अपने पिछले लेखों में हम, CTC, Gross Salary और Basic Salary के बारे में विस्तार से जानकारी दे चुके हैं। इनके बाद हमारे कई पाठकों (Readers) ने पूछा था कि In Hand Salary क्या होती है? इसकी गणना कैसे की जाती है? बैंक वगैरह से होम लोन, कार लोन या पर्सनल लोन के आवेदन में भी कर्मचारियों से In Hand Salary या Take Home Salary के बारे में जानकारी मांगी जाती है। जितनी ज्यादा आपकी In Hand Salary होती है, उतना ज्यादा लोन आपको मिल सकता है।
इस लेख में हम सबसे पहले यह बताएंगे कि इन हैंड सैलरी क्या होती है? इसके बाद यह भी बताएंगे कि इसका CTC और Gross Salary से क्या संबंध होता है? आखिर में हम CTC से इन हैंड सैलरी की गणना करने का तरीका भी बताएंगे।
इन हैंड सैलरी क्या होती है? What is In Hand Salary
इन हैंड सैलरी वह रकम होती है, जोकि हर महीने के अंत में, कर्मचारी के सैलरी अकाउंट में भेजी जाती है। यह रकम कर्मचारी की Gross Salary में से टैक्स, पीएफ और अन्य सारी कटौतियां (deductions) करने के बाद निकलती है। In Hand Salary को ही Take Home Salary भी कहते हैं।
उदाहरण के लिए किसी कर्मचारी की Gross salary 45000 रुपए है। लेकिन, इसमें से पीएफ, पेंशन, इनकम टैक्स, प्रोफेशनल टैक्स वगैरह को रूप में 6000 रुपए कट जाते हैं। ऐसे में उस कर्मचारी को जो In Hand Salary मिलेगी, वह होगी 38000 रुपए। यही उसकी Take Home Salary भी कहलाएगी।
ग्रॉस सैलरी से इन हैंड सैलरी को निकालने का फॉर्मूला इस प्रकार होता है-
In-hand Salary = Gross Salary – Income Tax -Professional Tax- Other Deductions
CTC, Gross Salary और In Hand Salary में अंतर
सीटीसी सैलरी
CTC salary वह पूरा का पूरा सैलरी पैकेज होती है, जो कंपनी आपको काम पर रखने के बदले में हर साल देने का करार करती है। इसमें सैलरी के अलावा सभी तरह के प्रत्यक्ष लाभ और अप्रत्यक्ष लाभ शामिल होते हैं। इन लाभों में से कोई कटौती (deductions) किए बिना CTC की गणना की जाती है। इसे निकालने का फॉर्मूला होता है-
CTC = Gross Salary + Direct Benefits + Indirect Benefits + Savings Contributions or Deductions
इसमें शामिल की जाने वाले सभी तरह के भुगतान और सुविधाओं की विस्तार से जानकारी हमने, CTC से संबंधित विस्तृत लेख में दी है। वहां पर आप अपनी CTC की गणना का तरीका भी देख सकते हैं।
ग्रॉस सैलरी
आपकी CTC में से Gratuity और EPF (कंपनी वाला हिस्सा) को बाहर करने के बाद जो रकम, आपको देने के लिए बचती है, वह आपकी Gross salary होती है। इसमें आपकी बेसिक सैलरी के साथ-साथ मिलने वाले सभी प्रकार के भत्ते और भुगतानों को शामिल किया जाता है। टैक्स व अन्य कटौतियों (deductions) को करने के पहले ही इसकी गणना की जा सकती है। इसे पता करने का सिंपल फॉर्मूला होता है-
Gross Salary = Basic Salary + HRA + DA + medical + conveyance + other allowances
इन हैंड सैलरी
Gross Salary में से पीएफ, पेंशन, टैक्स वगैरह काटने के बाद, बची जो रकम आपके सैलरी अकाउंट में भेजी जाती है, वह आपकी In Hand Salary होती है। इसे निकालने का फॉर्मूला इस प्रकार होता है-
In-Hand Salary = Monthly Gross Income – Income Tax – Employee PF – Other Deductions ( if any)
इन हैंड सैलरी की गणना कैसे करें? How to Calculate
ऊपर दिए गए विवरण में हम यह समझ चुके हैं कि आपकी In Hand Salary या Take Home Salary वह रकम होती है, जोकि आपकी Gross Salary में से सभी तरह की कटौतियों को बाहर करने के बाद बचती है और आपके सैलरी अकाउंट में पहुंचती है। इस हम यहां पर एक उदाहरण की मदद से गणना करके समझा रहे हैं-
मान लेते हैं कि किसी कर्मचारी की सालाना CTC 5 लाख रुपए है। इसमें आपको हर साल दिया जाने वाला 20 हजार रुपए का बोनस भी शामिल है। ऐसे में आपकी Total gross salary मानी जाएगी-
CTC – bonus = ₹5 lakhs – ₹20,000 = ₹4.80 lakhs.
