पैसों के लेन-देन में नेट बैंकिंग और UPI का चलन बढ़ने के कारण, अब बैंक चेक का इस्तेमाल कम होने लगा है। लेकिन, अभी भी बहुत से सरकारी व प्राइवेट पेमेंट के लिए आज भी बैंक चेक का इस्तेमाल होता है। उसमें भी अकाउंट पेयी चेक से पैसा देने को प्राथमिकता दी जाती है, ताकि सही व्यक्ति को ही पैसा मिल सके। इस लेख में हम जानेंगे कि अकाउंट पेयी चेक क्या होता है? इसके क्या फायदे हैं और यह बेयरर चेक से अलग कैसे होता है? About Account Payee Cheque in Hindi?
अकाउंटपेयी चेक क्या होता है?
अकाउंटपेयी चेक, ऐसा बैंक चेक होता है, जिससे पैसा सिर्फ उस व्यक्ति के बैंक अकाउंट में जाता है, जिसके नाम वह चेक जारी किया गया हो। यानी कि बैंक काउंटर पर, अकाउंट पेयी चेक जमा करने पर, डायरेक्ट पैसा नहीं मिलता, बल्कि वह पहले आपके बैंक अकाउंट में जमा हो जाएगा। पैसा एक बाद बैंक अकाउंट में जमा होने के बाद, आप चाहें तो उसे तुरंत या बाद में निकाल भी सकते हैं।
संक्षेप में कहें तो अकाउंट पेयी चेक, ऐसा बैंक चेक होता है, जिसे किसी दूसरे व्यक्ति के बैंक अकाउंट में डायरेक्ट पैसा ट्रांसफर करने के लिए जारी किया जाता है।
अकाउंट पेयी चेक की जरूरत क्यों ?
पैसा डायरेक्ट, उस व्यक्ति के नाम जमा होने का मुख्य फायदा यह होता है कि ऐसे चेक का गलत इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। चेक को जमा भले ही कोई भी करे, लेकिन वह पहुंचेगा सिर्फ उस व्यक्ति के खाते में, जिसके नाम वह चेक जारी किया गया है। इस तरह से यह चेक जारी करने का सुरक्षित तरीका माना जाता है।
कैसा होता है अकाउंट पेयी चेक
किसी सामान्य बैंक चेक को अकाउंट पेयी चेक बनाने के लिए सिर्फ उस चेक पर ऊपरी बाएं सिरे पर दो समांतर और तिरछी लाइनें खींच दी जाती हैं। इस तरह से यह क्रॉस चेक बन जाता है। अगर उन दोनों लाइनों के बीच में Account payee या “A/C payee only लिख दिया जाता है, तब भी वह अकाउंट पेयी चेक ही रहता है। क्योंकि उससे भी पैसा डायरेक्ट उस व्यक्ति के बैंक अकाउंट में ही जमा हो सकेगा।
क्रॉस चेक से अकाउंट पेयी चेक कैसे अलग होता है?
सिर्फ क्रॉस किए गए चेक में यह सुविधा रहती है कि उसे पैसा पाने वाला व्यक्ति (Payee) चाहे तो उस चेक से पैसा निकालने का अधिकार, किसी अन्य व्यक्ति को ट्रांसफर भी कर सकता है। ऐसा करने को Cheque Endorsement कहते हैं। खुद को मिलने वाले चेक को Endorse करने के लिए उस पर “Pay to the Order of” लिखकर पैसा प्राप्त करने वाले अन्य व्यक्ति का नाम लिखना पड़ता है और नीचे अपना हस्ताक्षर करना पड़ता है।
लेकिन, अब यह प्रक्रिया अब चलन में नहीं रह गई है। ऐसा करने के पहले बैंक से और पैसा प्राप्त करने वाले अन्य व्यक्ति की सहमति लेने की अलग से आवश्यकता पड़ती है। कई बैंक तो फ्रॉड से बचने के लिए Cheque Endorse करने की इजाजत नहीं देते। हालांकि हमने अपने पाठकों की बेहतर समझ के लिए, इसे यहां स्पष्ट किया है। कुल मिलाकर यह समझ लीजिए कि क्रॉस चेक और अकाउंट पेयी चेक अब एक ही चीज के दो नाम हो चुके हैं।
बेयरर चेक से कैसे अलग होता है अकाउंट पेयी चेक
