GST के तहत, अगर कोई काम ठेके (Contract) पर कराया जाय, और उसका भुगतान 2.5 लाख रुपए से ज्यादा हो तो उस पर 2% TDS काटकर सरकार के पास जमा करना पड़ता है। इसी तरह कुछ विशेष प्रकार के सामानों की खरीदारी पर TCS वसूलना अनिवार्य है। सरकारी या प्राइवेट संस्थाओं या कंपनियों की ओर से ठेके पर काम कराने के मामलों में ये नियम चलता है। लेकिन, समान्यतया नए कारोबारियों को GST मेें TDS और TCS का मतलब और इस्तेमाल समझ में नहीं आता।
इस लेख में हम बताएंगे कि GST में TDS क्या होता है? इसके बाद बताएंगे कि GST में TCS क्या होता है? ये कब काटे या लिए जाते हैं ओर किस रेट से लगते हैं? इसके बाद GST TDS और GST TCS से जुड़े नियमों और जरूरी तथ्यों के बारे में भी जानेंगे।
What is TDS and TCS under GST in Hindi. इनके पहले यह जान लेते हैं कि TDS और TCS होते क्या हैं?
- TDS: जब किसी को पेमेंट देते समय, उसमें से टैक्स का हिस्सा काट लिया जाता है, और बाकी का पैसा पेमेंट कर दिया जाता है। काटा गया टैक्स (TDS), सरकार के पास जमा कर दिया जाता है, और उसका सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है।
- TCS: जब किसी सौदे का पेमेंट लेते समय, कूल कीमत में टैक्स का हिस्सा अलग से जोड़कर, लिया जाता है। उस अलग से वसूले गए टैक्स (TCS) को, सरकार के पास जमा कर दिया जाता है। इसका भी सर्टिफिकेट जारी किया जाता है।
जीएसटी में TDS क्या होता है?
GST के अंतर्गत, अगर, किसी एक कंट्रैक्ट (ठेका) में, 2.50 लाख रुपए से अधिक का पेमेंट होना है तो फिर उस पर 2% TDS काटा जाना चहिए। सामान या सेवा (Goods and Services) दोनों तरह के कारोबारी सौदों पर यह नियम लागू होता है।
TDS के रूप में जो 2% काटा जाता है, उसमें, 1% CGST (केंद्रीय जीएसटी) का हिस्सा होता है और 1% SGST (राज्य जीएसटी) का। यानी कि 1% हिस्सा केंद्र सरकार को मिलेगा और 1% हिस्सा राज्य सरकार को मिलेगा।
अगर, वह सौदा दो अलग-अलग राज्यों के कारोबारियों के बीच में हो रहा है तो उनका पेमेंट भी किसी दूसरे राज्य के व्यापारी को होगा। उस स्थिति में पूरा का पूरा 2% IGST (एकीकृत जीएसटी) के रूप में कटकर पहले केंद्र सरकार के पास जाएगा, बाद में आगे चलकर यह केंद्र और राज्य सरकार के बीच बराबर-बराबर बंट जाएगा।
यह TDS वह व्यक्ति काटेगा, जोकि पैसों का भुगतान कर रहा है, यानी कि सामान या सेवा का खरीदार। फिर इस TDS को सरकार के पास जमा कर देगा, जोकि supplier के इनकम टैक्स अकाउंट (PAN नंबर) में दर्ज हो जाएगा।
उदाहरण 1: कोई पेमेंट 2.50 लाख रुपए से ऊपर का हो
रोहित मिश्रा ने किसी सरकारी कंपनी से दो तरह के कामों के लिए कंट्रैक्ट लिया। पहले कंट्रैक्ट के लिए रोहित को 3 लाख रुपए का पेमेंट मिलना है। दूसरे कंट्रैक्ट के लिए, उसे 2.25 लाख रुपए का पेमेंट मिलना है। दोनों काम ऐसे हैं जिन पर GST लागू होता है। दोनों मामलों में, TDS काटने की स्थिति इस प्रकार होगी-
- पहले कंट्रैक्ट में रोहित को 3 लाख रुपए का पेमेट मिलना है, जोकि 2.50 लाख रुपए से अधिक है। इसलिए इस पर, वह सरकारी कंपनी, रोहित को मिलने वाले पेमेंट से 2% टीडीएस (6000 रुपए) काट लेगी और बाकी के 2.94 लाख रुपए का पेमेंट रोहित को दे देगी। TDS के रूप में , कंपनी ने जो उसने 6000 रुपए काटे हैं, वे सरकार के पास जमा करने होंगे। कंपनी की ओर से TDS काटने और सरकार के पास जमा करने संबंधी एक प्रमाणपत्र (TDS Certificate) भी रोहित को देना होगा।
- दूसरे वाले कंट्रैक्ट में रोहित को 2.25 लाख रुपए का पेमेंट मिलना है, जोकि 2.50 लाख रुपए से कम है। इस पर, वह कंपनी TDS नहीं काट सकती। क्योंकि यह TDS काटने के लिए, निर्धारित पेमेंट की लिमिट से कम है।
उदाहरण 2 : कई काम मिलकर 2.5 लाख रुपए से ऊपर के हों तो..
