भारत में अब वस्तुओं और सेवाओं के कारोबार पर GST टैक्स लगता है। सभी बड़े व्यापारियों को जीएसटी मेंं रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है और अपनी कैटेगरी के हिसाब से जीएसटी रिटर्न भी भरने पड़ते हैं। छोटे व्यापारी चाहें तो बिना जीएसटी रजिस्ट्रेशन के भी व्यापार कर सकते हैं। हालांकि सरकार ने कुछ ऐसी बिजनेस कैटेगरियां भी निर्धाारित कर रखी हैं, जिन्हें कम टर्नओवर पर भी रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होता है।
इस लेख में हम बताएंगे कि जीएसटी किस-किस पर लागू है? यानी कि किस-किस तरह के बिजनेस वालों को जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होता है? (Whom GST is applicable)
1. वस्तुओं का 40 लाख से अधिक टर्नओवर पर GST रजिस्ट्रेशन अनिवार्य
सामान्य राज्यों (Normal States) की श्रेणी में आने वाले राज्यों के, ऐसे कारोबारी जिनका टर्नओवर सालाना 40 लाख रुपए से अधिक है, उन्हें जीएसटी में रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है। सामान्य कैटेगरी में रखे गए राज्यों के नाम इस प्रकार हैं-
दिल्ली, बिहार, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, हरियाणा, गोवा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल, छत्तीसगढ़, झारखंड, लक्षद्वीप, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, चंडीगढ़
2. विशेष राज्यों में 20 लाख से अधिक टर्नओवर पर GST रजिस्ट्रेशन जरूरी
GST एक्ट के तहत विशेष राज्यों (Special States) के कारोबारियों को 20 लाख रुपए सालाना टर्नओवर पर रजिस्ट्रेशन लेना अनिवार्य किया गया है।
विशेष कैटेगरी में रखे गए राज्यों के नाम हैं- अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, जम्मू एवं कश्मीर
3.. सेवाओं का टर्नओवर 20 लाख से अधिक होने पर रजिस्ट्रेशन अनिवार्य
सामान्य राज्यों के ऐसे कारोबारी जो सिर्फ सेवा क्षेत्र (service industry) में काम कर रहे हैं उन्हें 20 लाख रुपए टर्नओवर पर जीएसटी में रजिस्ट्रेशन लेना अनिवार्य है। सेवा क्षेत्र (service industry) से मतलब, ऐसे कामों से है जोकि सुविधाओं के रूप में होते हैं, जैसे कि ट्रांसपोर्ट, होटल, रेस्टोरेंट्स, फाइनेंसिंग, बीमा, स्टोरेज, संचार वगैरह। सामान्य राज्यों के नाम, हम ऊपर बता चुके हैं।
4. विशेष श्रेणी वाले राज्यों में सेवाओं (Services) का 10 लाख से अधिक टर्नओवर पर रजिस्ट्रेशन जरूरी
सेवा क्षेत्र के कारोबारी, अगर विशेष श्रेणी वाले राज्य (Special Category States) में हैं तो उन्हें 10 लाख के सालाना टर्नओवर पर ही रजिस्ट्रेशन लेना जरूरी है। (विशेष कैटेगरी के राज्यों के नाम हम ऊपर, दूसरे नंबर की हेडिंग में बता चुके हैं )
5. वस्तुओं के मामले में, कोई राज्य चाहे तो अपने यहां टर्नओवर लिमिट बदल भी सकता है
नये नियमों में राज्यों को छूट दी गई है कि वे अपने यहां चाहे तो वस्तुओ के कारोबार पर, अनिवार्य रजिस्ट्रेशन के लिए 40 लाख टर्नओवर की लिमिट को अपनाएं या फिर चाहें तो पुरानी वाली लिमिट( 20 लाख टर्नओवर) को ही बरकरार रख रकते हैं।
उदाहरण के लिए, विशेष श्रेणी के कुछ राज्यों, जैसे कि जम्मू और कश्मीर, लद्दाख और असम ने अपने यहां अब भी वस्तु कारोबार में GST रजिस्ट्रेशन के लिए 40 लाख टर्नओवर की लिमिट तय कर रखी है।
इसके उलट, सामान्य श्रेणी वाले तेलंगाना राज्य ने अपने यहां, वस्तु कारोबार में GST रजिस्ट्रेशन की लिमिट 20 लाख बरकरार रखी है।
6. कुछ बिजनेस में बिना टर्नओवर के भी रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है
GST में, कुछ खास किस्म के कारोबारियों को हर हाल में GST registration लेना अनिवार्य किया गया है। भले ही उनका सालाना टर्नओवर कितना भी कम या ज्यादा हो। इनकी लिस्ट भी हम नीचे दे रहे हैं।
- Inter-state supplier: दूसरे राज्यों को सामान या सेवाओं की सप्लाई करने वाले कारोबारियों को हर हाल में जीएसटी रजिस्ट्रेशन लेना अनिवार्य है। भले ही उनकी सालाना टर्नओवर लिमिट कितनी भी कम या ज्यादा हो।
- Casual taxable persons: ऐसे कारोबारी, जिनके कारोबार करने का कोई निश्चित स्थान नहीं होता, और किसी taxable territory में कारोबार करते हैं। उन्हें casual taxable persons कहते हैं। इनका भी टर्नओवर चाहे जितना कम या ज्यादा हो, इन्हें रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। इनका रजिस्ट्रेशन तीन महीने .90 days. के लिए मान्य . valid . होता है। देखें: जीएसटी में कैजुअल टैक्सेबल पर्सन क्या होता है?