अब अगर आपका सालाना प्रोफेशनल टैक्स कटता है तो उसे gross salary में से घटा दीजिए। प्रोफेशनल टैक्स, अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग मात्रा में लिया जाता है। यहां हम मान लेते हैं कि आपके शहर में ₹2,500 प्रोफेशनल टैक्स लगना है। तो उसे ₹4.80 lakhs में से बाहर कर दीजिए।
₹ 480000-₹2500=₹ 477500
अब आप इसमें से अपने हिस्से का EPF योगदान और कंपनी के हिस्से का EPF योगदान, घटा दीजिए। पीएफ संबंधी नियमों के अनुसार हर महीने कर्मचारी की सैलरी का 12% कटकर उसके EPF अकाउंट में जमा होता है। इतना ही पैसा (कर्मचारी की सैलरी के 12% के बराबर), उसकी कंपनी की ओर से भी जमा किया जाता है।
लेकिन, एक प्रतिबंध यह भी है कि EPF में अधिकतम 15000 तक की सैलरी से ही EPF कट सकता है।
इस शर्त के हिसाब से, हमारे उदाहरण में, कर्मचारी के हिस्से का EPF अंशदान होगा – हर महीने 1800 रुपए और इतना ही पैसा (1800 रुपए) कंपनी को भी जमा करना होगा। दोनो का टोटल हुआ-3600 रुपए महीना। साल भर में यह कुल मिलाकर हो जाएगी- 3600*12=43200 रुपए। इसे भी घटा दीजिए।
₹ 477500- ₹ 43200= ₹ 434300
अब मान लेते हैं कि आपकी CTC में से हर साल कर्मचारी बीमा (employee insurance) के रूप में 1500 रुपए कट जाते हैं। इसे भी काटकर बाहर कर दीजिए
₹ 434300- ₹ 1500= ₹ 432800
अब चूंकि भारत में 5 लाख रुपए तक की आमदनी पर कोई टैक्स नहीं लगता। तो इस उदाहरण में TDS कटौती का मामला ही नहीं बनता। यानी कि अब कुछ घटाने की जरूरत नहीं है और जो रकम बची है, वह In Hand Salary के रूप में आपको मिल जाएगी।
इस तरह से हर साल आपको ₹ 432800 रुपए In Hand Salary के रूप में मिलेंगे।
इसे अगर महीने के हिसाब से बांटें तो हर महीने 432800/12=36066 रुपए In Hand Salary के रूप में आपको मिलेंगे।
इन हैंड सैलरी को बढ़ाने का तरीका
इतना तो आप जान ही गए होंगे कि आपको जो Gross Salary मिलती है, उसमें से टैक्स और अन्य कटौतियों के बाहर हो जाने के बाद बची रकम In Hand Salary के रूप में आपके अकाउंट में पहुंचती है। यानी कि अगर आप अपनी टैक्स कटौती कम करवा सकें या टैक्स कटौती होने ही न दें तो आपकी Gross Salary में से पैसा कम कटेगा और आपको In Hand Salary ज्यादा मिल सकती है। बेहतर टैक्स प्लानिंग करके ऐसा किया जा सकता है।
उदाहरण के लिए, आपने इनकम टैक्स एक्ट के Section 80C के अंतर्गत आने वाले निवेशों में पैसा जमा किया है या खर्च किया है तो आप हर साल 1.50 लाख रुपए तक के खर्चों पर टैक्स देने से बच सकते हैं।
EPF, PPF, सुकन्या समृद्धि योजना, सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम, NSC, ELSS, टैक्स सेवर एफडी वगैरह इस तरह के निवेशों में आती हैं। जीवन बीमा, बच्चों की फीस वगैरह भी इसमें शामिल किये जा सकते हैं।
तो दोस्तों ये थी इन हैंड सैलरी के बारे में जरूरी जानकारियां। कर्मचारियों को मिलने वाली विभिन्न प्रकार की छुट्टियां और उनसे संबंधित नियमों की जानकारी हमने अलग लेख में दी है। इसी तरह पीएफ कटौती के नियम और कर्मचारी पेंशन से जुड़ी जरूरी जानकारियां अलग-अलग लेखों में हमने दी है।