अगर आप किसी प्राइवेट कंपनी में काम करते है तो हर महीने आपकी सैलरी में से 12% कटकर, आपके पीएफ अकाउंट में जमा हो जाता है। जितना हिस्सा (12%), आपका कटता है, उतना ही आपकी कंपनी को भी उसमें मिलाकर जमा करना पड़ता है। यानी कि कुल मिलाकर आपके सैलरी के 24% के बराबर पैसा आपके पीएफ अकाउंट में जाता है। लेकिन, इसी पीएफ वाले पैसे में से एक बड़ा हिस्सा (8.33%) कटकर आपके पेंशन अकाउंट में जमा होता है। इस कारण एडवांस पीएफ निकालने पर आपको 24% की बजाय सिर्फ 15.67% जमा के हिसाब से पीएफ की गणना होती है।
इन सारे तथ्यों को आसानी से समझने के लिए हमने यह लेख तैयार किया है। तो आइए जानते हैं कि पीएफ कटौती के नए नियम 2024 क्या हैं? किस तरह की कंपनी के लिए, कितना पैसा काटना अनिवार्य होता है? कितना पैसा पेंशन में जाता है और कितना पैसा पीएफ मे बचा रहता है? पीएफ में जमा पैसों पर ब्याज कितना मिलता है?
EPF Deduction rules in Hindi?
सबसे पहले तो हम बता दें कि प्राइवेट कर्मचारियों के PF अकाउंट और पेंशन अकाउंट में जमा पैसों के रखरखाव की जिम्मेदारी भारत सरकार के संस्थान EPFO की होती है। इसका पूरा नाम -Employee Provident Fund Organisations (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) कहते हैं। EPFO ही कर्मचारियों के EPF अकाउंट संबंधी नियम बनाता है और कंपनियों से लागू भी करवाता है। पीएफ कटौती के नियम 2024 इस प्रकार हैं-
बेसिक सैलरी का 12 % PF अकाउंट में जमा होता है
हर महीने कर्मचारियों की सैलरी का 12 % हिस्सा काटकर उनके EPF अकाउंट में जमा किया जाता है। यहां सैलरी में सिर्फ बेसिक सैलरी व महंगाई भत्ता (Basic Salary+DA) की गणना की जाती है। ये नियम उन सभी कंपनियों या संस्थाओं पर लागू होते हैं, जिनमें 20 या इससे अधिक कर्मचारी काम करते हैं और जो EPFO में रजिस्टर्ड हो चुकी हैं।
ध्यान दें: अगर किसी कंपनी में 20 से कम कर्मचारी हैं, तो वह कंपनी चाहे तो बेसिक सैलरी का 10 प्रतिशत ही PF काटकर उसके अकाउंट में जमा कर सकती है। या फिरचाहे तो अपनी सुविधानुसार 12 प्रतिशत ही काट सकती है। जितना पैसा कर्मचारी का काटेगी, उतना ही कंपनी को खुद भी कर्मचारी के पीएफ अकाउंट में जमा करना पड़ेगा।
कुछ खास उद्योगों को 10% PF कटौती करने की छूट है
कुछ खास किस्म के उद्योगों को सिर्फ 10 % ही PF काटने की छूट मिली हुई है, जैसे कि- जूट फैक्टरी, बीड़ी फैक्टरी, ईंट फैक्टरी, नारियल-जटा फैक्टरी, ग्वार गम फैक्टरी वगैरह।
इनके अलावा भी जो अन्य उद्योग हैं वे भी लाभ में कमी या घाटे (loss) के कारण, आर्थिक समस्या से ग्रस्त होने पर, 10 % PF कटौती का विकल्प अपना सकती है।
लेकिन ऐसा तभी किया जा सकता है, जबकि कंपनी को सरकार के औद्योगिक एवं वित्तीय पुनर्संरचना बोर्ड (Board for Industrial and Financial Reconstruction) की ओर से बीमार (sick) उद्यम घोषित किया जा चुका हो।
कर्मचारी के बराबर (12%) ही कंपनी को भी जमा करना पड़ता है
कर्मचारी के EPF अकाउंट में, जितना पैसा (12 प्रतिशत) उसकी सैलरी से काटकर जमा किया जाता है। उतना ही पैसा (12 प्रतिशत) कंपनी या संस्थान की ओर से भी कर्मचारी के पीएफ अकाउंट में जमा करना अनिवार्य है। इस तरह से हर महीने कुल 24% हर कर्मचारी के अकाउंट में जमा होता है। इसमें 12% कर्मचारी का हिस्सा+12% कंपनी का हिस्सा होता है।
जिन मामलों में कंपनी को कर्मचारी की सैलरी का 10% पीएफ काटने की छूट है, वहां पर कंपनी को भी अपनी ओर से 10% अंशदान की ही छूट होगी। ऐसे में कर्मचारी के ईपीएफ अकाउंट में कुल 20% ही जमा होता है।
नियोक्ता के अंशदान में से 8.33% पेंशन फंड में जाता है पैसा