- Non-resident taxable persons. ऐसा व्यक्ति जो भारत में सामान या सेवाओं की सप्लाई करता है, लेकिन उनका भारत में कोई निश्चित पता नहीं है। ऐसे लोगों को non-resident taxable persons कहा जाता है। इन्हें भी यहां कारोबार करने के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन लेना अनिवार्य है। इनका रजिस्ट्रेशन भी 90 दिनों के लिए मान्य होता है। हालांकि, बाद में इसे आगे भी 90 दिनों के लिए बढवाया जा सकता है।
- E-Commerce Operator: आनलाइन शॉपिंग या सर्विसेज की सुविधा देने वाली कंपनियां जैसे कि Amazon, Flipkart, Snapdeal, Uber, Ola, Swiggy, Urban Clap वगैरह ई कॉमर्स आॅपरेटर की कैटेगरी में आती हैं। ऐसी किसी भी कंपनी को जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है, भले ही उसका टर्नओवर कितना भी कम हो।
- Suppliers via e-commerce operator: ई कॉमर्स कंपनियों के माध्यम से सप्लाई करने वालों को भी जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। भले ही, उनका टर्नओवर कितना भी कम हो।
- Reverse charge mechanism: जीएसटी में सामान्य रूप से टैक्स उस व्यक्ति को चुकाना पडता है, जोकि माल या सेवा की Supply (बिक्री) करता है। लेकिन कुछ विशेष मामले ऐसे भी होते हैं, जिनमें माल या सेवा खरीदने वाले को जीएसटी चुकाना पडता है। इसे Reverse charge mechanism कहा जाता है। रिवर्स जीएसटी का भुगतान करने वालों को भी, जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। विस्तार से जानें: जीएसटी में रिवर्स चार्ज क्या है? कब लगता है?
- Agents of Supplier: जीएसटी में रजिस्टर्ड कारोबारी की ओर से supply करने वालों को जीएसटी एक्ट में Agent कहा गया है। उन्हें भी कारोबार करने के लिए जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है।
- Distributors या Input service distributors: जब किसी कंपनी का कारोबार, उसकी कई ब्रांचों की ओर से होता है तो ब्रांचें Distributors या Input service distributors के रूप में काम करती हैं। ये Distributors अपने सप्लायर्स के ही PAN नंबर पर कारोबार करते हैं। सप्लायर की ओर से चुकता किए गए GST के बदले में मिले Input Tax credits का इस्तेमाल भी करते हैं। ऐसे डिस्ट्रीब्यूटर्स या इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर्स को भी GST में रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है।
- Aggregators: एग्रीगेटर्स, उन कंपनियों को कहा जाता है, जोकि अपने ब्रांड नेम के तहत, दूसरी कंपनियों का प्रोडक्ट या सेवाएं बेचती हैं। इसके बदले में वह दूसरी कंपनियों से कमीशन लेती हैं। जैसे कि Policybazaar.com पर तमाम बीमा कंपनियों के प्रोडक्ट की तुलना कर सकते हैं और दिए गए लिंक पर जाकर खरीद भी सकते हैं।
- Online services from abroad: भारत के बाहर स्थित कोई कंपनी या व्यक्ति, भारत के किसी व्यक्ति या कंपनी को Online services उपलब्ध कराता है, तो उसे भी जीएसटी के तहत रजिस्ट्रेशन लेना अनिवार्य है।
- Supply of some special goods: कुछ विशेष चीजों की बिक्री में शामिल कारोबारियों को भी जीएसटी में रजिस्ट्रेशन लेना अनिवार्य है—
- आइसक्रीम और अन्य खाने योग्य बर्फ से बने खाने वाले आइटम्स की सप्लाई में जुडे लोग
- पान मसाला
- तंबाकू और तंबाकू से बने सहायक प्रोडक्ट
7. हर राज्य में बिजनेस के लिए अलग-अलग रजिस्ट्रेशन लेना जरूरी
कई राज्यों में कारोबार करने वालों के लिए हर राज्य में अलग-अलग रजिस्ट्रेशन (GSTIN) लेना जरूरी है। उदाहरण के लिए, श्यामेंद्र ठकराल का महाराष्ट्र गुजरात और आंध्र प्रदेश में कारोबार होता है। तो उन्हें तीनों राज्यों में अलग-अलग रजिस्ट्रेशन नंबर (GSTIN) लेना होगा। हालांकि, सभी रजिस्ट्रेशन नंबरों में, उस कारोबारी का PAN नंबर एक समान होगा। बस हर राज्य के लिए जीएसटिन नंबर अलग-अलग होगा।
8. किसानों पर नहीं लागू होता जीएसटी
कृषि कारोबारियों के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य नहीं है। जिन कृषि कारोबारों के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता नहीं है, उनके नाम हैं—
- फूलों की खेती (floriculture)
- बागवानी (horticulture)
- रेशम पालन (sericulture)
- फसल उगाना (raising of crops)
- घास व बगीचे की उपज (grass or garden produce)
9. कुछ विशेष प्रकार के कृषि बिजनेस में भी GST रजिस्ट्रेशन अनिवार्य
- दुग्ध उत्पादन (dairy farming)
- मुर्गी पालन (poultry farming)
- पशुधन प्रजनन (stock breeding)
- फल संग्रहण (gathering of fruit)
- रोपाई या पौध पालन (rearing of seedlings or plants)