यह बेयरर चेक से अलग, इस तरह होता है कि बेयरर चेक से कोई भी व्यक्ति पैसा निकाल सकता है। बेयरर चेक को जो भी व्यक्ति बैंक में ले जाकर जमा करेगा, उसे पैसा मिल जाएगा। लेकिन अकाउंट पेयी चेक के साथ में ऐसी छूट नहीं है। अकाउंट पेयी चेक सिर्फ और सिर्फ, पैसा प्राप्त करने वाले व्यक्ति के बैंक अकाउंट में ही ट्रांसफर होगा। बिना बैंक अकाउंट के उसका पैसा नहीं प्राप्त किया जा सकता।
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अकाउंटपेयी चेक से जुड़े प्रमुख शब्दों का परिचय
अकाउंटपेयी चेक को बेहतर तरीके से समझने के लिए, और इसे बनाने के लिए हमे इससे जुड़े कुछ जरूरी शब्दों को जानना जरूरी है-
Drawer: बैंक चेक के मामले में Drawer शब्द उस व्यक्ति के लिए इस्तेमाल होता है, जोकि अपने हस्ताक्षर (Signature) से चेक जारी करता है। वह पैसा, उसी हस्ताक्षर करने वाले व्यक्ति के बैंक अकाउंट से काटकर, पैसा पाने वाले व्यक्ति को मिलता है।
Drawee: यह शब्द, उस बैंक या वित्तीय संस्था के लिए इस्तेमाल होता है, जिसमें बैंक चेक को जमा करके पैसे प्राप्त किए जाने हैं। चेक को जारी करने वाला व्यक्ति (drawer), उस drawee (बैंक) को अपने अकाउंट से पैसे काटने का निर्देश जारी करता है।
Payee: यह शब्द उस व्यक्ति या संस्था के लिए इस्तेमाल होता है, जिसको बैंक चेक से पैसा प्राप्त होना होता है।
किसी भी बैंक चेक को Drawer जारी करता है। Payee को वह पैसा मिलता है और Drawee यानी बैंक या वित्तीय संस्थान उस पैसे को Drawer के अकाउंट से काटकर Payee को देता है।
अकाउंट पेयी चेक बनाने का तरीका
How to make Account Payee Cheque? Stepwise method
किसी बैंक चेक को अकाउंट पेयी चेक बनाने का तरीका बहुत सरल है। आपके पास मौजूद सामान्य बैंक चेक को ही आप सेकंडों में अकाउंट पेयी चेक बना सकते हैं। इसका तरीका हम स्टेप-बाइ-स्टेप नीचे बता रहे हैं-
Step 1: अपनी चेकबुक से एक चेक ले लीजिए। उस चेक के ऊपरी बाए कोने में दो तिरछी समांतर लाइनें खींच दीजिए। इसे चेक क्रॉस करना कहा जाता है। (नीचे स्क्रीन शॉट में देखें)
Step 2: दोनों समांतर तिरछी लाइनों के बीच में “Account Payee Only” लिख दीजिए। इसे संक्षेप में “A/c Payee Only. भी लिखा जा सकता है। ऐसा लिखने से यह सुनिश्चित हो जाएगा, कि उस चेक में दर्ज रकम, डायरेक्ट उस व्यक्ति के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर होगा, जिसके नाम वह चेक जारी किया जा रहा है।
Step 3: Pay के सामने खाली जगह में उस व्यक्ति या संस्ता का पूरा नाम डालें, जिसे कि पैसा देना चाहते हैं। पूरा नाम भी वह लिखना है, जोकि उसके खुद के बैंक अकाउंट में दर्ज हो। नाम में न तो कोई अतिरिक्त शब्द जोड़ें और न ही घटाएं। नाम को संक्षेप में भी नहीं लिखना है।
Step 4: चेक में अगर “Bearer” शब्द लिखा है, तो उसे काट दें। चेक में नाम या राशि दर्ज करने के बाद अगर कोई जगह बच रही हो तो उसे लाइन खींचकर कैसिल कर देना चाहिए। ताकि, नाम या रकम में कोई हेर-फेर न किया जा सके।
Step 5: जो रकम आप ट्रांसफर करना चाहते हैं, उसे पहले शब्दों में दर्ज करें। फिर उसको दिए गए बॉक्स में अंकों में भी दर्ज कर दें। उदाहरण के लिए 50255 रुपये अंकों में हैं तो इन्हें शब्दों में लिखेंगे-Fifty Thousand two hundred fifty five rupees
Step 7: आखिर में नीचे हस्ताक्षर वाली जगह पर अपने साइन कर दें। हस्ताक्षर करने के पहले ऊपर दर्ज किए गए नाम, रकम वगैरह को एक बार सावधानी से फिर से पढ़ लें।
