प्राइवेट कर्मचारी, अगर अपने पीएफ अकाउंट से 5 साल से पहले पैसा निकालते हैं और वह रकम 50 हजार रुपए से अधिक है तो 10% TDS काट लिया जाता है। लेकिन अगर आप वह पैसा निकालने के पहले, अपने आवेदन (claim) के साथ में, Form 15G जमा कर देते हैं तो फिर TDS नहीं कटता। इसी तरह बैंक ब्याज और किराया के मामले में भी अगर कहीं TDS कटने की स्थिति बन रही हो तो वहां पर आप फॉर्म 15 G जमा करके टीडीएस कटौती रुकवा सकते हैं।
इस लेख में हम बताएंगे कि Form 15 G क्या होता है? किसे भरना पड़ता है? इसमें क्या-क्या डिटेल्स भरे जाते हैं? और कब जमा करना पड़ता है? साथ ही Form 15 G और Form 15 H के बारे में भी जानकारी साझा करेंगे।
In this article, we will know about Form 15 G in Hindi?
फॉर्म 15 जी क्या होता है? What is Form 15 G
फॉर्म 15 G, एक प्रकार का घोषणापत्र (declaration) होता है। इस फॉर्म को जमा कर देने के बाद, आपको मिलने वाली आमदनी पर TDS नहीं काटा जाता। इसे भरकर जमा करने वाले को इस बात की घोषणा करनी पड़ती है कि, उस वित्त वर्ष में आपकी पूरी आमदनी इतनी नहीं होने वाली है कि उस पर टैक्स देनदारी (Tax Liability) बन सके। इसलिए आपको मिल रही उस आमदनी पर TDS कटोती नहीं की जानी चाहिए।
उदाहरण के लिए,अगर आपको बैंक से साल में 40 हजार रुपए से अधिक ब्याज मिलती है तो बैंक इस पर TDS काट सकता है। लेकिन, अगर आप फॉर्म 15 G भरकर जमा कर देते हैं तो फिर आपको मिलने वाले ब्याज पर TDS नहीं काटा जाएगा।
इसी तरह, अगर 5 साल के पहले 50 हजार रुपए से अधिक पीएफ निकालते हैं तो वहां भी 10% टीडीएस कटौती रोकने के लिए फॉर्म 15 G भरकर जमा कर सकते हैं।
फॉर्म 15G और फॉर्म 15 H में अंतर
- फॉर्म 15 H भी फॉर्म 15 G की तरह का घोषणापत्र (declaration) होता है, जिसे किसी तरह की आमदनी पर TDS कटौती को रोकने के लिए जमा किया जाता है।
- दोनों फॉर्मों में मुख्य अंतर यह होता है कि फॉर्म 15 G को 60 वर्ष से कम उम्र के लोग भर सकते हैं, जबकि फॉर्म 15 H को सिर्फ 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोग भरकर जमा कर सकते हैं।
- फॉर्म 15 H की तरह ही फॉर्म 15 G में भी इस बात की घोषणा करनी पड़ती है कि आपकी आपकी आमदनी टैक्स देने लायक नहीं है। इसको जमा करने पर, आपको मिलने वाली किसी आमदनी पर TDS नहीं काटा जाता।
फॉर्म 15 G को किन-किन जगहों पर इस्तेमाल किया जाता है?
नीचे हम कुछ ऐसी आमदनी के प्रकार बता रहे हैं, जहां पर TDS कटौती को रोकने के लिए आप Form 15 G जमा कर सकते हैं-
बैंक से मिलने वाली ब्याज पर TDS कटौती रोकने के लिए
अगर आपको बैंक में खोले गए FD या RD अकाउंट पर साल भर की ब्याज 40 हजार रुपए से अधिक मिलती है तो फिर उस पर 10% TDS कटौती की जा सकती है। इस TDS कटौती को रोकने के लिए आपको पहले ही Form 15 G भरकर जमा कर देना चाहिए।
लेकिन, यहां यह ध्यान रखें कि 60 वर्ष से अधिक उम्र वाले लोगों (वरिष्ठ नागरिकों-Senior Citizens) को, सालाना 50 हजार रुपए से ज्यादा बैंक ब्याज पर TDS काटने का नियम है। उन्हें अपनी आमदनी पर TDS कटौती को रोकने के लिए फॉर्म 15 H जमा करना पड़ता है।
5 साल के पहले 50 हजार से अधिक PF निकालने पर TDS रोकने के लिए
अगर कोई कर्मचारी 5 साल के पहले और 50 हजार रुपए से अधिक PF निकालता है तो उसे मिलने वाली रकम पर 10% TDS काटा जा सकता है। इस TDS कटौती को रोकने के लिए, उसे PF निकालने का फॉर्म भरते समय Form 15 G भरकर जमा करना चाहिए। लेकिन, यहां ध्यान रखें कि निकाले जाने वाले PF की राशि को मिलाकर भी उसकी कुल सालाना आमदनी टैक्स भरने लायक नहीं होनी चाहिए।