अब मान लेते हैं कि पवन अग्रवाल ने किसी कंपनी से दो अलग-अलग कामों को करवाने के लिए दो ठेके लिए। पहले वाले कंट्रैक्ट के लिए पवन को 2.40 लाख का पेमेंट मिलना है और दूसरे वाले कंट्रैक्ट के लिए उसे 2.10 लाख का पेमेंट मिलना है। इन मामलों में TDS काटने की स्थिति इस प्रकार होगी-
- चूंकि दोनों कंट्रै्क्ट के अलग-अलग पेमेट 2.50 लाख रुपए से कम के हैं, इसलिए पवन अग्रवाल को मिलने वाले, इन दोनों पेमेंट में से किसी भी पेमेंट से TDS नहीं काटा जाएगा।
- हालांकि दोनों कंट्रैक्ट की कुल कीमत 4.50 लाख (2.40 लाख+2.10 लाख) रुपए बैठती है। लेकिन, चूंकि दोनों कंट्रैक्ट अलग-अलग काम के हैं और दोनों की अलग-्अलग रकम 2.50 लाख रुपए से कम है, इसलिए कोई टीडीएस काटने का मामला नहीं बनता।
उदाहरण नंबर 3: एक काम के पेमेंट को दो हिस्सों में दिया गया हो तो.
किसी सरकारी कंपनी ने हरीश सिन्हा को एक काम पूरा करने का ठेका 3.50 लाख रुपए में दिया। इसके लिए हरीश को 1.5 लाख रुपए का एडवांस जारी कर दिया गया। दो महीने बाद बाकी के 2 लाख रुपए, का भी पेमेंट कर दिया गया। यहां पर दोनों बार के पेमेंट 2.5-2.5 लाख रुपए से कम के किए गए हैं, लेकिन TDS काटना चाहिए। क्योंकि काम एक ही है और उस एक काम के लिए पेमेंट की रकम (contract value) 2.5 लाख रुपए से ज्यादा है।
GST के तहत, TDS काटने का अधिकार किसे-किसे मिला हुआ है?
- केंद्र सरकार या राज्य सरकार का विभाग
- स्थानीय प्राधिकरण (Local authority)
- सरकारी एजेंसियां (Governmental agencies)
- सरकार द्वारा अधिसूचित व्यक्ति या अधिकारी
- सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां (Public sector undertakings)
- केंद्र या राज्य सरकार या स्थानीय प्राधिकरण द्वारा स्थापित सोसायटी
- सोसायटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1860, के तहत स्थापित सोसायटी
- संसद या विधान सभा द्वारा स्थापित किया गया प्राधिकरण या बोर्ड, जिसमें कम से कम 51% के शेयर या अधिकार सरकार के पास हों।
GST के तहत TDS जमा करने की अंतिम तारीख क्या होती है?