बैंक चेक के प्रमुख प्रकार और विशेषताएं
बैंक चेक को जारी करने का तरीका और उससे पैसे प्राप्त करने के अधिकार के हिसाब से, भारत में बैंक चेक निम्नलिखित प्रकार के होते हैं-
Bearer Cheque
बेयरर चेक, ऐसा चेक होता है, जिससे कोई भी ऐसा व्यक्ति बैंक से पैसे निकाल सकता है, जोकि चेक लेकर आया है। इसमें पैसा पाने वाले का कोई नाम नहीं लिखा जाता है। ऐसा चेक अगर किसी अन्य व्यक्ति के पास पहुंच जाए तो वह दूसरा व्यक्ति भी उससे पैसे निकाल लेता है। ऐसे चेक पर पैसे देते वक्त बैंक किसी अन्य प्रकार का सत्यापन (authorisation) नहीं करता है। ऐसे चेक पर शुरू ‘or bearer छपा रहता है, जिसे कि काटा नहीं जाता है।
Order Cheque
ऐसे चेक से सिर्फ वही व्यक्ति पैसा निकाल सकता है, जिसके नाम वह चेक जारी किया गया है। ऐसे चेक में जो शुरुआत में ‘or bearer’ शब्द होता है, उसे काट दिया जाता है। ऐसे चेक पर पैसा देते समय बैंक उस व्यक्ति की पहचान सत्यापित करता है कि जोकि उससे पैसा निकालने आया है।
Crossed Cheque
इस चेक का पैसा सिर्फ उस व्यक्ति के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर हो सकता है, जिसका नाम चेक में लिखा गया है। इस चेक को जारी करते समय, उसमें बाई तरफ ऊपर के कोने में दो समानांतर लाइनें खींच दी जाती हैं और उन दोनों लाइनों के बीच में a/c payee’ लिख दिया जाता है।
Self Cheque
जब कोई अकाउंट धारक खुद अपने लिए पैसा निकालने के लिए बैंक चेक जारी करता है, तो वह Self Cheque कहलाता है। ऐसे चेक में पैसा निकालने वाले के नाम की जगह पर self’ लिखा जाता है। इसे सिर्फ उसी बैंक से निकाला जा सकता है, जिसमें आपका अकाउंट हो।
Banker’s Cheque
इस तरह का चेक व्यक्ति की बजाय, सीधे बैंक की ओर से जारी किया जाता है। इसमें किसी एक शहर में, एक अकाउंटधारक की ओर से दूसरे अकाउंट में पैसा जमा करने की प्रक्रिया की जाती है। ये भी बैंक चेक की तरह 3 महीनो के लिए मान्य होते हैं। हालांकि कुछ विशेष स्थितियों में उन्हें दोबारा मान्य ( revalidated) किया जा सकता है।
Post-Dated Cheque
यह ऐसा चेक होता है, जिससे आप एक निश्चित तारीख के बाद ही निकाल सकते हैं। वह बाद वाली तारीख उस चेक पर दर्ज रहती है। उस तारीख के पहले बैंक आपको, उस चेक के बदले में पैसा नहीं देगा।
Stale Cheque
Stale का मतलब होता है बासी। जिस चेक की वैधता तिथि या स्वीकार किए जाने की तिथि बीत चुकी होती है, उसे स्टेल चेक कहते हैं। भारत में कोई चेक जारी होने की तारीख से 3 महीने बाद तक ही वैध होता है, इसके बाद वह बेकार या स्टेल चेक हो जाता है।
Traveller’s Cheque
विदेशी लोग, छुट्टियों के दौरान, नकद पैसों की बजाय traveller’s cheques ले जाने को प्राथमिकता देते हैं। ऐसे चेक को कोई बैंक जारी कर देता है, जिसे बाद में दूसरे देश या दूसरे शहर में भुनाया जा सकता है। ट्रैवलर चेक की वैधता तिथि खत्म नही होती और इन्हें भविष्य में किसी यात्रा के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
तो दोस्तों ये थी अकाउंटपेयी चेक के बारे में जरूरी जानकारी। बैंक चेक को जारी करते समय, आपको कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए, वरना चेक बाउंस हो जाता है। चेक बाउंस होने के नियमों के बारे में जानकारी हमने अलग लेख में दी है।