पोस्ट ऑफिस में जमाओं पर मिली ब्याज पर TDS रोकने के लिए
पोस्ट ऑफिस की जमा योजनाओं पर अगर आपको इतनी ब्याज मिलती है, जिस पर कि TDS काटा जा सके तो उसे रुकवाने के लिए आप फॉर्म 15 G जमा कर सकते हैं। लेकिन ये सुविधा आपको तभी मिल सकती है, जबकि ब्याज के रूप में मिली आमदनी को मिलाकर भी आपकी कुल आमदनी टैक्स भरने लायक नहीं होनी चाहिए।
कॉरपोरेट बांड्स और डिबेंचर्स से होने वाली आमदनी पर TDS रोकने के लिए
अगर आपको कॉरपोरेट बांड्स से, साल में 5000 रुपए से अधिक आमदनी मिलती है तो उस पर टीडीएस काटा जा सकता है। लेकिन, अगर उस आमदनी को मिलाकर भी आपकी सालाना Total Taxable Income इतनी नहीं होने वाली है, है कि उस पर टैक्स देनदारी बने, तो आप Form 15 जी जमा कर सकते हैं।
जीवन बीमा पॉलिसी से मिली रकम पर TDS रोकने के लिए
अगर जीवन बीमा पॉलिसी के क्लेम पर मिलने वाली रकम 1 लाख रुपए से अधिक है तो उस पर 5 % TDS काटने का नियम है। लेकिन, अगर उस रकम को मिलाकर भी आपकी सालाना आमदनी इतनी नहीं है कि उस पर टैक्स देनदारी बने तो फिर आप फॉर्म 15 G जमा करके TDS कटौती रुकवा सकते हैं।
जमीन, बिल्डिंग, मशीनरी, प्लांट वगैरह से मिलाए किराए पर TDS रोकने के लिए
अगर आपको प्रॉपर्टी या उपकरणों को किराए पर देने से मिली रकम सालाना 2.40 लाख रुपए से अधिक है तो उस पर TDS काटा जा सकता है। लेकिन, अगर आपकी taxable income बेसिक टैक्स छूट पाने योग्य आमदनी से कम हो तो Form 15 G जमा करके TDS कटौती रोकी जा सकती है।
उल्लेखनीय है कि plant and machinery पर सालाना 2.40 लाख से अधिक किराया मिलने पर 2% TDS काटने का नियम है। जबकि, जमीन , बिल्डिंग, फर्नीचर, फिटिंग के किराए से सालाना 2.40 लाख से अधिक किराया मिलने पर 10 % TDS काटने का नियम है।
फॉर्म 15 G भरकर जमा करने की last Date क्या होती है?
कोई भी फॉर्म 15G सिर्फ एक वित्त वर्ष के लिए मान्य होता है। इसलिए जिस भी वर्ष में आपको टीडीएस कटौती से राहत चाहिए, उस साल आपको 15G जरूर जमा करना चाहिए। इसकी कोई अंतिम तारीख नहीं होती, लेकिन जब भी टीडीएस कटौती वाली आमदनी मिलनी हो, उसके पहले आपको फॉर्म 15G जमा कर देना चाहिए। सबसे अच्छा तो यह रहता है कि जिस साल आपका TDS कटने की संभवना है, उस वित्त वर्ष की शुरुआत में हीं Form 15 G जमा कर देना चाहिए।
फॉर्म 15 G में क्या-क्या Details भरने पड़ते हैं?
Form 15G में जो जानकारियां भरी जाती हैं, वे दो हिस्सों में बंटी होती हैं। Part A और Part B.
Part-A में ये जानकारियां दर्ज करनी पड़ती हैं-
- नाम और पैन कार्ड के डिटेल्स (Name and PAN details)
- TDS कटौती से संबंधित वित्त वर्ष के डिटेल्स (Details about the financial year).
- अपना पता और संपर्क संबंधी डिटेल्स (Address and contact details).
- आमदनी, आमदनी की प्रकृति और जिस नियम के कारण टीडीएस काटा गया है
- सभी सूचनाएं सत्य होने और जानकारी होने की सहमति संबंधी घोषणा (Declaration)
Part B में, निम्नलिखित जानकारियां दर्ज करनी पड़ती हैं-
- अपना नाम और कुल टैक्स देनदारी (Name of individual with tax liability).
- PAN नंबर और TAN नंबर
- आधार नंबर
- पता और संपर्क विवरण (Address and contact details)
- भुगतान की गई आमदनी की रकम (Amount of income paid)