्माना लगता है
TDS काटने, जमा करने और टीडीएस रिटर्न भरने में देरी करने पर न सिर्फ आपको विलंब शुल्क देना पडता है, बल्कि बकाया टीडीएस पर ब्याज भी चुकाना पडता है। इसके संबंध में नियम इस प्रकार हैं—
विलंब से TDS काटने पर पेनाल्टी: टीडीएस को उसी समय काट लिया जाना चाहिए, जबकि भुगतान (actual payment) किया जा रहा हो, या फिर उस समय काटा जाना चाहिए जबकि भुगतान का समय तय कर दिया गया हो (at the time of payment getting due)। दोनों में से जो भी टाइम पहले हो पहले हो तभी TDS काट लिया जाना चाहिए। समय पर नहीं काटे गए टीडीएस पर 1 प्रतिशत प्रति माह की दर से ब्याज भी चुकाना पड़ता है। यह ब्याज तब तक जुड़ता रहेगा, जब तक कि संबंधित भुगतान या भुगतानों पर निर्धारित TDS काट न लिया जाए।
विलंब से TDS जमा करने पर पेनाल्टी: जैसा कि हमने ऊपर बताया कि TDS काटने वाले व्यक्ति या संस्थान को अगले महीने की 7 तारीख तक TDS जमा कर देना अनिवार्य है। इस तारीख तक TDS सरकार के पास जमा न करने पर 1.5 प्रतिशत प्रतिमाह की दर से ब्याज भी चुकानी पड़ती है। यह ब्याज उस रकम पर लगती है, जो कि जमा नहीं की गई है और तब तक के लिए जोडी जाती है, जब तक कि TDS की बकाया रकम जमा न कर दी जाए।
TDS Certificate भी जारी करना अनिवार्य
Income Tax Act के सेक्शन 203 के अनुसार हर TDS काटने वाले (deductor) को, एक प्रमाणपत्र उस व्यक्ति (deductee) को देना अनिवार्य है जिसका कि TDS काटा गया है। इसमें (TDS certificate में) TDS या टीसीएस के संबंध में हुए सभी कटौतियों का ब्योरा (details) होता है। यह दरअसल, TDS काटने वाले (deductor) और जिसका टीडीएस काटा गया है (deductee) के बीच हुए सभी लेन देनों (transactions) का डिटेल होता है। TDS Certificate टीडीएस काटने वाले (deductor) की ओर से उसके अपने letterhead पर जारी किया जाना चाहिए। बैंक भी पेंशन भुगतान (pension payments) के संबंध में काटे गए टीडीएस के बारे में यह certificate जारी करते हैं।
TDS Certificate के दो प्रकार
टीडीएस काटने के स्रोत (Source) के आधार पर TDS certificates मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं—
Form 16: इस फॉर्म के रूप मेें, TDS Certificate, सिर्फ उन मामलों में जारी किए जाते हैं जो कि salary मेें से टीडीएस काटने से संबंधित होते हैं। इनमें उस वित्त वर्ष के दौरान नियोक्ता (Employer) की ओर से समय समय पर काटे गए Taxes का ब्योरा दिया गया होता है।
Form 16A: सैलरी के अलावा अन्य किसी भी प्रकार की कमाई पर काटे जाने वाले TDS के संबंध मेें TDS Certificate फॉर्म 16 A के रूप में जारी किए जाते हैं।
TAN नंबर के आधार पर दाखिल होता है TDS रिटर्न
जो लोग भी TDS या TCS काटने के लिए अर्ह (Eligible) होते हैं, उन्हें टैन नंबर रखना अनिवार्य होता है। टैन का फुल फॉर्म होता है—Tax Deduction Account Number। यह एक 10 अंकों (digits) का alpha numeric number होता है । अल्फा न्यूमरिक का मतलब अक्षरों और संख्याओं से मिलकर बना हुआ नंबर। ।
इनकम टैक्स एक्ट के Section 203A के तहत टीडीएस काटने की योग्यता रखने वालों को अपना Tax Deduction Account Number (TAN) रखना अनिवार्य है। टीडीएस काटने के बाद जारी किए जाने वाले TDS Certificate में उसके टैन नंबर का उल्लेख किया जाना अनिवार्य है। सरकार के पास उस TDS जमा करने और फिर TDS Return भरने में भी इस TAN Number की जरूरत होती है।