नियोक्ता (कंपनी या संस्थान) की ओर से जो 12% हिस्सा (Contribution) जमा किया जाता है वह पूरा का पूरा कर्मचारी के PF में नहीं जमा होता। बल्कि, यह अंशदान दो हिस्सों में बंटकर के जमा होता है। नियोक्ता के 12% में से 8.33% कर्मचारी के पेंशन अकाउंट (EPS) में जमा होता है, बाकी बचा पैसा ही कर्मचारी के EPF Account में जमा होता है।
सेवानिवृत्त (Retirement) होने पर कर्मचारी को अपने अंशदान (Contribution) का पूरा हिस्सा और नियोक्ता की ओर से पेंशन अंशदान के बाद काटकर जमा किया गया बाकी हिस्सा जुड़कर मिलता है। (ब्याज सहित)
कर्मचारी, चाहे तो अपना अंशदान 12% से ज्यादा भी कर सकता है
कोई कर्मचारी चाहे तो पीएफ में अपने निर्धारित 12% हिस्से को बढ़वा भी सकता है। इसके लिए उसे अपनी कंपनी या संस्थान में अप्लीकेशन देना पड़ता है। अपनी इच्छा से बढ़वाकर जमा किए जाने वाले इस हिस्से को VPF या स्वैच्छिक भविष्य निधि (Voluntary Provident Fund) कहते हैं। VPF पर भी ब्याज और टैक्स छूट के नियम EPF की तरह ही लागू होते हैं।
VPF के रूप में आप चाहें तो अपनी पूरी की पूरी Basic Salary (डीए सहित) की सीमा तक तक कटवा सकते हैं। इस स्वैच्छिक अंशदान (VPF) की गणना अलग से की जाती है।
कर्मचारी के स्वैच्छिक पीएफ का विकल्प अपनाने पर अतिरिक्त अंशदान सिर्फ कर्मचारी की ओर से ही जमा होगा। नियोक्ता को VPF के बराबर अंशदान करना आवश्यक नहीं है। सिर्फ बराबर अंशदान करने की शर्त सिर्फ EPF के मामले में लागू होती है।
EPF अकाउंट में हर महीने के बैलेंस पर मिलता है ब्याज
वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सरकार ने पीएफ अकाउंट पर 8.15% % के हिसाब से ब्याज देने की घोषणा की थी। पिछले 5 वर्षों के दौरान पीएफ अकाउंट की ब्याज दर इस प्रकार रही है-
वित्त वर्ष 2022-2023 के लिए | 8.15% |
वित्त वर्ष 2021-2022 के लिए | 8.10% |
वित्त वर्ष 2020-2021 के लिए | 8.50% |
वित्त वर्ष 2019-2020 के लिए | 8.50% |
वित्त वर्ष 2018-2019 के लिए | 8.65% |
वित्त वर्ष 2017-2018 के लिए | 8.55% |
हर महीने के अंतिम बैलेंस पर जुड़ता है ब्याज
कर्मचारी के EPF अकाउंट में हर महीने के अंत में जितना बैलेंस होता है, उस पर ब्याज मिलता है। ब्याज की दर सरकार की ओर से उस समय लागू ब्याज दर के हिसाब से होती है। लेकिन यह ब्याज आपके पीएफ अकाउंट में हर महीने जुड़ती हुई दिखाई नहीं होती। क्योंकि किसी वर्ष की पीएफ जमा पर कितना ब्याज मिलेगा, इसकी घोषणा सरकार वित्त वर्ष के अंत में करती है। उस घोषित ब्याज दर के हिसाब से पिछले वित्त वर्ष की जमा पर ब्याज की गणना की जाती है।
पीएफ अकाउंट में कर्मचारी और कंपनी, दोनों की ओर से पैसा जमा होने के बावजूद, यह जरूरी नहीं है कि आप जब पीएफ निकालेंगे तो पैसा डबल मिलेगा। सिर्फ कुछ खास स्थितियों में आपको डबल पीएफ मिल सकता है। इसके बारे में, हमने विस्तार से जानकारी अलग लेख में दी है।
किसी कंपनी में 20 से ज्यादा कर्मचारी होने पर PF कटौती अनिवार्य
भारत में मौजूद कोई भी प्राइवेट कंपनी या संस्थान, जिसमें 20 या इससे अधिक कर्मचारी काम करते हैं, उसे EPFO में खुद को रजिस्टर्ड करवाना अनिवार्य है। इन्हें अपने सभी कर्मचारियों का PF काटकर कर्मचारियों के ईपीएफ खाते में जमा करना भी अनिवार्य है।
कर्मचारियों की संख्या 20 से कम होने पर पर भी कंपनी या संस्थान चाहे तो EPFO की सदस्यता ले सकता है। इसके बाद अपने कर्मचारियों का PF काटकर जमा कर सकती है। हालांकि ऐसे बहुत कम संस्थान हैं। एक बार EPFO में रजिस्ट्रेशन करवा लेने के बाद, कर्मचारियों की संख्या 20 से कम भी हो जाती है तो भी EPFO के सारे नियम-कायदे पहले की तरह ही लागू रहेंगे।
सिनेमा थियेटर्स जैसी संस्थाओं के लिए सिर्फ 5 कर्मचारी होने पर भी EPFO में रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है। कर्मचारियों के पीएफ अकाउंट में पैसा भी जमा करना अनिवार्य है।