टीडीएस काटने वाली किसी भी कंपनी या संस्था या व्यक्ति (deductor) को, किसी महीने के दौरान काटे गए पूरी TDS को, अगले महीने की 10 तारीख तक सरकार के पास जमा कर देना अनिवार्य है। form GSTR-7 के माध्यम से इसे जमा किया जाता है।
उदाहरण के लिए, केंद्र सरकार के शहरी विकास विभाग ने किसी काम के लिए किए गए पेमेंट पर TDS को 5 मार्च 2023 को काटा है। तो फिर इसे हर हाल में 10 अप्रैल 2023 तक सरकार के टैक्स विभाग के पास जमा कर दिया जाना चाहिए। इसी तरह अप्रैल 2023 के दौरान काटे गए सभी TDS को 10 मई 2023 तक जमा कर देना जरूरी है।
समय से न जमा करने पर पेनाल्टी भी: अगर आप अगले महीने की 10 तारीख तक TDS, सरकार के पास जमा नहीं करते हैं तो फिर 200 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से पेनाल्टी भरनी पड़ेगी। इस 200 रुपए की पेनाल्टी में 100 रुपए CGST न चुकाने के लिए होता है और 100 रुपए रोज SGST न चुकाने के लिए होता है। पेनाल्टी के अलावा, बकाया टैक्स पर 18% की दर से ब्याज भी जोड़कर चुकानी पड़ती है।
जीएसटी के अंतर्गत TCS क्या होता है?
जीएसटी में TCS, वसूलने का अधिकार ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियों (electronic commerce operator) को उन मामलों में दिया गया है, जबकि कोई सप्लायर या वेंडर, उसकी वेबसाइट के माध्यम से सामान या सेवा (goods or services) बेचता है। इन सौदों से संबंधित पेमेंट उस ई-कॉमर्स कंपनी को ही मिलते हैं।
वह ई-कॉमर्स कंपनी, अपने पास इकट्ठा हुए पैसों को जब, जब उस सप्लायर या वेंडर को देती है तो वह कंपनी पहले वह उस पेमेंट से टैक्स (TCS) वसूल लेता है और बाकी पैसा दे देती है। इस TCS की मात्रा, net taxable supplies के एक 1% के बराबर होती है। CGST Act के Section 52 में इसका उल्लेख किया गया है।
TCS के रूप में जो 1% टैक्स वसूला जाता है, उसमें 0.5 % CGST (केंद्रीय जीएसटी) 0.5% SGST (राज्य जीएसटी) के रूप में होता है। अगर ऐसा कोई लेन-देन, दो अलग-अलग राज्यों के कारोबारियों के बीच में होता है तो फिर पूरा का पूरा 1% IGST (एकीकृत जीएसटी) के हिस्से में जाता है।
उदाहरण के लिए, श्रीराम ट्रेडर्स, एक proprietorship है। वह ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी Flipkart के माध्यम से कपड़े (garments) बेचती है। यहां पर कपड़ों के बिकने से, जो पैसा Flipkart के पास पहुंचता है, उसे वह बाद में श्रीराम ट्रेडर्स को दे देती है। लेकिन उन पैसोंं को देते समय Flipkart कंपनी वहले टैक्स (TCS) वसूल लेगी। बाकी पैसा श्रीराम ट्रेडर्स को मिल जाता है।
इन पर नहीं लागू होता टीसीएस: कुछ खास कैटेगरी की e-commerce कंपनियों के माध्यम से दी जाने वाली सेवाओं (Services) पर TCS के नियम लागू नहीं किए गए हैं जैसे कि-
- होटल या क्लब में ठहरने वाली सेवाएं (unregistered suppliers)
- यात्रियों को ले जाने वाली सेवाएं, जैसे कि, रेडियो टैक्सी, मोटर कैब वगैरह
- हाउसकीपिंग सेवाएं जैसे कि प्लंबिंग, कारपेंटरी वगैरह (unregistered suppliers)
जीएसटी के तहत काटे गए TCS को जमा करने की तारीख
टीडीएस की तरह ही, TCS को भी, जिस महीने के दौरान काटा गया है, उसके ठीक अगले वाले महीने की 10 तारीख तक सरकार के पास जमा कर देना अनिवार्य है। उदाहरण के लिए, अप्रैल 2023 के दौरान काटे गए सभी TCS को, 10 मई 2023 तक जमा कर देना अनिवार्य है। इसे फार्म GSTR-8 के माध्यम से जमा किया जाता है।